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इन आखिरी दिनों में बुरी संगति से खबरदार रहिए!

इन आखिरी दिनों में बुरी संगति से खबरदार रहिए!

“बुरी सोहबत अच्छी आदतें बिगाड़ देती है।”—1 कुरिं. 15:33.

गीत: 25, 20

1. आज हम कैसे वक्‍त में जी रहे हैं?

आज हम ‘संकटों से भरे ऐसे वक्‍त’ में जी रहे हैं “जिसका सामना करना मुश्किल” है। बाइबल इसे ‘आखिरी दिन’ कहती है, जिसकी शुरूआत सन्‌ 1914 में हुई। तब से दुनिया के हालात इतने बदतर हो गए हैं, जितने पहले कभी नहीं थे। (2 तीमु. 3:1-5) हम जानते हैं कि दुनिया और भी बदतर होती जाएगी। ऐसा क्यों? क्योंकि बाइबल में दी भविष्यवाणी से पता चलता है कि “दुष्ट और फरेबी, बुराई में बद-से-बदतर होते चले जाएँगे।”—2 तीमु. 3:13.

2. आज बहुत-से लोग मनोरंजन के नाम पर क्या-क्या देखते या करते हैं? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

2 आज बहुत-से लोग मनोरंजन के नाम पर वह सब देखते या करते हैं, जिसमें मार-धाड़, जादू-टोना, भूत-विद्या या अश्‍लील काम होते हैं। उदाहरण के लिए, इंटरनेट, टी.वी. कार्यक्रमों, फिल्मों और किताबों-पत्रिकाओं में अकसर खून-खराबा और अश्‍लील काम ऐसे पेश किए जाते हैं जैसे उनमें कोई बुराई न हो। एक वक्‍त पर जिस तरह के काम देखकर लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते थे, वे आज इतने आम हो गए हैं कि कुछ देशों में उन्हें कानूनी मान्यता मिल गयी है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि ऐसे कामों को यहोवा मंज़ूर करता है।रोमियों 1:28-32 पढ़िए।

3. जो परमेश्वर के स्तरों पर चलते हैं, उनके बारे में बहुत-से लोग क्या सोचते हैं?

3 पहली सदी में भी लोग ऐसा मनोरंजन देखते थे जिसमें मार-धाड़ और अश्‍लील काम दिखाए जाते थे। लेकिन यीशु के चेले ऐसा नहीं करते थे, क्योंकि वे परमेश्वर के स्तरों के मुताबिक जीते थे। इस वजह से उनके आस-पास के लोग “ताज्जुब” करते थे। लोग मसीहियों का मज़ाक उड़ाते थे, उनके “बारे में बुरा-भला कहते” थे, यहाँ तक कि उन पर ज़ुल्म किए जाते थे। (1 पत. 4:4) आज भी जो परमेश्वर के स्तरों पर चलते हैं, उनके बारे में बहुत-से लोग सोचते हैं, ‘ये बड़े अजीब किस्म के लोग हैं।’ असल में बाइबल हमें बताती है कि जो मसीह यीशु की मिसाल पर चलते हैं उन सब पर “ज़ुल्म ढाए जाएँगे।”—2 तीमु. 3:12.

“बुरी सोहबत अच्छी आदतें बिगाड़ देती है”

4. हमें इस दुनिया से क्यों प्यार नहीं करना चाहिए?

4 अगर हम परमेश्वर की मरज़ी पूरी करना चाहते हैं, तो हम “दुनिया और दुनिया की चीज़ों से प्यार” नहीं कर सकते। (1 यूहन्ना 2:15, 16 पढ़िए।) शैतान ‘इस दुनिया की व्यवस्था का ईश्वर’ है और पूरी दुनिया उसकी मुट्ठी में है। वह धर्मों, सरकारों, व्यापार जगत और मीडिया की आड़ में लोगों को गुमराह कर रहा है। (2 कुरिं. 4:4; 1 यूह. 5:19) लेकिन हम नहीं चाहते कि हम पर इस दुनिया का असर हो, इसलिए ज़रूरी है कि हम बुरी सोहबत में न पड़ें। बाइबल हमें साफ-साफ चेतावनी देती है, “धोखा न खाओ। बुरी सोहबत अच्छी आदतें बिगाड़ देती है।”—1 कुरिं. 15:33.

5, 6. हमें किसकी संगति नहीं करनी चाहिए और क्यों?

5 हम यहोवा के साथ अच्छा रिश्ता बनाए रखना चाहते हैं। इसलिए हम ऐसे किसी व्यक्‍ति की संगति नहीं करते जो बुरे काम करता है। इनमें वे लोग भी शामिल हैं जो कहते तो हैं कि वे यहोवा के उपासक हैं मगर उसकी आज्ञाएँ नहीं मानते। ऐसे लोग अगर कोई गंभीर पाप करते हैं और पश्‍चाताप नहीं दिखाते, तो हम उनसे संगति करना बंद कर देते हैं।—रोमि. 16:17, 18.

6 आम तौर पर लोग अपने दोस्तों को खुश रखना चाहते हैं और यह भी चाहते हैं कि उनके दोस्त उनके साथ घुल-मिलकर रहें और उनसे खुश रहें। इसलिए अगर हम ऐसे लोगों की संगति करेंगे जो परमेश्वर के स्तरों पर नहीं चलते, तो शायद हमें ऐसे काम करने के लिए लुभाया जाए, जो काम वे करते हैं। उदाहरण के लिए, अगर हम उन लोगों के साथ ज़्यादा मेल-जोल रखेंगे जो अनैतिक काम करते हैं तो हम भी उनके जैसे काम करने लग सकते हैं। हमारे कुछ भाई-बहनों के साथ ऐसा हुआ है। और इनमें से जिन्होंने सच्चा पश्‍चाताप नहीं दिखाया, उनका मंडली से बहिष्कार कर दिया गया। (1 कुरिं. 5:11-13) इसके बाद भी, अगर वे पश्‍चाताप न दिखाएँ, तो उनकी हालत वैसी हो सकती है जिसके बारे में प्रेषित पतरस ने बताया था।—2 पतरस 2:20-22 पढ़िए।

7. हमें किन लोगों को अपना करीबी दोस्त बनाना चाहिए?

7 हालाँकि हम सभी के साथ प्यार से पेश आना चाहते हैं, लेकिन हमें उन लोगों के करीबी दोस्त नहीं बनना चाहिए जो परमेश्वर की बतायी राह पर नहीं चलते। अगर एक अविवाहित मसीही ऐसे व्यक्‍ति के साथ रोमानी रिश्ता रखता (डेटिंग करता) है जिसने यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित नहीं की, उसका वफादार नहीं है और न ही उसके ऊँचे स्तरों पर चलता है, तो यह गलत होगा। जो लोग यहोवा से प्यार नहीं करते उनके बीच अपनी पहचान बनाने से कहीं ज़्यादा ज़रूरी है, यहोवा की मंज़ूरी पाना। जी हाँ, हमें सिर्फ उन्हीं को अपना करीबी दोस्त बनाना चाहिए जो यहोवा की मरज़ी पूरी करते हैं। यीशु ने कहा, “जो कोई परमेश्वर की मरज़ी पूरी करता है, वही है मेरा भाई, मेरी बहन, और मेरी माँ।”—मर. 3:35.

8. बीते ज़माने के इसराएलियों को बुरी संगति का क्या अंजाम भुगतना पड़ा?

8 बुरी संगति एक इंसान की ज़िंदगी तबाह कर देती है। बीते ज़माने के इसराएली इस बात का साफ सबूत हैं। वादा किए हुए देश में पहुँचने से पहले यहोवा ने इसराएलियों को उन लोगों के बारे में खबरदार किया था जो वहाँ पहले से रहते थे। उसने कहा, “उनके देवताओं को दण्डवत्‌ न करना, और न उनकी उपासना करना, और न उनके से काम करना, वरन उन मूरतों को पूरी रीति से सत्यानाश कर डालना, और उन लोगों की लाटों को टुकड़े टुकड़े कर देना। और तुम अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना करना।” (निर्ग. 23:24, 25) मगर ज़्यादातर इसराएलियों ने परमेश्वर की हिदायतें नहीं मानीं और उसके वफादार नहीं रहे। (भज. 106:35-39) नतीजा? यहोवा ने इसराएल राष्ट्र को ठुकरा दिया और उसके बदले मसीही मंडली को अपने लोगों के तौर पर चुना।—मत्ती 23:38; प्रेषि. 2:1-4.

सावधान रहिए कि आप क्या पढ़ते और देखते हैं

9. इस दुनिया का ज़्यादातर मीडिया क्यों खतरनाक हो सकता है?

9 इस दुनिया का ज़्यादातर मीडिया, जैसे टी.वी. कार्यक्रम, वेबसाइट और किताबें-पत्रिकाएँ ऐसी हैं कि उनसे यहोवा के साथ हमारा रिश्ता कमज़ोर हो सकता है। यह सब इसलिए तैयार नहीं किया जाता कि इससे एक मसीही का यहोवा और उसके वादों पर विश्वास बढ़े। इसके बजाय, यह लोगों को शैतान की दुष्ट दुनिया पर भरोसा करने का बढ़ावा देता है। इसलिए हमें बहुत सावधान रहना चाहिए कि हम ऐसा कुछ न देखें-सुनें या पढ़ें, जिससे हमारे अंदर ‘दुनियावी ख्वाहिशें’ जाग सकती हैं।—तीतु. 2:12.

10. इस दुनिया के मीडिया का क्या होगा?

10 बहुत जल्द, शैतान की दुनिया और उसका खतरनाक मीडिया नाश कर दिया जाएगा। बाइबल में बताया गया है, “यह दुनिया मिटती जा रही है और इसके साथ इसकी ख्वाहिशें भी मिट जाएँगी, मगर जो परमेश्वर की मरज़ी पूरी करता है वह हमेशा तक कायम रहेगा।” (1 यूह. 2:17) उसी तरह भजनहार ने एक भजन में कहा, “कुकर्मी लोग काट डाले जाएँगे।” उसने यह भी कहा, “नम्र लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और बड़ी शान्ति के कारण आनन्द मनाएँगे।” लेकिन कब तक? “धर्मी लोग पृथ्वी के अधिकारी होंगे, और उस में सदा बसे रहेंगे।”—भज. 37:9, 11, 29.

11. परमेश्वर हमें उसके वफादार बने रहने के लिए कैसे मदद देता है?

11 शैतान की दुनिया के उलट, यहोवा का संगठन इस तरह जीने में हमारी मदद करता है जिससे हमें हमेशा की ज़िंदगी मिल सकती है। यीशु ने यहोवा से प्रार्थना में कहा, “हमेशा की ज़िंदगी पाने के लिए ज़रूरी है कि वे तुझ एकमात्र सच्चे परमेश्वर का और यीशु मसीह का, जिसे तू ने भेजा है, ज्ञान लेते रहें।” (यूह. 17:3) यहोवा का ज्ञान लेने या उसे जानने के लिए हमें जो चाहिए वह सब यहोवा अपने संगठन के ज़रिए हमें देता है। उदाहरण के लिए, आज हमारे पास संगठन की ढेरों किताबें-पत्रिकाएँ, ब्रोशर और वीडियो हैं और हमारी वेबसाइट पर भी बहुत-सारी जानकारी मौजूद है। इन सबसे हमें यहोवा की सेवा करते रहने में मदद मिलती है। उसका संगठन पूरी दुनिया में 1,10,000 से ज़्यादा मंडलियों में लगातार सभाओं का भी इंतज़ाम करता है। इन सभाओं में और बड़े-बड़े सम्मेलनों में हम बाइबल पर आधारित जो बातें सीखते हैं उससे यहोवा और उसके वादों पर हमारा विश्वास मज़बूत होता है।—इब्रा. 10:24, 25.

“सिर्फ प्रभु में” शादी कीजिए

12. समझाइए कि “सिर्फ प्रभु में” शादी करने के बारे में बाइबल की सलाह का क्या मतलब है।

12 जो मसीही शादी करना चाहते हैं, उन्हें इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि वे किसके साथ संगति करते हैं। परमेश्वर का वचन हमें खबरदार करता है, “अविश्वासियों के साथ बेमेल जूए में न जुतो। क्योंकि नेकी के साथ दुराचार का क्या मेल? या रौशनी के साथ अंधेरे की क्या साझेदारी?” (2 कुरिं. 6:14) बाइबल परमेश्वर के सेवकों को सलाह देती है कि वे “सिर्फ प्रभु में” शादी करें। इसका मतलब, एक मसीही को सिर्फ ऐसे व्यक्‍ति से शादी करनी चाहिए, जो समर्पित और बपतिस्मा-शुदा यहोवा का साक्षी हो और यहोवा के स्तरों के मुताबिक ज़िंदगी जीता हो। (1 कुरिं. 7:39) जब आप एक ऐसे व्यक्‍ति से शादी करेंगे जो यहोवा से प्यार करता है तो आपको एक ऐसा साथी मिलेगा जो परमेश्वर के वफादार बने रहने में आपकी मदद करेगा।

13. यहोवा ने शादी के बारे में इसराएलियों को क्या आज्ञा दी थी?

13 यहोवा जानता है कि हमारी भलाई किसमें है। उसने “सिर्फ प्रभु में” शादी करने की जो आज्ञा दी है वह कोई नयी बात नहीं है। इस बारे में उसका क्या नज़रिया है यह उसने बार-बार बताया है। गौर कीजिए, यहोवा ने इसराएलियों से उन लोगों के बारे में क्या कहा था जो उसकी सेवा नहीं करते थे। उसने मूसा के ज़रिए आज्ञा दी, “[तुम] न उनसे ब्याह शादी करना, न तो अपनी बेटी उनके बेटे को ब्याह देना, और न उनकी बेटी को अपने बेटे के लिये ब्याह लेना। क्योंकि वे तेरे बेटे को मेरे पीछे चलने से बहकाएँगी, और दूसरे देवताओं की उपासना करवाएँगी; और इस कारण यहोवा का कोप तुम पर भड़क उठेगा, और वह तेरा शीघ्र सत्यानाश कर डालेगा।”—व्यव. 7:3, 4.

14, 15. यहोवा की आज्ञा न मानने की वजह से सुलैमान को क्या अंजाम भुगतना पड़ा?

14 इसराएल का राजा बनते ही जवान सुलैमान ने बुद्धि के लिए यहोवा से प्रार्थना की और यहोवा ने उसकी प्रार्थना का जवाब दिया। इस तरह सुलैमान एक फलते-फूलते देश के बुद्धिमान राजा के तौर पर मशहूर हो गया। दरअसल सुलैमान की बुद्धि का शीबा की रानी पर इतना गहरा असर हुआ कि उसने सुलैमान से कहा, “तेरी बुद्धिमानी और कल्याण [या, वैभव] उस कीर्त्ति से भी बढ़कर है, जो मैं ने सुनी थी।” (1 राजा 10:7) लेकिन सुलैमान की ज़िंदगी से हम यह भी सीखते हैं कि अगर एक व्यक्‍ति यहोवा की आज्ञा ठुकरा दे और ऐसे व्यक्‍ति से शादी करे जो यहोवा की उपासना नहीं करता तो उसे बुरे अंजाम भुगतने पड़ सकते हैं।—सभो. 4:13.

15 हालाँकि सुलैमान को यहोवा ने बेशुमार आशीषें दी थीं, फिर भी उसने यहोवा की आज्ञा नहीं मानी। यहोवा ने इसराएलियों को साफ-साफ आज्ञा दी थी कि वे आस-पास के देशों की औरतों से शादी न करें, खासकर उनसे जो यहोवा की उपासक नहीं थीं। मगर सुलैमान “बहुत सी विदेशी स्त्रियों से प्रेम करने लगा।” (अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन) एक वक्‍त पर उसकी 700 पत्नियाँ और 300 रखैल हो गयीं। इसका अंजाम क्या हुआ? जब सुलैमान बूढ़ा हुआ तब उसकी पत्नियों ने “उसका मन पराये देवताओं की ओर बहका दिया, . . . और सुलैमान ने वह किया जो यहोवा की दृष्टि में बुरा है।” (1 राजा 11:1-6) बुरी संगति ने सुलैमान की बुद्धि पर मानो परदा डाल दिया और उसने यहोवा की उपासना करना छोड़ दिया। ज़रा सोचिए, जब सुलैमान के साथ ऐसा हो सकता है, तो क्या हममें से किसी के साथ ऐसा नहीं हो सकता? इसलिए मसीही ऐसे व्यक्‍ति से शादी करने के बारे में सोचते भी नहीं जो यहोवा की उपासना नहीं करता।

16. बाइबल परमेश्वर के उन सेवकों को क्या सलाह देती है जिनका साथी अविश्वासी है?

16 जब एक व्यक्‍ति शादी के बाद यहोवा का उपासक बनता है, तो उसे अपने अविश्वासी साथी के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए? बाइबल कहती है, “पत्नियो, तुम अपने-अपने पति के अधीन रहो ताकि अगर किसी का पति परमेश्वर के वचन की आज्ञा नहीं मानता, तो वह अपनी पत्नी के पवित्र चालचलन . . . को देखकर तुम्हारे कुछ बोले बिना ही जीत लिया जाए।” (1 पत. 3:1, 2) यह बात उन पतियों पर भी लागू होती है जिनकी पत्नी यहोवा की उपासक नहीं है। यहोवा के वचन की सलाह एकदम साफ है: एक अच्छे पति या अच्छी पत्नी बनिए और शादी के बारे में दिए परमेश्वर के स्तरों पर चलिए। फिर जब आपका साथी गौर करेगा कि आपने अच्छे बदलाव किए हैं तो शायद वह भी यहोवा की सेवा करना चाहे। ऐसा कई शादीशुदा जोड़ों के साथ हुआ है।

उनसे संगति कीजिए जो यहोवा से प्यार करते हैं

17, 18. (क) किस बात से नूह को जलप्रलय से बचने में मदद मिली? (ख) किस बात से पहली सदी के मसीहियों को यरूशलेम के नाश से बचने में मदद मिली?

17 बुरी सोहबत का आप पर इतना असर हो सकता है कि आप यहोवा की आज्ञा मानना छोड़ देंगे, लेकिन अच्छी संगति आपको यहोवा के वफादार बने रहने में मदद दे सकती है। ज़रा नूह पर ध्यान दीजिए। वह जिस ज़माने में जी रहा था, उस वक्‍त “मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई” थी और “उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता [था] वह निरन्तर बुरा ही होता” था। (उत्प. 6:5) लोग बहुत बुरे हो गए थे। इसलिए परमेश्वर ने ठान लिया कि वह पूरी धरती पर जलप्रलय लाकर उस दुष्ट दुनिया का नाश कर देगा। मगर नूह अपने ज़माने के लोगों जैसा नहीं था। बाइबल उसके बारे में कहती है कि वह “धर्मी पुरुष” था और वह “परमेश्वर ही के साथ साथ चलता रहा।”—उत्प. 6:7-9.

18 नूह ने ऐसे लोगों की संगति नहीं की जो यहोवा से प्यार नहीं करते थे। वह और उसका परिवार जहाज़ बनाने में व्यस्त रहता था और वह ‘नेकी का प्रचारक’ भी था। (2 पत. 2:5) नूह, उसकी पत्नी, उसके तीन बेटे और उनकी पत्नियाँ एक-दूसरे की संगति करते थे, एक-दूसरे के साथ अच्छा वक्‍त बिताते थे। वे ऐसे कामों में लगे रहे जिनसे परमेश्वर खुश होता है। इस वजह से वे जलप्रलय से ज़िंदा बच गए। आज हम सब उन्हीं के वंशज हैं। हमें नूह और उसके परिवार के शुक्रगुज़ार होना चाहिए कि उन्होंने यहोवा की आज्ञा मानी और बुरे लोगों की संगति नहीं की। उसी तरह, पहली सदी के मसीहियों ने भी उन लोगों की संगति नहीं की जो यहोवा से प्यार नहीं करते थे। उन्होंने परमेश्वर की आज्ञा मानी और ईसवी सन्‌ 70 में जब यरूशलेम का नाश हुआ तो वे ज़िंदा बच गए।—लूका 21:20-22.

आज अगर हम उनकी संगति करें जो यहोवा से प्यार करते हैं, तो हम कल्पना कर सकते हैं कि नयी दुनिया में ज़िंदगी कैसी होगी (पैराग्राफ 19 देखिए)

19. क्या बात हमें यहोवा का वफादार बने रहने में मदद देगी?

19 नूह और उसके परिवार और पहली सदी के मसीहियों की तरह हम भी ऐसे व्यक्‍ति से संगति नहीं करते जो यहोवा से प्यार नहीं करता। इसके बजाय, हम अपने लाखों वफादार भाई-बहनों में से दोस्त चुनते हैं जो परमेश्वर से मिलनेवाली बुद्धि के मुताबिक चलते हैं। ऐसे भाई-बहनों की संगति करने से हम इस मुश्किल दौर में भी “विश्वास में मज़बूत खड़े” रह सकते हैं। (1 कुरिं. 16:13; नीति. 13:20) ज़रा सोचिए, इस दुष्ट दुनिया के विनाश से बचना और यहोवा की नयी दुनिया में रहना क्या ही लाजवाब अनुभव होगा! अगर हम इन आखिरी दिनों में अपनी संगति पर ध्यान दें, तो हो सकता है हम इस दुष्ट दुनिया के अंत से बचकर यहोवा की नयी दुनिया में कदम रख पाएँ, जो बहुत करीब है!