निर्गमन 27:1-21
27 तू बबूल की लकड़ी की एक वेदी बनाना।+ उसकी लंबाई पाँच हाथ* और चौड़ाई पाँच हाथ हो। वेदी चौकोर हो और उसकी ऊँचाई तीन हाथ हो।+
2 वेदी के चारों कोनों पर सींग+ बनाना। ये सींग वेदी का ही हिस्सा होने चाहिए। तू पूरी वेदी को ताँबे से मढ़ना।+
3 तू वेदी की राख* उठाकर ले जाने के लिए बाल्टियाँ बनाना। साथ ही बेलचे, कटोरे, काँटे और आग उठाने के करछे बनाना। वेदी की सारी चीज़ें तू ताँबे से बनाना।+
4 तू वेदी के लिए ताँबे की एक जाली बनाना और चारों कोनों पर ताँबे के चार कड़े बनाना।
5 इस जाली को वेदी के अंदर लगाना। यह वेदी के किनारे से थोड़ा नीचे यानी वेदी के बीच में लगी होनी चाहिए।
6 वेदी के लिए बबूल की लकड़ी से डंडे बनाना और उन पर ताँबा मढ़ना।
7 ये डंडे वेदी के दोनों तरफ के कड़ों के अंदर डाले जाएँगे ताकि उनके सहारे वेदी उठायी जाए।+
8 तू तख्तों को जोड़कर एक पेटी के आकार में यह वेदी बनाना। यह ऊपर और नीचे, दोनों तरफ खुली होनी चाहिए। वेदी ठीक उसी तरह बनायी जाए जैसे तुझे पहाड़ पर इसका नमूना दिखाया गया है।+
9 तू पवित्र डेरे के लिए एक आँगन बनाना।+ आँगन के चारों तरफ बटे हुए बढ़िया मलमल की कनातों से एक घेरा बनाना। दक्षिण में कनातों की कुल लंबाई 100 हाथ होगी।+
10 कनातों को लगाने के लिए 20 खंभे होने चाहिए। ये खंभे ताँबे की 20 खाँचेदार चौकियों पर बिठाए जाएँगे। इन खंभों के अंकड़े और उनके छल्ले चाँदी के होने चाहिए।
11 उत्तर की कनातों की कुल लंबाई भी 100 हाथ होगी। उन्हें लगाने के लिए 20 खंभे होंगे जिन्हें ताँबे की 20 खाँचेदार चौकियों पर बिठाया जाएगा। इन खंभों के अंकड़े और उनके छल्ले भी चाँदी के होने चाहिए।
12 पश्चिम की तरफ आँगन की चौड़ाई के लिए कनातों की कुल लंबाई 50 हाथ होनी चाहिए। कनातों को लगाने के लिए दस खंभे होने चाहिए और ये खंभे दस खाँचेदार चौकियों पर बिठाए जाएँगे।
13 पूरब की तरफ, जहाँ सूरज उगता है, आँगन की चौड़ाई 50 हाथ हो।
14 वहाँ आँगन के द्वार के दायीं तरफ की कनातें 15 हाथ लंबी होंगी। उनके लिए तीन खंभे और तीन खाँचेदार चौकियाँ होंगी।+
15 आँगन के द्वार के बायीं तरफ की कनातें भी 15 हाथ लंबी होंगी। उनके लिए तीन खंभे और तीन खाँचेदार चौकियाँ होंगी।
16 आँगन के द्वार पर 20 हाथ लंबा एक परदा होना चाहिए। इस परदे को नीले धागे, बैंजनी ऊन, सुर्ख लाल धागे और बटे हुए बढ़िया मलमल से बुनकर तैयार करना।+ यह परदा लगाने के लिए वहाँ चार खंभे होने चाहिए और इन्हें चार खाँचेदार चौकियों पर बिठाना चाहिए।+
17 आँगन के चारों तरफ सभी खंभों में चाँदी के जोड़ और चाँदी के अंकड़े होने चाहिए, मगर उनकी खाँचेदार चौकियाँ ताँबे की होनी चाहिए।+
18 आँगन की लंबाई 100 हाथ,+ चौड़ाई 50 हाथ और चारों तरफ कनातों की ऊँचाई 5 हाथ होनी चाहिए। इन कनातों को बटे हुए बढ़िया मलमल से बनाना। आँगन की खाँचेदार चौकियाँ ताँबे की होनी चाहिए।
19 पवित्र डेरे में सेवा के लिए इस्तेमाल होनेवाले सभी बरतन और चीज़ें, साथ ही डेरे की खूँटियाँ और आँगन की सारी खूँटियाँ ताँबे की होनी चाहिए।+
20 इसराएलियों को आज्ञा देना कि पवित्र डेरे में दीयों को हमेशा जलाए रखने के लिए वे शुद्ध जैतून का तेल लाकर तुझे दिया करें, जो कूटकर निकाला गया हो।+
21 इन दीयों को, जो भेंट के तंबू में गवाही के संदूक के पासवाले परदे के इस तरफ होंगे,+ हारून और उसके बेटे यहोवा के सामने शाम से सुबह तक जलाए रखने का इंतज़ाम करेंगे।+ इसराएलियों को पीढ़ी-दर-पीढ़ी इस नियम का पालन करना है, जो उन्हें सदा के लिए दिया जा रहा है।+
कई फुटनोट
^ यानी बलिदान में जलाए गए जानवरों की पिघली चरबी से भीगी राख।