निर्गमन 20:1-26
20 फिर परमेश्वर ने ये सारी आज्ञाएँ बतायीं:+
2 “मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा हूँ जो तुम्हें गुलामी के घर, मिस्र से बाहर निकाल लाया।+
3 मेरे सिवा तुम्हारा कोई और ईश्वर न हो।*+
4 तुम अपने लिए कोई मूरत न तराशना। ऊपर आसमान में, नीचे ज़मीन पर और पानी में जो कुछ है, उनमें से किसी के भी आकार की कोई चीज़ न बनाना।+
5 तुम उनके आगे दंडवत न करना और न ही उनकी पूजा करने के लिए बहक जाना,+ क्योंकि मैं तुम्हारा परमेश्वर यहोवा माँग करता हूँ कि सिर्फ मेरी भक्ति की जाए, मुझे छोड़ किसी और की नहीं।+ जो मुझसे नफरत करते हैं उनके गुनाह की सज़ा मैं उनके बेटों, पोतों और परपोतों को भी देता हूँ।
6 मगर जो मुझसे प्यार करते हैं और मेरी आज्ञाएँ मानते हैं, उनकी हज़ारों पीढ़ियों से मैं प्यार* करता हूँ।+
7 तुम अपने परमेश्वर यहोवा के नाम का गलत इस्तेमाल न करना,+ क्योंकि जो उसके नाम का गलत इस्तेमाल करता है उसे यहोवा सज़ा दिए बिना नहीं छोड़ेगा।+
8 सब्त का दिन याद से मनाया करना और इसे पवित्र मानना।+
9 घर-बाहर का जो भी काम या मज़दूरी हो, तुम छ: दिन तक करना।+
10 मगर सातवाँ दिन तुम्हारे परमेश्वर यहोवा के लिए अलग ठहराया गया सब्त है। इस दिन न तुम, न तुम्हारे बेटे-बेटियाँ, न तुम्हारे दास-दासियाँ और न ही तुम्हारी बस्तियों में* रहनेवाले परदेसी कोई काम करें। तुम अपने जानवरों से भी कोई काम न कराना।+
11 यहोवा ने आकाश, धरती, समुंदर और जो कुछ उनमें है, सबको छ: दिनों में बनाया और सातवें दिन से वह विश्राम करने लगा।+ इसीलिए यहोवा ने सब्त के दिन पर आशीष दी और उसे पवित्र ठहराया।
12 अपने पिता और अपनी माँ का आदर करना,+ तब तुम उस देश में लंबी ज़िंदगी जीओगे जो तुम्हारा परमेश्वर यहोवा तुम्हें देनेवाला है।+
13 तुम खून न करना।+
14 तुम व्यभिचार* न करना।+
15 तुम चोरी न करना।+
16 जब तुम्हें अपने संगी-साथी के खिलाफ गवाही देनी हो तो तुम झूठी गवाही न देना।+
17 तुम अपने संगी-साथी के घर का लालच न करना। तुम उसकी पत्नी या उसके दास-दासी या उसके बैल या गधे या उसकी किसी भी चीज़ का लालच न करना।”+
18 इस दौरान वहाँ जो तेज़ गरजन हुआ, बिजली चमकी, नरसिंगे की आवाज़ आयी और पहाड़ से धुआँ उठता रहा, उसे लोग देख और सुन रहे थे। वे डर से काँपने लगे और पहाड़ से दूर ही खड़े रहे।+
19 उन्होंने मूसा से कहा, “तू ही हमसे बात कर, हम तुझसे सुन लेंगे। परमेश्वर से कहना कि वह हमसे बात न करे क्योंकि हमें डर है कि कहीं हम मर न जाएँ।”+
20 मूसा ने उनसे कहा, “घबराओ मत, क्योंकि सच्चा परमेश्वर तुम्हें परखने के लिए आया है+ ताकि तुम हमेशा उसका डर मानो और पाप न करो।”+
21 लोग दूर ही खड़े रहे, मगर मूसा उस काले बादल के पास गया जहाँ सच्चा परमेश्वर मौजूद था।+
22 फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “तू जाकर इसराएलियों से कहना, ‘तुम लोगों ने खुद अपनी आँखों से देखा है कि कैसे मैंने स्वर्ग से तुमसे बात की।+
23 मेरे सिवा तुम्हारा कोई और ईश्वर न हो और तुम सोने-चाँदी से देवताओं की कोई मूरत न बनाना।+
24 तुम मेरे लिए मिट्टी की एक वेदी बनाना जिस पर अपनी भेड़-बकरियों और गाय-बैलों की होम-बलि और शांति-बलि चढ़ाना। मैं जो भी जगह चुनूँगा कि वहाँ मेरा नाम याद किया जाए,+ वहाँ मैं तुम्हारे पास आऊँगा और तुम्हें आशीष दूँगा।
25 अगर तुम मेरे लिए पत्थरों की वेदी बनाते हो, तो औज़ारों से काटे हुए पत्थर* इस्तेमाल न करना,+ क्योंकि अगर तुम पत्थरों पर छेनी चलाओगे तो वेदी अपवित्र हो जाएगी।
26 तुम मेरी वेदी पर चढ़ने के लिए सीढ़ियाँ न बनाना ताकि ऐसा न हो कि उस पर चढ़ते वक्त तुम्हारा नंगापन* दिखायी दे।’”
कई फुटनोट
^ या “तुम मेरे खिलाफ जाकर किसी और ईश्वर को न मानना।”
^ या “अटल प्यार।”
^ शा., “तुम्हारे फाटकों के अंदर।”
^ या “गढ़े हुए पत्थर।”
^ या “तुम्हारे गुप्त अंग।”