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परमेश्‍वर के करीब आइए

क्या यहोवा सचमुच आपकी परवाह करता है?

क्या यहोवा सचमुच आपकी परवाह करता है?

“नाकाबिल होने की भावना मेरे लिए एक बड़ी रुकावट है, जिसका मैं सामना करने की कोशिश कर रही हूँ।” ये शब्द एक औरत ने कहे जो यहोवा परमेश्‍वर पर विश्‍वास तो करती थी, मगर वह सोचती थी कि उसमें ऐसा कुछ भी नहीं कि यहोवा उसकी परवाह करे। क्या आप भी ऐसा ही महसूस करते हैं? अगर ऐसा है, तो शायद आप पूछें कि क्या ‘यहोवा सचमुच अपने उपासकों में निजी तौर पर दिलचस्पी लेता है?’ बिलकुल लेता है! इसका सबूत हमें यीशु के कहे शब्दों में मिलता है।यूहन्‍ना 6:44 पढ़िए।

यीशु, जो यहोवा की शख्सियत और उसकी मरज़ी के बारे में सबसे बेहतर जानता है, क्या कहता है? (लूका 10:22) वह कहता है: “कोई भी इंसान मेरे पास तब तक नहीं आ सकता जब तक कि पिता, जिसने मुझे भेजा है, उसे मेरे पास खींच न लाए।” इसलिए हम कह सकते हैं कि एक इंसान यीशु का चेला और यहोवा का सेवक, तब तक नहीं बन सकता, जब तक कि खुद यहोवा उसे अपनी तरफ न खींचे। (2 थिस्सलुनीकियों 2:13) अगर आप यीशु के शब्दों पर गौर करें तो, आपको इस बात का ज़बरदस्त सबूत मिलेगा कि यहोवा सचमुच आपकी परवाह करता है।

‘यहोवा ने हमें खींचा है’ इन शब्दों का क्या मतलब है? शब्द ‘खींचने’ के लिए जो यूनानी क्रिया शब्द इस्तेमाल किया गया है, वही शब्द मछलियों से भरे जाल को खींचने के लिए भी इस्तेमाल हुआ है। (यूहन्‍ना 21:6, 11) तो क्या इसका मतलब यह है कि यहोवा हमें घसीटकर लाता है और ज़बरदस्ती हमसे अपनी सेवा करवाता है? नहीं। यहोवा ने हमें चुनाव करने की आज़ादी दी है, इसलिए वह हमें अपने करीब आने के लिए मजबूर नहीं करता। (व्यवस्थाविवरण 30:19, 20) बाइबल कहती है कि दुनिया के लाखों-करोड़ों लोगों में, यहोवा ऐसे लोगों को ढूँढ़ता है, जो सही मन रखते हैं। (1 इतिहास 28:9) जब उसे कोई ऐसा मिल जाता है, तो वह बड़े प्यार से पेश आता है। वह कैसे?

यहोवा ‘अच्छे मन’ रखनेवालों को अपनी तरफ खींचता है या यूँ कहिए कि यहोवा का प्यार ही लोगों को उसकी तरफ खींचता है। (प्रेषितों 13:48) यहोवा दो तरीकों से ऐसा करता है। पहला, बाइबल से खुशखबरी का संदेश हर एक व्यक्‍ति तक पहुँचाकर। दूसरा, पवित्र शक्‍ति की मदद देकर। जब यहोवा किसी ऐसे शख्स को देखता है, जिसका बाइबल सच्चाइयों की तरफ सही मन है, तो वह पवित्र शक्‍ति के ज़रिए उसे बाइबल सच्चाइयाँ समझने और लागू करने में मदद देता है। (1 कुरिंथियों 2:11, 12) यहोवा की मदद के बगैर, हम उसके उपासक और यीशु के सच्चे चेले नहीं बन सकते।

यहोवा ने हमें चुनाव करने की आज़ादी दी है, इसलिए वह हमें अपने करीब आने के लिए मजबूर नहीं करता

तो फिर, यूहन्‍ना 6:44 में दर्ज़ यीशु के शब्द हमें यहोवा के बारे में क्या सिखाते हैं? यहोवा लोगों में कुछ-न-कुछ अच्छा देखता है और उनकी परवाह करता है, इसलिए वह उन्हें अपनी तरफ खींचता है। यह सच्चाई जानकर उस औरत को बड़ा दिलासा मिला, जिसका ज़िक्र हमने लेख के शुरू में किया था। अब वह कहती है: “यहोवा का सेवक होना अपने आपमें एक बहुत बड़े सम्मान की बात है! और अगर उसने मुझे अपना सेवक चुना है, तो इसका मतलब वह मुझे अनमोल समझता है।” आपके बारे में क्या? यहोवा निजी तौर पर अपने उपासकों की परवाह करता है, क्या यह बात आपको उसके करीब आने के लिए नहीं उकसाती? ▪ (w13-E 05/01)

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