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परमेश्‍वर की बुद्धि कुदरत में देखी जा सकती है

परमेश्‍वर की बुद्धि कुदरत में देखी जा सकती है

परमेश्‍वर की बुद्धि कुदरत में देखी जा सकती है

“[वह] हमें पृथ्वी के पशुओं से अधिक शिक्षा देता, और आकाश के पक्षियों से अधिक बुद्धि देता है।”—अय्यूब 35:11.

पक्षियों में गज़ब की काबिलीयतें होती हैं। वे आसमान में ऐसे कमाल के करतब दिखाते हैं कि हवाई जहाज़ बनानेवाले भी दाँतो तले उँगली दबा लेते हैं। कुछ पक्षी तो समंदर के ऊपर से उड़ते हुए हज़ारों किलोमीटर का लंबा सफर तय करते हैं। हालाँकि उन्हें दिशा दिखाने के लिए कोई निशान नहीं होता, फिर भी वे बिना भटके अपनी मंज़िल तक पहुँच जाते हैं।

पक्षियों में एक और बेमिसाल काबिलीयत होती है, जिससे उनके बनानेवाले की बुद्धि ज़ाहिर होती है। वह यह कि वे अलग-अलग आवाज़ें निकालकर और गाने गाकर एक-दूसरे से बातचीत करते हैं। आइए ऐसे कुछ पक्षियों की मिसाल पर गौर करें।

पंछियों की गुफ्तगू

कुछ पक्षी ऐसे होते हैं, जिनके चूज़े अंडे से बाहर निकलने से पहले ही बातचीत करने लगते हैं। ऐसी ही एक चिड़िया है, बटेर। एक मादा बटेर करीब आठ अंडे देती है। मगर वह सारे अंडे एक-साथ नहीं देती, बल्कि हर दिन एक अंडा देती है। ज़रा सोचिए, अगर अंडों के अंदर चूज़ों को बढ़ने में बराबर का वक्‍त लगे, तो एक दिन में एक ही अंडे में से चूज़ा निकलेगा। इस तरह सारे चूज़ों को निकलने में आठ दिन लगेंगे। इन आठ दिनों के दौरान मादा बटेर को कितनी मुश्‍किल होगी, क्योंकि एक तरफ उसे चूज़ों की देखभाल करनी होगी और दूसरी तरफ बचे हुए अंडों को सेना भी होगा। मगर शुक्र है कि मादा को ऐसी तकलीफ नहीं उठानी पड़ती। क्योंकि होता यह है कि आठों अंडों से चूज़े एक ही दिन में छः घंटे के अंदर बाहर निकल आते हैं। यह कैसे मुमकिन होता है? खोजकर्ता बताते हैं कि इसकी खास वजह यह है कि बटेर के चूज़े जब अंडे में ही होते हैं, तभी वे एक-दूसरे से गुफ्तगू करने लगते हैं। वे ऐसी योजना बनाते हैं कि सभी चूज़े करीब-करीब एक ही समय में अंडों से बाहर निकल आते हैं।

पक्षियों में एक गौर करने लायक बात यह है कि जब उनके चूज़े बड़े होते हैं, तो उनमें से नर पक्षी आम तौर पर गाना गाते हैं। नर खासकर सहवास के मौसम में मादा को रिझाने और अपने घोंसले का इलाका तय करने के लिए ऐसा करता है। पक्षियों की हज़ारों जातियों में से हरेक जाति की अपनी एक अनोखी भाषा होती है। इससे मादा पक्षी को अपनी ही जाति का एक साथी ढूँढ़ने में मदद मिलती है।

पक्षी आम तौर पर सवेरे-सवेरे और शाम के वक्‍त गाना गाते हैं। इसके पीछे एक खास वजह होती है। वह यह कि इस समय हवा हौले-हौले चलती है और कोई शोर-शराबा भी नहीं होता है। खोजकर्ताओं ने पता लगाया है कि सुबह और शाम के वक्‍त पक्षियों के गाने की आवाज़, दिन के मुकाबले 20 गुना ज़्यादा साफ सुनायी देती है।

हालाँकि गाना तो ज़्यादातर नर पक्षी ही गाता है, मगर नर और मादा दोनों तरह-तरह की आवाज़ें निकालते हैं। और उनकी हर आवाज़ का एक अलग ही मतलब होता है। मिसाल के लिए, चैफिंच नाम के पंछी नौ तरह की आवाज़ें निकालते हैं। जब वे किसी शिकारी परिंदे को आसमान में उड़ता देखते हैं, तो वे अपने साथी को खबरदार करने के लिए एक अलग तरह की आवाज़ लगाते हैं। लेकिन जब उन्हें ज़मीन पर से किसी खतरे का एहसास होता, तो वे एक दूसरी तरह की आवाज़ निकालते हैं।

एक नायाब तोहफा

बातचीत के मामले में पक्षियों में पायी जानेवाली यह बुद्धि वाकई काबिले-तारीफ है। लेकिन फिर भी इस मामले में इंसानों में कुछ ऐसी खूबियाँ हैं, जो उन्हें पक्षियों से अनूठा बनाती हैं। परमेश्‍वर ने इंसान को “आकाश के पक्षियों से अधिक बुद्धि[मान]” बनाया है, जैसे कि बाइबल की अय्यूब नाम की किताब का अध्याय 35, आयत 11 कहती है। इंसान बातचीत के मामले में किस तरह पक्षियों से ज़्यादा बुद्धिमान है? वह मुश्‍किल-से-मुश्‍किल बातों या विचारों को भी शब्दों में या हाव-भाव से बयान कर सकता है।

बातचीत के मामले में इंसानों में एक और काबिलीयत होती है, जो दूसरे किसी जीव-जंतु में नहीं होती। उनमें नयी भाषाएँ सीखने की पैदाइशी काबिलीयत होती है, फिर चाहे वे कितनी ही पेचीदा क्यों न हों। इस बारे में इंटरनेट पर पायी जानेवाली एक पत्रिका अमेरिकन साइंटिस्ट कहती है, “नन्हे-मुन्‍ने बच्चे अपने माँ-बाप की बातें सुनकर खुद-ब-खुद उनकी भाषा सीख लेते हैं, फिर चाहे माँ-बाप उनसे बात ना भी करें। और कुछ बधिर बच्चे, जिन्हें घर पर साइन लैग्वैज़ नहीं सिखायी जाती, वे अपने ही इशारों की एक नयी भाषा बना लेते हैं।”

अपने सोच-विचार और जज़बात को ज़बानी तौर पर या इशारों से कहने की हमारी काबिलीयत परमेश्‍वर की तरफ से सचमुच एक नायाब तोहफा है। यही नहीं, हम इंसानों को उससे भी बड़ा एक तोहफा दिया गया है, वह है कि हम प्रार्थना के ज़रिए परमेश्‍वर से बात कर सकते हैं। दरअसल, परमेश्‍वर यहोवा खुद हमें बढ़ावा देता है कि हम उससे बात करें। उसका वचन बाइबल कहती है: “किसी भी बात की चिन्ता मत करो: परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और बिनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्‍वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएं।”—फिलिप्पियों 4:6.

परमेश्‍वर यहोवा चाहता है कि कोई भी मुश्‍किल फैसला लेने से पहले हम उसके वचन बाइबल में ढूँढ़ें कि उसमें इस बारे में क्या सलाह दी गयी है। क्योंकि बाइबल में परमेश्‍वर ने ज़िंदगी के हर पहलू और हालात के बारे में जानकारी दर्ज़ करवायी है। अगर हम ऐसा करें, तो वह हमें उन सलाहों पर अमल करने में भी मदद देगा। इस बारे में बाइबल का एक लेखक याकूब कहता है: “यदि तुम में से किसी को बुद्धि की घटी हो, तो परमेश्‍वर से मांगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है; और उस को दी जाएगी।”—याकूब 1:5.

परमेश्‍वर की बुद्धि का आप पर क्या असर होता है?

जब आप पंछियों के सुरीले गीत सुनते हैं या एक नन्हे से बच्चे को उसकी तोतली ज़बान में कुछ कहते सुनते हैं, तो आपको कैसा लगता है? क्या आपको परमेश्‍वर की बनायी इन रचनाओं में उसकी बुद्धि नज़र आती है?

दाऊद नाम के एक व्यक्‍ति ने जब अपने शरीर की शानदार बनावट पर गौर किया, तो वह परमेश्‍वर की स्तुति करने से खुद को रोक नहीं पाया। उसने अपने एक भजन में कहा: “मैं तेरा धन्यवाद करूंगा, इसलिये कि मैं भयानक और अद्‌भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्‍चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं।” (भजन 139:14) अगर आप कुदरत में पायी जानेवाली रचनाओं पर एहसान-भरे दिल से गौर करें, तो आप देख पाएँगे कि परमेश्‍वर ने उन्हें कितनी बुद्धिमानी से बनाया है। इससे परमेश्‍वर पर आपका भरोसा बढ़ेगा कि वह आपको सही मार्गदर्शन दे सकता है। (w08 5/1)

[पेज 5 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

बातचीत करने की काबिलीयत, परमेश्‍वर की तरफ से एक नायाब तोहफा है

[पेज 4 पर चित्र का श्रेय]

© Dayton Wild/Visuals Unlimited