तीतुस के नाम चिट्ठी 2:1-15
2 मगर तू वही बातें बताता रह जो खरी* शिक्षा के मुताबिक हैं।+
2 बुज़ुर्ग आदमी हर बात में संयम बरतनेवाले हों, गंभीर हों, सही सोच रखते हों, उनका विश्वास मज़बूत हो, वे प्यार से भरपूर हों और धीरज धरनेवाले हों।
3 इसी तरह, बुज़ुर्ग औरतों का बरताव ऐसा हो जैसा पवित्र लोगों को शोभा देता है। वे बदनाम करनेवाली न हों, बहुत ज़्यादा दाख-मदिरा पीने की आदी न हों बल्कि अच्छी बातें सिखानेवाली हों
4 ताकि वे जवान औरतों को सलाह दें* कि वे अपने पति और बच्चों से प्यार करें,
5 सही सोच रखें, साफ चरित्र बनाए रखें। साथ ही वे अपने घर का काम-काज* करनेवाली, भली और अपने पति के अधीन रहनेवाली हों+ ताकि परमेश्वर के वचन की बदनामी न हो।
6 इसी तरह जवान भाइयों को बढ़ावा देता रह कि वे सही सोच रखें।+
7 और तू खुद भी सब बातों में बढ़िया काम करने की मिसाल रख। पूरी गंभीरता से ऐसी बातें सिखा जो शुद्ध हैं*+
8 और अच्छी* बातें बता जिनमें कोई दोष न निकाल सके+ ताकि हमारे विरोधी शर्मिंदा हों और उन्हें हमारे खिलाफ कुछ बुरा कहने का मौका न मिले।+
9 जो दास हैं वे सब बातों में अपने मालिकों के अधीन रहें,+ उन्हें खुश करें, पलटकर जवाब न दें,
10 उनका कुछ न चुराएँ+ बल्कि पूरी तरह भरोसेमंद रहें ताकि वे हर तरह से हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर की शिक्षा की शोभा बढ़ा सकें।+
11 परमेश्वर की महा-कृपा ज़ाहिर की गयी है जो सब किस्म के लोगों को उद्धार दिलाती है।+
12 यह हमें सिखाती है कि हम भक्तिहीन कामों और दुनियावी इच्छाओं को ठुकराएँ+ और इस दुनिया* में सही सोच रखते हुए और नेकी और परमेश्वर की भक्ति के साथ जीवन बिताएँ।+
13 और उस वक्त का इंतज़ार करते रहें जब हमारी वह आशा पूरी होगी+ जो हमें खुशी देती है और महान परमेश्वर और हमारे उद्धारकर्ता मसीह यीशु की महिमा प्रकट होगी।
14 मसीह ने खुद को हमारे लिए दे दिया+ ताकि हमें हर तरह की बुराई से छुड़ाए*+ और शुद्ध करके हमें ऐसे लोग बना ले जो उसकी खास जागीर हों और बढ़िया कामों के लिए जोशीले हों।+
15 तू उन्हें ये सारी बातें बताता रह, उन्हें समझाता* रह और पूरे अधिकार के साथ उनका सुधार करता रह।+ कोई भी तुझे नीचा न देखे।
कई फुटनोट
^ या “स्वास्थ्यकर; फायदेमंद।”
^ या “के होश ठिकाने लाएँ; सिखाएँ।”
^ या “घर की देखभाल।”
^ या शायद, “शुद्धता से सिखा।”
^ या “स्वास्थ्यकर; फायदेमंद।”
^ शा., “हमारे लिए फिरौती दे।”
^ या “उनका हौसला बढ़ाता।”