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अकेले बच्चों की परवरिश करनेवालों के लिए लिहाज़ दिखाइए

अकेले बच्चों की परवरिश करनेवालों के लिए लिहाज़ दिखाइए

अकेले बच्चों की परवरिश करनेवालों के लिए लिहाज़ दिखाइए

अकेले बच्चों की परवरिश करनेवालों को आए दिन ज़िंदगी में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उनके कंधों पर भारी ज़िम्मेदारियाँ होती हैं, जिन्हें पूरा करने में उनकी पूरी ताकत और समय खर्च हो जाता है। उन्हें घर-गृहस्थी चलाने के लिए नौकरी करने के अलावा, खरीदारी करना, खाना पकाना, साफ-सफाई करना और बच्चों की परवरिश करनी पड़ती है। यही नहीं, उन्हें बच्चों की सेहत का खयाल रखना होता है, उनके मन-बहलाव का इंतज़ाम करना होता है और समय-समय पर उनकी हिम्मत बढ़ानी होती है। इन ज़िम्मेदारियों को पूरा करते-करते उन्हें कभी-कभार ही अपने लिए फुरसत के दो पल मिल पाते हैं।

आज समाज में अकेले बच्चों की परवरिश करनेवालों की गिनती बढ़ती जा रही है। और इस भाग-दौड़वाली ज़िंदगी में ऐसे परिवार आसानी से नज़रअंदाज़ हो सकते हैं। इस बारे में एक माँ कबूल करती है, “अकेले बच्चों की परवरिश करना बड़ा मुश्‍किल है, इस बात का एहसास मुझे तब जाकर हुआ जब मुझे खुद अकेले बच्चों की परवरिश करनी पड़ी।” आप किस तरह अकेले बच्चों की परवरिश करनेवालों के लिए लिहाज़ दिखा सकते हैं? क्या आपको उनकी परवाह करनी चाहिए? आइए ऐसी तीन वजहों पर गौर करें कि आपको क्यों उनकी ज़रूरतों का खयाल रखना चाहिए।

लिहाज़ दिखाने की कुछ वजह

अकेले बच्चों की परवरिश करनेवालों को मदद की ज़रूरत होती है। इकतालीस साल की एक विधवा जिसके दो बच्चे हैं कहती है, “कई बार ऐसा होता है कि मुझे कुछ सूझता ही नहीं कि मैं क्या करूँ। ज़िम्मेदारियों को निभाना मुझे पहाड़-सा लगने लगता है।” उन पर क्या गुज़रती है, जिनके साथी की मौत हो चुकी है या जिनका साथी उन्हें छोड़कर चला गया है या हालात से मज़बूर होकर जिन्हें अकेले ही ज़िंदगी में मुश्‍किलों का सामना करना पड़ता है? इसका जवाब इस माँ के शब्दों में मिलता है, जो कहती है: “हम राहत पाने की गुहार लगाते हैं और हमें जल्द-से-जल्द मदद चाहिए।”

उनकी मदद करने से आपकी खुशी बढ़ेगी। क्या कभी आपने किसी को अकेले भारी बोझ उठाते देख उसकी मदद की है? अगर हाँ, तो बेशक ऐसा करने से आपको अंदरूनी खुशी मिली होगी। उसी तरह, अकेले बच्चों की देखभाल करनेवालों के लिए उनकी ज़िम्मेदारियाँ कभी-कभी एक भारी बोझ बन सकती हैं। ऐसे वक्‍त में आप उनकी तरफ मदद का हाथ बढ़ा सकते हैं। अगर आप ऐसा करेंगे तो आप भजन 41:1 में लिखी बात को सच पाएँगे जहाँ लिखा है, “क्या ही धन्य [या खुश] है वह, जो कंगाल की सुधि रखता है।”

आप परमेश्‍वर को खुश कर पाएँगे। याकूब 1:27 कहता है, “हमारे परमेश्‍वर और पिता की नज़र में शुद्ध और निष्कलंक उपासना यह है: अनाथों और विधवाओं की उनकी मुसीबतों में देखभाल की जाए।” इस आयत में अकेले बच्चों की परवरिश करनेवालों की देखभाल करना भी शामिल है। * इब्रानियों 13:16 कहता है, “भलाई करना और अपनी चीज़ों से दूसरों की मदद करना न भूलो, क्योंकि परमेश्‍वर ऐसे बलिदानों से बहुत खुश होता है।”

इन तीन वजहों को मन में रखते हुए, आइए देखें कि आप किस तरह अकेले बच्चों की परवरिश करनेवालों के लिए लिहाज़ दिखा सकते हैं? आप कैसे पक्का कर सकते हैं कि आपकी दी मदद उनके लिए फायदेमंद होगी?

उनकी ज़रूरतें पहचानिए

हमें शायद लगे क्यों न अकेले बच्चों की परवरिश कर रहे माँ-बाप से पूछ लिया जाए, “मैं आपकी किस तरह मदद कर सकता हूँ?” लेकिन सच्चाई यह है कि सिर्फ गिने-चुने लोग ही बताते हैं कि उन्हें क्या मदद चाहिए। जैसे कि हमने पहले गौर किया भजन 41:1 हमें उकसाता है कि हम उनकी ‘सुधि रखें।’ एक किताब बताती है कि जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद सुधि रखना किया गया है, उसका मतलब है “अच्छी तरह सोच-विचार करना और फिर बुद्धिमानी से पेश आना।”

इसलिए कारगर मदद देने के लिए आपको गहराई से सोचने की ज़रूरत है कि अकेले बच्चों की परवरिश करनेवाले किन चुनौतियों का सामना करते हैं। ऊपरी तौर पर हालत का जायज़ा लेने के बजाय उनकी छोटी-छोटी ज़रूरतों को समझने की कोशिश कीजिए। खुद से पूछिए, ‘अगर मैं उनकी जगह होता, तो मैं किस तरह की मदद चाहता?’ यह सच है कि अकेले बच्चों की परवरिश करनेवाले शायद कहें कि आप चाहे जितनी कोशिश कर लें, आप हमारा दर्द तब तक पूरी तरह नहीं समझ पाएँगे, जब तक कि आप खुद इस हालात से नहीं गुज़रेंगे। मगर इसके बावजूद, अगर आप उनके हालात की नज़ाकत को समझने की भरसक कोशिश करें, तो आप उनकी ‘सुधि रख’ पाएँगे और उनके लिए लिहाज़ दिखा पाएँगे।

यहोवा की बेहतरीन मिसाल पर चलिए

इंसानों से कहीं बढ़कर यहोवा अकेले बच्चों की परवरिश करनेवालों के लिए प्यार और परवाह दिखाता है। बाइबल में ऐसी कई आयतें दर्ज़ हैं, जो बताती हैं कि यहोवा कैसे विधवाओं और अनाथों के लिए लिहाज़ और परवाह दिखाता है, जिसमें अकेले बच्चों की देखभाल करनेवाले भी शामिल हैं। अगर हम गौर करें कि परमेश्‍वर इन ज़रूरतमंदों की किस तरह मदद करता है, तो हम भी कारगर तरीकों से इनकी मदद करना सीख पाएँगे। आइए ऐसी चार खास बातों पर ध्यान दें।

ध्यान से उनकी सुनिए

प्राचीन समय में इसराएलियों को दिए अपने कानून में यहोवा ने कहा था, ‘मैं निश्‍चय ही दीन दुखियों की दुहाई सुनूँगा।’ (निर्गमन 22:22, 23) आप कैसे यहोवा की बढ़िया मिसाल पर चल सकते हैं? अकेले बच्चों की परवरिश करनेवालों को अकसर अकेलेपन की भावना आ घेरती है, क्योंकि उनके साथ बात करनेवाला कोई बड़ा-बुज़ुर्ग नहीं होता। एक अकेली माँ दुखी मन से कहती है, “बच्चों के सो जाने के बाद मैं कभी-कभी अकेले में खूब रोती हूँ। अकेलापन मेरे बरदाश्‍त के बाहर हो जाता है।” अगर मुमकिन हो तो क्या आप उन माँ या पिता की ‘दुहाई सुन’ सकते हैं जो अपनी भावनाएँ बताने के लिए तरसते हैं? ध्यान से उनकी सुनने से आप उन्हें उन चुनौतियों का सामना करने में मदद दे पाएँगे, जो अकेले बच्चों की परवरिश करने में आती हैं।

हिम्मत बढ़ानेवाली बातें कहिए

यहोवा ने अपनी शक्‍ति के ज़रिए कुछ पवित्र गीत और भजन लिखवाए थे, ताकि उसकी उपासना के वक्‍त इसराएली उन्हें गा सकें। ज़रा सोचिए, प्राचीन इसराएल में विधवाओं और अनाथों को इनसे कितना हौसला और सुकून मिलता होगा, जब वे इन्हें गाते वक्‍त यहोवा को “पिता” और “न्यायी” कहकर पुकारते होंगे। (भजन 68:5; 146:9) हम भी अकेले बच्चों की परवरिश करनेवालों से हौसला बढ़ानेवाली बातें कह सकते हैं, जिसे वे बरसों-बरस बाद भी याद रखेंगे। रूत पिछले बीस सालों से अकेले बच्चों की परवरिश कर रही है मगर आज भी वह एक अनुभवी पिता की कही बात याद करती है। जिसने कहा था, “शाबाश! तुम अपने बेटों की परवरिश बहुत अच्छी तरह कर रही हो। ऐसे ही करती रहना।” रूत कहती है, “उसकी बात मेरे ज़हन में घर कर गयी।” सच, “मधुर वचन . . . जीवन का वृक्ष” होते हैं और ये वचन अकेले बच्चों की परवरिश करनेवालों में इस कदर जान फूँक सकते हैं जिसका हम अंदाज़ा भी नहीं लगा सकते। (नीतिवचन 15:4, NHT) क्या आप किसी बात के लिए उनकी दिल से तारीफ कर सकते हैं?

उनकी खाने-पहनने की ज़रूरतें पूरी कीजिए

प्राचीन समय में यहोवा ने इसराएलियों को दी अपनी कानून-व्यवस्था में विधवाओं और अनाथों के लिए एक इंतज़ाम ठहराया था, जिसके तहत वह उन्हें भोजन मुहैया कराता था। इस इंतज़ाम के ज़रिए परमेश्‍वर ने दीन-दुखियों को इज़्ज़त बख्शी थी क्योंकि उन्हें दूसरों के आगे हाथ नहीं फैलाने पड़ते थे। वे भरपेट “खाकर तृप्त” रहते थे। (व्यवस्थाविवरण 24:19-21; 26:12, 13) हम भी समझदारी और गरिमा दिखाते हुए अकेली माँ या पिता और उनके बच्चों की खाने-पहनने की ज़रूरतें पूरी कर सकते हैं। जैसे, क्या आप उनके लिए खाना बना सकते हैं या उन्हें किराने का कुछ सामान खरीदकर दे सकते हैं? क्या आप अपने कुछ जोड़ी कपड़े उन्हें दे सकते हैं, जो उनके काम आ सकें? क्या आप उन्हें माली तौर पर मदद दे सकते हैं, ताकि वे अपने बच्चों के लिए ज़रूरी चीज़ें खरीद सकें?

उनके साथ वक्‍त बिताइए

यहोवा ने आज्ञा दी कि विधवाओं और अनाथों को सालाना त्योहारों में शामिल किया जाए, ताकि वे भी दूसरे इसराएलियों के साथ मिलकर खुशी मना सकें। उनसे कहा गया था, वे “आनन्द करें।” (व्यवस्थाविवरण 16:10-15) आज भी मसीहियों को बढ़ावा दिया जाता है कि वे “एक-दूसरे को मेहमान-नवाज़ी दिखाते” रहें और खुशी मनाएँ। (1 पतरस 4:9) तो क्यों न आप अकेले बच्चों की परवरिश करनेवाले और उनके परिवार को अपने घर खाने पर बुलाएँ? आपको बड़ी दावत रखने की ज़रूरत नहीं। क्योंकि जब यीशु के कुछ दोस्तों ने मेहमान-नवाज़ी दिखायी, तो यीशु ने उनसे कहा, “थोड़ी ही चीज़ों की ज़रूरत है या बस एक ही काफी है।”—लूका 10:42.

आपकी मदद की कदर की जाएगी

अकेले तीन बच्चों को पाल-पोसकर बड़ा करनेवाली कैथलीन एक बुज़ुर्ग की कही यह बात हमेशा याद रखती है “किसी से कोई उम्मीद मत रखना, लेकिन हर चीज़ के लिए एहसानमंदी दिखाना।” कैथलीन की तरह ऐसी कई माँ या पिता हैं, जिन्हें अपनी ज़िम्मेदारियों का पूरा एहसास है कि उन्हें अकेले अपने बच्चों की परवरिश करनी है। इसलिए वे अपनी ज़िम्मेदारियाँ दूसरों पर थोपने की कोशिश नहीं करते। मगर जब दूसरे उनकी तरफ मदद का हाथ बढ़ाते हैं, तो वे खुशी-खुशी उसे कबूल करते हैं और उसकी कदर करते हैं। अकेले बच्चों की देखभाल करनेवाले माँ या पिता के लिए लिहाज़ दिखाकर आप उनकी और अपनी खुशी बढ़ा सकते हैं। साथ ही, आप यकीन रख सकते हैं कि आप यहोवा परमेश्‍वर से ‘इस काम का प्रतिफल पाएँगे।’—नीतिवचन 19:17. (w10-E 12/01)

[फुटनोट]

^ हालाँकि बाइबल में शब्द “अकेले बच्चों की परवरिश करनेवाले” नहीं दिया गया है, मगर शब्द “विधवा” और “अनाथ” कई बार इस्तेमाल हुए हैं। यह दिखाता है कि प्राचीन समय में भी ऐसे माँ-बाप थे, जो अकेले बच्चों की देखभाल करते थे।—यशायाह 1:17.

[पेज 32 पर तसवीर]

क्या आप अकेली माँ और उसके बच्चों को मेहमान-नवाज़ी दिखा सकते हैं? अगर हाँ, तो फिर क्यों न जल्द-से-जल्द ऐसा करें?