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‘चमत्कार से बीमारी ठीक करना’—क्या यह परमेश्‍वर की शक्‍ति से हो रहा है?

‘चमत्कार से बीमारी ठीक करना’—क्या यह परमेश्‍वर की शक्‍ति से हो रहा है?

‘चमत्कार से बीमारी ठीक करना’—क्या यह परमेश्‍वर की शक्‍ति से हो रहा है?

कुछ देशों में ऐसे कई पूजास्थल या दरगाह हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वहाँ “लाइलाज” बीमारियाँ और अपंगताएँ ठीक हो जाती हैं। इन जगहों पर अकसर श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है। दूसरे देशों में ओझे या झाड़-फूँक करनेवाले दावा करते हैं कि वे अलौकिक शक्‍तियों की मदद से लोगों का इलाज कर सकते हैं। और कुछ देशों में ऐसी धार्मिक सभाएँ रखी जाती हैं, जहाँ लोग भावुक होकर प्रार्थना करने और चीखने-चिल्लाने लगते हैं। फिर, लँगड़े अपनी बैसाखियाँ फेंककर और बीमार अपनी व्हील-चेयर छोड़कर कहते हैं कि मैं बिलकुल ठीक हो गया।

चमत्कार करनेवाले ज़्यादातर लोग अलग-अलग धर्मों से होते हैं। और अकसर वे एक-दूसरे पर झूठे या धोखेबाज़ होने का इलज़ाम लगाते हैं। तो सवाल उठता है, क्या परमेश्‍वर ऐसे अलग-अलग धर्मों के ज़रिए चमत्कार करता है? यह सवाल वाजिब है क्योंकि बाइबल कहती है: “परमेश्‍वर गड़बड़ी का नहीं परन्तु शान्ति का परमेश्‍वर है।” (1 कुरिन्थियों 14:33, NHT) तो क्या ‘चमत्कार से बीमारी ठीक करना’ परमेश्‍वर की तरफ से है? कुछ लोग दम भरते हैं कि वे यीशु की शक्‍ति से बीमारी दूर करते हैं। आइए देखें कि यीशु ने बीमारों को कैसे अच्छा किया था।

यीशु ने बीमारों को कैसे अच्छा किया?

यीशु ने जिन तरीकों से बीमारों को अच्छा किया, उनमें और आज चमत्कार करनेवालों के तरीकों में ज़मीन-आसमान का फर्क है। एक फर्क पर गौर कीजिए। जो लोग ठीक होने के लिए यीशु के पास आए, उसने उन सभी को चंगा किया। उसने ऐसा नहीं किया कि भीड़ में से गिने-चुने लोगों को बुलाकर उन्हें अच्छा किया और बाकियों को खाली हाथ लौटा दिया। एक और बात, यीशु ने पूरी तरह से लोगों की बीमारियाँ ठीक की और लगभग हर बार ऐसा फौरन हुआ। बाइबल बताती है: “सब उसे छूना चाहते थे, क्योंकि उस में से सामर्थ निकलकर सब को चंगा करती थी।”लूका 6:19.

ज़रा एक और फर्क पर गौर कीजिए। जब कोई बीमार व्यक्‍ति ठीक नहीं होता, तो चमत्कार करनेवाले कहते हैं कि उसमें आस्था या विश्‍वास की कमी है, इसलिए वह अच्छा नहीं हुआ। मगर यीशु इनसे बिलकुल अलग था। उसने उन लोगों को भी ठीक किया जिन्होंने विश्‍वास ज़ाहिर नहीं किया था। एक मौके पर यीशु खुद एक अंधे के पास गया और उसकी आँखों की रोशनी लौटायी। बाद में, उसने उस आदमी से पूछा: “क्या तू परमेश्‍वर के पुत्र पर विश्‍वास करता है?” उस आदमी ने जवाब दिया: “हे प्रभु; वह कौन है कि मैं उस पर विश्‍वास करूं?” इस पर यीशु ने कहा: “जो तेरे साथ बातें कर रहा है वही है।”—यूहन्‍ना 9:1-7, 35-38.

आप शायद सोचें: ‘अगर चंगा होने के लिए विश्‍वास ज़रूरी नहीं है, तो यीशु ने कई बार बीमारों को चंगा करने के बाद उनसे यह क्यों कहा कि “तेरे विश्‍वास ने तुझे अच्छा कर दिया है”?’ (लूका 8:48; 17:19; 18:42) क्योंकि वे लोग विश्‍वास के कारण ही यीशु को ढूँढ़ते हुए उसके पास आए और अपनी बीमारी से ठीक हो गए। जबकि जो लोग उसके पास नहीं आए, उन्होंने यह मौका गँवा दिया। लेकिन चंगा किए गए लोग अपने विश्‍वास के दम पर नहीं, बल्कि परमेश्‍वर की सामर्थ से ठीक हुए थे। बाइबल यीशु के बारे में बताती है: ‘परमेश्‍वर ने उसे पवित्र आत्मा [“पवित्र शक्‍ति,” NW] और सामर्थ से अभिषेक किया: वह भलाई करता, और सब को जो शैतान के सताए हुए थे, अच्छा करता फिरा; क्योंकि परमेश्‍वर उसके साथ था।’—प्रेरितों 10:38.

आजकल चमत्कार के नाम पर श्रद्धालुओं से पैसे इकट्ठा करना एक धंधा बन गया है। और इस धंधे में चमत्कार करनेवाले बहुत माहिर हैं। कहा जाता है कि एक चमत्कार करनेवाले ने टी.वी. प्रोग्राम के ज़रिए अपने दर्शकों से साल-भर में करीब 4 अरब रुपए ऐंठ लिए। इसके अलावा, जो भक्‍त जन अपनी बीमारी से निजात पाने के लिए ईसाइयों के पवित्र स्थानों पर आते हैं, उनके दान से भी गिरजों की दान-पेटियाँ भरती जा रही हैं। मगर यीशु ने लोगों को ठीक करने के लिए कभी उनसे पैसे नहीं लिए। उलटा, उसने एक-से-ज़्यादा मौके पर उन्हें खाना खिलाया। (मत्ती 14:14-21; 15:30-38) जब यीशु ने अपने चेलों को लोगों के पास भेजा तो उसने उनसे कहा: “बीमारों को चंगा करो, मृतकों को जिलाओ, कोढ़ियों को शुद्ध करो, दुष्ट आत्माओं को निकालो। तुमने मुफ्त पाया है, मुफ्त में दो।” (मत्ती 10:8, NHT) आखिर आज के चमत्कार करनेवालों के काम यीशु के कामों से इतने अलग क्यों हैं?

“बीमारियाँ ठीक करने” के पीछे किसका हाथ है?

चिकित्सा-क्षेत्र से जुड़े कुछ लोगों ने चमत्कार करनेवालों के दावों की काफी जाँच-पड़ताल की। वे किस नतीजे पर पहुँचे? लंदन के डेली टेलीग्राफ अखबार ने इंग्लैंड के एक डॉक्टर के बारे में बताया, जिसने 20 साल तक इस विषय पर खोजबीन की। उसका कहना है: “चिकित्सा-क्षेत्र को ऐसा एक भी सबूत नहीं मिला जिससे यह साबित हो सके कि चमत्कार करनेवालों के दावे सच हैं।” इसके बावजूद कई लोग सच्चे दिल से मानते हैं कि संत-महात्माओं के अवशेषों में, पूजास्थलों में या चमत्कार करनेवालों में शक्‍ति होती है, जिससे वे ठीक हुए हैं। आखिर लोगों को इन पर इतनी गहरी आस्था क्यों है? कहीं उन्हें धोखा तो नहीं दिया जा रहा?

यीशु ने अपने एक जाने-माने उपदेश में (जिसे पहाड़ी उपदेश कहा जाता है) बताया था कि धर्म के जालसाज़ आकर उससे कहेंगे: “हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हम ने . . . तेरे नाम से बहुत अचम्भे के काम नहीं किए?” लेकिन वह उनसे कहेगा: “मैं ने तुम को कभी नहीं जाना, हे कुकर्म करनेवालो, मेरे पास से चले जाओ।” (मत्ती 7:22, 23) तो फिर इन अचंभे के कामों के पीछे किसका हाथ है? इस बारे में प्रेरित पौलुस ने बताया: ‘उस अधर्मी का आना शैतान के कार्य्य के अनुसार सब प्रकार की झूठी सामर्थ, और चिन्ह, और अद्‌भुत काम और सब प्रकार के धोखे के साथ होगा।’—2 थिस्सलुनीकियों 2:9, 10.

देखा जाए तो अवशेषों और मूर्तियों की मदद से “बीमारियाँ ठीक करना” परमेश्‍वर की तरफ से नहीं हो सकता। क्यों नहीं? क्योंकि परमेश्‍वर का वचन साफ शब्दों में यह आज्ञा देता है: “मूर्तिपूजा से दूर रहो” और “अपने आप को मूरतों से बचाए रखो।” (1 कुरिन्थियों 10:14, नयी हिन्दी बाइबिल; 1 यूहन्‍ना 5:21) चमत्कार के ज़रिए “बीमारियाँ ठीक करना” दरअसल शैतान की एक चाल है, ताकि वह लोगों को सच्चे परमेश्‍वर से दूर ले जा सके। बाइबल कहती है: ‘शैतान परमेश्‍वर के दूत का रूप धारण करता है।’—2 कुरिन्थियों 11:14, ईज़ी-टू-रीड वर्शन।

यीशु और प्रेरितों ने बीमारों को अच्छा क्यों किया?

बाइबल के मसीही यूनानी शास्त्र में (जिसे आम तौर पर नया नियम कहा जाता है) यीशु और उसके प्रेरितों के कई चमत्कार दर्ज़ हैं। ये चमत्कार सच्चे थे और इनसे साफ ज़ाहिर हुआ कि यीशु और उसके प्रेरित परमेश्‍वर के भेजे हुए थे। (यूहन्‍ना 3:2; इब्रानियों 2:3, 4) यीशु ने बीमारों को चंगा करके यह भी साबित किया कि उसका सुनाया पैगाम सच्चा है। इस बारे में बाइबल कहती है: “यीशु सारे गलील में फिरता हुआ उन की सभाओं में उपदेश करता और राज्य का सुसमाचार प्रचार करता, और लोगों की हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता को दूर करता रहा।” (मत्ती 4:23) उसने सिर्फ बीमारों को चंगा नहीं किया बल्कि हज़ारों को खाना खिलाया, कुदरती शक्‍तियों को काबू में किया, यहाँ तक कि मरे हुओं को भी ज़िंदा किया। ये चमत्कार इस बात की झलक है कि भविष्य में यीशु आज्ञाकारी इंसानों के लिए क्या-क्या करेगा। है न यह एक खुशखबरी?

लेकिन यीशु, प्रेरितों और उनके ज़रिए जिस किसी को चमत्कार करने की शक्‍ति मिली, उन सबकी मौत के बाद इस तरह के चमत्कार खत्म हो गए। प्रेरित पौलुस ने कहा था: “भविष्यद्वाणियां हों, तो समाप्त हो जाएंगी; [चमत्कार से बोली जानेवाली] भाषाएं हों, तो जाती रहेंगी; [परमेश्‍वर से प्रकट होनेवाला] ज्ञान हो, तो मिट जाएगा।” (1 कुरिन्थियों 13:8) ऐसा क्यों? क्योंकि यीशु और उसके चेलों ने जो चमत्कार किए थे, उनका एक खास मकसद था। वह यह कि यीशु मसीहा साबित हो और लोग जान सकें कि परमेश्‍वर ने यहूदी जाति को ठुकराकर नयी मसीही कलीसिया को चुन लिया है। यह मकसद पूरा होने के बाद चंगा करने जैसे चमत्कारों की ज़रूरत नहीं रही। वे ‘मिट’ गए।

लेकिन यीशु के चमत्कारों से हमें एक अहम बात सीखने को मिलती है। वह क्या? अगर हम परमेश्‍वर के राज्य के बारे में यीशु की सिखायी बातों पर ध्यान दें और विश्‍वास करें, तो हम शारीरिक और आध्यात्मिक मायने में इस भविष्यवाणी को पूरा होते देखेंगे: “कोई निवासी न कहेगा कि मैं रोगी हूं।”—यशायाह 33:24; 35:5, 6; प्रकाशितवाक्य 21:4. (w08 12/1)