अय्यूब 16:1-22
16 अय्यूब ने कहा,
2 “इस तरह की बातें मैंने खूब सुनी हैं,
दिलासा देना तो दूर, तुम सब मेरी तकलीफ और बढ़ा रहे हो।+
3 क्या तुम्हारी खोखली बातें कभी खत्म होंगी?
तुम मुझसे इस तरह बात क्यों कर रहे हो?
4 अगर तुम मेरी जगह होते,
तो मैं भी इस तरह की बातें कर सकता था,लंबे-लंबे भाषण झाड़ सकता था,सिर हिला-हिलाकर तुम्हारी खिल्ली उड़ा सकता था।+
5 मगर मैं ऐसा नहीं करता बल्कि अपने शब्दों से तुम्हें हिम्मत देता,अपनी बातों से तुम्हारा दुख हलका करता।+
6 मेरा दर्द न तो बोलने से दूर हो रहा है,+न चुप रहने से कम हो रहा है।
7 अब तो परमेश्वर ने मेरी हिम्मत तोड़ दी,+मेरा घर-परिवार तबाह कर दिया।
8 उसने मुझे भी इस कदर दबोचा कि मेरा शरीर कुम्हला गयाऔर मेरी हालत मेरे खिलाफ गवाही दे रही है।
9 गुस्से में आकर उसने मुझे फाड़ डाला,
वह मुझसे दुश्मनी पाल रहा है,+मुझे देखकर दाँत पीसता है,मेरा दुश्मन मुझे आँखें दिखाता है।+
10 लोग मेरे खिलाफ अपना मुँह खोलते हैं,+थप्पड़ मारकर मेरी बेइज़्ज़ती करते हैं,भीड़ लगाकर मुझे घेर लेते हैं।+
11 परमेश्वर ने मुझे जवान लड़कों के हवाले कर दिया,मुझे खींचकर दुष्टों के हाथ कर दिया।+
12 मैं चैन से जी रहा था, पर उसने मुझे हिलाकर रख दिया,+मेरी गरदन पकड़कर मुझे रौंद डाला,फिर खड़ा करके मुझे अपना निशाना बनाया।
13 उसके तीरंदाज़ मुझे घेरे हुए हैं,+वह मुझ पर बिलकुल तरस नहीं खाता,मेरे गुरदों को भेदता है,+ मेरे पित्त को ज़मीन पर उँडेल देता है।
14 मुझ पर वार-पे-वार करता है, मानो शहरपनाह तोड़ रहा हो,योद्धा की तरह मुझ पर टूट पड़ता है।
15 मैंने टाट सीकर पहन लिया है,+मैं इतना लाचार हूँ कि धूल में बैठा हूँ।*+
16 रो-रोकर मेरा चेहरा लाल हो गया है,+मेरी आँखों में उदासी* है,
17 जबकि मैंने किसी का कुछ नहीं बिगाड़ाऔर मेरी प्रार्थनाएँ सच्ची और निष्कपट हैं।
18 हे धरती, मेरे खून को मत ढकना,+
मेरे रोने की आवाज़ दबा न देना।
19 देखो! मेरा गवाह स्वर्ग में है,मेरे पक्ष में बोलनेवाला ऊपर बैठा है।
20 मेरे साथी मेरा मज़ाक उड़ाते हैं+और मैं परमेश्वर के आगे आँसू बहाता हूँ।*+
21 जैसे दो आदमियों के बीच मामला सुलझाया जाता है,वैसे ही कोई तो आए, जो मेरे और परमेश्वर के बीच न्याय करे,+
22 क्योंकि समय बहुत कम रह गया है,जल्द ही मैं उस राह पर चला जाऊँगा, जहाँ से लौटकर नहीं आऊँगा।+
कई फुटनोट
^ शा., “मैंने अपना सींग मिट्टी में गाड़ दिया है।”
^ या “मौत का साया।”
^ या शायद, “को ऐसे देखता हूँ मानो मेरी नींद उड़ गयी हो।”