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यहोवा की सृष्टि और उसके वचन पर मनन करते रहिए

यहोवा की सृष्टि और उसके वचन पर मनन करते रहिए

“इन बातों के बारे में गहराई से सोचता रह और इन्हीं में लगा रह, ताकि तेरी तरक्की सब लोगों पर ज़ाहिर हो।”—1 तीमु. 4:15.

गीत: 22, 52

1, 2. किस मायने में इंसान जानवरों से अलग है?

इंसान का दिमाग बहुत अनोखा है। भाषा के मामले में ही देख लीजिए। उसमें ऐसी काबिलीयत है कि वह कोई भी भाषा सीख सकता है। भाषा की वजह से वह जो भी सुनता है उसे समझ पाता है, पढ़-लिख पाता है और बोल पाता है। इसी की वजह से हम यहोवा से प्रार्थना कर पाते हैं और गीत गाकर उसकी महिमा कर पाते हैं। लेकिन जानवर इंसानों से अलग हैं, वे यह सब नहीं कर सकते। वैज्ञानिक कभी पूरी तरह नहीं समझ सकते कि हमारा दिमाग कैसे यह सब कर पाता है!

2 भाषा, यहोवा से मिला हमारे लिए एक तोहफा है। (भज. 139:14; प्रका. 4:11) परमेश्वर ने एक और मायने में इंसान को जानवरों से अलग बनाया है। वह यह कि उसने इंसान को “अपने स्वरूप” में बनाया है। उसने हमें यह आज़ादी दी है कि हम अपने फैसले खुद ले सकते हैं। इसलिए हम चाहें तो भाषा की काबिलीयत से यहोवा की महिमा कर सकते हैं।—उत्प. 1:27.

3. हमें बुद्धिमान बनाने के लिए यहोवा ने हमें क्या दिया है?

3 भाषा की शुरूआत करनेवाले परमेश्वर यहोवा ने हमें अपना वचन बाइबल दिया है। इसके ज़रिए उसने हमें समझाया है कि हम कैसे उसकी महिमा कर सकते हैं। आज पूरी बाइबल या उसके कुछ हिस्से 2,800 से भी ज़्यादा भाषाओं में पाए जाते हैं। जब हम मनन करते हैं कि बाइबल किसी विषय के बारे में क्या बताती है, तो हम वैसे ही सोचने लगते हैं जैसे परमेश्वर सोचता है। (भज. 40:5; 92:5; 139:17) यहोवा के जैसा सोचने से हम बुद्धिमान बनते हैं और ऐसा करने से हमें हमेशा की ज़िंदगी भी मिलेगी।—2 तीमुथियुस 3:14-17 पढ़िए।

4. (क) मनन करने का क्या मतलब है? (ख) इस लेख में किन सवालों के जवाब दिए जाएँगे?

4 मनन करने का मतलब है, किसी बात पर अपना पूरा ध्यान लगाना और उस बारे में गहराई से सोचना। (भज. 77:12; नीति. 24:1, 2) जब हम यहोवा और यीशु के बारे में सीखी बातों पर मनन करते हैं, तब हमें सबसे ज़्यादा फायदा होता है। (यूह. 17:3) हमारे मन में शायद सवाल आएँ, किस तरह बाइबल पढ़ने से हमारे लिए मनन करना आसान हो सकता है? हम किन बातों पर मनन कर सकते हैं? लगातार मनन करने और उससे फायदा पाने के लिए क्या बात हमारी मदद करेगी? इन सवालों के जवाब इस लेख में दिए जाएँगे।

आप जो अध्ययन करते हैं, उससे पूरा फायदा उठाइए

5, 6. आप जो पढ़ते हैं, उसे आप कैसे अच्छी तरह समझ सकते और याद रख सकते हैं?

5 क्या आपने कभी गौर किया है, कुछ काम ऐसे हैं जिन्हें आप बिना सोचे कर लेते हैं। जैसे, साँस लेना, चलना या खाना खाना। यहाँ तक कि पढ़ने के मामले में भी यह बात सच हो सकती है। शायद आप पढ़ते-पढ़ते कुछ और सोचने लगें। आपके साथ ऐसा न हो, इसके लिए आप क्या कर सकते हैं? आप जो पढ़ते हैं उस पर पूरा मन लगाइए और सोचिए कि इसका मतलब क्या है। साथ ही, पढ़ते-पढ़ते जब आप किसी पैराग्राफ के आखिर में या उपशीर्षक के आखिर में आते हैं, तब ज़रा रुकिए और गहराई से सोचिए ताकि आपने जो पढ़ा है उसे अच्छी तरह समझ सकें।

6 वैज्ञानिकों ने अध्ययन करके पता लगाया है कि जब हम कुछ बोलकर पढ़ते हैं, तो उसे याद रखना आसान हो जाता है। यह बात हमारा सृष्टिकर्ता जानता है। इसीलिए उसने यहोशू से कहा था कि व्यवस्था की किताब पर ‘ध्यान देता रह।’ यहाँ जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद ‘ध्यान देना’ किया गया है, उसका मतलब ‘मंद स्वर में पढ़ना’ भी हो सकता है। (यहोशू 1:8 पढ़िए।) जी हाँ, बोलकर बाइबल पढ़ने से आपका मन इधर-उधर नहीं भटकेगा और आप ज़्यादा बातें याद रख पाएँगे।

7. बाइबल पर मनन करने का सबसे अच्छा वक्‍त कौन-सा होता है? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

7 पढ़ना हमारे लिए आसान हो सकता है, जबकि पढ़ी हुई बातों पर मनन करने में काफी मेहनत लगती है। और असिद्ध होने की वजह से हमारा मन हमेशा ऐसे कामों की तरफ दौड़ता है जो आसान होते हैं या जिनमें कम मेहनत लगती है। इसलिए ऐसे वक्‍त पर मनन करना सबसे अच्छा होता है जब आप थके हुए न हों और आपके आस-पास का माहौल भी शांत हो। भजनहार दाविद रात में अपने बिस्तर पर मनन किया करता था। (भज. 63:6) यीशु जो सिद्ध था, वह भी मनन करने और प्रार्थना करने के लिए शांत जगह पर जाता था।—लूका 6:12.

मनन करने के लिए अच्छी बातें

8. (क) हम और किन अच्छी बातों पर मनन कर सकते हैं? (ख) जब हम यहोवा के बारे में दूसरों से बात करते हैं, तो उसे कैसा लगता है?

8 बाइबल में दर्ज़ बातों के अलावा, और भी ऐसी बातें हैं जिन पर आप मनन कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, जब आप यहोवा की बनायी किसी चीज़ को देखते हैं, तो एक पल रुककर खुद से पूछिए, ‘इससे मैं यहोवा के बारे में क्या सीखता हूँ?’ ऐसा करने से आपका मन करेगा कि आप यहोवा का शुक्रिया अदा करें। और अगर आपके साथ कोई है, तो आप उसे भी अपने मन की बात बताना चाहेंगे। (भज. 104:24; प्रेषि. 14:17) लेकिन जब हम ऐसा करते हैं, तब क्या यहोवा उस पर ध्यान देता है? इसका जवाब परमेश्वर के वचन में दिया गया है। संकटों से भरे इन आखिरी दिनों में बाइबल हमें यह दिलासा देती है, “यहोवा का भय माननेवालों ने आपस में बातें कीं, और यहोवा ध्यान धरकर उनकी सुनता था; और जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान [या, “उसके नाम के बारे में मनन,” एन.डब्ल्यू.] करते थे, उनके स्मरण के निमित्त उसके साम्हने एक पुस्तक लिखी जाती थी।”—मला. 3:16.

क्या आप इस बात पर मनन करते हैं कि आप अपने बाइबल विद्यार्थियों की कैसे मदद कर सकते हैं? (पैराग्राफ 9 देखिए)

9. (क) पौलुस ने तीमुथियुस को किस बात पर गहराई से सोचने के लिए कहा? (ख) प्रचार सेवा की तैयारी करते वक्‍त हम किन बातों पर मनन कर सकते हैं?

9 प्रेषित पौलुस ने तीमुथियुस से कहा कि वह इस बारे में ‘गहराई से सोचे’ कि उसकी बोली, उसके व्यवहार और उसकी शिक्षाओं का दूसरों पर कैसा असर होता है। (1 तीमुथियुस 4:12-16 पढ़िए।) आप भी इन बातों पर गहराई से सोच सकते हैं। जैसे, जब आप किसी बाइबल अध्ययन के लिए तैयारी करते हैं, तो समय निकालकर विद्यार्थी के बारे में सोचिए। ऐसा कोई सवाल या उदाहरण सोचिए, जिससे उसे तरक्की करने में मदद मिल सकती है। जब आप बाइबल अध्ययन के लिए इस तरह तैयारी करेंगे, तो इससे आपमें ताज़गी आएगी और खुद आपका विश्वास मज़बूत होगा। यही नहीं, आपमें लोगों को बाइबल की सच्चाई सिखाने का जोश होगा और आप उन्हें अच्छी तरह सिखा पाएँगे। अगर आप प्रचार सेवा में जाने से पहले मनन करेंगे, तो इससे भी आपको फायदा होगा। (एज्रा 7:10 पढ़िए।) आप प्रेषितों की किताब का एक अध्याय पढ़ सकते हैं। इससे प्रचार के लिए आपका जोश ‘एक ज्वाला की तरह जलता’ रहेगा। आप उस दिन प्रचार में जो बाइबल की आयतें लोगों को बताने की सोच रहे हैं और जो किताबें-पत्रिकाएँ देने की सोच रहे हैं, उन पर भी मनन कर सकते हैं। (2 तीमु. 1:6) अपने प्रचार इलाके के लोगों के बारे में सोचिए और यह भी सोचिए कि आप ऐसा क्या कहेंगे, जिससे उनकी दिलचस्पी बढ़े। जब आप इस तरह से तैयारी करेंगे, तो आप लोगों को गवाही देते वक्‍त बाइबल का असरदार तरीके से इस्तेमाल कर पाएँगे।—1 कुरिं. 2:4.

10. आप और किन अच्छी बातों पर मनन कर सकते हैं?

10 आप और किन बातों पर मनन कर सकते हैं? अगर आप सम्मेलनों, अधिवेशनों और जन भाषण के मुख्य मुद्दों को लिखते हैं, तो वक्‍त निकालकर उनके बारे में दोबारा सोचिए। ऐसा करते वक्‍त खुद से पूछिए, ‘परमेश्वर के वचन और उसके संगठन से मैंने क्या सीखा है?’ आप हर महीने की प्रहरीदुर्ग और सजग होइए! पत्रिकाओं में दी जानकारी पर मनन कर सकते हैं। साथ ही, हाल के अधिवेशन में मिली किताबों-पत्रिकाओं में दी जानकारी पर भी आप मनन कर सकते हैं। जब आप इयरबुक पढ़ते हैं, तो कोई अनुभव पढ़ने के बाद थोड़ा रुककर उसके बारे में सोचिए ताकि वह अनुभव आपके दिल को छू जाए। जब आप किताबें-पत्रिकाएँ पढ़ते हैं, तो आप ज़रूरी बातों पर निशान लगा सकते हैं या पन्ने की खाली जगह पर मुख्य मुद्दे लिख सकते हैं। यह सब करने से आपको वापसी भेंट, चरवाही भेंट या किसी भाषण की तैयारी करने में मदद मिलेगी। सबसे ज़रूरी बात यह है कि जब आप किताबें-पत्रिकाएँ पढ़ते हैं और थोड़ा रुककर उन पर मनन करते हैं, तब आप उनमें बतायी बातों को अपने दिल में बिठा पाते हैं। और आप जो अच्छी बातें सीख रहे हैं, उनके लिए आप यहोवा को प्रार्थना करते वक्‍त धन्यवाद दे सकते हैं।

हर दिन परमेश्वर के वचन पर मनन कीजिए

11. (क) सबसे ज़रूरी कौन-सी किताब है जिस पर हमें मनन करना चाहिए? (ख) ऐसा करने से हमें कैसे मदद मिलेगी? (फुटनोट देखिए।)

11 बेशक, बाइबल ही सबसे ज़रूरी किताब है जिस पर हमें मनन करना चाहिए। लेकिन अगर ऐसे हालात आएँ कि आपके पास बाइबल ही न हो, तब क्या? * ऐसे में उन बातों पर मनन करने से आपको कोई नहीं रोक सकता जो आपको याद हैं जैसे, आपकी मनपसंद आयतें या आपके मनपसंद राज-गीत। (प्रेषि. 16:25) और परमेश्वर की पवित्र शक्‍ति आपको वह अच्छी बातें याद दिलाएगी जो आपने सीखी थीं। इससे आप परमेश्वर के वफादार बने रह पाएँगे।—यूह. 14:26.

12. हर दिन बाइबल की पढ़ाई करने के लिए आप क्या कर सकते हैं?

12 हर दिन बाइबल की पढ़ाई करने के लिए आप क्या कर सकते हैं? आप परमेश्वर की सेवा स्कूल में हर हफ्ते की जानेवाली बाइबल पढ़ाई कर सकते हैं और उस पर मनन कर सकते हैं। ऐसा आप हफ्ते के कुछ दिन कर सकते हैं। हफ्ते के बाकी दिनों में आप खुशखबरी की चार किताबें यानी मत्ती, मरकुस, लूका और यूहन्ना पढ़ सकते हैं और यीशु की बातों और कामों पर मनन कर सकते हैं। (रोमि. 10:17; इब्रा. 12:2; 1 पत. 2:21) हमारे पास एक किताब भी है जिसमें यीशु के जीवन से जुड़ी घटनाएँ उसी क्रम में दी हैं, जिस क्रम में वे घटी थीं। इस किताब की मदद से आप खुशखबरी की किताबों में दिए ब्यौरों का अच्छी तरह अध्ययन कर सकते हैं और उन पर मनन कर सकते हैं।—यूह. 14:6.

मनन करना ज़रूरी क्यों है?

13, 14. (क) यहोवा और यीशु के बारे में मनन करते रहना हमारे लिए क्यों ज़रूरी है? (ख) ऐसा करने से हमारा मन हमें क्या करने के लिए उकसाएगा?

13 यहोवा और यीशु के बारे में मनन करने से एक व्यक्‍ति को प्रौढ़ मसीही बनने में मदद मिल सकती है और उसका विश्वास भी मज़बूत बना रह सकता है। (इब्रा. 5:14; 6:1) जो व्यक्‍ति यहोवा और यीशु के बारे में सोचने के लिए बहुत कम वक्‍त निकालता है, धीरे-धीरे यहोवा के साथ उसका रिश्ता कमज़ोर हो जाता है, यहाँ तक कि वह परमेश्वर से दूर जा सकता है। (इब्रा. 2:1; 3:12) यीशु ने सावधान किया था कि अगर हम परमेश्वर का वचन “उत्तम और भले दिल से” नहीं सुनेंगे या नहीं अपनाएँगे, तो हम उसे ‘संजोकर’ नहीं रख पाएँगे। इसके बजाय, हम आसानी से ‘ज़िंदगी की चिंताओं और धन-दौलत और ऐशो-आराम’ की वजह से भटक सकते हैं।—लूका 8:14, 15.

14 इसलिए आइए हम बाइबल पढ़कर उस पर मनन करते रहें और यहोवा को अच्छी तरह जानने की कोशिश करते रहें। ऐसा करने से हमारा मन करेगा कि हम अपनी ज़िंदगी में उसके जैसे गुण दिखाएँ और उसकी शख्सियत को अपने जीवन में उतारें। (2 कुरिं. 3:18) तो आइए हम हमेशा अपने पिता यहोवा के बारे में सीखते रहें और उसकी मिसाल पर चलते रहें। हमारे लिए इससे बड़ा और क्या सम्मान हो सकता है!—सभो. 3:11.

15, 16. (क) यहोवा और यीशु के बारे में मनन करने से आपको कैसे फायदा हुआ है? (ख) कभी-कभी मनन करना क्यों मुश्किल हो सकता है? (ग) लेकिन हमें ऐसा करने की कोशिश क्यों करते रहना चाहिए?

15 यहोवा और यीशु के बारे में मनन करने से सच्ची उपासना करने का हमारा जोश बना रहेगा। आपका जोश देखकर भाई-बहनों का हौसला बढ़ेगा और उनका भी जिन्हें आप गवाही देते हैं। अगर आप यीशु के फिरौती बलिदान पर मनन करते हैं जिसका इंतज़ाम यहोवा ने बड़े प्यार से किया है, तो आप परमेश्वर के साथ अपने करीबी रिश्ते की अहमियत और ज़्यादा समझ पाएँगे। (रोमि. 3:24; याकू. 4:8) दक्षिण अफ्रीका के रहनेवाले भाई मार्क को अपने विश्वास की वजह से तीन साल जेल में बिताने पड़े। उन्होंने कहा, ‘मनन करना एक मज़ेदार सफर करने जैसा है। जितना ज़्यादा हम परमेश्वर यहोवा के बारे में मनन करेंगे, उतना ही ज़्यादा हम उसके बारे में नयी-नयी बातें सीखेंगे। कभी-कभी जब मैं भविष्य के बारे में सोचकर थोड़ा हताश या परेशान हो जाता हूँ, तब मैं बाइबल की आयतों पर मनन करता हूँ। इससे मेरे मन को बड़ा चैन मिलता है।’

16 आज की दुनिया में ध्यान भटकानेवाली इतनी सारी चीज़ें हैं कि बाइबल पर मनन करने के लिए समय निकालना बहुत मुश्किल होता है। अफ्रीका का रहनेवाला पैट्रिक नाम का एक भाई कहता है, ‘मेरा मन एक मेल बॉक्स जैसा है, जिसमें ज़रूरी और गैर-ज़रूरी, दोनों तरह की जानकारी भरी हुई है। इस जानकारी को हर दिन छाँटना और तरतीब से रखना ज़रूरी है। जब मैं अपने मन की बातें जाँचता हूँ, तो मैं अकसर पाता हूँ कि मेरा मन “चिन्ताओं” से भरा है। मैं शांति से मनन कर सकूँ, इसके लिए पहले मुझे यहोवा से प्रार्थना करनी होती है। हालाँकि यहोवा और उसकी सेवा से जुड़ी बातों पर मनन करने से पहले प्रार्थना करने में थोड़ा वक्‍त ज़रूर जाता है, लेकिन मैं खुद को यहोवा के करीब महसूस करता हूँ। इससे मेरा मन सच्चाई को और अच्छी तरह समझने के लिए तैयार हो जाता है।’ (भज. 94:19) सच, जब हम हर दिन बाइबल पढ़ते और उस पर मनन करते हैं, तो हमें कई अलग-अलग तरीकों से फायदा होता है।—प्रेषि. 17:11.

आप मनन के लिए वक्‍त कैसे निकालते हैं?

17. आप मनन के लिए वक्‍त कैसे निकालते हैं?

17 कुछ लोग सुबह जल्दी उठकर बाइबल पढ़ते हैं, मनन करते हैं और प्रार्थना करते हैं, जबकि कुछ लोग दोपहर खाने के वक्‍त ऐसा करते हैं। शायद आपके लिए शाम का समय या सोने से पहले का समय बाइबल पढ़ने के लिए सबसे अच्छा हो। कुछ लोग सुबह-सुबह और फिर सोने से पहले भी बाइबल पढ़ना पसंद करते हैं। (यहो. 1:8) हम चाहे जो भी समय चुनें, सबसे ज़रूरी बात यह है कि हम गैर ज़रूरी बातों में वक्‍त बरबाद न करके हर दिन परमेश्वर के वचन पर मनन करें, यानी “वक्‍त का पूरा-पूरा इस्तेमाल” करें।—इफि. 5:15, 16.

18. बाइबल में उनसे क्या वादा किया गया है, जो परमेश्वर के वचन पर मनन करते हैं और उसके मुताबिक चलते हैं?

18 बाइबल में वादा किया गया है कि यहोवा उन सबको आशीष देगा, जो उसके वचन पर मनन करते हैं और उसके मुताबिक चलने की पूरी कोशिश करते हैं। (भजन 1:1-3 पढ़िए।) यीशु ने कहा था, “सुखी हैं वे जो परमेश्वर का वचन सुनते हैं और उस पर चलते हैं!” (लूका 11:28) लेकिन सबसे ज़रूरी बात, रोज़ाना परमेश्वर के वचन पर मनन करने से हम ऐसे काम कर पाएँगे जिससे यहोवा की महिमा होगी। बदले में यहोवा हमें न सिर्फ आज खुशियों से नवाज़ेगा, बल्कि नयी दुनिया में हमेशा की ज़िंदगी देगा।—याकू. 1:25; प्रका. 1:3.

^ पैरा. 11 1 दिसंबर, 2006 की प्रहरीदुर्ग (अँग्रेज़ी) में दिया लेख, “परमेश्वर के साथ अपना रिश्ता मज़बूत बनाए रखने का हमारा संघर्ष” देखिए।