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दूसरों को अपनी काबिलीयतों का पूरा-पूरा इस्तेमाल करने में मदद दीजिए

दूसरों को अपनी काबिलीयतों का पूरा-पूरा इस्तेमाल करने में मदद दीजिए

“मैं तुझ पर कृपादृष्टि रखूंगा और सम्मति दिया करूंगा।”—भज. 32:8.

1, 2. यहोवा धरती पर अपने बच्चों के बारे में कैसा महसूस करता है?

 जब माता-पिता अपने नन्हे-मुन्‍नों को खेलते हुए देखते हैं, तो अकसर वे उनकी काबिलीयतें देखकर हैरान रह जाते हैं। हो सकता है आपने भी अपने बच्चों में यह बात देखी हो। शायद एक बच्चा खेल-कूद में बहुत अच्छा हो, तो दूसरे को तसवीरें बनाना या दूसरी चीज़ें करना पसंद हो। बच्चों में चाहे जो भी काबिलीयतें हों, माता-पिताओं को बहुत खुशी होती है जब वे उन्हें अपनी काबिलीयतों का पूरा-पूरा इस्तेमाल करने में मदद देते हैं।

2 यहोवा भी धरती पर अपने बच्चों में गहरी दिलचस्पी लेता है। वे उसकी नज़र में ‘मनभावने’ हैं, खासकर इसलिए क्योंकि वे उसके वफादार हैं। (हाग्गै 2:7) फिर भी, आपने शायद गौर किया होगा कि भाई-बहनों में कमाल के हुनर और काबिलीयतें भी हैं। उदाहरण के लिए, कुछ भाई अच्छे वक्‍ता हैं, तो कुछ भाई अच्छे इंतज़ाम करने में कुशल हैं। कुछ बहनें दूसरी भाषा सीखने और उस भाषा में प्रचार करने में माहिर हैं, तो कुछ बहनें बीमारों का खयाल रखने में या जिन्हें हौसले की ज़रूरत है, उनका हौसला बढ़ाने में माहिर हैं। (रोमि. 16:1, 12) हमें इस बात की खुशी है कि हमारी मंडलियों में ऐसे भाई-बहन हैं।

3. हम इस लेख में किन सवालों पर चर्चा करेंगे?

3 कुछ मसीही, खासकर जवान या हाल ही में बपतिस्मा पाए भाई शायद अभी तक मंडली के कामों में पूरी तरह हिस्सा न ले रहे हों। हम इन भाइयों को उनकी काबिलीयतों का पूरा-पूरा इस्तेमाल करने में कैसे मदद दे सकते हैं? हमें यहोवा की मिसाल पर चलते हुए अपने भाइयों में अच्छे गुण क्यों ढूँढ़ने चाहिए?

यहोवा अपने सेवकों के अच्छे गुणों पर ध्यान देता है

4, 5. (क) यहोवा ने गिदोन में क्या देखा? (ख) हम यहोवा की मिसाल से क्या सीखते हैं?

4 बाइबल दिखाती है कि यहोवा न सिर्फ अपने सेवकों के अच्छे गुणों को देखता है, बल्कि यह भी देख सकता है कि वे आगे चलकर क्या करने के काबिल हैं। मिसाल के लिए, उसने इसराएलियों को मिद्यानियों से आज़ाद कराने के लिए गिदोन को चुना। गिदोन खुद को एक मामूली इंसान समझता था। इसलिए जब एक स्वर्गदूत ने उससे कहा, “हे शूरवीर सूरमा, यहोवा तेरे संग है,” तो यह सुनकर वह ज़रूर दंग रह गया होगा। गिदोन खुद को बिलकुल भी “शूरवीर” नहीं समझता था, और न ही उसने खुद को इस काबिल समझा कि वह यहोवा के लोगों को बचा सके। मगर यहोवा ने मामले को अलग ही नज़रिए से देखा। उसने देखा कि गिदोन क्या करने के काबिल था और यहोवा जानता था कि वह इसराएलियों को बचाने के लिए गिदोन का इस्तेमाल कर सकता है।—न्यायियों 6:11-16 पढ़िए।

5 यहोवा को गिदोन पर पूरा भरोसा था, क्योंकि वह जानता था कि गिदोन क्या करने के काबिल है। मिसाल के लिए, यहोवा ने देखा कि जब गिदोन गेहूँ दाँव रहा था और उसे तैयार कर रहा था, तो वह पूरी लगन और मेहनत से काम कर रहा था। इतना ही नहीं, किसान अकसर गेहूँ को बाहर खुली हवा में फटकते थे, लेकिन गिदोन गेहूँ को अंगूर रौंदने के हौद में फटक रहा था। क्यों? ताकि मिद्यानियों की नज़र उसके थोड़े-से अनाज पर न पड़े और वे उसे चुरा न ले जाएँ। यहोवा ने देखा कि गिदोन सिर्फ मेहनती इंसान ही नहीं था। वह एक बुद्धिमान इंसान भी था, जो हालात का सही-सही जायज़ा लेकर खतरे से बचने के लिए बुद्धि-भरे फैसले ले सकता था। जी हाँ, यहोवा ने गिदोन की काबिलीयतों पर ध्यान दिया और उसे तालीम दी।

6, 7. (क) आमोस के बारे में यहोवा का नज़रिया कुछ इसराएलियों से कैसे अलग था? (ख) हम कैसे जानते हैं कि यहोवा ने सही व्यक्‍ति को चुना था?

6 उसी तरह, यहोवा ने देखा कि नबी आमोस भी क्या करने के काबिल था। कई लोगों की नज़रों में, वह शायद एक शांत और मामूली-सा आदमी था। वह भेड़ों को चराने और गूलर पेड़ के फलों को बेधने जैसे बहुत ही छोटे-मोटे काम करता था। लेकिन यहोवा ने उसे इसराएल के दस गोत्रवाले राज्य को ताड़ना देने का ज़िम्मा सौंपा, क्योंकि उन्होंने यहोवा की उपासना करनी छोड़ दी थी। कुछ इसराएलियों ने सोचा होगा कि इस काम के लिए आमोस सही इंसान नहीं है। क्यों?—आमोस 7:14, 15 पढ़िए।

7 आमोस एक दूर-दराज़ के गाँव का रहनेवाला था। मगर उसे उस ज़माने के शासकों और रीति-रिवाज़ों के बारे में काफी जानकारी थी। शायद उसने यह जानकारी उन लोगों से इकट्ठी की थी, जो व्यापार के सिलसिले में उसके गाँव से होकर गुज़रते थे। उदाहरण के लिए, आमोस आस-पास के देशों और इसराएल के बुरे हालात के बारे में बहुत कुछ जानता था। (आमो. 1:6, 9, 11, 13; 2:8; 6:4-6) आमोस एक अच्छा लेखक भी था। उसने अपनी किताब में सरल मगर दमदार शब्दों का इस्तेमाल किया। इतना ही नहीं, वह कपटी याजक अमस्याह को सज़ा सुनाने से ज़रा भी नहीं डरा। बेशक, यहोवा ने इस काम के लिए सही व्यक्‍ति को चुना था। यहोवा ने उसमें ऐसी काबिलीयतें देखी थीं, जो शायद दूसरे नहीं देख पाए थे।—आमो. 7:12, 13, 16, 17.

8. (क) यहोवा ने दाविद से क्या वादा किया था? (ख) भजन 32:8 से उन लोगों का हौसला क्यों बढ़ता है, जो शायद खुद को नाकाबिल समझते हैं?

8 यहोवा अपने सभी सेवकों की काबिलीयतों पर ध्यान देता है। और वह हममें से हरेक की मदद करना चाहता है, ताकि हम उसकी सेवा में अपना भरसक कर सकें। उदाहरण के लिए, यहोवा ने दाविद से वादा किया था कि वह हमेशा उसका मार्गदर्शन करेगा और ‘उस पर कृपादृष्टि रखेगा।’ (भजन 32:8 पढ़िए।) यह जानकर हमारा हौसला क्यों बढ़ता है? हालाँकि हम शायद खुद को नाकाबिल समझें, लेकिन यहोवा हमें वह करने में मदद दे सकता है, जिसकी हमने कल्पना तक नहीं की होगी। जिस तरह एक अच्छा शिक्षक कम तजुरबा रखनेवाले विद्यार्थी को कदम-कदम पर मार्गदर्शन देता है, उसी तरह यहोवा हमें मार्गदर्शन देता है ताकि हम अपने हुनर और काबिलीयतों का पूरा-पूरा इस्तेमाल कर सकें। और ऐसा वह हमारे भाई-बहनों के ज़रिए कर सकता है। किन तरीकों से?

दूसरों की खूबियों पर ध्यान दीजिए

9. भाई-बहनों में दिलचस्पी लेने के बारे में पौलुस की दी सलाह में क्या बात शामिल थी?

9 पौलुस ने सभी मसीहियों को बढ़ावा दिया कि वे अपने भाई-बहनों में दिलचस्पी लें। (फिलिप्पियों 2:3, 4 पढ़िए।) इस सलाह में क्या बात शामिल थी? यही कि हमें अपने भाइयों की काबिलीयतों पर ध्यान देना चाहिए और उनकी तारीफ करनी चाहिए। अगर कोई आपकी किसी खूबी पर ध्यान दे और आपकी तारीफ करे, तो आपको कैसा लगेगा? ज़ाहिर है आपका मन करेगा कि आप और भी तरक्की करें। हमारे भाइयों के बारे में भी यही बात सच है। अगर हम वक्‍त निकालकर इस बात पर ध्यान दें कि हमारे भाई कितनी मेहनत कर रहे हैं और उनकी तारीफ करें, तो उन्हें तरक्की करने और यहोवा की सेवा में आगे बढ़ते जाने का बढ़ावा मिलेगा।

10. मंडली में खासकर किन पर ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है?

10 कभी-कभी हम सभी चाहते हैं कि दूसरे हम पर ध्यान दें। लेकिन मंडली में जवान भाइयों पर या जिन भाइयों का अभी-अभी बपतिस्मा हुआ है, उन पर खास ध्यान दिए जाने की ज़रूरत है। उन्हें महसूस कराया जाना चाहिए कि वे भी मंडली का हिस्सा हैं। इससे उन्हें यह समझने में मदद मिलेगी कि यहोवा के संगठन में उनकी भी ज़रूरत है। बाइबल ऐसे भाइयों को बढ़ावा देती है कि वे मंडली में और भी ज़िम्मेदारी सँभालने के योग्य बनें। (1 तीमु. 3:1) लेकिन अगर उनकी मेहनत की कदर न की जाए, तो वे यहोवा की सेवा में तरक्की करने से पीछे हट सकते हैं।

11. (क) एक प्राचीन ने एक शर्मीले भाई को तरक्की करने में मदद कैसे दी? (ख) आप लूडोविक की मिसाल से क्या सीखते हैं?

11 लूडोविक नाम का एक प्राचीन, जिसे खुद बचपन में सच्ची दिलचस्पी दिखाए जाने की वजह से मदद मिली थी, कहता है: “जब मैं किसी भाई में सच्ची दिलचस्पी लेता हूँ, तो वह ज़्यादा जल्दी तरक्की करता है।” ऐसा ही एक भाई था जूलियन। लूडोविक ने गौर किया कि जूलियन बहुत ही शर्मीला था और जब वह मंडली के कामों में ज़्यादा हिस्सा लेने की कोशिश करता था, तो उसे खुद पर ही यकीन नहीं होता था और वह बड़े अजीब तरीके से पेश आता था। लूडोविक कहता है: “लेकिन मैं देख सकता था कि वह बहुत दयालु था और मंडली में दूसरों की दिल से मदद करना चाहता था।” इसलिए उसमें खामियाँ ढूँढ़ने के बजाए, लूडोविक ने उसके अच्छे गुणों पर ध्यान दिया और उसका हौसला बढ़ाया। नतीजा यह हुआ कि आगे चलकर जूलियन सहायक सेवक बना और आज वह एक पायनियर के तौर पर सेवा कर रहा है।

उन्हें अपनी काबिलीयतों का पूरा-पूरा इस्तेमाल करने में मदद दीजिए

12. अपने भाइयों को उनकी काबिलीयतों का पूरा-पूरा इस्तेमाल करने में मदद देने के लिए हमें क्या करना होगा? एक उदाहरण देकर समझाइए।

12 अगर हम अपने भाइयों को उनकी काबिलीयतों का पूरा-पूरा इस्तेमाल करने में मदद देना चाहते हैं, तो ज़रूरी है कि हम उनकी खामियों पर ध्यान देने के बजाय, उनके हुनर और खूबियों को पहचानें। यीशु ने प्रेषित पतरस के मामले में ऐसा ही किया। कुछ मौकों पर, पतरस ने दिखाया कि उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता था। मगर यीशु ने उसके अच्छे गुणों पर ध्यान दिया और उसका नाम पतरस रखा जिसका मतलब है “पत्थर का टुकड़ा।” यीशु के कहने का मतलब था कि पतरस आगे चलकर पत्थर या चट्टान की तरह मज़बूत साबित होगा।—यूह. 1:42.

13, 14. (क) बरनबास ने जवान मरकुस की तरफ कैसा नज़रिया दिखाया? (ख) मरकुस की तरह, एक जवान भाई को एक प्राचीन की मदद से कैसे फायदा हुआ? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

13 आइए हम बरनबास और मरकुस के उदाहरण पर भी गौर करें। (प्रेषि. 12:25) पौलुस और बरनबास के पहले मिशनरी दौरे में, जवान मरकुस को उनकी ज़रूरतों का खयाल रखना था। मगर जब वे पमफूलिया पहुँचे, तो अचानक मरकुस उन्हें छोड़कर चला गया। पौलुस और बरनबास को अकेले ही एक खतरनाक इलाके में सफर तय करना पड़ा। (प्रेषि. 13:5, 13) इसके बावजूद, बरनबास ने क्या किया? ऐसा मालूम होता है कि उसने मरकुस की खामियों पर नहीं, बल्कि उसकी खूबियों पर ध्यान दिया। उसने ऐसा नहीं सोचा कि मरकुस भरोसे के लायक नहीं है। इसके बजाय, आगे चलकर उसने मरकुस को तालीम दी। नतीजा, मरकुस एक प्रौढ़ मसीही बना। (प्रेषि. 15:37-39) सालों बाद, मरकुस रोम में पौलुस की मदद कर रहा था, जो उस वक्‍त कैद में था। और जब पौलुस ने कुलुस्से की मंडली को चिट्ठी लिखी, तो उसने मरकुस की तारीफ की। (कुलु. 4:10) क्या आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि उस वक्‍त बरनबास को कितनी खुशी हुई होगी, जब खुद पौलुस ने मरकुस की मदद माँगी?—2 तीमु. 4:11.

14 आलेक्सांड्रे नाम का एक प्राचीन याद करता है कि एक भाई ने कैसे उसकी मदद की थी: “जब मैं जवान था, तब मुझे सबके सामने प्रार्थना करना बहुत मुश्‍किल लगता था। एक प्राचीन ने मुझे दिखाया कि कैसे मैं खुद को तैयार कर सकता हूँ और कैसे बिना घबराए प्रार्थना कर सकता हूँ। मुझे प्रार्थना करने के मौके देना बंद करने के बजाय, वे मुझे प्रचार की सभाओं में लगातार प्रार्थना करने के मौके देते रहे। समय के चलते, मैं और भी यकीन के साथ प्रार्थना करने लगा।”

15. पौलुस ने कैसे दिखाया कि वह अपने भाई-बहनों के अच्छे गुणों की कदर करता था?

15 जब आप दूसरे मसीहियों में अच्छे गुण देखते हैं, तो आप क्या करते हैं? क्या आप उनकी तारीफ करते हैं? रोमियों अध्याय 16 में पौलुस ने 20 से भी ज़्यादा भाई-बहनों के अच्छे गुणों की तारीफ की, जिनकी वह कदर करता था। (रोमि. 16:3-7, 13) उदाहरण के लिए, पौलुस ने अन्द्रुनीकुस और यूनियास की तारीफ की, क्योंकि वे उससे पहले से मसीह की सेवा कर रहे थे और उन्होंने धीरज धरा था। पौलुस ने रूफुस की माँ का भी ज़िक्र किया, क्योंकि उसने पौलुस के लिए परवाह दिखायी थी।

फ्रेडेरीक (बायीं तरफ) ने रीको को यहोवा की सेवा करते रहने का बढ़ावा दिया (पैराग्राफ 16 देखिए)

16. जवानों की तारीफ करने से क्या अच्छे नतीजे मिल सकते हैं?

16 दूसरों की तारीफ करने से हमें भी अच्छे नतीजे मिल सकते हैं। फ्राँस में रहनेवाले एक छोटे लड़के, रीको की मिसाल पर गौर कीजिए। उसके पिता सच्चाई में नहीं थे और नहीं चाहते थे कि रीको बपतिस्मा ले। इस वजह से रीको बहुत उदास हो गया था। उसे लगा कि उसे बपतिस्मा लेने के लिए बड़े होने तक इंतज़ार करना पड़ेगा। रीको इस बात से भी दुखी था कि स्कूल के बच्चे उसके विश्‍वास की वजह से उसका मज़ाक उड़ाते थे। फ्रेडेरीक नाम का एक प्राचीन, जिसे उसके साथ अध्ययन करने के लिए कहा गया था, बताता है: “मैंने रीको की तारीफ की कि विरोध का सामना करना इस बात का सबूत था कि वह हिम्मत के साथ अपने विश्‍वास के बारे में दूसरों को बता रहा था।” तारीफ के इन शब्दों से रीको को हिम्मत मिली। उसने तरक्की करते रहने की ठान ली और अपने पिता के साथ अपने रिश्‍ते में भी सुधार किया। रीको ने 12 साल की उम्र में बपतिस्मा ले लिया।

जेरोम (दायीं तरफ) ने रायन को मिशनरी सेवा के लिए योग्य बनने में मदद दी (पैराग्राफ 17 देखिए)

17. (क) हम अपने भाइयों को और भी जोश के साथ यहोवा की सेवा करने का बढ़ावा कैसे दे सकते हैं? (ख) एक मिशनरी ने जवान भाइयों की मदद कैसे की? (ग) इसका क्या नतीजा हुआ?

17 हर बार जब हम अपने भाइयों के किसी अच्छे काम के लिए उनकी तारीफ करते हैं, तो उन्हें और भी जोश के साथ यहोवा की सेवा करने का बढ़ावा मिलता है। सिल्वी a नाम की एक बहन, जो सालों से फ्राँस बेथेल में सेवा कर रही है, कहती है कि बहनें भी भाइयों की तारीफ कर सकती हैं। उसने बताया कि कई बार बहनें ऐसी बारीकियों पर गौर करती हैं, जिन पर शायद भाइयों का ध्यान न जाता हो। इसलिए जब बहनें भाइयों की मेहनत के लिए उनकी तारीफ करती हैं, तो वे शायद ऐसी बातों के लिए उनकी तारीफ कर रही होती हैं, जो हो सकता है तजुरबेकार भाई बताने से चूक गए हों। उसने यह भी कहा: “दूसरों की तारीफ करना मैं अपना फर्ज़ समझती हूँ।” (नीति. 3:27) फ्रेंच गुयाना में सेवा कर रहे एक मिशनरी, जेरोम ने कई जवान भाइयों को मिशनरी सेवा का लक्ष्य रखने में मदद दी है। वह कहता है, “मैंने देखा है कि जब मैं जवान भाइयों को प्रचार से जुड़ी खास बातों के लिए, या उनके अच्छे जवाबों के लिए शाबाशी देता हूँ, तो उनका आत्म-विश्‍वास बढ़ता है। नतीजा, वे अपनी काबिलीयतों में और भी निखार लाते हैं।”

18. जवान भाइयों के साथ काम करना क्यों अच्छा है?

18 हम अपने मसीही भाई-बहनों के साथ काम करके भी उन्हें तरक्की करने का बढ़ावा दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक प्राचीन शायद एक जवान भाई से कहे कि वह jw.org से उन बुज़ुर्गों के लिए कुछ फायदेमंद जानकारी प्रिंट करे, जिनके पास कंप्यूटर नहीं है। या आप शायद किसी जवान भाई से कहें कि वह राज-घर की सफाई या मरम्मत करने में आपकी मदद करे। जब आप इस तरह जवानों के साथ काम करेंगे, तब आपको उनकी काबिलीयतों पर गौर करने, उनकी तारीफ करने और उन्हें तरक्की करते देखने का मौका मिलेगा।—नीति. 15:23.

भविष्य के लिए नींव डालिए

19, 20. हमें दूसरों को तरक्की करने में मदद क्यों देनी चाहिए?

19 यहोवा ने इसराएलियों की अगुवाई करने के लिए यहोशू को चुना था। उस समय, परमेश्‍वर ने मूसा को आज्ञा दी थी कि वह यहोशू को तालीम दे, उसका “ढाढ़स” बँधाए और उसे “दृढ़” करे। (व्यवस्थाविवरण 3:28 पढ़िए।) आज लोग बड़ी तादाद में यहोवा के संगठन के साथ जुड़ रहे हैं। हमें काबिल भाइयों की ज़रूरत है, ताकि वे संगठन में अगुवाई करने की ज़िम्मेदारी उठा सकें। इसलिए मंडली में सिर्फ प्राचीनों को ही नहीं, बल्कि सभी अनुभवी मसीहियों को जवान और नए बपतिस्मा-शुदा भाइयों की मदद करनी चाहिए, ताकि वे अपनी काबिलीयतों का पूरा-पूरा इस्तेमाल कर सकें। नतीजा, ज़्यादा-से-ज़्यादा भाई पूरे समय की सेवा करना शुरू करेंगे और बड़ी तादाद में भाई ‘सिखाने के लिए योग्य बनेंगे।’—2 तीमु. 2:2.

20 चाहे हमारी मंडली बड़ी हो, जिसमें कई अनुभवी भाई हों या फिर हम एक छोटे-से समूह के सदस्य हों, आइए हम अभी से भविष्य के लिए नींव डालें। ऐसा करने के लिए ज़रूरी है कि हम यहोवा की मिसाल पर चलें और दूसरों में अच्छे गुण ढूँढ़ें।

a नाम बदल दिया गया है।