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प्राचीनो, दूसरों को तालीम देने के बारे में आप कैसा महसूस करते हैं?

प्राचीनो, दूसरों को तालीम देने के बारे में आप कैसा महसूस करते हैं?

“हर एक बात का . . . एक समय है।”—सभो. 3:1.

1, 2. सर्किट निगरानों ने बहुत-सी मंडलियों में क्या गौर किया है?

एक सर्किट निगरान प्राचीनों के साथ अपनी सभा बस खत्म ही करनेवाला था। उसने भाइयों की तरफ देखा और उसका दिल उन मेहनती भाइयों के लिए प्यार-से भर गया। उनमें से कुछ भाई उसके पिता की उम्र के थे। लेकिन एक ज़रूरी बात थी जिसे लेकर उसे फिक्र हो रही थी। उसने प्राचीनों से पूछा, “भाइयो, क्या आपने दूसरों को तालीम देने के लिए कुछ किया है, ताकि वे मंडली में ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के काबिल बन सकें?” ये प्राचीन जानते थे कि सर्किट निगरान ने पिछले दौरे में उन्हें बढ़ावा दिया था कि वे दूसरे भाइयों को तालीम देने पर थोड़ा और ध्यान दें। मगर कुछ देर बाद एक प्राचीन ने कहा, “सच कहूँ तो हमने कुछ नहीं किया।” दूसरे सभी प्राचीनों ने सिर हिलाकर सहमति जतायी।

2 अगर आप एक प्राचीन हैं, तो शायद आप भी यही जवाब दें। सर्किट निगरानों ने गौर किया है कि बहुत-सी मंडलियों में प्राचीनों को नौजवानों और दूसरे भाइयों को ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के काबिल बनाने में और ज़्यादा समय बिताने की ज़रूरत है। तभी वे मंडली की देखभाल कर पाएँगे। लेकिन ऐसा करना शायद बहुत मुश्किल हो। ऐसा क्यों?

3. (क) बाइबल से कैसे पता चलता है कि दूसरों को तालीम देना बहुत ज़रूरी है? (ख) दूसरों को तालीम देने के इस काम में हम सबको क्यों दिलचस्पी लेनी चाहिए? (फुटनोट देखिए।) (ग) कुछ प्राचीनों के लिए दूसरों को तालीम देना क्यों मुश्किल हो सकता है?

3 एक प्राचीन के नाते, आप जानते होंगे कि भाइयों को तालीम देना कितना ज़रूरी है। * आप जानते हैं कि आज मंडलियों को मज़बूत बनाए रखने और भविष्य में बननेवाली नयी मंडलियों की मदद करने के लिए और ज़्यादा काबिल भाइयों की ज़रूरत है। (यशायाह 60:22 पढ़िए।) बाइबल कहती है कि आपको ‘दूसरों को सिखाना’ चाहिए। (2 तीमुथियुस 2:2 पढ़िए।) लेकिन इसके लिए समय निकालना शायद मुश्किल हो। क्योंकि आपको अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी करनी होती हैं और नौकरी-पेशा भी करना होता है। यही नहीं, आपको मंडली की ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के साथ-साथ दूसरे ज़रूरी काम भी करने होते हैं। इतना सारा काम होने के बावजूद, आइए देखें कि दूसरों को तालीम देना आपके लिए क्यों बहुत ज़रूरी है।

दूसरों को तालीम देना बहुत ज़रूरी है

4. कभी-कभी प्राचीन भाइयों को तालीम देने में क्यों टाल-मटोल करते हैं?

4 मंडली में भाइयों को ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के काबिल बनाने के लिए समय निकालना कुछ प्राचीनों के लिए क्यों मुश्किल हो सकता है? कुछ लोग शायद सोचें, ‘मंडली के दूसरे काम ज़्यादा ज़रूरी हैं। उन्हें जल्द-से-जल्द निपटाने की ज़रूरत है। अगर मैं दूसरों को अभी-के-अभी तालीम नहीं दूँगा, तो मंडली पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।’ लेकिन क्या वाकई ऐसा है? हो सकता है दूसरे काम जल्द-से-जल्द निपटाने हों। लेकिन अगर आप भाइयों को तालीम देने में टाल-मटोल करते रहेंगे तो दरअसल इससे मंडली को नुकसान हो सकता है।

5, 6. (क) कार के ड्राइवर से और जिस तरह वह अपनी कार की देखभाल करता है, उससे हम क्या सीख सकते हैं? (ख) इसकी तुलना मंडली में दूसरों को तालीम देने से कैसे की जा सकती है?

5 एक उदाहरण पर गौर कीजिए। एक कार का ड्राइवर जानता है कि कार को अच्छी हालत में रखने के लिए उसका इंजन ऑयल लगातार बदलने की ज़रूरत है। फिर भी वह शायद सोचे कि कार में पेट्रोल भरवाना ज़्यादा ज़रूरी है, क्योंकि इसके बिना कार नहीं चल सकती। ड्राइवर शायद यह भी सोचे कि अभी वह बहुत व्यस्त है इसलिए इंजन ऑयल बाद में भी बदलवा सकता है। वैसे भी इंजन ऑयल बदले बिना कार कुछ समय तक चल सकती है। लेकिन ऐसा करना बहुत खतरनाक हो सकता है। अगर ड्राइवर समय पर इंजन ऑयल न बदले, तो एक दिन ऐसा आएगा कि कार पूरी तरह ठप्प पड़ जाएगी। फिर कार सही करवाने के लिए ड्राइवर को काफी वक्‍त और पैसा खर्च करना पड़ेगा। इस उदाहरण से हम क्या सबक सीखते हैं?

6 प्राचीनों को ज़रूरी मामलों पर जल्द-से-जल्द ध्यान देना चाहिए। ऐसा न करने पर मंडली को नुकसान हो सकता है। जैसे ड्राइवर को कार में लगातार पेट्रोल भरवाने की ज़रूरत होती है, उसी तरह प्राचीनों को पहचानना चाहिए कि “ज़्यादा अहमियत रखनेवाली बातें क्या हैं।” (फिलि. 1:10) लेकिन कुछ प्राचीन ज़रूरी काम करने में इतने मशगूल हो जाते हैं कि उनके पास दूसरों को तालीम देने का समय ही नहीं बचता। यह ऐसा होगा जैसे हम कार का इंजन ऑयल बदलने में टाल-मटोल कर रहे हों। अगर प्राचीन भाइयों को तालीम देने में टाल-मटोल करेंगे, तो एक दिन ऐसा आएगा कि मंडली की ज़रूरतें पूरी करने के लिए मंडली में काबिल भाइयों की कमी होगी।

7. जो प्राचीन समय निकालकर दूसरों को तालीम देते हैं, उन्हें हमें किस नज़र से देखना चाहिए?

7 इसलिए कभी ऐसा मत सोचिए कि तालीम देना इतना ज़रूरी नहीं है। जो प्राचीन मंडली का अच्छा भविष्य चाहते हैं और समय निकालकर दूसरों को तालीम देते हैं, वे बुद्धिमान प्रबंधकों की तरह हैं और अपने भाई-बहनों के लिए बहुत अनमोल हैं। (1 पतरस 4:10 पढ़िए।) तालीम देने के काम से मंडली को कैसे फायदा होता है?

समय का अच्छा इस्तेमाल कीजिए

8. (क) यह क्यों ज़रूरी है कि प्राचीन दूसरों को तालीम दें? (ख) जो प्राचीन ऐसी जगह सेवा करते हैं, जहाँ ज़्यादा ज़रूरत है, उन्हें कौन-सा बहुत ज़रूरी काम करना है? (“ बहुत ज़रूरी काम” बक्स देखिए।)

8 जिन प्राचीनों को बहुत तजुरबा है, उन्हें भी नम्र होकर अपनी हदें पहचाननी चाहिए और यह समझना चाहिए कि जैसे-जैसे उनकी उम्र ढलेगी, वे उतना नहीं कर पाएँगे जितना वे आज कर रहे हैं। (मीका 6:8) साथ ही, प्राचीनों को ध्यान रखना चाहिए कि “समय और संयोग” की वजह से उनके साथ कभी-भी कुछ भी हो सकता है। जिस वजह से मंडली की ज़िम्मेदारियाँ पूरी करना उनके लिए शायद मुश्किल हो जाए। (सभो. 9:11, 12; याकू. 4:13, 14) प्राचीन यहोवा के लोगों से प्यार करते हैं और उनकी परवाह करते हैं, इसलिए उन्होंने सालों से यहोवा की सेवा में जो सीखा है, वह जवान भाइयों को बताते हैं।—भजन 71:17, 18 पढ़िए।

9. भविष्य में होनेवाली किस घटना की वजह से तालीम देना और भी ज़रूरी हो गया है?

9 जो प्राचीन दूसरों को तालीम देते हैं उनकी मेहनत से और कैसे मंडली को फायदा होता है? इससे पूरी मंडली को मज़बूत होने में मदद मिलती है। कैसे? इस तालीम की वजह से ज़्यादा-से-ज़्यादा भाई मंडली की मदद करने के काबिल बनते हैं। नतीजा, मंडली के भाई-बहनों में एकता बनी रहती है और वे परमेश्वर के वफादार बने रहते हैं। यह आज आखिरी दिनों में बहुत ज़रूरी है और आनेवाले महा-संकट के दौरान और भी ज़रूरी होगा। (यहे. 38:10-12; मीका 5:5, 6) इसलिए प्यारे प्राचीनो, हम आपसे गुज़ारिश करते हैं कि आप आज से ही दूसरों को तालीम देना शुरू कर दें।

10. दूसरों को तालीम देने के लिए एक प्राचीन को शायद क्या करना पड़े?

10 हम जानते हैं कि मंडली के ज़रूरी काम करने की वजह से आप पहले से ही काफी व्यस्त रहते हैं। इसलिए आप वे काम करने में जो समय लगाते हैं शायद उसी में से आपको थोड़ा समय निकालकर दूसरों को तालीम देनी होगी। (सभो. 3:1) ऐसा करके आप अपने वक्‍त का सही इस्तेमाल करेंगे और इससे आगे चलकर मंडली को भी फायदा होगा।

सही माहौल बनाइए

11. (क) अलग-अलग देशों के प्राचीनों ने तालीम देने के बारे में जो सुझाव दिए, उनमें क्या बात दिलचस्प है? (ख) नीतिवचन 15:22 के मुताबिक, यह क्यों ज़रूरी है कि हम अलग-अलग प्राचीनों के सुझावों पर चर्चा करें?

11 कुछ प्राचीनों को दूसरे भाइयों को तालीम देने में अच्छे नतीजे मिले हैं। हाल ही में उनसे पूछा गया कि वे ऐसा कैसे करते हैं। * उन सभी प्राचीनों ने एक जैसे सुझाव दिए, जबकि वे अलग-अलग देशों से थे और उनके हालात एक-दूसरे से बिलकुल अलग थे। इससे क्या पता चलता है? यही कि बाइबल के आधार पर दी गयी तालीम हर ‘जगह हर मंडली’ के भाइयों के लिए फायदेमंद होती है। (1 कुरिं. 4:17) इसलिए इस लेख में और अगले लेख में हम उन प्राचीनों के दिए कुछ सुझावों पर चर्चा करेंगे। (नीति. 15:22) इन लेखों में तालीम देनेवालों को शिक्षक और तालीम लेनेवालों को विद्यार्थी कहा जाएगा।

12. एक शिक्षक को सबसे पहले क्या करने की ज़रूरत है और क्यों?

12 सबसे पहले, तालीम देने के लिए एक शिक्षक को सही माहौल बनाने की ज़रूरत है। ऐसा करना क्यों ज़रूरी है? ठीक जैसे माली बीज बोने से पहले मिट्टी तैयार करता है, उसी तरह शिक्षक को विद्यार्थी को कोई नया हुनर सिखाने से पहले उसका दिल तैयार करना चाहिए। तो फिर एक शिक्षक तालीम देने के लिए सही माहौल कैसे तैयार कर सकता है? वह कुछ वही तरीका अपना सकता है जो बीते समय के भविष्यवक्ता शमूएल ने अपनाया था, जो एक कुशल शिक्षक था।

13-15. (क) यहोवा ने शमूएल से क्या करने के लिए कहा? (ख) शमूएल ने शाऊल को नयी ज़िम्मेदारी सँभालने के लिए कैसे तैयार किया? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।) (ग) शमूएल का यह ब्यौरा आज प्राचीनों के लिए क्यों बहुत मायने रखता है?

13 आज से 3,000 साल पहले की बात है। एक दिन यहोवा ने बुज़ुर्ग शमूएल से कहा, “कल इसी समय मैं तेरे पास बिन्यामीन के देश से एक पुरुष को भेजूँगा, उसी को तू मेरी इस्राएली प्रजा के ऊपर प्रधान होने के लिये अभिषेक करना।” (1 शमू. 9:15, 16) शमूएल समझ गया कि अब वह इसराएल राष्ट्र की अगुवाई नहीं करेगा। यहोवा चाहता है कि वह अगुवाई करने के लिए किसी और का अभिषेक करे। शमूएल ने शायद सोचा होगा कि वह उस आदमी को यह नयी ज़िम्मेदारी सँभालने के लिए कैसे तैयार करेगा। उसे एक तरकीब सूझी। फिर उसने योजना बनायी कि वह यह कैसे करेगा।

14 अगले दिन जब शमूएल, शाऊल से मिला तो यहोवा ने भविष्यवक्ता शमूएल से कहा, ‘यही है वह पुरुष।’ शमूएल ने फौरन वही किया, जो करने की उसने योजना बनायी थी। शमूएल ने शाऊल से बात करने के लिए एक अच्छा माहौल बनाया। उसने शाऊल और उसके सेवक को खाने पर बुलाया। उसने उन्हें सबसे अच्छी जगह बिठाया और खाने के लिए सबसे अच्छा गोश्त दिया। शमूएल ने कहा, ‘खा, क्योंकि यह तेरे लिए इसी नियत समय के लिए रखा हुआ है।’ खाना खाने के बाद, शमूएल और शाऊल नीचे उतरकर शमूएल के घर गए। रास्ते में उन दोनों की अच्छी बातचीत हुई। घर पहुँचने पर शमूएल और शाऊल दोनों छत पर गए। शमूएल “घर की छत पर शाऊल से” तब तक बातें करता रहा, जब तक कि वे सो नहीं गए। अगले दिन, शमूएल ने शाऊल का अभिषेक किया, उसे चूमा और उसे और भी हिदायतें दीं। उसके बाद शाऊल वहाँ से चला गया। अब आगे जो भी होनेवाला था, उसके लिए वह तैयार था।—1 शमू. 9:17-27; 10:1.

15 शमूएल ने शाऊल को एक राष्ट्र का राजा बनाने के लिए उसका अभिषेक किया था। लेकिन आज प्राचीन भाइयों को मंडली में प्राचीन या सहायक सेवक के योग्य बनने की तालीम देते हैं। शमूएल ने जो काम किया और आज प्राचीन जो काम करते हैं, उसमें हालाँकि काफी फर्क है, फिर भी शमूएल ने जिस तरह शाऊल का दिल तैयार किया, उससे प्राचीन बहुत-सी ज़रूरी बातें सीख सकते हैं। आइए उनमें से दो बातों पर गौर करें।

खुशी-खुशी तालीम देनेवाले शिक्षक और अच्छे दोस्त बनिए

16. (क) जब इसराएलियों ने राजा की माँग की तो शमूएल को कैसा महसूस हुआ? (ख) जब यहोवा ने शमूएल से शाऊल का अभिषेक करने के लिए कहा तो उसने कैसा रवैया दिखाया?

16 खुशी-खुशी तालीम देने के लिए तैयार रहिए, झिझकिए मत। जब शमूएल को पता चला कि इसराएली अपने लिए एक इंसानी राजा चाहते हैं, तो शुरू में वह निराश हो गया। उसे लगा कि लोगों ने उसे ठुकरा दिया है। (1 शमू. 8:4-8) शमूएल उनके लिए राजा नहीं बनाना चाहता था, इसलिए यहोवा ने उसे तीन बार बताया कि वह लोगों की सुने। (1 शमू. 8:7, 9, 22) हालाँकि शमूएल के अंदर ऐसी भावनाएँ उठी थीं, फिर भी जो शख्स अगुवे के तौर पर उसकी जगह लेनेवाला था, उसके लिए शमूएल ने अपने दिल में कड़वाहट या नाराज़गी नहीं पाली। इसीलिए जब यहोवा ने शमूएल को शाऊल का अभिषेक करने के लिए कहा, तो वह झिझका नहीं। उसने खुशी-खुशी यहोवा की आज्ञा मानी। वह इसलिए नहीं कि ऐसा करना उसका फर्ज़ था बल्कि इसलिए कि वह यहोवा से प्यार करता था।

17. (क) आज प्राचीन, शमूएल की मिसाल पर कैसे चलते हैं? (ख) प्राचीन क्या देखकर खुश होते हैं?

17 आज ऐसे बहुत-से तजुरबेकार प्राचीन हैं, जो शमूएल की मिसाल पर चलते हैं। वे प्यार से दूसरों को तालीम देते हैं। (1 पत. 5:2) ये प्राचीन दूसरों को तालीम देने के लिए खुशी-खुशी तैयार रहते हैं और विद्यार्थियों को मंडली में कुछ ज़िम्मेदारियाँ देने से पीछे नहीं हटते। वे उन भाइयों को होड़ लगानेवाले नहीं, बल्कि “सहकर्मी” समझते हैं और मानते हैं कि वे मंडली के लिए अनमोल तोहफे हैं। (2 कुरिं. 1:24; इब्रा. 13:16) त्याग की भावना दिखानेवाले ये प्राचीन यह देखकर खुश होते हैं कि विद्यार्थी अपनी काबिलीयतों का इस्तेमाल करके यहोवा के लोगों की मदद करते हैं।—प्रेषि. 20:35.

18, 19. (क) एक प्राचीन विद्यार्थी को तालीम देने के लिए कैसे उसका दिल तैयार कर सकता है? (ख) ऐसा करना क्यों ज़रूरी है?

18 सिर्फ शिक्षक नहीं, दोस्त बनिए। जब शमूएल शाऊल से मिला था तभी वह उसके सिर पर तेल उँडेलकर राजा के तौर पर उसका अभिषेक कर सकता था। ऐसा करके एक नए राजा का अभिषेक तो हो जाता, मगर वह परमेश्वर के लोगों की अगुवाई करने के लिए तैयार नहीं होता। इसलिए ऐसा करने के बजाय, उसने समय निकालकर एक नयी ज़िम्मेदारी के लिए शाऊल के दिल को तैयार किया। शाऊल का अभिषेक करने से पहले शमूएल ने उसके साथ खाना खाया, सैर पर गया, बहुत देर तक उससे बातें कीं और थोड़ी देर आराम भी किया। शमूएल ने राजा का अभिषेक करने के लिए सही वक्‍त का इंतज़ार किया।

तालीम देने के लिए पहले दोस्त बनना ज़रूरी है (पैराग्राफ 18, 19 देखिए)

19 यह बात आज भी सच है। दूसरों को तालीम देने से पहले एक प्राचीन को अच्छा माहौल बनाने और उनके साथ दोस्ती का रिश्ता कायम करने की कोशिश करनी चाहिए। एक प्राचीन विद्यार्थी को अच्छा महसूस कराने के लिए क्या करेगा, यह उनके हालात और संस्कृति पर निर्भर करता है। आप चाहे जहाँ भी रहते हों, अगर आप अपने व्यस्त शेड्यूल में से थोड़ा समय निकालकर विद्यार्थी के साथ बिताएँगे, तो उसे महसूस होगा कि आप उसे कितनी अहमियत देते हैं। (रोमियों 12:10 पढ़िए।) आप विद्यार्थी के लिए जो प्यार और परवाह दिखाएँगे ज़ाहिर है उसके लिए वह आपका बहुत एहसानमंद होगा।

20, 21. (क) कामयाब शिक्षक कौन होता है? (ख) हम अगले लेख में किस बारे में चर्चा करेंगे?

20 कामयाब शिक्षक वही होता है जिसे न सिर्फ तालीम देना पसंद हो या उससे लगाव हो, बल्कि तालीम लेनेवाले व्यक्‍ति से भी लगाव हो। (यूहन्ना 5:20 से तुलना कीजिए।) यह क्यों ज़रूरी है? क्योंकि अगर विद्यार्थी को महसूस होगा कि आप सच में उसकी परवाह करते हैं तो वह खुशी-खुशी आप से सीखना चाहेगा। इसलिए प्राचीनो, न सिर्फ तालीम देने बल्कि अच्छे दोस्त बनने के लिए भी मेहनत कीजिए।—नीति. 17:17; यूह. 15:15.

21 विद्यार्थी का दिल तैयार करने के बाद, प्राचीन उसे तालीम देना शुरू कर सकते हैं। तालीम देने के लिए प्राचीन कौन-से तरीके अपना सकते हैं? इस बारे में अगले लेख में चर्चा की जाएगी।

^ पैरा. 3 यह लेख और अगला लेख खासकर प्राचीनों के लिए लिखे गए हैं। लेकिन इन लेखों में सभी को दिलचस्पी लेनी चाहिए। वह इसलिए कि इससे सभी भाइयों को यह समझने में मदद मिलेगी कि उन्हें मंडली में और ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के लिए तालीम लेने की ज़रूरत है। जब मंडली में ज़्यादा काबिल भाई होंगे तो इससे हर किसी को फायदा होगा।

^ पैरा. 11 ये प्राचीन अमरीका, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया, जापान, दक्षिण अफ्रीका, नाईजीरिया, नामीबिया, फ्राँस, फ्रेंच गुयाना, बाँग्लादेश, ब्राज़ील, बेलजियम, मैक्सिको, रीयुनियन और रूस के रहनेवाले हैं।