गिनती 4:1-49
4 यहोवा ने अब मूसा और हारून से कहा,
2 “लेवी के बेटों में से कहात के बेटों+ की गिनती उनके घरानों और पिता के कुलों के मुताबिक लेना।
3 तुम उन सबकी गिनती लेना जिनकी उम्र 30+ से 50+ के बीच है और जो भेंट के तंबू में सेवा के लिए ठहराए गए दल के लोग हैं।+
4 कहात के बेटों को भेंट के तंबू में यह सेवा करनी है।+ उनकी सेवा ऐसी चीज़ों से जुड़ी है जो बहुत पवित्र हैं।
5 जब भी इसराएली दूसरी जगह के लिए रवाना होंगे, तो हारून और उसके बेटे तंबू में आकर गवाही के संदूक के पासवाला परदा+ उतारेंगे और उससे संदूक+ ढक देंगे।
6 वे उस पर सील मछली की खाल से बनी चादर डालेंगे और उसके ऊपर एक मज़बूत नीला कपड़ा डालेंगे और संदूक में वे डंडे+ डालेंगे जिनके सहारे वह उठाया जाएगा।
7 वे नज़राने की रोटी की मेज़+ पर भी एक नीला कपड़ा बिछाएँगे और उस पर थालियाँ, प्याले, कटोरे और वे सुराहियाँ रखेंगे जिनसे अर्घ चढ़ाया जाता है।+ नियमित तौर पर चढ़ायी जानेवाली रोटी+ मेज़ पर ही रहने दी जाए।
8 उन सबके ऊपर वे एक सुर्ख लाल कपड़ा डालेंगे और फिर उसे सील मछली की खाल से बनी चादर से ढक देंगे और मेज़ में वे डंडे+ डालेंगे जिनके सहारे वह उठायी जाएगी।
9 इसके बाद वे एक नीला कपड़ा लेंगे और उससे रौशनी के लिए जलायी जानेवाली दीवट,+ उसके दीए,+ चिमटे, आग उठाने के करछे+ और दीवट के लिए तेल रखनेवाले सारे बरतन ढक देंगे।
10 वे दीवट और उसके साथ इस्तेमाल होनेवाली सारी चीज़ें सील मछली की खाल से बनी एक चादर में लपेटेंगे और उन्हें एक डंडे पर रख देंगे ताकि उन्हें ढोकर ले जा सकें।
11 वे सोने की वेदी+ के ऊपर एक नीला कपड़ा डालेंगे और फिर उसे सील मछली की खाल से बनी एक चादर से ढक देंगे और वेदी में वे डंडे+ डालेंगे जिनके सहारे उसे उठाया जाएगा।
12 फिर वे पवित्र जगह की सेवा में हमेशा इस्तेमाल होनेवाली सारी चीज़ें लेंगे+ और उन्हें एक नीले कपड़े में लपेटेंगे। फिर वे उन्हें सील मछली की खाल से बनी एक चादर से ढककर एक डंडे पर रख देंगे ताकि उन्हें ढोकर ले जा सकें।
13 उन्हें वेदी से सारी राख* हटानी चाहिए+ और फिर वेदी पर बैंजनी ऊन का एक कपड़ा डालना चाहिए।
14 वे उस पर वेदी के साथ इस्तेमाल होनेवाली सारी चीज़ें रखेंगे, जैसे आग उठाने के करछे, काँटे, बेलचे और कटोरे।+ फिर वे उन्हें सील मछली की खाल से बनी चादर से ढक देंगे। वे वेदी में डंडे+ डालेंगे जिनके सहारे वह उठायी जाएगी।
15 जब भी इसराएली दूसरी जगह के लिए रवाना होते हैं, तो हारून और उसके बेटों को चाहिए कि वे पवित्र जगह की सारी चीज़ें ढक दें।+ फिर कहात के बेटे आकर वे चीज़ें उठाएँगे।+ मगर उन्हें पवित्र जगह की चीज़ें हरगिज़ नहीं छूनी चाहिए, वरना वे मर जाएँगे।+ भेंट के तंबू की इन चीज़ों की ज़िम्मेदारी* कहात के बेटों की है।
16 हारून याजक का बेटा एलिआज़र+ इन चीज़ों की देखरेख की निगरानी करेगा: दीए जलाने के लिए तेल,+ सुगंधित धूप,+ नियमित तौर पर चढ़ाया जानेवाला अनाज का चढ़ावा और अभिषेक का तेल।+ पूरे पवित्र डेरे और उसके अंदर के सारे सामान की, यानी तंबू और उसकी सब चीज़ों की देखरेख की निगरानी करना एलिआज़र की ज़िम्मेदारी है।”
17 यहोवा ने मूसा और हारून से यह भी कहा,
18 “तुम इस बात का ध्यान रखना कि लेवियों में से कहाती कुल के घराने+ कभी नाश न हों।
19 उनकी खातिर यह काम करना ताकि वे ज़िंदा रहें और उन चीज़ों के पास आने की वजह से मर न जाएँ जो बहुत पवित्र हैं।+ हारून और उसके बेटे तंबू के अंदर जाकर हरेक कहाती को बताएँगे कि उसे क्या सेवा करनी है और कौन-सा सामान उठाना है।
20 कहातियों को अंदर आकर उसमें रखी पवित्र चीज़ें एक पल के लिए भी नहीं देखनी चाहिए, वरना वे मर जाएँगे।”+
21 फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
22 “गेरशोन के बेटों+ की गिनती उनके घरानों और पिता के कुलों के मुताबिक लेना।
23 तू उन सबके नाम लिखना जिनकी उम्र 30 से 50 के बीच है और जो भेंट के तंबू में सेवा के लिए ठहराए गए दल के लोग हैं।
24 गेरशोनियों के घरानों को इन चीज़ों की देखरेख करने और उठाने का काम सौंपा जाता है:+
25 पवित्र डेरे के कपड़े,+ भेंट का तंबू ढकने की चादर, उसके ऊपर डाली जानेवाली चादर और सील मछली की खाल से बनी चादर,+ भेंट के तंबू के द्वार का परदा,+
26 आँगन की कनातें,+ वेदी और डेरे के चारों तरफ के आँगन के द्वार का परदा,+ तंबू की रस्सियाँ और उनके साथ इस्तेमाल होनेवाली सारी चीज़ें और औज़ार। यही उनकी ज़िम्मेदारी है।
27 गेरशोनी+ जो भी सेवा करेंगे और जो भी भार उठाएँगे, वह सब हारून और उसके बेटों की निगरानी में होना चाहिए। तुम गेरशोनियों को यह सारा भार उठाने का काम सौंपना।
28 भेंट के तंबू में गेरशोनियों के घरानों को यही सेवा करनी है।+ उन्हें अपनी ज़िम्मेदारी हारून याजक के बेटे ईतामार के निर्देशों के मुताबिक निभानी होगी।+
29 तू मरारी के बेटों+ के नाम उनके घरानों और पिता के कुल के मुताबिक लिखना।
30 तू उन सबके नाम लिखना जिनकी उम्र 30 से 50 के बीच है और जो भेंट के तंबू में सेवा के लिए ठहराए गए दल के लोग हैं।
31 भेंट के तंबू से जुड़ी उनकी सेवा है, ये सारी चीज़ें उठाना:+ पवित्र डेरे की चौखटें,+ डंडे,+ खंभे,+ खाँचेदार चौकियाँ,+
32 चारों तरफ के आँगन के खंभे,+ उनकी खाँचेदार चौकियाँ,+ खूँटियाँ,+ तंबू की रस्सियाँ और इन सबसे जुड़ा सारा सामान। उन्हें इन चीज़ों से जुड़ी सभी सेवाएँ करनी हैं। तू उनमें से हरेक को बताना कि कौन-सा सामान उठाना उसकी ज़िम्मेदारी है।
33 मरारी के बेटों के घरानों+ को भेंट के तंबू में यही सेवा करनी है। वे हारून याजक के बेटे ईतामार के निर्देशों के मुताबिक काम करेंगे।”+
34 तब मूसा, हारून और मंडली के प्रधानों+ ने कहातियों के उन सभी बेटों+ का नाम उनके घरानों और पिता के कुल के मुताबिक लिखा,
35 जिनकी उम्र 30 से 50 के बीच थी और जो भेंट के तंबू में सेवा के लिए ठहराए गए दल के थे।+
36 जिन लोगों के नाम उनके घरानों के मुताबिक लिखे गए उनकी कुल गिनती 2,750 थी।+
37 कहातियों के घरानों में से उन सबके नाम लिखे गए और वे सब भेंट के तंबू में सेवा करते थे। मूसा और हारून ने उन सबके नाम लिखे, ठीक जैसे यहोवा ने मूसा के ज़रिए आदेश दिया था।+
38 गेरशोन के उन बेटों+ के नाम उनके घरानों और पिता के कुल के मुताबिक लिखे गए,
39 जिनकी उम्र 30 से 50 के बीच थी और जो भेंट के तंबू में सेवा के लिए ठहराए गए दल के थे।
40 जिन लोगों के नाम उनके घरानों और पिता के कुल के मुताबिक लिखे गए उनकी कुल गिनती 2,630 थी।+
41 गेरशोन के बेटों के घरानों से उन सबके नाम लिखे गए और वे सब भेंट के तंबू में सेवा करते थे। मूसा और हारून ने यहोवा के आदेश पर उनके नाम लिखे।+
42 मरारी के उन बेटों के नाम उनके घरानों और पिता के कुल के मुताबिक लिखे गए,
43 जिनकी उम्र 30 से 50 के बीच थी और जो भेंट के तंबू में सेवा के लिए ठहराए गए दल के थे।+
44 जिन लोगों के नाम उनके घरानों के मुताबिक लिखे गए उनकी कुल गिनती 3,200 थी।+
45 मरारी के बेटों के घरानों से उन सबके नाम लिखे गए। मूसा और हारून ने उनके नाम लिखे, ठीक जैसे यहोवा ने मूसा के ज़रिए आदेश दिया था।+
46 मूसा, हारून और इसराएल के प्रधानों ने उन सभी लेवियों के नाम उनके अपने-अपने घराने और पिता के कुल के मुताबिक लिखे।
47 उन लेवियों की उम्र 30 से 50 के बीच थी और उन सबको भेंट के तंबू में सेवा करने और तंबू का सामान उठाने के लिए ठहराया गया था।+
48 जितने लेवियों के नाम लिखे गए उनकी कुल गिनती 8,580 थी।+
49 यहोवा ने मूसा के ज़रिए जो आदेश दिया था, उसी के मुताबिक उनके नाम लिखे गए। हरेक को सेवा की जो ज़िम्मेदारी दी गयी थी और जो सामान उठाने का काम सौंपा गया था, उसी के मुताबिक उसका नाम लिखा गया, ठीक जैसे यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।