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“नामुमकिन!” इसका मतलब क्या है?

“नामुमकिन!” इसका मतलब क्या है?

“नामुमकिन!” इसका मतलब क्या है?

टाइटैनिक जहाज़ सन्‌ 1912 में अपने सफर पर निकला। वह अपने समय का सबसे बड़ा और सबसे आरामदायक समुद्री जहाज़ था। उसके आधुनिक डिज़ाइन की वजह से कहा जाता था कि टाइटैनिक का “डूबना नामुमकिन” है। लेकिन फिर जो हुआ वह सभी जानते हैं। अपनी पहली यात्रा में ही वह उत्तरी अटलांटिक में बर्फ की एक चट्टान से टकराकर डूब गया। जहाज़ के साथ उसमें सफर कर रहे करीब 1,500 यात्री भी डूबकर मर गए। जिस जहाज़ के बारे में कहा जाता था कि उसका डूबना नामुमकिन है, वह कुछ ही घंटों में समुद्र की गहराइयों में समा गया।

शब्द “नामुमकिन” का मतलब अलग-अलग हो सकता है। हम किसी काम के बारे में कह सकते हैं कि उसे करना नामुमकिन है, या किसी चीज़ के बारे में कि उसे समझना नामुमकिन है, या किसी हालात के बारे में कि उसे सहना नामुमकिन है। आज विज्ञान ने जो तरक्की की है, उसे एक समय पर नामुमकिन माना जाता था क्योंकि उस समय वह बात इंसान की काबिलीयत के बाहर, यहाँ तक कि कल्पना के भी बाहर थी। इंसान का चाँद पर कदम रखना, मंगल ग्रह पर यान भेजना और उसे धरती से नियंत्रित करना, इंसान के डी.एन.ए. की पूरी-पूरी जानकारी पाना और दूसरे शहर या दुनिया के दूसरे हिस्से में हो रही घटना को उसी वक्‍त अपनी आँखों से देखना, ये सारी बातें आज मुमकिन हैं, जिन्हें बस 50 साल पहले तक नामुमकिन समझा जाता था। इस बारे में अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति रॉनल्ड रीगन ने एक बार विज्ञान के अलग-अलग क्षेत्र के प्रमुख लोगों को संबोधित करते हुए कहा था: “टेकनॉलजी के इस सुनहरे दौर में जीनेवाले आप लोगों ने कल की नामुमकिन चीज़ों को मुमकिन बना दिया है।”

आज के समय में जो हैरतअंगेज़ उपलब्धियाँ हासिल हो रही हैं, उसे ध्यान में रखते हुए प्रोफेसर जॉन ब्रोबेक ने कहा: “आज कोई वैज्ञानिक यह दावा नहीं कर सकता कि फलाँ चीज़ नामुमकिन है। वह सिर्फ इतना कह सकता है कि फिलहाल यह मुश्‍किल है। वह चीज़ नामुमकिन इस हिसाब से हो सकती है कि उसके बारे में अभी तक उतनी जानकारी नहीं मिली है।” प्रोफेसर आगे कहते हैं, जब कोई बात हमें वाकई नामुमकिन लगती है, तो उसे समझने के लिए “हमें अपने जैविक और मानव-विज्ञान में एक अनजाने ऊर्जा को शामिल करने की ज़रूरत होती है। हमारे शास्त्र में इस ऊर्जा के स्रोत को परमेश्‍वर की शक्‍ति कहा गया है।”

परमेश्‍वर के लिए सभी बातें मुमकिन हैं

सदियों पहले इस धरती पर एक महान पुरुष जीया था, जिसका नाम था यीशु मसीह। उसने कहा: “जो बातें इंसानों के लिए नामुमकिन हैं, वे परमेश्‍वर के लिए मुमकिन हैं।” (लूका 18:27) परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति पूरी कायनात की सबसे ताकतवर शक्‍ति है। उसे हम किसी भी तरह से नाप नहीं सकते। पवित्र शक्‍ति की मदद से हम वे काम भी कर सकते हैं, जो अपनी ताकत से करना हमारे लिए नामुमकिन है।

कई बार हमें लगता है कि हम जिस हालात में फँसे हैं, उसका सामना कर पाना हमारे लिए नामुमकिन है। जैसे, शायद हमारे किसी अज़ीज़ की मौत की वजह से हममें जीने की कोई आस न रह गयी हो। या हमारे जीवन-साथी के साथ हमारा रिश्‍ता इस हद तक बिगड़ गया हो कि अब साथ निभाना नामुमकिन लग रहा हो। या शायद हमें निराशा ने इस कदर घेर लिया हो कि कोई उम्मीद नज़र न आ रही हो। हम शायद बेबस और बेसहारा महसूस कर रहे हों। ऐसे में हम क्या कर सकते हैं?

बाइबल बताती है कि जो व्यक्‍ति, सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर पर विश्‍वास करता है, उसकी पवित्र शक्‍ति की मदद के लिए प्रार्थना करता है और परमेश्‍वर को खुश करने की हर मुमकिन कोशिश करता है, उसे बड़ी-से-बड़ी रुकावटें पार करने में परमेश्‍वर से मदद मिल सकती है। यीशु ने जो भरोसा दिलाया उस पर गौर कीजिए: “मैं तुमसे सच कहता हूँ कि जो कोई इस पहाड़ से कहे, ‘यहाँ से उखड़कर समुद्र में जा गिर,’ और अपने दिल में ज़रा भी शक न करे मगर विश्‍वास रखे कि जो वह कह रहा है वह हो जाएगा, तो उसके लिए वैसा ही हो जाएगा।” (मरकुस 11:23) जब हम परमेश्‍वर के वचन और उसकी पवित्र शक्‍ति को अपनी ज़िंदगी में असर करने देते है, तब हमारे लिए हर तरह के हालात का सामना करना मुमकिन हो जाता है।

एक व्यक्‍ति की मिसाल पर गौर कीजिए जिसकी पत्नी की मौत, कैंसर की वजह से हुई। उन दोनों ने 38 साल साथ गुज़ारे थे। पत्नी की मौत के बाद वह पूरी तरह टूट गया। उसे लगा कि अब उसका जीना नामुमकिन है। कभी-कभी वह सोचता था कि उसे भी मर जाना चाहिए। वह कहता है कि उसे लगता था मानो वह घोर अन्धकार से भरी हुई तराई में चल रहा है। जिस मुश्‍किल दौर का सामना करना उसे नामुमकिन लग रहा था उसे वह कैसे पार कर पाया? वह कहता है कि वह रो-रोकर परमेश्‍वर से प्रार्थना करता रहा, रोज़ाना बाइबल पढ़ता रहा और परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति का मार्गदर्शन तलाशता रहा। इन्हीं बातों ने उसे हिम्मत दी।

एक शादीशुदा जोड़े की ज़िंदगी में काफी परेशानियाँ खड़ी हो गयी थीं। पति अपनी पत्नी को बहुत मारता-पीटता था और उसमें कई बुरी आदतें भी थीं। पत्नी के लिए उसके साथ जीना नामुमकिन हो गया था। उसने खुदकुशी करने की कोशिश की। कुछ समय बाद, उसका पति यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल का अध्ययन करने लगा। वह जो कुछ सीखता गया, उससे वह अपनी बुरी आदतों और गुस्से पर काबू पा सका। ये “नामुमकिन” बदलाव देखकर उसकी पत्नी हैरान रह गयी।

एक दूसरे व्यक्‍ति को ड्रग्स की लत थी और वह बदचलन ज़िंदगी जीता था। उसे लगता था कि उसकी ज़िंदगी एक ऐसे दलदल में फँस चुकी है जहाँ से निकलने की कोई आशा नहीं। वह कहता है, “मैं अपना आत्म-सम्मान पूरी तरह खो चुका था।” ऐसे वक्‍त में उसने परमेश्‍वर से प्रार्थना की: “हे ईश्‍वर, मैं जानता हूँ कि आप कहीं हो। मेरी मदद कीजिए!” कुछ ही समय बाद वह यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल का अध्ययन करने लगा और नतीजा, वह अपनी ज़िंदगी में बड़े-बड़े बदलाव कर पाया। वह कहता है, “कई बार मेरा ज़मीर मुझे बहुत कचोटता था और मैं खुद को नकारा समझता था। कभी-कभी मैं बिलकुल निराश हो जाता था। लेकिन परमेश्‍वर के वचन की मदद से मैं इन बुरे खयालों से लड़ पाया। रात को जब मुझे नींद नहीं आती थी, तो मैं मन में बाइबल के उन वचनों को दोहराता था जो मुझे याद होते थे। इस तरह मैं अपना ध्यान अच्छी बातों पर लगा पाया।” आज उसकी शादी हो चुकी है और वह बहुत खुश है। वह अपनी पत्नी के साथ मिलकर दूसरों को परमेश्‍वर के वचन की शक्‍ति पर भरोसा करने में मदद देता है। जवानी में जब वह एक खराब ज़िंदगी जी रहा था, तब उसने सोचा भी नहीं होगा कि वह इतने बड़े-बड़े बदलाव करेगा।

इन अनुभवों से पता चलता है कि परमेश्‍वर के वचन में वाकई ताकत है और उसकी पवित्र शक्‍ति हमारी ज़िंदगी में “नामुमकिन” को भी मुमकिन बना सकती है। लेकिन शायद आप कहें, “इस सब के लिए विश्‍वास चाहिए!” जी हाँ, यह सच है। दरअसल बाइबल कहती है, “विश्‍वास के बिना परमेश्‍वर को खुश करना नामुमकिन है।” (इब्रानियों 11:6) लेकिन सोचिए: आपका एक अच्छा दोस्त जो शायद किसी बैंक का मैनेजर या किसी बड़े ओहदे पर काम करता है, आपसे कहता है: “परेशान मत हो। जब भी ज़रूरत हो मेरे पास आ जाना।” कोई शक नहीं कि उसके इस वादे से आपको बहुत तसल्ली मिलेगी। लेकिन दुख की बात है कि इंसान अकसर अपना वादा पूरा नहीं कर पाता। शायद आपके दोस्त के हालात इतने खराब हो जाएँ कि चाहकर भी उसके लिए अपना वादा पूरा कर पाना नामुमकिन हो जाए। या अगर आपके दोस्त की मौत हो जाती है, तो उसके नेक इरादे और आपकी मदद करने की काबिलीयत भी उसके साथ खत्म हो जाएगी। लेकिन परमेश्‍वर के साथ ऐसा कुछ नहीं हो सकता। बाइबल हमें भरोसा दिलाती है: “परमेश्‍वर के लिए कुछ भी असम्भव नहीं है।”लूका 1:37, अ न्यू हिंदी ट्रांस्लेशन।

“क्या तू इस पर विश्‍वास करती है?”

बाइबल में ऐसे कई वाकये दर्ज़ हैं, जो ऊपर दिए वचन को सच साबित करते हैं। कुछ उदाहरणों पर गौर कीजिए।

सारा नाम की 90 साल की एक स्त्री से जब कहा गया कि वह एक बेटे को जन्म देगी, तो वह हँसने लगी। लेकिन ऐसा ही हुआ, उसने एक बेटे को जन्म दिया और उसी से आगे चलकर इसराएल राष्ट्र बना। एक आदमी को एक बड़ी मछली ने निगल लिया। लेकिन वह तीन दिन तक उसके पेट में ज़िंदा रहा और जब वह बाहर निकला, तो उसने इस घटना के बारे में लिखा। उस आदमी का नाम था, योना। लूका नाम के एक व्यक्‍ति ने लिखा कि एक लड़का जिसका नाम युतुखुस था, ऊपर वाले कमरे की खिड़की से गिरकर मर गया, लेकिन फिर उसे ज़िंदा कर दिया गया। लूका एक डॉक्टर था और जानता था कि मौत और बेहोशी में क्या फर्क है। ये घटनाएँ किस्से-कहानियाँ नहीं हैं। अगर आप ध्यान से इन घटनाओं के बारे में खोजबीन करें, तो आप पाएँगे कि ये सभी सच हैं।—उत्पत्ति 18:10-14; 21:1, 2; योना 1:17; 2:1, 10; प्रेषितों 20:9-12.

यीशु ने मारथा नाम की एक स्त्री से यह हैरतअंगेज़ बात कही: “हर कोई जो ज़िंदा है और मुझ पर विश्‍वास दिखाता है, वह कभी न मरेगा।” भविष्य के बारे में किया गया यीशु का यह वादा सुनने में शायद नामुमकिन लगे, लेकिन इसके बाद यीशु ने मारथा से एक अहम सवाल किया: “क्या तू इस पर विश्‍वास करती है?” इस सवाल पर हमें भी गौर करना चाहिए।—यूहन्‍ना 11:26.

धरती पर हमेशा की ज़िंदगी—नामुमकिन?

एक वैज्ञानिक अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने यह लिखा: “वह समय दूर नहीं जब हमारी उम्र और भी लंबी होगी, शायद हम हमेशा तक जी पाएँगे।” द न्यू इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका बताती है कि मौत की वजह हमारी कोशिकाओं या दूसरी प्रक्रियाओं का कमज़ोर होना नहीं है, बल्कि कोई अनजानी वजह है जिससे शरीर की प्रक्रियाएँ गड़बड़ा जाती हैं या बंद पड़ जाती हैं। उसमें बताया गया: “शरीर की जटिल बनावट को नियंत्रित करनेवाली प्रक्रियाओं में रुकावट आने की वजह से शायद एक व्यक्‍ति बूढ़ा हो जाता है।”

इसमें कोई शक नहीं कि हमेशा तक जीने के बारे में विज्ञान जितने भी तर्क देता है वे बहुत दिलचस्प हैं, लेकिन इस बात पर विश्‍वास करने की सबसे बड़ी वजह बाइबल से मिलती है। हमारे जीवन का स्रोत, सृष्टिकर्ता यहोवा परमेश्‍वर वादा करता है कि “वह मृत्यु को सदा के लिये नाश करेगा।” (भजन 36:9; यशायाह 25:8) क्या आप इस वादे पर यकीन करते हैं? यह वादा यहोवा ने किया है और झूठ बोलना उसके लिए नामुमकिन है।—तीतुस 1:2. (w12-E 06/01)

[पेज 11 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

“कल की नामुमकिन चीज़ों को मुमकिन बना दिया [गया] है।”—रॉनल्ड रीगन

[पेज 12 पर बड़े अक्षरों में लेख की खास बात]

जब आप ज़िंदगी से ना-उम्मीद हो जाते हैं, तो आप किसकी ओर देखते हैं?

[पेज 11 पर चित्र का श्रेय]

NASA photo