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रंगों का आप पर क्या असर होता है?

रंगों का आप पर क्या असर होता है?

जब आप अपने चारों ओर देखते हैं, तो आपकी आँखें और आपका दिमाग एक साथ काम करके जानकारी इकट्ठा करते हैं। आपकी नज़र फल के एक टुकड़े पर पड़ती है, आप उलझन में हैं इसे खाना चाहिए या नहीं। आप आसमान की ओर देखते हैं और अंदाज़ा लगाते हैं कि आज बारिश होगी या नहीं। आप जिन शब्दों को अभी देख रहे हैं, उसे पढ़कर समझने की कोशिश करते हैं। दरअसल यह सब क्या है? जी हाँ, ये सब रंगों का असर है जो हम पर पड़ता है।

फल का रंग देखकर आपको पता लगाता है कि फल पका है या कच्चा या फिर खाने के लिए मज़ेदार है। आसमान और बादलों का रंग आपकी मदद करता है, यह जानने में कि आखिर मौसम का मिज़ाज कैसा है। जैसे-जैसे आप इस लेख को पढ़ते हैं, आपकी आँखें शब्दों के रंग और उसके पीछे के रंगों के बीच ढल जाती हैं। है न अचरज की बात? इन बातों की फिक्र किए बगैर, हम रंगों की मदद से दुनिया-भर की जानकारी इकट्ठा कर लेते हैं। रंगों की एक और खासियत है, ये हमारी भावनाओं और जज़बातों पर भी गहरा असर करते हैं।

रंगों का जज़बातों पर असर

बड़ी-बड़ी दुकानें या मॉल के गलियारे से गुज़रते वक्‍त, वहाँ सजी चीज़ें आपको लुभाती हैं और आपकी आँखें वहीं थम जाती हैं। जी हाँ, विज्ञापन जगत में काम करनेवाले बड़े ध्यान से अलग-अलग रंगों का चुनाव करते हैं। इससे हर तरह के लोग, फिर चाहे वे आदमी, औरत, बच्चे या बुज़ुर्ग हों सबके अंदर इसे पाने की इच्छा जाग जाती है। इतना ही नहीं, जो लोग घर, कपड़े और मूर्तियों को सुंदर बनाते हैं, वे भी अच्छी तरह जानते हैं कि रंगों का हमारी भावनाओं और जज़बातों पर कितना गहरा असर होता है।

संस्कृति और रीति-रिवाज़ों के मुताबिक लोग रंगों का अलग-अलग मतलब निकालते हैं। मिसाल के लिए, एशिया में रहनेवाले कुछ लोग, लाल रंग को अच्छी किस्मत और जश्‍न के साथ जोड़ते हैं। लेकिन वहीं अफ्रीका में कुछ लोग इसी लाल रंग को मातम और शोक की निशानी मानते हैं। हमारी परवरिश चाहे किसी भी माहौल में हुई हो, हम अपने जज़बात अलग-अलग रंगों से जोड़ते हैं। आइए, ऐसे तीन रंगों पर गौर करें, जिनका हम पर असर होता है।

लाल रंग फौरन नज़र आता है। अकसर लाल रंग शक्‍ति, युद्ध और खतरे की निशानी समझा जाता है। इस रंग का हमारी भावनाओं पर बहुत गहरा असर होता है। ये हमारी पाचन शक्‍ति, साथ ही साँस लेने की रफ्तार और ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है।

पवित्र शास्त्र बाइबल में, “लाल” के लिए जो इब्रानी शब्द इस्तेमाल किया गया है, उसका मतलब है “लहू।” बाइबल में गहरा लाल या सुर्ख लाल जैसे शब्द, एक वेश्‍या की तस्वीर पेश करते हैं, जिसके हाथ कई लोगों के खून से रंगे हुए हैं। यह वेश्‍या बैंजनी और सुर्ख लाल रंग का लिबास पहने हुए ‘सुर्ख लाल रंग के एक जंगली जानवर पर बैठी हुई है जो निंदा करनेवाले नामों से भरा हुआ है।’—प्रकाशितवाक्य 17:1-6.

हरा रंग, लाल रंग की तुलना में बिलकुल उलटा असर करता है। इससे शरीर की पाचन शक्‍ति धीमी पड़ जाती है और यह मन को सुकून पहुँचाता है। हरा रंग शांति की निशानी है और अकसर इसे अमन-चैन भरे माहौल के साथ जोड़ा जाता है। पहाड़ की चोटियों की हरियाली और हरे-भरे बगीचे को देखकर आँखों को कितनी ठंडक मिलती है। बाइबल की पहली किताब उत्पत्ति, जिसमें दुनिया की सृष्टि के बारे में लिखा है, कहती है कि परमेश्‍वर ने हम इंसानों के लिए हरी-हरी घास और हरे-हरे पेड़-पौधे दिए हैं।—उत्पत्ति 1:11, 12, 29, 30.

सफेद रंग अकसर रौशनी, सुरक्षा और शुद्धता के साथ जोड़ा जाता है। यह रंग अच्छाई, सीधापन और पवित्रता जैसे गुणों से मेल खाता है। सफेद एक ऐसा रंग है, जिसका परमेश्‍वर के वचन में कई बार ज़िक्र किया गया है। बाइबल में ऐसे कई दर्शन दर्ज़ हैं, जिनमें इंसानों और स्वर्गदूतों को सफेद कपड़े पहने हुए दिखाया गया है, जो नेकी और आध्यात्मिक शुद्धता की निशानी हैं। (यूहन्‍ना 20:12; प्रकाशितवाक्य 3:4; 7:9, 13, 14) सफेद घोड़ों पर सफेद और साफ मलमल पहने हुए सवार, नेकी की लड़ाई को दर्शाते हैं। (प्रकाशितवाक्य 19:14) परमेश्‍वर हमारे पापों को माफ करने के लिए तैयार रहता है, इस बात पर ज़ोर देने के लिए वह सफेद रंग का इस्तेमाल करता है। इसलिए वह कहता है: “तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के हों, तौभी वे हिम की नाईं उजले हो जाएंगे; और चाहे अर्गवानी [‘गहरा लाल’, एन.डब्ल्यू.] रंग के हों, तौभी वे ऊन के समान श्‍वेत हो जाएंगे।”—यशायाह 1:18.

अलग-अलग रंग, बातों को याद रखने में मदद करते हैं

बाइबल में जिस तरह रंगों का इस्तेमाल किया गया है, उससे पता चलता है कि परमेश्‍वर बहुत अच्छी तरह जानता है कि रंगों का इंसानी जज़बातों पर गहरा असर होता है। मिसाल के लिए, प्रकाशितवाक्य कि किताब में आज के हालात बयान किए गए हैं। जैसे युद्ध, अकाल, अचानक हुई मौत, खाने की तंगी और महामारी। इन्हें एक दर्शन के ज़रिए भी बताया गया है, जिसमें घोड़े और उस पर सवार व्यक्‍ति दिखाए गए हैं। ये कोई मामूली घोड़े नहीं हैं बल्कि अलग-अलग रंग के घोड़े हैं, जो हमें बातों को याद रखने में मदद देते हैं।

पहला है सफेद रंग वाला घोड़ा, जो नेकी से लड़ी, यीशु मसीह की लड़ाई को दर्शाता है। दूसरा है लाल रंग, जो राष्ट्रों के बीच के युद्ध को दर्शाता है। इसके बाद आता है काले रंग का घोड़ा, जो खतरे की निशानी है और यह अकाल को दर्शाता है। अब आता है, “एक हल्के पीले रंग का मरियल सा घोड़ा” जिसके “सवार का नाम था मौत।” (प्रकाशितवाक्य 6:1-8) हरेक घोड़े के रंग से हमारे अंदर जो भावनाएँ उमड़ती हैं, उनका घोड़ों के मतलब से गहरा नाता है। हम बड़ी आसानी से अलग-अलग रंग के इन घोड़ो को, साथ ही इनके ज़रिए सिखायी बातों को भी याद रख पाते हैं।

बाइबल में ऐसी कई मिसालें दी गयी हैं, जिनमें रंगों का इस्तेमाल करके बातों को बेहतरीन तरीके से उजागर किया गया है। जी हाँ, हमारा सृष्टिकर्ता जो रौशनी, रंग और हमारी आँखों का बनानेवाला है, उसने क्या ही बेहतरीन तरीके से बातों को सिखाने और मन में एक तस्वीर खींचने के लिए रंगों का इस्तेमाल किया है। इससे पढ़नेवाला बातों को आसानी से समझ पाता है और उसे याद भी रख पाता है। अलग-अलग रंग जानकारी इकट्ठा करने और उसके मुताबिक काम करने में हमारी मदद करते हैं। इनके ज़रिए हम ज़रूरी मुद्दों को याद रख पाते हैं। क्या आपको नहीं लगता कि अलग-अलग रंग सृष्टिकर्ता की तरफ से मिला एक तोहफा है। रंग हमारी भावनाओं पर असर करते हैं। रंग हमें ज़रूरी मुद्दों को याद रखने में मदद देते हैं। जी हाँ, अलग-अलग रंग सृष्टिकर्ता की तरफ से मिला एक प्यार-भरा तोहफा है, ताकि हम ज़िंदगी का मज़ा ले सकें। ▪ (w13-E 10/01)