प्रहरीदुर्ग—अध्ययन संस्करण जून 2015

इस अंक में 27 जुलाई से 30 अगस्त, 2015 के अध्ययन लेख दिए गए हैं।

मसीह—परमेश्वर की शक्‍ति है

यीशु के चमत्कारों से न सिर्फ पुराने ज़माने में इसराएल के लोगों को फायदा हुआ बल्कि उनसे यह भी ज़ाहिर हुआ कि वह भविष्य में इंसानों के लिए क्या करेगा।

उसे लोगों से गहरा प्यार है

यीशु ने जिस तरह चमत्कार किए उससे उसकी भावनाओं के बारे में क्या पता चलता है?

हम अपना चालचलन पवित्र बनाए रख सकते हैं

बाइबल ऐसी 3 बातें बताती है जिनकी मदद से हम अनैतिक इच्छाओं को मन से निकाल सकते हैं।

“अगर किंग्ज़ली कर सकता है, तो मैं भी कर सकती हूँ!”

श्रीलंका के रहनेवाले किंग्ज़ली ने कुछ मिनटों का अपना भाग पेश करने के लिए बड़ी-बड़ी चुनौतियाँ पार कीं।

आदर्श प्रार्थना के मुताबिक ज़िंदगी जीओ—भाग एक

यीशु ने आदर्श प्रार्थना की शुरूआत “हे हमारे पिता” कहकर की, न कि “हे मेरे पिता।” ऐसा क्यों?

आदर्श प्रार्थना के मुताबिक ज़िंदगी जीओ—भाग दो

जब हम परमेश्वर से आज की रोटी के लिए बिनती करते हैं, तो हम खाने-पीने के अलावा और भी ज़रूरतों के लिए बिनती कर रहे होते हैं।

“तुम्हें धीरज धरने की ज़रूरत है”

यहोवा की तरफ से किए गए चार इंतज़ामों से आपको परीक्षाओं या मुश्किल हालात का सामना करने में मदद मिल सकती है।

क्या आपको याद है?

क्या आपने हाल की प्रहरीदुर्ग पत्रिकाएँ पढ़ी हैं? देखिए आपको कितना याद है।