ज़िंदगी सँवार देती है बाइबल
मैंने जाना कि यहोवा दयालु है और माफ करनेवाला है
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जन्म: 1954
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देश: कनाडा
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उसका अतीत: धोखेबाज़, जुआरी
मेरा बीता कल:
मेरी परवरिश मॉन्ट्रिऑल शहर के एक पिछड़े इलाके में हुई थी। जब मैं 6 महीने का था, तब मेरे पिता की मौत हो गयी और घर की सारी ज़िम्मेदारी मेरी माँ पर आ गयी। हम आठ भाई-बहन थे और मैं सबसे छोटा था।
जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, मैं आए दिन ड्रग्स लेने लगा, जुआ खेलने लगा, मार-पीट करने लगा और गैर-कानूनी काम करनेवालों के साथ उठने-बैठने लगा। दस साल की उम्र में मैं वेश्याओं और ऐसे लोगों के लिए छोटे-मोटे काम करने लगा, जो बहुत ज़्यादा ब्याज पर पैसे उधार दिया करते थे। मैं अकसर झूठ बोलता था और अलग-अलग तरीकों से लोगों को ठगने में मुझे बहुत मज़ा आता था। यह मेरे लिए नशे की तरह था।
चौदह साल का होते-होते, मैं लोगों को लूटने में माहिर हो गया। मिसाल के लिए, मैं बड़ी तादाद में सोने के पानी से चढ़ी हुई घड़ियाँ, कंगन और अँगूठियाँ खरीदता था और इन पर 14 कैरट सोने की मोहर लगाकर इन्हें सड़कों पर और शॉपिंग मॉल की पार्किंग में बेचा करता था। आसानी से पैसा कमाने का मुझ पर जुनून सवार हो गया था। एक बार तो मैंने एक दिन में 10,000 डॉलर (करीब 5 लाख रुपए) बनाए!
मुझे सुधारने के लिए एक स्कूल में भर्ती किया गया, लेकिन 15 साल की उम्र में मुझे वहाँ से निकाल दिया गया। अब मेरे पास रहने की कोई जगह नहीं थी। मैं कभी सड़क किनारे सोता था, कभी किसी पार्क में, तो कभी किसी दोस्त के घर पर।
इस तरह लोगों को ठगने की वजह से कई बार पुलिस मुझसे पूछताछ करती थी। मैं चोरी का माल नहीं बेचता था, इसलिए मुझे कभी जेल नहीं हुई। लेकिन लोगों को ठगने, फरेब करने और बिना लाइसेंस के चीज़ें बेचने की वजह से कई बार मुझे भारी जुरमाना भरना पड़ा। मैं अब भी उन लोगों के लिए काम करता था, जो ज़्यादा ब्याज पर पैसा उधार देते थे। मैं किसी से नहीं डरता था, इसलिए मैं उन लोगों से पैसा लेने भी जाता था, जिन्होंने उधार लिया था। यह काम खतरे से खाली नहीं था, इसलिए कई बार मैं अपने साथ बंदूक लेकर जाता था। कई मौकों पर मैंने गिरोह के साथ मिलकर गैर-कानूनी काम भी किए।
बाइबल ने किस तरह मेरी ज़िंदगी बदल दी:
मैंने पहली बार बाइबल के बारे में उस वक्त जाना, जब मैं सिर्फ 17 साल का था और अपनी दोस्त के साथ रह रहा था। वह यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल से सीखने लगी थी। लेकिन मैं बाइबल में दिए नैतिक स्तरों पर नहीं चलना चाहता था, इसलिए मैंने उसे छोड़ दिया और किसी दूसरी लड़की के साथ रहने लगा, जिसके साथ मैं मिलने-जुलने लगा था।
राज-घर में होनेवाली सभा में हाज़िर होने का न्यौता कबूल किया। वहाँ मेरा स्वागत ऐसे लोगों ने किया, जो बहुत ही अच्छे थे। ये लोग उन लोगों से कितने अलग थे, जिनके साथ मैं उठता-बैठता था। मेरे परिवार ने कभी-भी मुझसे प्यार नहीं किया था। मैं बचपन से उनका प्यार पाने के लिए तरस रहा था। लेकिन अब यहोवा के साक्षियों से मुझे वह प्यार मिला। और जब उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं बाइबल के बारे में सीखना चाहता हूँ, तो मैं खुशी-खुशी तैयार हो गया।
जब मेरी इस दोस्त ने भी यहोवा के साक्षियों के साथ बाइबल पर चर्चा करनी शुरू कर दी, तो मेरी ज़िंदगी बदल गयी! उसने अपनी ज़िंदगी में बहुत बदलाव किए और मैं इस बात से बहुत खुश था कि उसका स्वभाव धीरे-धीरे शांत होता जा रहा था और वह सब्र से पेश आने लगी थी। मैंने यहोवा के साक्षियों केमैं बाइबल से जो सीख रहा था, उन बातों ने मेरी ज़िंदगी बचा ली। वह कैसे? दरअसल जुआ खेलने की वजह से मुझ पर 50,000 डॉलर (करीब 25 लाख रुपए) का कर्ज़ था। इसे चुकाने के लिए मैं दो साथियों के साथ मिलकर डकैती करनेवाला था। लेकिन मुझे इस बात की इतनी खुशी है कि मैंने फैसला किया कि मैं ऐसा नहीं करूँगा! क्यों? क्योंकि मेरे दो साथियों ने वह डकैती की, लेकिन उनमें से एक को गिरफ्तार कर लिया गया और दूसरे को मारा डाला गया।
जैसे-जैसे मैं बाइबल से और ज़्यादा सीखने लगा, मुझे एहसास हुआ कि मुझे अपनी ज़िंदगी में बहुत-से बदलाव करने की ज़रूरत है। जैसे, मैंने सीखा कि बाइबल में लिखा है, “न चोर, न लालची, न पियक्कड़, न गाली-गलौज करनेवाले और न दूसरों का धन ऐंठनेवाले परमेश्वर के राज के वारिस होंगे।” (1 कुरिंथियों 6:10) जब मैंने यह बात पढ़ी, तो मुझे एहसास हुआ कि मैं जिस तरह की ज़िंदगी जी रहा था, वह कितनी गलत थी, और यह सोचकर मेरी आँखें भर आयीं। मैं समझ गया कि मुझे अपनी ज़िंदगी पूरी तरह बदलनी होगी। (रोमियों 12:2) मैं बहुत खूँखार स्वभाव का था और मेरी पूरी ज़िंदगी झूठ पर टिकी थी।
लेकिन बाइबल से मैंने यह भी जाना कि यहोवा दयालु है और दिल खोलकर माफ करता है। (यशायाह 1:18) मैंने गिड़गिड़ाकर यहोवा से प्रार्थना की कि वह मुझे अपनी ज़िंदगी में बदलाव करने में मदद करे। यहोवा की मदद से धीरे-धीरे मैं अपनी शख्सियत में सुधार करने लगा। मेरी ज़िंदगी में एक बहुत बड़ा बदलाव तब आया, जब मैंने अपनी गर्लफ्रैंड से शादी की।
मैं आज इसलिए ज़िंदा हूँ, क्योंकि मैंने बाइबल में दिए सिद्धांतों को लागू किया
जब मैंने शादी की तो मैं 24 साल का था और हमारे तीन बच्चे थे। अब मुझे अपने परिवार का पेट पालने के लिए ऐसी नौकरी ढूँढ़नी थी, जो कानूनी तौर पर जायज़ हो। मैं ज़्यादा पढ़ा-लिखा नहीं था और मेरी सिफारिश करनेवाला भी कोई नहीं था। एक बार फिर मैंने दिल खोलकर यहोवा से प्रार्थना की। और फिर मैं नौकरी ढूँढ़ने निकल पड़ा। नौकरी के लिए इंटरव्यू देते वक्त मैं मालिकों से कहता था कि मैं अपनी ज़िंदगी बदलना चाहता हूँ और ईमानदारी से काम करना चाहता हूँ। कई बार मैं उन्हें बताता था कि मैं बाइबल के बारे में सीख रहा हूँ और एक अच्छा नागरिक बनना चाहता हूँ। कई लोगों ने मुझे नौकरी पर रखने से इनकार कर दिया। आखिरकार, जब मैंने एक इंटरव्यू में खुलकर अपनी अतीत के बारे में बताया, तो इंटरव्यू लेनेवाले व्यक्ति ने मुझसे कहा, “पता नहीं क्यों, मगर मुझे ऐसा लगता है कि मुझे आपको नौकरी पर रखना चाहिए।” मेरा मानना है कि यह मेरी प्रार्थनाओं का जवाब था। समय के चलते, मैंने और मेरी पत्नी ने बपतिस्मा ले लिया और हम यहोवा के साक्षी बन गए।
मुझे क्या फायदा हुआ:
मैं आज इसलिए ज़िंदा हूँ, क्योंकि मैंने बाइबल में दिए सिद्धांतों को लागू किया। हमारा परिवार आज बहुत खुश है। और मेरा ज़मीर साफ है, क्योंकि मुझे पूरा यकीन है कि यहोवा ने मुझे माफ कर दिया है।
पिछले 14 सालों से मैं लोगों को बाइबल से सिखाने के काम में हर महीने करीब 70 घंटे बिताता आया हूँ और हाल ही में मेरी पत्नी ने भी मेरे साथ यह काम करना शुरू किया है। पिछले 30 साल के दौरान, मैंने अपने साथ काम करनेवाले 22 लोगों को यहोवा के बारे में जानने में मदद की है और अब वे उसकी उपासना करते हैं। मैं आज भी शॉपिंग मॉल जाता हूँ, लेकिन पहले की तरह लोगों को लूटने नहीं! आज जब मैं वहाँ जाता हूँ, तो मैं अकसर दूसरों को भी वे अच्छी बातें बताता हूँ, जो मैंने बाइबल से सीखी हैं। मैं उन्हें भविष्य में आनेवाली एक ऐसी दुनिया में जीने की आशा देना चाहता हूँ, जहाँ कोई धोखेबाज़ नहीं होगा।—भजन 37:10, 11. ▪ (w15-E 05/01)