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क्या आपको याद है?

क्या आपको याद है?

क्या आपने हाल की प्रहरीदुर्ग पत्रिकाएँ ध्यान से पढ़ी हैं? देखिए कि क्या आप नीचे दिए सवालों के जवाब दे पाते हैं या नहीं:

क्या मसीहियों का शवदाह करना, यानी लाश को जलाना, सही होगा?

लाश को जलाया जाना चाहिए या नहीं, यह हर मसीही का निजी फैसला है। हालाँकि बाइबल शवदाह करने के रिवाज़ के बारे में साफ-साफ कुछ नहीं कहती, लेकिन यह बात गौर करने लायक है कि राजा शाऊल और उसके बेटे योनातन की लाश को जलाया गया था और फिर दफनाया गया था। (1 शमू. 31:2, 8-13)—6/15, पेज 7.

सिगरेट कितनी जानलेवा साबित हुई है?

इसने पिछली सदी में 10,00,00,000 लोगों की जानें लीं। इससे एक साल में तकरीबन 60,00,000 लोग अपनी जान गवाँ बैठे।—7/1, पेज 3.

हम अश्‍लील तसवीरें देखने के दबाव का कैसे सामना कर सकते हैं?

तीन कदम जो आपकी मदद कर सकते हैं, वे हैं: (1) जब हमारी आँखों के आगे कोई लैंगिक तसवीर आ जाती है, तो तुरंत अपनी नज़रें फेर लेना। (2) अपनी सोच को बिगड़ने से बचाने के लिए अच्छी बातों पर अपना ध्यान लगाना और परमेश्‍वर से प्रार्थना करना। (3) अश्‍लील फिल्में या अश्‍लील वेब साइट से दूर रहकर, अपने कदमों को बुरी राह पर जाने से रोकना।—7/1, पेज 9-11.

जब एक व्यक्‍ति ऐसी जगह जाकर बस जाता है, जहाँ प्रचारकों की ज़रूरत ज़्यादा है, तो उसे किन तीन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है?

तीन चुनौतियाँ हैं: (1) एक अलग रहन-सहन अपनाना, (2) घर की याद आना, और (3) नए दोस्त बनाना। इन चुनौतियों का सामना करने में कामयाब होनेवाले कई भाई-बहनों को ढेरों आशीषें मिली हैं।—7/15, पेज 4-5.

नए ट्रैक्ट इतने असरदार और इस्तेमाल करने में आसान क्यों हैं?

सारे नए ट्रैक्ट की बनावट एक जैसी है। हर ट्रैक्ट में ध्यान से चुनी गयी एक आयत है, जो हम घर-मालिक को पढ़कर सुना सकते हैं और फिर उससे एक सवाल पूछ सकते हैं। घर-मालिक चाहे जो भी जवाब दे, हम ट्रैक्ट खोलकर उसे दिखा सकते हैं कि बाइबल उस विषय के बारे में क्या कहती है। वापसी भेंट के लिए हम उन्हें ट्रैक्ट में दिया एक सवाल भी पूछ सकते हैं।—8/15, पेज 13-14.

‘आगे बढ़ने’ का क्या मतलब है?

बाइबल में जिस यूनानी क्रिया का अनुवाद ‘आगे बढ़ना’ किया गया है, उसका मतलब है दिल से किसी चीज़ को पाने की चाहत रखना और उसे पाने के लिए कोशिश या मेहनत करना। इससे शायद आपके मन में एक ऐसे व्यक्‍ति की तसवीर उभर आए, जो एक पेड़ पर लटकते रसीले फल को तोड़ने के लिए मेहनत करता है। जो भाई सच्चे दिल से प्राचीनों के तौर पर सेवा करना चाहते हैं, उनका लक्ष्य ओहदा पाना नहीं, बल्कि “एक बढ़िया काम” करना होता है। (1 तीमु. 3:1)—9/15, पेज 3.

मसीही माता-पिता अपने बच्चों की चरवाही करने के लिए क्या कर सकते हैं?

अपने बच्चों को अच्छी तरह जानने के लिए उनकी बात ध्यान से सुनना बहुत ज़रूरी है। अपने बच्चों को आध्यात्मिक खाना खिलाने के लिए मेहनत कीजिए। प्यार से अपने बच्चों का मार्गदर्शन कीजिए, जैसे कि तब, जब उन्हें बाइबल की किसी शिक्षा के बारे में कोई शक हो।—9/15, पेज 18-21.

हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि परमेश्‍वर कभी किसी के साथ बुरा नहीं करता?

परमेश्‍वर जो भी करता है, अच्छा ही करता है। वह सच्चा न्याय करनेवाला, वफादार, सीधा और खरा परमेश्‍वर है। यहोवा गहरी करुणा दिखानेवाला और दयालु परमेश्‍वर भी है। (व्यव. 32:4; भज. 145:17, हिंदी ईज़ी-टू-रीड वर्शन; याकू. 5:11)—10/1, पेज 4.

परमेश्‍वर के राज में क्या-क्या नहीं रहेगा?

परमेश्‍वर के राज में बीमारियाँ, मौत, बेरोज़गारी, युद्ध, खाने की कमी और गरीबी नहीं रहेगी।—10/1, पेज 7.

बाइबल में दिया कौन-सा करार इंसानों के लिए मसीह के साथ राज करना मुमकिन बनाता है?

अपने प्रेषितों के साथ आखिरी फसह का भोज मनाने के बाद, यीशु ने अपने प्रेषितों के साथ एक करार किया, जिसे राज का करार कहा जाता है। (लूका 22:28-30) इस करार ने इस बात की गारंटी दी कि वे स्वर्ग में यीशु के साथ राज करेंगे।—10/15, पेज 16-17.

‘परमेश्‍वर के नाम से पहचाने जानेवाले लोग’ कौन थे, जिनके बारे में प्रेषितों 15:14 में याकूब ने लिखा?

ये यहूदी और गैर-यहूदी राष्ट्रों के लोग थे, जिन्हें परमेश्‍वर ने एक वंश के तौर पर चुना था, ताकि वे ‘सारी दुनिया में उसके महान गुणों का ऐलान करें,’ जिसने उन्हें बुलाया था। (1 पत. 2:9, 10)—11/15, पेज 24-25.

प्रकाशितवाक्य अध्याय 11 में बताए दो गवाह कौन हैं?

प्रकाशितवाक्य अध्याय 11 की पूर्ति में, दो गवाह उन अभिषिक्‍त भाइयों को दर्शाते हैं, जिन्होंने परमेश्‍वर के लोगों की अगुवाई की थी, जब 1914 में स्वर्ग में परमेश्‍वर का राज शुरू हुआ था। उन्होंने साढ़े तीन साल तक ‘टाट ओढ़कर’ गवाही देने का काम किया था। (प्रका. 11:8-10)—11/15, पेज 30.