परमेश्वर के करीब आने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
परमेश्वर के वचन से सीखिए
परमेश्वर के करीब आने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
इस लेख में कुछ ऐसे सवाल दिए गए हैं, जो शायद आपके मन में कभी उठे हों। इसमें बताया गया है कि आप इनके जवाब बाइबल में कहाँ पा सकते हैं। यहोवा के साक्षियों को आपके साथ इन सवालों पर चर्चा करने में खुशी होगी।
1. क्या परमेश्वर सभी लोगों की प्रार्थनाएँ सुनता है?
यहोवा सभी राष्ट्रों के लोगों को प्रार्थना के ज़रिए उसके करीब आने के लिए कहता है। (भजन 65:2) लेकिन वह सभी लोगों की प्रार्थनाएँ नहीं सुनता। उदाहरण के लिए, जब प्राचीन इसराएल के लोग बुरे कामों में लगे रहे, तो परमेश्वर ने उनकी प्रार्थनाएँ नहीं सुनीं। (यशायाह 1:15) इसके अलावा, अगर एक पति अपनी पत्नी के साथ बुरी तरह पेश आता है, तो उसकी प्रार्थनाओं में रुकावट आ सकती है। (1 पतरस 3:7) लेकिन अगर कोई पापी अपने गंभीर अपराधों के लिए पश्चाताप करता है, तो परमेश्वर उसकी प्रार्थना सुनता है।—2 इतिहास 33:9-13 पढ़िए।
2. हमें किस तरह प्रार्थना करनी चाहिए?
परमेश्वर से प्रार्थना करना एक बहुत बड़ा सम्मान है और यह हमारी उपासना का एक भाग है, इसलिए हमें सिर्फ यहोवा से प्रार्थना करनी चाहिए। (मत्ती 4:10; 6:9) हम सभी असिद्ध हैं और खुद से ‘पिता के पास नहीं आ सकते,’ इसलिए हमें यीशु के नाम से प्रार्थना करनी चाहिए क्योंकि उसी को परमेश्वर ने हमारे लिए “राह” ठहराया है। (यूहन्ना 14:6) यहोवा नहीं चाहता कि हम मुँहज़बानी या लिखी-लिखायी प्रार्थनाएँ दोहराते रहें। वह चाहता है कि हम दिल से प्रार्थना करें।—मत्ती 6:7; फिलिप्पियों 4:6, 7 पढ़िए।
हमारा सृष्टिकर्ता मन में कही प्रार्थनाएँ भी सुन सकता है। (1 शमूएल 1:12, 13) वह हमें हर मौके पर प्रार्थना करने का बढ़ावा देता है। जैसे कि हम दिन की शुरूआत और आखिर में प्रार्थना कर सकते हैं, खाने के समय या जब हम समस्याओं का सामना कर रहे होते हैं, तब भी प्रार्थना कर सकते हैं।—भजन 55:22; मत्ती 15:36 पढ़िए।
3. मसीही क्यों एक-साथ इकट्ठा होते हैं?
परमेश्वर के करीब आना आसान नहीं है क्योंकि हम ऐसे लोगों के बीच रहते हैं जो परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते और जो धरती पर शांति कायम करने के उसके वादे की खिल्ली उड़ाते हैं। (2 तीमुथियुस 3:1, 4; 2 पतरस 3:3, 13) इसलिए हमें संगी विश्वासियों के साथ मिलने-जुलने और उनसे हौसला-अफज़ाई पाने की ज़रूरत है।—इब्रानियों 10:24, 25 पढ़िए।
परमेश्वर के करीब आने के लिए ज़रूरी है कि आप उन लोगों से दोस्ती करें जो परमेश्वर से प्यार करते हैं। यहोवा के साक्षियों की सभाओं में हाज़िर होने से आपको दूसरों के विश्वास से फायदा पाने के ढेरों मौके मिलेंगे।—रोमियों 1:11, 12 पढ़िए।
4. आप परमेश्वर के करीब कैसे आ सकते हैं?
परमेश्वर के करीब आने के लिए ज़रूरी है कि आप उसके वचन से सीखी बातों पर मनन करें। परमेश्वर के कामों, उसके निर्देशनों और उसके वादों के बारे में सोचिए। प्रार्थना और मनन करने के ज़रिए आपके दिल में परमेश्वर के प्यार और उसकी बुद्धि के लिए सच्ची कदरदानी बढ़ेगी।—यहोशू 1:8; भजन 1:1-3 पढ़िए।
आप परमेश्वर के करीब तभी आ सकते हैं अगर आप उस पर भरोसा रखें और उस पर विश्वास करें। विश्वास की तुलना हम अपने शरीर से कर सकते हैं। ज़िंदा रहने के लिए जिस तरह हमें लगातार पोषण की ज़रूरत है, उसी तरह अपने विश्वास को बनाए रखने के लिए हमें देखते रहना होगा कि हमारे विश्वास का आधार क्या है।—1 थिस्सलुनीकियों 5:21; इब्रानियों 11:1, 6 पढ़िए।
5. परमेश्वर के करीब आने से आपको क्या फायदा होगा?
यहोवा उन लोगों की परवाह करता है, जो उससे प्यार करते हैं। वह अपने लोगों को ऐसी हर चीज़ से बचाता है, जो उनके विश्वास और हमेशा की ज़िंदगी पाने की आशा को खतरे में डाल सकती है। (भजन 91:1, 2, 7-10) वह हमें जीने के ऐसे तरीकों से खबरदार करता है, जिनसे हमारी खुशी और सेहत को खतरा हो सकता है। यहोवा हमें जीवन की सबसे बेहतरीन राह पर चलना सिखाता है।—भजन 73:27, 28; याकूब 4:4, 8 पढ़िए। (w11-E 09/01)
ज़्यादा जानकारी के लिए, बाइबल असल में क्या सिखाती है? इस किताब का अध्याय 17 देखिए। इसे यहोवा के साक्षियों ने प्रकाशित किया है।