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यहोवा के मकसद में स्त्रियों की क्या भूमिका है?

यहोवा के मकसद में स्त्रियों की क्या भूमिका है?

“शुभ संदेश सुनाने वाली स्त्रियों की एक बड़ी सेना है।”—भज. 68:11, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन।

1, 2. (क) परमेश्‍वर ने आदम को कौन-से तोहफे दिए? (ख) परमेश्‍वर ने आदम को एक पत्नी क्यों दी? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

 इस धरती को बनाने के पीछे यहोवा का एक मकसद था। उसने इसे ‘बसने के लिये रचा’ था। वह चाहता था कि यह धरती लोगों से आबाद हो। (यशा. 45:18) उसने पहले इंसान आदम को सिद्ध बनाया था। यहोवा ने उसे एक खूबसूरत घर दिया था, और वह था अदन का बाग। इस बाग के हरे-भरे पेड़ों, बहती नदियों और उछलते-कूदते जानवरों को देखकर आदम को कितना अच्छा लगता होगा! मगर फिर भी एक बात की कमी थी। यहोवा उस कमी को अच्छी तरह जानता था, इसलिए उसने कहा: “आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊंगा जो उस से मेल खाए।” फिर यहोवा ने आदम को गहरी नींद में सुला दिया और उसकी एक पसली निकालकर उससे एक ‘स्त्री बना दी।’ जब आदम जागा, तो वह उसे देखकर बहुत खुश हुआ! उसने कहा: “अब यह मेरी हड्डियों में की हड्डी और मेरे मांस में का मांस है: सो इसका नाम नारी होगा, क्योंकि यह नर में से निकाली गई है।”—उत्प. 2:18-23.

2 यह स्त्री परमेश्‍वर की तरफ से आदम के लिए एक तोहफा और सिद्ध सहायक थी। इसके अलावा, उसे बच्चे पैदा करने का खास सम्मान मिला था। बाइबल कहती है: “आदम ने अपनी पत्नी का नाम हव्वा रखा; क्योंकि जितने मनुष्य जीवित हैं उन सब की [“माँ,” उर्दू—ओ.वी.] वही हुई।” (उत्प. 3:20; फुटनोट) आगे चलकर, आदम और हव्वा मिलकर पूरी धरती को सिद्ध इंसानों से आबाद करते। हमारे पहले माता-पिता और उनके बच्चों को पूरी धरती को एक फिरदौस बनाने और दूसरे जीवित प्राणियों की देखभाल करने का सम्मान मिलता।—उत्प. 1:27, 28.

3. (क) यहोवा की मंज़ूरी पाने के लिए आदम और हव्वा को क्या करना था? लेकिन उन्होंने क्या किया? (ख) हम किन सवालों पर गौर करेंगे?

3 यहोवा की मंज़ूरी पाने के लिए आदम और हव्वा को उसकी आज्ञा माननी थी और उसके अधिकार को कबूल करना था। (उत्प. 2:15-17) तभी उन्हें परमेश्‍वर के मकसद को पूरा करने का सम्मान मिलता। लेकिन अफसोस, वे ‘पुराने साँप,’ शैतान के बहकावे में आ गए और उन्होंने परमेश्‍वर के खिलाफ पाप किया। (प्रका. 12:9; उत्प. 3:1-6) इस बगावत का स्त्रियों पर क्या असर पड़ा? कुछ वफादार स्त्रियों ने बीते ज़माने में क्या काम किए? आज मसीही स्त्रियों को “बड़ी सेना” क्यों कहा जा सकता है?—भज. 68:11.

आज्ञा न मानने का नतीजा

4. आदम और हव्वा के पाप के लिए यहोवा ने किसे ज़िम्मेदार ठहराया?

4 जब यहोवा ने आदम से आज्ञा न मानने की वजह पूछी, तो उसने क्या बहाना बनाया? “जिस स्त्री को तू ने मेरे संग रहने को दिया है उसी ने उस वृक्ष का फल मुझे दिया, और मैं ने खाया।” (उत्प. 3:12) आदम अपने किए पर ज़रा भी नहीं पछताया। इसके बजाय, उसने सारा दोष हव्वा पर डालने की कोशिश की। यहाँ तक कि उसने अपनी पत्नी के सृष्टिकर्ता यहोवा पर भी दोष लगाने की कोशिश की। हालाँकि आदम और हव्वा दोनों ने पाप किया था, लेकिन यहोवा ने इसके लिए आदम को ज़िम्मेदार ठहराया। यही वजह है कि बाइबल कहती है, “एक आदमी [आदम] से पाप दुनिया में आया और पाप से मौत आयी।”—रोमि. 5:12.

5. इंसानों के एक-दूसरे पर राज करने का क्या नतीजा हुआ है?

5 शैतान आदम और हव्वा को इस बात का यकीन दिलाने में कामयाब हो गया कि उन्हें यहोवा की हुकूमत की ज़रूरत नहीं है। इससे यह सवाल खड़ा हुआ कि इंसानों पर हुकूमत करने का अधिकार किसे है? इस सवाल का जवाब देने के लिए, यहोवा ने इंसानों को कुछ वक्‍त के लिए यह इजाज़त दी है कि वे एक-दूसरे पर राज करें। इसका क्या नतीजा हुआ है? इंसान खुद पर एक-के-बाद-एक कई मुसीबतें लाया है। जैसे, पिछले 100 सालों में करीब 10 करोड़ लोग युद्धों में मारे गए हैं, जिसमें लाखों बेकसूर स्त्री-पुरुष और बच्चे भी शामिल हैं। जैसा कि बाइबल कहती है: “मनुष्य चलता तो है, परन्तु उसके डग उसके अधीन नहीं हैं।” (यिर्म. 10:23) यही वजह है कि क्यों सच्चे मसीही मानते हैं कि यहोवा को ही इंसानों पर हुकूमत करने का अधिकार है।—नीतिवचन 3:5, 6 पढ़िए।

6. कई देशों में, औरतों और लड़कियों के साथ किस तरह बरताव किया जाता है?

6 स्त्रियों और पुरुषों दोनों ने ही शैतान के कब्ज़े में पड़ी इस दुनिया में बुरा व्यवहार झेला है। (सभो. 8:9; 1 यूह. 5:19) लेकिन औरतें कुछ बहुत ही वहशियाना किस्म के ज़ुल्मों का शिकार हुई हैं। उदाहरण के लिए, दुनिया-भर में हर 3 में से 1 औरत पर या तो उसके अपने पति ने या उसके बॉयफ्रेंड ने हमला किया है। साथ ही, कुछ संस्कृतियों में लड़कों को लड़कियों से ज़्यादा अहमियत दी जाती है। क्यों? क्योंकि जब लड़के बड़े होते हैं, तो वे अपने खानदान का नाम आगे बढ़ा सकते हैं और अपने बूढ़े माता-पिता की देखभाल कर सकते हैं। और कुछ जगहों पर, लड़कियों को तुच्छ समझा जाता है और उनके जन्म से पहले ही उन्हें मार दिया जाता है।

7. परमेश्‍वर ने आदम और हव्वा की शुरूआत किस तरह की थी?

7 स्त्रियों पर हो रहे ज़ुल्मों को देखकर यहोवा खुश नहीं होता। इसके बजाय, वह स्त्रियों के साथ बिना किसी भेदभाव के और आदर से पेश आता है। जब यहोवा ने हव्वा की सृष्टि की थी, तो उसने उसे आदम का गुलाम होने के लिए नहीं बनाया था। इसके बजाय, उसे सिद्ध बनाया गया था। उसमें ऐसे कई गुण थे, जिससे वह अपने पति के लिए एक बढ़िया मददगार साबित होती। यह एक वजह है कि क्यों बाइबल कहती है कि सृष्टि करने का काम पूरा करने के बाद जब परमेश्‍वर ने “जो कुछ बनाया था, सब को देखा, तो क्या देखा, कि वह बहुत ही अच्छा है।” (उत्प. 1:31) वाकई, आदम और हव्वा की बहुत ही बढ़िया शुरूआत हुई थी!

स्त्रियाँ जिनकी परमेश्‍वर ने मदद और हिफाज़त की

8. (क) हाल के सालों में ज़्यादातर लोगों का चालचलन कैसा हो गया है? (ख) यहोवा ने हमेशा किन लोगों की मदद की है?

8 अदन में हुई बगावत के बाद भी इंसान यहोवा की आज्ञा तोड़ते रहे। हाल के सालों में, इंसानों का चालचलन और भी बदतर हो गया है। इसमें कोई शक नहीं कि ये ‘आखिरी दिन’ ‘संकटों से भरे’ हैं, ठीक जैसे बाइबल में भविष्यवाणी की गयी थी। (2 तीमु. 3:1-5) लेकिन इसके बावजूद, हमेशा से ऐसे स्त्री-पुरुष रहे हैं, जिन्होंने परमेश्‍वर के कानून माने हैं, उसकी हुकूमत के अधीन रहे हैं और उस पर भरोसा किया है। इसलिए “प्रभु यहोवा” ने उनकी मदद की है और उन्हें सहारा दिया है।—भजन 71:5 पढ़िए।

9. जलप्रलय से कितने लोग ज़िंदा बचे? और क्यों?

9 नूह के ज़माने में जब यहोवा ने जलप्रलय के ज़रिए दुष्ट लोगों का नाश किया, तो उसमें बहुत कम लोग बचे। अगर नूह के भाई-बहन उस समय तक ज़िंदा रहे होंगे, तो वे भी जलप्रलय में मर गए होंगे। (उत्प. 5:30) लेकिन जलप्रलय से जितने आदमी ज़िंदा बचे, उतनी ही औरतें भी बचीं। बचनेवालों में नूह, उसकी पत्नी, उनके तीन बेटे और उनकी पत्नियाँ थीं। वे सब इसलिए बचे, क्योंकि उन्होंने यहोवा की आज्ञा मानी और उसकी मरज़ी पूरी की। आज जितने भी इंसान ज़िंदा हैं, वे उन्हीं आठ लोगों से आए हैं, जिनकी परमेश्‍वर ने मदद और हिफाज़त की थी।—उत्प. 7:7; 1 पत. 3:20.

10. परमेश्‍वर ने वफादार कुलपिताओं की पत्नियों की मदद और हिफाज़त क्यों की?

10 सालों बाद, परमेश्‍वर ने वफादार कुलपिताओं की पत्नियों की भी मदद और हिफाज़त की। वह इसलिए क्योंकि उन्होंने कभी अपने हालात को नहीं कोसा। (यहू. 16) इनमें से एक स्त्री थी, सारा। जब उससे कहा गया कि वह ऊर में अपने सुख-सुविधाओं से भरे घर को छोड़कर तंबुओं में जाकर रहे, तो उसने कोई शिकायत नहीं की। इसके बजाय, वह “अब्राहम की आज्ञा मानती थी और उसे ‘प्रभु’ पुकारती थी।” (1 पत. 3:6) इसहाक की पत्नी, रिबका पर भी गौर कीजिए। वह इसहाक के लिए यहोवा की तरफ से एक बेहतरीन तोहफा थी। बाइबल कहती है कि इसहाक “उससे बहुत प्रेम करता था। अत: उसे उसकी माँ की मृत्यु के पश्‍चात्‌ भी सांत्वना मिली।” (उत्प. 24:67, हिंदी ईज़ी-टू-रीड वर्शन) आज यहोवा के लोगों के लिए यह क्या ही सम्मान की बात है कि उनके बीच सारा और रिबका जैसी कई वफादार स्त्रियाँ हैं!

11. दो इसराएली धाइयों ने कैसे हिम्मत दिखायी?

11 जब इसराएली मिस्र में गुलाम थे, तो वे बढ़ते-बढ़ते एक बड़ा राष्ट्र बन गए। इस पर फिरौन ने आज्ञा दी कि सारे इब्री लड़कों को पैदा होते ही मार डाला जाए। वहाँ शिप्रा और पूआ नाम की दो इसराएली औरतें थीं, जो शायद धाइयों के तौर पर काम करती थीं। वे फिरौन से ज़्यादा यहोवा का भय मानती थीं। इसलिए उन्होंने हिम्मत दिखायी और फिरौन की आज्ञा मानने से इनकार कर दिया। और इस वजह से आगे चलकर यहोवा ने उन्हें इनाम दिया और उनके घर बसाए।—निर्ग. 1:15-21.

12. दबोरा और याएल के बारे में क्या बात गौर करने लायक थी?

12 जब इसराएल में न्यायी हुआ करते थे, तब परमेश्‍वर ने दबोरा नाम की एक भविष्यवक्‍तिन को नियुक्‍त किया। दबोरा ने न्यायी बाराक का हौसला बुलंद किया और इसराएलियों को उनके दुश्‍मनों से आज़ाद होने में मदद दी। उसने भविष्यवाणी की कि कनानियों को हराने का श्रेय एक स्त्री को मिलेगा, न कि बाराक को। इन दुश्‍मनों की हार तब हुई, जब याएल नाम की एक गैर-इसराएली स्त्री ने कनानी फौज के सेनापति सीसरा को मौत के घाट उतार दिया।—न्यायि. 4:4-9, 17-22.

13. बाइबल हमें अबीगैल के बारे में क्या बताती है?

13 ईसा पूर्व 11वीं सदी में जीनेवाली वफादार स्त्री अबीगैल पर भी गौर कीजिए। बाइबल कहती है कि वह समझदार थी, लेकिन उसका पति नाबाल मतलबी, निकम्मा और मूढ़ था। (1 शमू. 25:2, 3, 25) एक दफा दाविद ने नाबाल के आदमियों को बचाया था, मगर आगे चलकर जब दाविद और उसके आदमियों ने नाबाल से कुछ चीज़ें माँगीं, तो नाबाल ने “उनका अपमान किया” और उन्हें कुछ नहीं दिया। (वाल्द-बुल्के अनुवाद) दाविद को इस बात पर इतना गुस्सा आया कि उसने नाबाल और उसके आदमियों को जान से मारने की ठान ली। लेकिन जब अबीगैल को नाबाल की इस करतूत का पता चला, तो वह खाना और दूसरे तोहफे लेकर दाविद के पास गयी। अबीगैल की समझ-बूझ की वजह से दाविद ने नाबाल की जान बख्श दी। (1 शमू. 25:8-18) दाविद ने बाद में अबीगैल से कहा: “इस्राएल का परमेश्‍वर यहोवा धन्य है, जिस ने आज के दिन मुझ से भेंट करने के लिये तुझे भेजा है!” (1 शमू. 25:32) नाबाल की मौत के बाद, दाविद ने अबीगैल से शादी कर ली।—1 शमू. 25:37-42.

14. (क) शल्लूम की बेटियों ने किस काम में हिस्सा लिया? (ख) आज मसीही बहनें उसी से मिलता-जुलता काम कैसे करती हैं?

14 जब बैबिलोन की सेना ने ईसा पूर्व 607 में यरूशलेम और उसके मंदिर का नाश किया, तो बहुत-से स्त्री-पुरुष और बच्चे मारे गए। जब ईसा पूर्व 455 में नहेमायाह के निर्देशन में यरूशलेम की दीवारों को दोबारा बनाया गया, तब इस निर्माण काम में शल्लूम की बेटियों ने भी हिस्सा लिया। उनके पिता “यरूशलेम के आधे जिले के हाकिम” थे। (नहे. 3:12) फिर भी, शल्लूम की बेटियों ने खुशी-खुशी इस मामूली-से लगनेवाले काम में हिस्सा लिया। इससे हमें उन बहुत-सी मसीही बहनों का खयाल आता है, जो आज दुनिया-भर में हो रहे निर्माण काम में सहयोग देती हैं!

पहली सदी में परमेश्‍वर का भय माननेवाली स्त्रियाँ

15. यहोवा ने मरियम को क्या सम्मान दिया?

15 पहली सदी से कुछ वक्‍त पहले और पहली सदी में भी यहोवा ने कई स्त्रियों को अपनी सेवा में खास सम्मान दिए। उनमें से एक स्त्री थी, कुँवारी मरियम। जब उसकी सगाई यूसुफ से हो चुकी थी, तब परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति से वह गर्भवती हुई। यीशु की माँ बनने के लिए परमेश्‍वर ने मरियम को क्यों चुना? बेशक इसलिए क्योंकि उसमें वे आध्यात्मिक गुण थे, जो उसके सिद्ध बेटे की परवरिश करने के लिए ज़रूरी थे। इस धरती पर जीनेवाले सबसे महान व्यक्‍ति की माँ बनना क्या ही सम्मान की बात थी!—मत्ती 1:18-25.

16. एक मिसाल देकर समझाइए कि यीशु स्त्रियों के साथ किस तरह पेश आता था।

16 यीशु स्त्रियों के साथ बहुत प्यार से पेश आता था। मिसाल के लिए, उस स्त्री के बारे में सोचिए जिसे “बारह साल से खून बहने की बीमारी थी।” उसने यीशु के कपड़े को छूआ, ताकि वह ठीक हो जाए। क्या यीशु ने उसे फटकारा? नहीं। यीशु ने प्यार से उससे कहा: “बेटी, तेरे विश्‍वास ने तुझे ठीक किया है। तंदुरुस्त रह और यह दर्दनाक बीमारी तुझे फिर कभी न हो।”—मर. 5:25-34.

17. ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त के दिन क्या हुआ?

17 जब यीशु और उसके प्रेषित सफर करते थे, तो कुछ स्त्रियाँ उनकी सेवा करती थीं। (लूका 8:1-3) और ईसवी सन्‌ 33 के पिन्तेकुस्त के दिन, करीब 120 स्त्री-पुरुषों को खास तरीके से परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति मिली। (प्रेषितों 2:1-4 पढ़िए।) इससे कई साल पहले यहोवा ने कहा था: “मैं हर तरह के इंसान पर अपनी पवित्र शक्‍ति उंडेलूँगा, और तुम्हारे बेटे और तुम्हारी बेटियाँ भविष्यवाणी करेंगे, . . . यहाँ तक कि उन दिनों मैं अपने दासों और अपनी दासियों पर भी अपनी पवित्र शक्‍ति उंडेलूँगा।” (योए. 2:28, 29, एन.डब्ल्यू.) पिन्तेकुस्त के दिन जो चमत्कार हुआ था, वह इस बात का सबूत था कि यहोवा ने इन स्त्री-पुरुषों पर अपनी मंज़ूरी दी थी, जो ‘परमेश्‍वर का इसराएल’ बने। (गला. 3:28; 6:15, 16) इसके अलावा, पहली सदी में जिन स्त्रियों ने प्रचार किया था, उनमें प्रचारक फिलिप्पुस की चार बेटियाँ भी शामिल थीं।—प्रेषि. 21:8, 9.

स्त्रियों की “एक बड़ी सेना”

18, 19. (क) परमेश्‍वर ने पुरुषों और स्त्रियों दोनों को क्या सम्मान दिया है? (ख) भजन का रचयिता खुशखबरी सुनानेवाली स्त्रियों के बारे में क्या कहता है?

18 करीब 1875 में कुछ स्त्री-पुरुषों ने बाइबल सच्चाइयों में गहरी दिलचस्पी ली। ये वे लोग थे जिन्होंने यीशु के संदेश का प्रचार करके हमारे लिए प्रचार काम का रास्ता खोला, और यीशु की इस भविष्यवाणी के पूरा होने में अपना भाग अदा किया: “राज की इस खुशखबरी का सारे जगत में प्रचार किया जाएगा ताकि सब राष्ट्रों पर गवाही हो; और इसके बाद अंत आ जाएगा।”—मत्ती 24:14.

19 ‘बाइबल विद्यार्थियों’ का वह छोटा-सा समूह आज बढ़कर करीब 80 लाख हो गया है और आज यहोवा के साक्षियों के नाम से जाना जाता है। इनके अलावा, 2013 में 1 करोड़ 10 लाख से भी ज़्यादा लोग यीशु की मौत के स्मारक में हाज़िर हुए थे। इनमें से ज़्यादातर स्त्रियाँ थीं। साथ ही, आज 10 लाख से भी ज़्यादा साक्षी पूरे समय की सेवा में लगे हुए हैं। दुनिया-भर में, इनमें से ज़्यादातर बहनें हैं। यहोवा ने वफादार स्त्रियों को भजन के रचयिता के इन शब्दों की पूर्ति में हिस्सा लेने का सम्मान दिया है: “[यहोवा] आज्ञा देता है, शुभ संदेश सुनाने वाली स्त्रियों की एक बड़ी सेना है।”—भज. 68:11, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन।

खुशखबरी का प्रचार करनेवाली स्त्रियों की सचमुच में “एक बड़ी सेना” है (पैराग्राफ 18, 19 देखिए)

परमेश्‍वर का भय माननेवाली स्त्रियों को मिलनेवाली आशीषें

20. पारिवारिक उपासना या निजी अध्ययन के दौरान हम किन विषयों पर अध्ययन कर सकते हैं?

20 इस लेख में उन सभी वफादार स्त्रियों के बारे में चर्चा करना तो मुश्‍किल है, जिनके बारे में बाइबल बताती है। लेकिन हम उनके बारे में परमेश्‍वर के वचन और हमारे साहित्यों में छपे लेखों में पढ़ सकते हैं। मिसाल के लिए, हम रूत और उसने जो वफादारी दिखायी, उस पर मनन कर सकते हैं। (रूत 1:16, 17) साथ ही, रानी एस्तेर के नाम पर लिखी किताब और उसके बारे में छपे लेख पढ़कर भी हमारा विश्‍वास मज़बूत हो सकता है। हम इन स्त्रियों, और इनके अलावा और भी दूसरी स्त्रियों के बारे में अपनी पारिवारिक उपासना के दौरान अध्ययन कर सकते हैं। अगर हम अकेले रहते हैं, तो हम अपने निजी अध्ययन के दौरान इन स्त्रियों के बारे में पढ़ सकते हैं।

21. वफादार स्त्रियों ने यहोवा के लिए अपनी वफादारी का सबूत किस तरह दिया है?

21 इसमें कोई शक नहीं कि यहोवा ने वफादार स्त्रियों के प्रचार काम पर हमेशा, यहाँ तक कि मुश्‍किल हालात में भी, आशीष दी है। मिसाल के लिए, नात्ज़ी और कम्यूनिस्ट सरकार की हुकूमत के दौरान यहोवा ने वफादार स्त्रियों को अपनी वफादारी बनाए रखने में मदद दी। परमेश्‍वर की आज्ञा मानने की वजह से कई स्त्रियों ने ज़ुल्मों का सामना किया और कुछ ने तो अपनी जान तक गँवा दी। (प्रेषि. 5:29) उन वफादार स्त्रियों की तरह, आज मसीही बहनें और उनके सभी संगी उपासक परमेश्‍वर की हुकूमत को कबूल करते हैं। यहोवा ने उनसे भी वही वादा किया है, जो उसने इसराएलियों से किया था: “मत डर, मैं तेरी सहायता करूंगा।”—यशा. 41:10-13.

22. हम भविष्य में कौन-कौन-से कामों में हिस्सा लेने की आस लगा सकते हैं?

22 परमेश्‍वर का भय माननेवाले सभी स्त्री-पुरुषों को भविष्य में दोबारा जी उठाए गए लाखों लोगों की मदद करने का सम्मान मिलेगा। वे उन्हें यहोवा के बारे में और इंसानों के लिए रखे उसके शानदार मकसदों के बारे में सिखा पाएँगे। इसके साथ-साथ, वे इस पूरी धरती को फिरदौस बनाने के काम में भी हिस्सा लेंगे। तब तक आइए हम ‘कन्धे से कन्धा मिलाकर’ यहोवा की सेवा करने के अपने सम्मान की कदर करें।—सप. 3:9.