पतरस का यीशु को जानने से इनकार करना
हमारे नौजवानों के लिए
पतरस का यीशु को जानने से इनकार करना
हिदायतें: यह अभ्यास एक शांत जगह पर बैठकर कीजिए। बाइबल में किसी घटना के बारे में पढ़ते वक्त, सोचिए कि आप वहाँ मौजूद हैं। मन की आँखों से आस-पास का माहौल देखिए। आवाज़ें सुनिए। खास किरदारों की भावनाओं को महसूस कीजिए।
आपने जिस घटना की तसवीर अपने मन में बनायी है, उसे जाँचिए।—मत्ती 26:31-35, 69-75 पढ़िए।
आपने अपने मन की आँखों से कितने लोगों को देखा?
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आप क्या सोचते हैं, जिन लोगों ने पतरस से सवाल पूछा, उन्होंने किस अंदाज़ में पूछा होगा? दोस्ताना अंदाज़ में? उत्सुकता से? गुस्से में? या किसी और अंदाज़ में?
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आपको क्या लगता है, जब लोग पतरस पर उँगली उठा रहे थे, तो उसने कैसा महसूस किया होगा?
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पतरस ने यीशु को जानने से क्यों इनकार किया? क्या इसलिए कि उसे यीशु से प्यार नहीं था या किसी और वजह से?
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और भी गहराई से मनन कीजिए।—लूका 22:31-34; मत्ती 26:55-58; यूहन्ना 21:9-17 पढ़िए।
पतरस का खुद पर हद-से-ज़्यादा भरोसा करने और उसके गलती करने के बीच क्या ताल्लुक था?
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यीशु यह जानते हुए भी कि पतरस एक पल के लिए गलती कर बैठेगा, उस पर अपना भरोसा कैसे ज़ाहिर किया?
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हालाँकि पतरस ने यीशु को जानने से इनकार किया, फिर भी उसने कैसे दिखाया कि वह दूसरे चेलों से ज़्यादा हिम्मतवाला है? _______
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यीशु ने कैसे दिखाया कि उसने पतरस को माफ कर दिया था? _______
आपको क्या लगता है, यीशु ने तीन बार पतरस से क्यों पूछा: ‘क्या तू मुझ से प्रेम रखता है?’
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आपका क्या खयाल है, यीशु के साथ हुई इस बातचीत के बाद पतरस ने कैसा महसूस किया होगा, और क्यों?
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सीखी हुई बातों को लागू कीजिए। नीचे दी गयी बातों के बारे में आपने जो सीखा, उसे लिखिए।
इंसान का डर।
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चेलों के गलती करने के बाद भी, यीशु ने उन्हें करुणा दिखायी। _______
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इस घटना की कौन-सी बात आपको सबसे अच्छी लगी, और क्यों?
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