क3
बाइबल हम तक कैसे पहुँची
बाइबल परमेश्वर की तरफ से है और उसी ने इसे लिखवाया है और आज तक सुरक्षित रखा है। उसने बाइबल में यह बात दर्ज़ करवायी है:
“हमारे परमेश्वर का वचन हमेशा तक कायम रहता है।”—यशायाह 40:8.
परमेश्वर का वचन वाकई आज तक कायम है, इसके बावजूद कि न तो इब्रानी और अरामी शास्त्र a की, न ही यूनानी शास्त्र की शुरू की कोई भी हस्तलिपि आज तक बची है। पर हम क्यों पक्का यकीन रख सकते हैं कि आज हमारे हाथ में जो बाइबल है उसमें सचमुच वही लिखा है जो शुरू में परमेश्वर ने अपनी प्रेरणा से लिखवाया था?
परमेश्वर के वचन की नकल तैयार करनेवालों ने इसे सुरक्षित रखा
आइए पहले इब्रानी शास्त्र के बारे में देखें। इसमें आज भी वही संदेश मिलता है जो शुरू में लिखा गया था। इसकी एक वजह है कि पुराने ज़माने में परमेश्वर ने यह दस्तूर ठहराया था कि शास्त्र की नकलें तैयार की जाएँ। b मिसाल के लिए, यहोवा ने हुक्म दिया था कि इसराएल का हर राजा अपने लिए कानून की किताब की एक नकल तैयार करे। (व्यवस्थाविवरण 17:18) इसके अलावा, परमेश्वर ने लेवियों को ज़िम्मेदारी दी थी कि वे कानून की किताब सँभालकर रखें और लोगों को सिखाया करें। (व्यवस्थाविवरण 31:26; नहेमायाह 8:7) फिर जब यहूदी लोग बँधुआई में बैबिलोन गए तो इसके बाद नकल-नवीसों या शास्त्रियों का एक समूह बना (जिन्हें सोफेरिम भी कहते हैं) जो शास्त्र की नकलें तैयार करता था। (एज्रा 7:6, फुटनोट) वक्त के चलते उन शास्त्रियों ने इब्रानी शास्त्र की 39 किताबों की ढेरों नकलें तैयार कीं।
सदियों तक शास्त्री बड़े ही ध्यान से इन किताबों की नकलें तैयार करते रहे। फिर मध्य युग (करीब ईसवी सन् 500 से 1500) में इस परंपरा को यहूदी शास्त्रियों के एक और समूह ने जारी रखा जिन्हें मसोरा शास्त्री कहा जाता था। इब्रानी शास्त्र की जो हस्तलिपियाँ आज उपलब्ध हैं उनमें सबसे पुरानी हस्तलिपियों को लेनिनग्राड कोडेक्स कहा जाता है। पूरे इब्रानी शास्त्र की इन हस्तलिपियों को मसोरा शास्त्रियों ने तैयार किया था और ये ईसवी सन् 1008/1009 के समय की हैं। लेकिन सन् 1950 के आस-पास के सालों में मृत सागर के पास कुछ खर्रे मिले जिनमें बाइबल की कुछ 220 हस्तलिपियाँ और उसके कुछ टुकड़े थे। ये हस्तलिपियाँ लेनिनग्राड कोडेक्स से 1,000 साल से भी ज़्यादा पुरानी हैं। जब मृत सागर के पास मिले खर्रों की तुलना लेनिनग्राड कोडेक्स से की गयी तो एक अहम बात सामने आयी। वह यह कि मृत सागर के पास मिले खर्रों और लेनिनग्राड कोडेक्स के बीच भले ही शब्दों में थोड़ा-बहुत फर्क है फिर भी दोनों एक ही जानकारी देते हैं।
मसीही यूनानी शास्त्र की 27 किताबों के बारे में क्या? ये किताबें यीशु मसीह के कुछ प्रेषितों और शुरू के कुछ चेलों ने लिखी थीं। यहूदी शास्त्रियों की तरह शुरू के मसीही भी इन किताबों की नकलें तैयार करते थे। (कुलुस्सियों 4:16) रोमी सम्राट डायक्लीशन और दूसरों ने शुरू के मसीहियों की सारी हस्तलिपियाँ नष्ट करने की कोशिश की थी, मगर फिर भी हज़ारों हस्तलिपियाँ और उनके टुकड़े हमारे दिनों तक महफूज़ हैं।
मसीही यूनानी शास्त्र का दूसरी भाषाओं में भी अनुवाद किया गया था। शुरू में जिन प्राचीन भाषाओं में बाइबल का अनुवाद किया गया था उनमें से कुछ हैं, आर्मीनियन, कॉप्टिक, इथियोपिक, जॉर्जियन, लातीनी और सीरियाई।
किस इब्रानी और यूनानी पाठ से अनुवाद किया जाए?
बाइबल की पुरानी हस्तलिपियों की जो नकलें तैयार की गयी थीं, वे सब शब्द-ब-शब्द एक जैसी नहीं हैं। तो फिर हम कैसे जान सकते हैं कि शुरू में जब बाइबल की किताबें लिखी गयीं तो उनमें क्या जानकारी थी?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए एक मिसाल लीजिए। एक टीचर 100 विद्यार्थियों से कहता है कि वे फलाँ किताब का एक अध्याय शब्द-ब-शब्द लिखें। बाद में अगर वह किताब गुम हो जाए, तो भी उन 100 विद्यार्थियों ने जो नकलें तैयार की हैं उनकी आपस में तुलना करके पता लगाया जा सकता है कि किताब के उस अध्याय में असल में क्या लिखा था। हो सकता है कि विद्यार्थी नकलें तैयार करते वक्त कुछ गलतियाँ करें, मगर यह नामुमकिन है कि सभी विद्यार्थी एक जैसी गलतियाँ करें। उसी तरह बाइबल की किताबों की जो हज़ारों हस्तलिपियाँ और उनके टुकड़े आज उपलब्ध हैं, उनकी आपस में तुलना करने पर विद्वान पता लगा सकते हैं कि उन नकलों को तैयार करते वक्त कौन-सी गलतियाँ हुई थीं और मूल पाठ में असल में क्या लिखा था।
“हम पूरे दावे के साथ कह सकते हैं कि ऐसी कोई और प्राचीन किताब नहीं जिसे बिना किसी फेरबदल के हम तक सही-सही पहुँचाया गया हो”
क्या हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि बाइबल के मूल पाठ में जो बातें दर्ज़ थीं वह हम तक सही-सही पहुँचायी गयी हैं? इब्रानी शास्त्र के पाठ के बारे में विद्वान विलियम एच. ग्रीन ने कहा, “हम पूरे दावे के साथ कह सकते हैं कि ऐसी कोई और प्राचीन किताब नहीं जिसे बिना किसी फेरबदल के हम तक सही-सही पहुँचाया गया हो।” मसीही यूनानी शास्त्र के बारे में, जिसे अकसर नया नियम कहा जाता है, बाइबल के विद्वान एफ. एफ. ब्रूस ने लिखा, “पुराने ज़माने के मशहूर लेखकों की ऐसी कई रचनाएँ हैं जिनकी सच्चाई पर सवाल उठाने के बारे में कोई सपने में भी नहीं सोच सकता, मगर उन रचनाओं के मुकाबले हमारे नए नियम की किताबों के सच होने के सबूत कहीं ज़्यादा हैं।” उन्होंने यह भी कहा, “अगर नए नियम की किताबें धार्मिक किताबें नहीं होतीं तो उनकी सच्चाई पर शायद ही कोई शक करता।”
इब्रानी पाठ: अँग्रेज़ी में इब्रानी शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद (1953-1960) तैयार करने के लिए रूडॉल्फ किटल के बिब्लीया हेब्राइका पाठ का इस्तेमाल किया गया था। इसके बाद के सालों में इब्रानी पाठ के नए संस्करण तैयार किए गए जो बिब्लीया हेब्राइका स्टुटगारटनस्या और बिब्लीया हेब्राइका क्विंटा कहलाते हैं। मृत सागर के पास मिले खर्रों और दूसरी प्राचीन हस्तलिपियों के अध्ययन से हाल में जो जानकारी मिली वह भी उन दोनों संस्करणों में शामिल की गयी। इन संस्करणों में लेनिनग्राड कोडेक्स को मुख्य पाठ में डाला गया है, साथ ही इसके फुटनोट में दूसरी हस्तलिपियों से मिली जानकारी दी गयी है, जैसे सामरी पंचग्रंथ, मृत सागर के पास मिले खर्रे, यूनानी सेप्टुआजेंट, अरामी टारगम, लातीनी वल्गेट और सीरियाई पेशीटा। अँग्रेज़ी में नयी दुनिया अनुवाद का नया संस्करण तैयार करते वक्त बिब्लीया हेब्राइका स्टुटगारटनस्या और बिब्लीया हेब्राइका क्विंटा की मदद ली गयी।
यूनानी पाठ: 19वीं सदी के आखिर में विद्वान बी. एफ. वेस्कॉट और एफ.जे.ए. हॉर्ट ने उस समय उपलब्ध बाइबल की हस्तलिपियों और उनके टुकड़ों की तुलना करके यूनानी शास्त्र का एक मानक पाठ तैयार किया। यह पाठ उनके हिसाब से मूल हस्तलिपियों से काफी मिलता-जुलता है। सन् 1950 के आस-पास के सालों में ‘नयी दुनिया बाइबल अनुवाद समिति’ ने वेस्कॉट और हॉर्ट के इस मानक पाठ के आधार पर यूनानी शास्त्र का एक अनुवाद तैयार किया था। साथ ही, समिति ने कुछ पुरानी पपाइरस हस्तलिपियों की भी मदद ली थी। माना जाता है कि ये पपाइरस हस्तलिपियाँ ईसवी सन् दूसरी और तीसरी सदी की हैं। इसके बाद के सालों में कई और पपाइरस हस्तलिपियाँ भी मिलीं। यही नहीं, नेसले और आलान्ड और ‘यूनाइटेड बाइबल सोसाइटीस’ ने भी अपने मानक पाठ तैयार किए जिनमें विद्वानों की खोजबीन से मिली सबसे ताज़ा जानकारी दी गयी है। इस खोजबीन की कुछ जानकारी नयी दुनिया अनुवाद के नए अँग्रेज़ी संस्करण में शामिल की गयी है।
इन सभी मानक पाठों को देखने पर साफ हो जाता है कि मसीही यूनानी शास्त्र के पुराने अनुवादों (जैसे किंग जेम्स वर्शन ) में दी गयी कुछ आयतें दरअसल परमेश्वर की प्रेरणा से लिखे शास्त्र में कभी नहीं थीं, बल्कि बाद में शास्त्रियों ने नकलें तैयार करते वक्त उन्हें अपनी तरफ से जोड़ दिया था। आजकल की कई बाइबलों में इन आयतों का अनुवाद नहीं किया गया है पर बाकी आयतों की संख्या उसी क्रम के अनुसार रखी गयी है जो 16वीं सदी में ठहराया गया था। वे आयतें हैं, मत्ती 17:21; 18:11; 23:14; मरकुस 7:16; 9:44, 46; 11:26; 15:28; लूका 17:36; 23:17; यूहन्ना 5:4; प्रेषितों 8:37; 15:34; 24:7; 28:29 और रोमियों 16:24. इस बाइबल में ये आयतें हटा दी गयी हैं और उन पर फुटनोट दिया गया है।
यह साफ है कि मरकुस 16 (आयत 9-20) में दी लंबी और छोटी समाप्ति साथ ही, यूहन्ना 7:53–8:11 की आयतें मूल हस्तलिपियों में नहीं थीं। इसलिए इन नकली आयतों का इस बाइबल में अनुवाद नहीं किया गया है।
ज़्यादातर विद्वानों का मानना है कि कुछ आयतों को फलाँ तरीके से लिखना चाहिए ताकि वे मूल पाठ से पूरी तरह मेल खाएँ। इसलिए इस बाइबल में उन आयतों को मूल पाठ के मुताबिक सुधारा गया है। मिसाल के लिए, कुछ हस्तलिपियों के मुताबिक मत्ती 7:13 में यह लिखा होना चाहिए: “सँकरे फाटक से अंदर जाओ क्योंकि चौड़ा है वह फाटक और खुला है वह रास्ता, जो विनाश की तरफ ले जाता है और उस पर जानेवाले बहुत हैं।” अँग्रेज़ी नयी दुनिया अनुवाद के पिछले संस्करण में “वह फाटक” शामिल नहीं किया गया था मगर नए संस्करण में इसे शामिल किया गया है। इस तरह और भी कई सुधार किए गए हैं। लेकिन ये सुधार छोटे-मोटे शब्दों को लेकर हैं और इनसे परमेश्वर के वचन का खास संदेश नहीं बदलता।
a यहाँ से आगे इसे इब्रानी शास्त्र कहा गया है।
b हस्तलिपियों की नकलें तैयार करने की एक वजह यह थी कि शुरू की हस्तलिपियाँ ऐसी चीज़ों से बनी थीं जो पुरानी होकर नष्ट हो जातीं।