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नूह और जलप्रलय का ब्यौरा सच है, कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं

नूह और जलप्रलय का ब्यौरा सच है, कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं

नूह और जलप्रलय का ब्यौरा सच है, कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं

क्या आप एक ऐसी दुनिया की आस लगाते हैं, जहाँ लोग अमन-चैन से जीएँगे और जहाँ युद्ध, अपराध और अत्याचार नहीं होगा? अगर हाँ, तो आपको इतिहास में हुए एक वाकये से काफी हौसला मिलेगा। यह वाकया नूह के बारे में है, जिससे आप शायद वाकिफ हों। नूह एक भला इंसान था। उसने एक जहाज़ बनाया था, जिसकी वजह से वह और उसका परिवार महाजलप्रलय से बच गए थे। जबकि उसी प्रलय में दुष्टों का नाश हुआ था।

नूह और जलप्रलय की कहानी जितनी मशहूर है, उतनी शायद ही कोई कहानी मशहूर हो। इसका ब्यौरा बाइबल की उत्पत्ति नाम की किताब के अध्याय 6 से 9 में दर्ज़ है। इसी से मिलती-जुलती दास्तान कुरान में और दुनिया-भर की अलग-अलग कथा-कहानियों में पायी जाती है। उदाहरण के लिए, हिंदू परंपरा के मुताबिक मनु को एक जहाज़ बनाने की आज्ञा दी गयी, ताकि वह आनेवाले जलप्रलय से अपनी और सात ऋषियों की जान बचा सके। लेकिन क्या सचमुच में जलप्रलय आया था? या क्या यह महज़ एक बनी-बनायी कहानी है, जो लोगों को सही काम करने का बढ़ावा देती है? धर्म-विज्ञानियों और वैज्ञानिकों के बीच इस बात को लेकर सदियों से बहस छिड़ी हुई है। लेकिन परमेश्‍वर का वचन, बाइबल साफ बताती है कि यह ब्यौरा सच है, कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं। आइए इसकी कुछ वजहों पर ध्यान दें।

उत्पत्ति किताब में दिया ब्यौरा बताता है कि जलप्रलय ठीक किस साल, किस महीने और किस दिन आया था। ब्यौरा यह भी बताता है कि नूह का जहाज़ कब और कहाँ जाकर रुका और धरती पर से पानी कब सूख गया। इसके अलावा, इसमें जहाज़ के बारे में बारीकियाँ भी साफ-साफ बतायी गयी हैं। जैसे, उसकी डिज़ाइन क्या होती, वह कितना बड़ा होता, कितना चौड़ा होता और उसे बनाने में क्या-क्या सामान लगता। इसके बिलकुल उलट, अकसर देखा जाता है कि मनगढ़ंत कहानियों में धुँधली जानकारी दी जाती है।

बाइबल में दो जगहों पर दर्ज़ वंशावलियों से पता चलता है कि नूह सचमुच में जीया था। (1 इतिहास 1:4; लूका 3:36) इन वंशावलियों को एज्रा और लूका ने दर्ज़ किया, जो अचूक खोजकर्ता थे। लूका ने दिखाया कि नूह दरअसल यीशु मसीह का पूर्वज है।

नूह या जलप्रलय का हवाला यशायाह और यहेजकेल नबी और प्रेरित पौलुस और पतरस ने भी दिया था।—यशायाह 54:9; यहेजकेल 14:14, 20; इब्रानियों 11:7; 1 पतरस 3:19, 20; 2 पतरस 2:5.

यीशु मसीह ने जलप्रलय के बारे में बताते हुए कहा, “जैसा नूह के दिनों में हुआ था, वैसा ही मनुष्य के पुत्र के दिनों में भी होगा। जिस दिन तक नूह जहाज पर न चढ़ा, उस दिन तक लोग खाते-पीते थे, और उन में ब्याह-शादी होती थी; तब जल-प्रलय ने आकर उन सब को नाश किया।” (लूका 17:26, 27) ज़रा सोचिए, अगर जलप्रलय कभी आया ही न होता, तो यीशु का “मनुष्य के पुत्र के दिनों” के बारे में बात करना क्या कोई मायने रखता? बिलकुल नहीं।

प्रेरित पतरस ने भविष्यवाणी की थी कि ऐसे “हंसी ठट्ठा करनेवाले” आएँगे, जो बाइबल में लिखी बातों का मज़ाक उड़ाएँगे। पतरस ने लिखा, “वे तो जान बूझकर यह भूल गए, कि . . . [नहू के] युग का जगत जल में डूब कर नाश हो गया।” क्या हमें भी इस बात को भूल जाना चाहिए? हरगिज़ नहीं! पतरस ने आगे कहा, “वर्तमान काल के आकाश और पृथ्वी . . . इसलिये रखे हैं, कि जलाए जाएं; और वह भक्‍तिहीन मनुष्यों के न्याय और नाश होने के दिन तक ऐसे ही रखे रहेंगे।”—2 पतरस 3:3-7.

हमारे समय में परमेश्‍वर एक बार फिर दुष्ट लोगों का नाश करेगा और अच्छे लोगों को बचाएगा। अगर हम नूह की मिसाल पर चलें, तो शायद हम भी उन अच्छे लोगों में गिने जाएँ, जिन्हें एक बेहतर दुनिया में जीने का मौका मिलेगा। (w08 6/1)