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क्या परमेश्‍वर का कोई संगठन है?

क्या परमेश्‍वर का कोई संगठन है?

क्या परमेश्‍वर का कोई संगठन है?

परमेश्‍वर की सृष्टि में व्यवस्था हर कहीं दिखायी देती है। खमीर की एक साधारण-सी कोशिका का ही उदाहरण लीजिए। एक जंबो जेट में जितने पुर्ज़े होते हैं, तकरीबन उतने ही एक खमीर की कोशिका में पाए जाते हैं। फिर भी, इस कोशिका का हर पुर्ज़ा 5 माइकरोन * व्यास के गोले में समा जाता है और हर पुर्ज़े की अपनी एक जगह होती है। इसके अलावा, खमीर की कोशिकाएँ प्रजनन कर सकती हैं जबकि जंबो जेट ऐसा नहीं कर सकता। खमीर की कोशिका, क्रम और व्यवस्था का क्या ही बेहतरीन उदाहरण है!—1 कुरिंथियों 14:33.

व्यवस्था सिर्फ पृथ्वी या विश्‍वमंडल में ही नहीं दिखायी देती। बाइबल बताती है कि स्वर्ग में परमेश्‍वर के स्वर्गदूत भी बहुत अच्छी तरह व्यवस्थित और संगठित हैं और वे उसके मकसद के मुताबिक काम करते हैं। भविष्यवक्‍ता दानिय्येल ने एक दर्शन में देखा कि स्वर्ग में परमेश्‍वर का दरबार लगा है और वहाँ बड़ी संख्या में स्वर्गदूत मौजूद हैं: “हजारों हजार लोग उसकी सेवा टहल कर रहे थे, और लाखों लाख लोग उसके साम्हने हाज़िर थे।” (दानिय्येल 7:9, 10) जी हाँ, स्वर्गदूतों की गिनती करोड़ों में है। ज़रा सोचिए कि ये सारे स्वर्गदूत कितनी अच्छी तरह संगठित किए गए होंगे क्योंकि ये परमेश्‍वर के उन निर्देशनों को सुनते और मानते हैं जो वह पृथ्वी पर अपने सेवकों के सिलसिले में देता है!—भजन 91:11.

इसमें कोई शक नहीं कि यहोवा परमेश्‍वर ने अपनी सृष्टि को बहुत ही बेहतरीन तरीके से संगठित किया है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह बहुत ही कठोर या लकीर का फकीर है। इसके बजाय, वह आनंदित और परवाह करनेवाला परमेश्‍वर है जो अपनी सृष्टि की भलाई चाहता है। (1 तीमुथियुस 1:11; 1 पतरस 5:7) वह प्राचीन इसराएल जाति और पहली सदी के मसीहियों के साथ जिस तरह पेश आया, उससे यह बात साफ ज़ाहिर होती है।

प्राचीन इसराएलवह देश जो बेहतरीन रूप से संगठित था

यहोवा परमेश्‍वर ने मूसा के ज़रिए सच्ची उपासना के लिए इसराएलियों को संगठित या व्यवस्थित किया। ऐसी व्यवस्था का एक उदाहरण उस वक्‍त मिलता है जब इसराएली वीराने में सफर के दौरान तंबुओं में रहते थे। अगर हर परिवार को अपनी मरज़ी से कहीं भी तंबू गाड़ने की छूट दे दी जाती, तो वहाँ ज़रूर गड़बड़ी फैल जाती। यहोवा ने उन्हें साफ-साफ हिदायत दी कि हर गोत्र को अपना तंबू कहाँ गाड़ना है। (गिनती 2:1-34) इसके अलावा, मूसा के कानून में स्वास्थ्य और साफ-सफाई के बारे में स्पष्ट हिदायतें भी दी गयी थीं। जैसे इसराएलियों को बताया गया था कि शौच के लिए उन्हें छावनी के बाहर जाना है और मल को गाड़ना है।—व्यवस्थाविवरण 23:12, 13.

जब इसराएली वादा किए हुए देश में दाखिल हुए, तब उन्हें एक राष्ट्र के तौर पर बहुत अच्छे से संगठित किया गया। पूरा राष्ट्र 12 गोत्रों में बँटा था और हर गोत्र को ज़मीन का एक हिस्सा दिया गया था। यहोवा ने मूसा के ज़रिए इसराएल राष्ट्र को ज़िंदगी के हर पहलू के बारे में कानून दिए, जैसे उपासना, शादी, परिवार, शिक्षा, काम-धँधा, खान-पान, खेती-बाड़ी, पशु-पालन वगैरह-वगैरह। * हालाँकि, कुछ मामलों में इसराएलियों को छोटी-से-छोटी बात पर भी नियम दिए गए थे, लेकिन ये सभी अपने लोगों के लिए यहोवा के प्यार का सबूत थे और अगर वे इन्हें मानते तो हमेशा खुश रहते। यहोवा के इन प्यार-भरे इंतज़ामों को मानने से इसराएली, यहोवा के खास लोग कहलाए।—भजन 147:19, 20.

यह सच है कि मूसा एक काबिल अगुवा था, लेकिन वह सिर्फ अपने हुनर की बदौलत इस लायक नहीं बना बल्कि परमेश्‍वर के इंतज़ामों के मुताबिक चलते रहने से ही वह कामयाब हो पाया। उदाहरण के लिए, मूसा ने यह कैसे तय किया कि इसराएलियों को वीराने में कौन-से रास्ते से लेकर जाना है? यहोवा ने उसे दिन के वक्‍त बादल के खंभे और रात के वक्‍त आग के खंभे के ज़रिए रास्ता दिखाया। (निर्गमन 13:21, 22) हालाँकि परमेश्‍वर ने इंसानों का इस्तेमाल किया, लेकिन अपने लोगों को संगठित करने और उन्हें निर्देशन देने का काम यहोवा ने खुद किया। पहली सदी में भी ऐसा ही हुआ।

पहली सदी के मसीही अच्छी तरह संगठित थे

पहली सदी में यीशु के प्रेषितों और चेलों ने बड़े जोश के साथ प्रचार किया। नतीजा यह हुआ कि एशिया और यूरोप के कई हिस्सों में मसीही मंडलियाँ बनीं। भले ही ये मंडलियाँ दूर-दूर थीं मगर इनके काम करने का तरीका एक-सा था। इन मंडलियों को बहुत अच्छी तरह संगठित किया गया था और प्रेषितों की प्यार-भरी निगरानी से इन्हें काफी फायदा पहुँचा। मिसाल के लिए, प्रेषित पौलुस ने तीतुस को क्रेते इसलिए भेजा ताकि वह “जो कार्य अधूरा रह गया है उसकी उचित व्यवस्था” कर सके। (तीतुस 1:5, नयी हिन्दी बाइबल) पौलुस ने कुरिंथ की मंडली को खत में लिखा कि कुछ भाई “प्रबन्धक” हैं। (1 कुरिंथियों 12:28, NHT) लेकिन ऐसी व्यवस्था के पीछे कौन था? पौलुस ने कहा कि “ईश्‍वर ने” मंडलियों का “संगठन किया” है।—1 कुरिंथियों 12:24; बुल्के बाइबिल।

मसीही मंडली में ठहराए गए निगरान, अपने संगी विश्‍वासियों के मालिक नहीं थे। बल्कि वे मंडली के लोगों के “सहकर्मी” थे और वे परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति के निर्देशन पर चलते थे। इन निगरानों से उम्मीद की गयी थी कि वे “झुंड के लिए मिसाल” बनें। (2 कुरिंथियों 1:24; 1 पतरस 5:2, 3) मंडली का अगुवा कोई इंसान या असिद्ध इंसानों का कोई समूह नहीं है। यीशु मसीह को, जिसे मरे हुओं में से दोबारा जी उठाया गया था, “मंडली का सिर” कहा गया है।—इफिसियों 5:23.

जब कुरिंथ की मंडली बाकी मंडलियों से बिलकुल अलग तरीके से काम करने लगी, तो पौलुस ने उन्हें लिखा: “क्या परमेश्‍वर का वचन तुम में से निकला था या क्या यह सिर्फ तुम तक ही पहुँचा?” (1 कुरिंथियों 14:36) पौलुस ने यह सवाल उनकी सोच सुधारने के लिए किया था। वह उन्हें समझाना चाहता था कि उन्हें अपने मन-मुताबिक काम नहीं करना चाहिए। प्रेषितों की बात मानने से मंडलियों की संख्या बढ़ती गयी और उन्हें ढेरों आशीषें मिलीं।—प्रेषितों 16:4, 5.

परमेश्‍वर के प्यार का सबूत

आज के बारे में क्या कहा जा सकता है? कुछ लोग शायद किसी धार्मिक संगठन से जुड़ने में झिझकें। लेकिन बाइबल दिखाती है कि परमेश्‍वर ने अपना मकसद पूरा करने के लिए हमेशा अपने संगठन का इस्तेमाल किया है। उसने प्राचीन इसराएलियों और पहली सदी के मसीहियों को अपनी उपासना करने के लिए संगठित किया था।

तो फिर क्या यह मानना सही नहीं होगा कि पहले की तरह, आज भी परमेश्‍वर अपने लोगों का मार्गदर्शन करता है? जी हाँ, अपने सेवकों को संगठित करने के ज़रिए यहोवा दिखाता है कि वह उनसे प्यार करता है और उसे उनकी परवाह है। आज यहोवा इंसानों के लिए अपना मकसद पूरा करने के लिए अपने संगठन का इस्तेमाल कर रहा है। लेकिन हम उसके संगठन को कैसे पहचान सकते हैं? आइए देखें।

सच्चे मसीही एक खास काम पूरा करने के लिए संगठित हैं। (मत्ती 24:14; 1 तीमुथियुस 2:3, 4) यीशु ने अपने चेलों को आज्ञा दी थी कि वे सारे राष्ट्रों में परमेश्‍वर के राज की खुशखबरी का प्रचार करें। बिना एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन के यह काम कर पाना नामुमकिन है। उदाहरण के लिए, आप अपने दम पर एक व्यक्‍ति की भूख तो मिटा सकते हैं। लेकिन अगर आपको हज़ारों-लाखों लोगों को खिलाना हो तो आपको कई लोगों के एक संगठित समूह की ज़रूरत होगी जिसमें सभी आपसी तालमेल के साथ काम करें। यीशु का दिया काम पूरा करने के लिए, सच्चे मसीहियों को “कन्धे से कन्धा” मिलाकर सेवा करनी है। (सपन्याह 3:9) क्या अलग-अलग राष्ट्रों, भाषाओं और जातियों में यह काम एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन के बिना हो सकता है? नामुमकिन।

सच्चे मसीही एक-दूसरे को सहारा और हौसला देने के लिए संगठित हैं। मान लीजिए एक व्यक्‍ति पहाड़ पर अकेला चढ़ता है। ऐसे में उसके पास अपना रास्ता खुद तय करने की आज़ादी होगी और उसे किसी दूसरे की फिक्र नहीं करनी पड़ेगी। लेकिन अगर उसके साथ कोई हादसा हो जाता है या वह किसी मुसीबत में फँस जाता है, तो उसकी जान खतरे में पड़ जाएगी क्योंकि उसकी मदद के लिए वहाँ कोई नहीं होगा। खुद को दूसरों से अलग कर लेना, वाकई बहुत बड़ी मूर्खता है। (नीतिवचन 18:1) इसलिए यीशु का दिया काम पूरा करने के लिए मसीहियों को एक-दूसरे की मदद और सहारे की ज़रूरत है। (मत्ती 28:19, 20) मसीही मंडली में हमें बाइबल से हिदायतें, तालीम और हौसला मिलता है, ताकि हम इस काम में लगे रहें और हिम्मत न हारें। ज़रा सोचिए, अगर यहोवा की उपासना करने और उसकी हिदायतें पाने के लिए मसीही मंडली का इंतज़ाम नहीं होता, तो हमें परमेश्‍वर के निर्देश कहाँ से मिलते?—इब्रानियों 10:24, 25.

सच्चे मसीही, एकता में परमेश्‍वर की सेवा करने के लिए संगठित हैं। यीशु की भेड़ें उसकी आवाज़ सुनती हैं, इसलिए वे “एक झुंड” में रहती हैं। (यूहन्‍ना 10:16) वे अलग-अलग गिरजा-घरों और समूहों में नहीं बिखरी होतीं। बाइबल की बुनियादी शिक्षाओं के बारे में उनकी राय अलग-अलग नहीं होती, इसके बजाय वे ‘सब एक ही बात कहते’ हैं। (1 कुरिंथियों 1:10) एकता के लिए व्यवस्था की ज़रूरत होती है और व्यवस्था के लिए संगठन की। वही संगठन परमेश्‍वर की आशीष पा सकता है जो एकता से उसकी सेवा करता है।—भजन 133:1, 3.

लाखों लोग जो परमेश्‍वर और बाइबल की सच्चाइयों से प्यार करते हैं, एक ऐसे संगठन की ओर खिंचे चले आ रहे हैं जो परमेश्‍वर का संगठन होने की बाइबल में दी सभी माँगों को पूरा करता है। दुनिया-भर में यहोवा के साक्षी कंधे-से-कंधा मिलाकर और संगठित तौर पर परमेश्‍वर की मरज़ी पूरी कर रहे हैं। उन्हें परमेश्‍वर के इस वादे पर पूरा भरोसा है: “मैं उनके बीच रहूँगा और उनके बीच चलूँगा-फिरूँगा और मैं उनका परमेश्‍वर होऊँगा और वे मेरे लोग होंगे।” (2 कुरिंथियों 6:16) यह सुनहरी आशीष आपको भी मिल सकती है अगर आप यहोवा के संगठन के साथ मिलकर उसकी उपासना करें। (w11-E 06/01)

[फुटनोट]

^ एक माइकरोन या माइक्रोमीटर, एक मीटर का 10 लाखवाँ हिस्सा होता है।

^ इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स, भाग 2 के पेज 214-220 देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।

[पेज 13 पर तसवीर]

इसराएलियों की छावनी बहुत अच्छी तरह व्यवस्थित थी

[पेज 15 पर तसवीरें]

पूरी दुनिया में प्रचार करने के लिए एक अच्छी व्यवस्था की ज़रूरत है

घर-घर की प्रचार सेवा

राहत काम

सम्मेलन

उपासना घरों का निर्माण