उत्पत्ति 4:1-26
4 आदम ने अपनी पत्नी हव्वा के साथ संबंध रखे और वह गर्भवती हुई।+ जब हव्वा ने कैन+ को जन्म दिया तो उसने कहा, “मैंने यहोवा की मदद से एक बेटे को जन्म दिया है।”
2 बाद में उसने कैन के भाई हाबिल+ को जन्म दिया।
बड़ा होकर हाबिल चरवाहा बना और कैन किसान।
3 एक दिन कैन ने ज़मीन की उपज में से कुछ चीज़ें लाकर यहोवा को अर्पित कीं।
4 मगर हाबिल ने अपनी भेड़ों में से कुछ पहलौठे मेम्ने और उनकी चरबी बलिदान में चढ़ायी।+ यहोवा ने हाबिल और उसके बलिदान को तो मंज़ूर किया,+
5 मगर कैन और उसके चढ़ावे को मंज़ूर नहीं किया। यह देखकर कैन गुस्से से भर गया और उसका मुँह उतर गया।
6 तब यहोवा ने कैन से कहा, “तू क्यों इतने गुस्से में है? तेरा मुँह क्यों उतरा हुआ है?
7 अगर तू अच्छे काम करने लगे तो क्या मैं तुझे मंज़ूर नहीं करूँगा? लेकिन अगर तू अच्छाई की तरफ न फिरे, तो जान ले कि पाप तुझे धर-दबोचने के लिए दरवाज़े पर घात लगाए बैठा है। इसलिए तू पाप करने की इच्छा को काबू में कर ले।”
8 इसके बाद कैन ने अपने भाई हाबिल से कहा, “आओ, हम मैदान में चलें।” जब वे मैदान में थे तब कैन ने अपने भाई हाबिल पर हमला किया और उसे मार डाला।+
9 बाद में यहोवा ने कैन से कहा, “तेरा भाई हाबिल कहाँ है?” उसने कहा, “मुझे क्या पता? मैं क्या अपने भाई का रखवाला हूँ?”
10 तब परमेश्वर ने कहा, “यह तूने क्या कर डाला? सुन! तेरे भाई का खून ज़मीन से चीख-चीखकर मुझे न्याय की दुहाई दे रहा है।+
11 इसलिए अब मैं तुझे शाप देता हूँ कि तू इस जगह से खदेड़ दिया जाएगा, जिसने अपना मुँह खोलकर तेरे हाथों तेरे भाई का खून पीया है।+
12 जब तू ज़मीन जोतेगा तो वह तुझे अच्छी उपज* नहीं देगी। तू एक भगोड़े की ज़िंदगी जीएगा और धरती पर मारा-मारा फिरेगा।”
13 तब कैन ने यहोवा से कहा, “तूने मेरी गलती की इतनी बड़ी सज़ा दी है, मैं इसे कैसे सह पाऊँगा?
14 आज तू मुझे इस जगह से भगा रहा है और अपनी नज़रों से दूर कर रहा है। तूने मुझे भगोड़ा बनने और धरती पर मारा-मारा फिरने के लिए छोड़ दिया है। अगर मैं किसी के हाथ पड़ गया तो वह मुझे ज़रूर मार डालेगा।”
15 तब यहोवा ने उससे कहा, “नहीं, ऐसा नहीं होगा। अगर किसी ने कैन का खून किया, तो बदले में उसे सात गुना ज़्यादा कड़ी सज़ा दी जाएगी।”
फिर यहोवा ने कैन के लिए एक निशानी ठहरायी ताकि कोई उसे पाने पर मार न डाले।
16 फिर कैन यहोवा के सामने से चला गया और अदन के पूरब में+ भगोड़ों के देश* में जा बसा।
17 बाद में कैन ने अपनी पत्नी+ के साथ संबंध रखे और वह गर्भवती हुई और उसने हनोक को जन्म दिया। फिर कैन ने एक शहर बनाया और अपने बेटे के नाम पर शहर का नाम हनोक रखा।
18 बाद में हनोक से ईराद पैदा हुआ। ईराद से महूयाएल पैदा हुआ, महूयाएल से मतूशाएल और मतूशाएल से लेमेक पैदा हुआ।
19 लेमेक ने दो औरतों से शादी की। पहली का नाम आदा था और दूसरी का सिल्ला।
20 आदा ने याबाल को जन्म दिया। याबाल ने ही तंबुओं में रहने और मवेशी पालने के काम की शुरूआत की थी।
21 उसके भाई का नाम यूबाल था। उसने सुरमंडल और बाँसुरी बजाने की शुरूआत की थी।
22 सिल्ला ने तूबल-कैन को जन्म दिया। तूबल-कैन ताँबे और लोहे के हर तरह के औज़ार बनाता था। उसकी बहन थी नामा।
23 फिर लेमेक ने आदा और सिल्ला के लिए, जो उसकी पत्नियाँ थीं, यह कविता रची:
“लेमेक की पत्नियो, मेरी आवाज़ सुनो,मेरी बात पर कान लगाओ:
मैंने एक आदमी को मार डाला जिसने मुझे ज़ख्मी किया,हाँ, एक जवान आदमी को, जिसने मुझ पर वार किया।
24 अगर कैन के कातिल को 7 गुना ज़्यादा कड़ी सज़ा दी जाएगी,+तो लेमेक के कातिल को 77 गुना ज़्यादा कड़ी सज़ा दी जाए।”
25 आदम ने फिर से अपनी पत्नी के साथ संबंध रखे और उसने एक बेटे को जन्म दिया। हव्वा ने उसका नाम शेत*+ रखा क्योंकि उसने कहा, “परमेश्वर ने हाबिल की जगह मुझे एक और वंश दिया है, क्योंकि कैन ने हाबिल को मार डाला।”+
26 शेत का भी एक बेटा हुआ और शेत ने उसका नाम एनोश+ रखा। उन दिनों लोगों ने यहोवा का नाम पुकारना शुरू किया।