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“मैं उसका दुःख अच्छी तरह जानता हूँ”

“मैं उसका दुःख अच्छी तरह जानता हूँ”

परमेश्‍वर के करीब आइए

“मैं उसका दुःख अच्छी तरह जानता हूँ”

निर्गमन 3:1-10

“यहोवा पवित्र, पवित्र, पवित्र है।” (यशायाह 6:3) परमेश्‍वर की प्रेरणा से लिखे ये शब्द दिखाते हैं कि यहोवा परम पवित्र और शुद्ध परमेश्‍वर है। तो शायद आप पूछें, ‘पवित्र होने की वजह से क्या वह हमसे दूर हो जाता है?’ ‘क्या वह मुझ जैसे असिद्ध इंसान की परवाह करेगा?’ आइए जवाब जानने के लिए हम निर्गमन 3:1-10 में दर्ज़ उन शब्दों की जाँच करें जो परमेश्‍वर ने मूसा से कहे थे। इससे हमें वाकई बड़ा दिलासा मिलता है!

एक बार भेड़ों को चराते समय मूसा के साथ एक अजीब-सा वाकया हुआ। उसने देखा कि एक कँटीली झाड़ी में आग लगी है मगर वह “भस्म नहीं” हो रही। (आयत 2) हैरान-परेशान मूसा उसे करीब से देखने के लिए आगे बढ़ा। लेकिन तभी जलती झाड़ी में से एक स्वर्गदूत के ज़रिए यहोवा ने मूसा से कहा: “इधर पास मत आ, और अपने पांवों से जूतियों को उतार दे, क्योंकि जिस स्थान पर तू खड़ा है वह पवित्र भूमि है।” (आयत 5) ज़रा सोचिए, झाड़ी में से पवित्र परमेश्‍वर बात कर रहा था इसलिए वहाँ की ज़मीन भी पवित्र हो गयी!

पवित्र परमेश्‍वर का मूसा से बात करने की एक खास वजह थी। परमेश्‍वर ने कहा: “मैंने मिस्र में रहने वाली अपनी प्रजा की दयनीय दशा देखी और अत्याचारियों से मुक्‍ति के लिए उसकी पुकार सुनी है। मैं उसका दुःख अच्छी तरह जानता हूँ।” (वचन 7, बुल्के बाइबिल) जी हाँ, परमेश्‍वर ने अपने लोगों के दुख न सिर्फ देखे और उनकी दुहाई सुनी, बल्कि उनकी तड़प देखकर वह खुद भी तड़प उठा। गौर कीजिए कि परमेश्‍वर ने यूँ कहा: “मैं उसका दुःख अच्छी तरह जानता हूँ।” “दुःख अच्छी तरह जानता हूँ,” शब्दों के बारे में एक किताब कहती है: “ये शब्द निजी भावनाओं, कोमलता और करुणा को दर्शाते हैं।” यहोवा के इन शब्दों से ज़ाहिर होता है कि वह ऐसा परमेश्‍वर है, जिसे दूसरों की बड़ी फिक्र और परवाह रहती है।

तो ऐसी भावनाओं से सराबोर परमेश्‍वर अब क्या करता? उसने सिर्फ दया भरी निगाह से उन्हें देखा ही नहीं और न ही सिर्फ करुणा से उनकी सुनी, बल्कि उसके दिल ने उसे उनकी खातिर कदम उठाने को उभारा। उसने फैसला किया कि वह अपने लोगों को मिस्र से छुड़ाकर उस “देश में” ले जाएगा, “जिस में दूध और मधु की धारा बहती है।” (आयत 8) अपने इस मकसद को अंजाम देने के लिए उसने मूसा को यह आज्ञा दी: “मेरी इस्राएली प्रजा को मिस्र से निकाल” ला। (आयत 10) मूसा उसकी आज्ञा के मुताबिक ई.पू. 1513 में इसराएलियों को मिस्र से छुड़ा लाया।

यहोवा आज भी बदला नहीं है। उसके उपासक इस बात का भरोसा रख सकते हैं कि वह उनकी दुख-तकलीफें देखता और उनकी दुहाई सुनता है। वह अपने लोगों की पीड़ा को बखूबी समझता है। मगर हमारा कोमल परमेश्‍वर यहोवा अपने भक्‍तों के लिए सिर्फ करुणा महसूस ही नहीं करता, बल्कि वह अपने लोगों की खातिर कदम भी उठाता है, ‘क्योंकि उसे उनकी परवाह’ है।—1 पतरस 5:7.

परमेश्‍वर की करुणा से हमें आशा की किरण मिलती है। उसकी मदद से हम असिद्ध इंसान कुछ हद तक पवित्र हो सकते हैं और उसे कबूल होने के लायक बन सकते हैं। (1 पतरस 1:15,16) निराशा और मायूसी की शिकार एक मसीही स्त्री को कँटीली झाड़ी के पास हुए मूसा के वाकये से काफी दिलासा मिला। वह कहती है: “जब यहोवा धूल को पवित्र कर सकता है, तो मेरे लिए भी वह ज़रूर कुछ-न-कुछ करेगा। मुझे इस बात से काफी हिम्मत मिली है।”

क्या आप ऐसे पवित्र परमेश्‍वर यहोवा के बारे में और अधिक जानने के लिए बेताब हैं? हममें से कोई भी यहोवा के साथ एक करीबी रिश्‍ता बना सकता है, “वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही हैं।”—भजन 103:14. (w09 3/1)