एज्रा 8:1-36

8  राजा अर्तक्षत्र के राज में मेरे साथ बैबिलोन से लौटनेवाले मुखियाओं और उनके घरानों के नाम की सूची यह है:+  फिनेहास के बेटों*+ में से गेरशोम; ईतामार+ के बेटों में से दानियेल; दाविद के बेटों में से हत्तूश;  शकन्याह और परोश के बेटों में से जकरयाह और उसके साथ 150 आदमी जिनके नाम सूची में हैं;  पहत-मोआब के बेटों+ में से जरहयाह का बेटा एल्यहो-एनै और उसके साथ 200 आदमी;  जत्तू के बेटों+ में से यहजीएल का बेटा शकन्याह और उसके साथ 300 आदमी;  आदीन के बेटों+ में से योनातान का बेटा एबेद और उसके साथ 50 आदमी;  एलाम के बेटों+ में से अतल्याह का बेटा यशाया और उसके साथ 70 आदमी;  शपत्याह के बेटों+ में से मीकाएल का बेटा जबद्याह और उसके साथ 80 आदमी;  योआब के बेटों में से यहीएल का बेटा ओबद्याह और उसके साथ 218 आदमी; 10  बानी के बेटों में से योसिप्याह का बेटा शलोमीत और उसके साथ 160 आदमी; 11  बेबई के बेटों+ में से जकरयाह, जो बेबई का बेटा था और उसके साथ 28 आदमी; 12  अजगाद के बेटों+ में से हक्कातान का बेटा योहानान और उसके साथ 110 आदमी; 13  अदोनीकाम के बचे हुए बेटे+ यानी एलीपेलेत, यीएल और शमायाह और उनके साथ 60 आदमी; 14  और बिगवै के बेटों+ में से ऊतै और जब्बूद और उनके साथ 70 आदमी। 15  मैंने इन आदमियों को उस नदी के पास इकट्ठा किया जो अहवा की ओर बहती थी।+ हमने वहाँ तीन दिन तक डेरा डाला। जब मैंने लोगों और याजकों की जाँच-परख की तो मुझे एक भी लेवी न मिला। 16  तब मैंने एलीएज़ेर, अरीएल, शमायाह, एलनातान, यारीब, एलनातान, नातान, जकरयाह और मशुल्लाम को बुलवाया जो अगुवे थे। मैंने योयारीब और एलनातान को भी बुलवाया जो शिक्षक थे। 17  मैंने उन्हें इद्दो के पास जाने का आदेश दिया जो कासिप्या का अगुवा था। और इद्दो और उसके भाइयों को, जो मंदिर के सेवक* थे और कासिप्या में रहते हैं यह संदेश देने को कहा कि हमारे परमेश्‍वर के भवन के लिए सेवकों को लाओ। 18  हमारा परमेश्‍वर हमारे साथ था इसलिए शेरेब्याह,+ उसके बेटों और भाइयों को लाया गया, पूरे 18 आदमी। शेरेब्याह सूझ-बूझ से काम करनेवाला आदमी था। वह इसराएल के बेटे लेवी और लेवी के पोते महली के वंश+ से था। 19  इसके अलावा, हशब्याह को और मरारियों+ में से यशाया, उसके भाइयों और उनके बेटों को भी लाया गया, पूरे 20 आदमी। 20  और मंदिर के सेवकों* में से 220 आदमी लाए गए, जिन्हें भवन में सेवा करने के लिए चुना गया था। मंदिर के सेवकों* को दाविद और हाकिमों ने लेवियों की मदद के लिए रखा था। 21  फिर मैंने अहवा नदी के पास उपवास की घोषणा की ताकि हम अपने परमेश्‍वर के सामने खुद को नम्र करें और उससे बिनती करें कि वह सफर में हमारे साथ रहे और हम अपने बच्चों और सामान के साथ सही-सलामत अपने देश पहुँचें। 22  रास्ते में दुश्‍मनों से बचने के लिए राजा से सैनिक और घुड़सवार माँगने में मुझे संकोच हो रहा था क्योंकि मैंने राजा से कहा था, “हमारे परमेश्‍वर का हाथ उन सब पर रहता है जो उसकी खोज में रहते हैं।+ मगर जो उसे छोड़ देते हैं उसका क्रोध उन पर भड़क उठता है और वह उनके खिलाफ अपनी शक्‍ति दिखाता है।”+ 23  इसलिए हमने उपवास किया और हिफाज़त के लिए परमेश्‍वर से बिनती की और उसने हमारी सुन ली।+ 24  फिर मैंने याजकों के प्रधानों में से 12 को चुनकर अलग किया। शेरेब्याह, हशब्याह+ और उनके 10 भाइयों को। 25  मैंने उनके सामने वह सोना-चाँदी और बरतन तौले जो राजा, उसके सलाहकारों, उसके हाकिमों और सभी इसराएलियों ने परमेश्‍वर के भवन के लिए दान किए थे।+ 26  मैंने यह सब तौलकर उन्हें सौंपा: 650 तोड़े* चाँदी, चाँदी के 100 बरतन जिनकी कीमत 2 तोड़ों के बराबर थी, 100 तोड़े सोना, 27  सोने की 20 कटोरियाँ जिनकी कीमत 1,000 दर्कनोन* के बराबर थी और दमकते लाल रंग के बढ़िया ताँबे के 2 बरतन, जो सोने जितने कीमती थे। 28  तब मैंने उनसे कहा, “तुम यहोवा की नज़र में पवित्र हो+ और ये बरतन भी पवित्र हैं। और यह सोना-चाँदी तुम्हारे पुरखों के परमेश्‍वर यहोवा के लिए भेंट में दिया गया है। 29  इसलिए यरूशलेम पहुँचने तक इन्हें सँभालकर रखना। और वहाँ यहोवा के भवन के भंडार-घरों में याजकों और लेवियों के प्रधानों और इसराएली कुलों के हाकिमों के सामने इन्हें तौलकर दे देना।”+ 30  तब याजकों और लेवियों ने सोना-चाँदी और उन बरतनों को लिया जो उन्हें तौलकर दिए गए थे ताकि उन्हें यरूशलेम में अपने परमेश्‍वर के भवन में ला सकें। 31  फिर पहले महीने+ के 12वें दिन हमने अहवा नदी से अपना डेरा उठाया+ और हम यरूशलेम की ओर चल दिए। हमारा परमेश्‍वर हमारे साथ था और पूरे सफर में वह दुश्‍मनों और घात लगानेवालों से हमारी हिफाज़त करता रहा। 32  यरूशलेम पहुँचने पर+ हम तीन दिन वहाँ रहे। 33  चौथे दिन हम सोना-चाँदी और बरतन लेकर परमेश्‍वर के भवन में गए। वहाँ हमने इन्हें तौलकर उरीयाह के बेटे, याजक मरेमोत+ के हवाले कर दिया।+ मरेमोत के साथ, फिनेहास का बेटा एलिआज़र और लेवियों में से येशू का बेटा योजाबाद+ और बिन्‍नूई+ का बेटा नोअद्याह भी वहाँ मौजूद था। 34  सब चीज़ों को गिनकर और तौलकर उनका पूरा वज़न लिख लिया गया। 35  ये लोग जो बैबिलोन की बँधुआई से छूटकर वापस अपने देश आए थे, उन्होंने पूरे इसराएल की तरफ से इसराएल के परमेश्‍वर को इन जानवरों की होम-बलि चढ़ायी: 12 बैल,+ 96 मेढ़े,+ 77 मेम्ने और पाप-बलि के तौर पर 12 बकरे।+ यह सब यहोवा के लिए होम-बलि थी।+ 36  इसके बाद, हमने महानदी*+ के इस पार रहनेवाले राजा के सूबेदारों और राज्यपालों को राजा का फरमान दिया।+ उन्होंने लोगों की मदद की और सच्चे परमेश्‍वर के भवन के काम में सहयोग दिया।+

कई फुटनोट

इस अध्याय में “बेटे” का मतलब “वंशज” भी हो सकता है।
या “नतीन लोग।” शा., “दिए गए लोग।”
या “नतीन लोगों।” शा., “दिए गए लोगों।”
या “नतीन लोगों।” शा., “दिए गए लोगों।”
एक तोड़ा 34.2 किलो के बराबर था। अति. ख14 देखें।
दर्कनोन सोने का एक फारसी सिक्का था। अति. ख14 देखें।
या “फरात नदी।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो