निर्गमन 38:1-31
38 उसने बबूल की लकड़ी से होम-बलि की वेदी बनायी। यह वेदी चौकोर थी, लंबाई पाँच हाथ* और चौड़ाई पाँच हाथ। उसकी ऊँचाई तीन हाथ थी।+
2 उसने वेदी के चारों कोनों पर सींग बनाए। उसने वेदी के चारों कोनों को उभरा हुआ बनाकर सींगों का आकार दिया। फिर उसने वेदी पर ताँबा मढ़ा।+
3 उसने वेदी के साथ इस्तेमाल होनेवाली ये सारी चीज़ें बनायीं: बाल्टियाँ, बेलचे, कटोरे, काँटे और आग उठाने के करछे। उसने ये सारी चीज़ें ताँबे से बनायीं।
4 उसने वेदी के लिए ताँबे की एक जाली भी बनायी और उसे अंदर लगाया। इसे वेदी के किनारे से थोड़ा नीचे यानी वेदी के बीच में लगाया।
5 उसने चार कड़े ढालकर बनाए और उन्हें वेदी के चारों कोनों पर, जाली के पास लगाया ताकि उनके अंदर वे डंडे डाले जाएँ जिनके सहारे वेदी उठायी जाती।
6 इसके बाद उसने बबूल की लकड़ी से डंडे बनाए और उन पर ताँबा मढ़ा।
7 उसने डंडों को वेदी के दोनों तरफ के कड़ों के अंदर डाला ताकि उनके सहारे वेदी उठायी जाए। उसने यह वेदी तख्तों को जोड़कर एक पेटी के आकार में बनायी और उसे ऊपर और नीचे खुला बनाया।
8 फिर उसने ताँबे का हौद+ और उसके लिए ताँबे की टेक बनायी। इन्हें बनाने के लिए उसने उन औरतों के आईने* इस्तेमाल किए जो भेंट के तंबू के द्वार पर ठहराए गए इंतज़ाम के मुताबिक सेवा करती थीं।
9 फिर उसने पवित्र डेरे के लिए एक आँगन बनाया।+ उसने आँगन के चारों तरफ घेरा बनाने के लिए बटे हुए बढ़िया मलमल से कनातें तैयार कीं। दक्षिण में कनातों की कुल लंबाई 100 हाथ थी।+
10 कनातों को लगाने के लिए 20 खंभे और ताँबे की 20 खाँचेदार चौकियाँ थीं। इन खंभों के अंकड़े और उनके छल्ले चाँदी के थे।
11 उत्तर की कनातों की कुल लंबाई भी 100 हाथ थी। उन्हें लगाने के लिए 20 खंभे और ताँबे की 20 खाँचेदार चौकियाँ थीं। इन खंभों के अंकड़े और उनके छल्ले चाँदी के थे।
12 मगर पश्चिम की कनातों की कुल लंबाई 50 हाथ थी। इन कनातों को लगाने के लिए दस खंभे और दस खाँचेदार चौकियाँ थीं। इन खंभों के अंकड़े और उनके छल्ले चाँदी के थे।
13 पूरब यानी जहाँ सूरज उगता है, वहाँ की चौड़ाई 50 हाथ थी।
14 वहाँ आँगन के द्वार के दायीं तरफ की कनातें 15 हाथ लंबी थीं। उनके लिए तीन खंभे और तीन खाँचेदार चौकियाँ थीं।
15 आँगन के द्वार के बायीं तरफ की कनातें भी 15 हाथ लंबी थीं। उनके लिए तीन खंभे और तीन खाँचेदार चौकियाँ थीं।
16 आँगन के घेरे के लिए सारी कनातें बटे हुए बढ़िया मलमल से तैयार की गयी थीं।
17 इन खंभों की खाँचेदार चौकियाँ ताँबे की थीं, खंभों के अंकड़े और छल्ले चाँदी के थे। इन खंभों के ऊपरी सिरों पर चाँदी मढ़ी गयी और सभी खंभों के जोड़ चाँदी के बनाए गए।+
18 आँगन के द्वार का परदा नीले धागे, बैंजनी ऊन, सुर्ख लाल धागे और बटे हुए बढ़िया मलमल से बुनकर तैयार किया गया। इस परदे की लंबाई 20 हाथ थी और ऊँचाई आँगन के घेरे की कनातों की तरह 5 हाथ थी।+
19 इसके लिए ताँबे के चार खंभे और चार खाँचेदार चौकियाँ थीं। इन खंभों के अंकड़े और छल्ले चाँदी के थे और खंभों के ऊपरी सिरे चाँदी से मढ़े हुए थे।
20 डेरे की सारी खूँटियाँ और पूरे आँगन की खूँटियाँ ताँबे की थीं।+
21 मूसा की आज्ञा के मुताबिक उन सारी चीज़ों की सूची तैयार की गयी जो पवित्र डेरा यानी गवाही के संदूक का डेरा+ बनाने में इस्तेमाल हुई थीं। यह ज़िम्मेदारी लेवियों को दी गयी+ और उन्होंने हारून याजक के बेटे ईतामार के निर्देशन में यह सूची तैयार की जो आगे दी गयी है।+
22 यहूदा गोत्र के बसलेल+ ने, जो ऊरी का बेटा और हूर का पोता था, वह सारा काम किया जिसकी आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी थी।
23 और उसके साथ दान गोत्र का ओहोलीआब+ था जो अहीसामाक का बेटा था। ओहोलीआब हाथ की कारीगरी और कढ़ाई के काम में काफी हुनरमंद था और नीले धागे, बैंजनी ऊन, सुर्ख लाल धागे और बढ़िया मलमल से बुनाई करने में भी कुशल था।
24 पवित्र-स्थान के काम में 29 तोड़े* और 730 शेकेल* सोना इस्तेमाल हुआ था। यह माप पवित्र-स्थान के शेकेल* के मुताबिक था। यह सारा सोना उस सोने के बराबर था जो हिलाए जानेवाले चढ़ावे के तौर पर अर्पित किया गया था।+
25 और जितने इसराएली आदमियों के नाम लिखे गए थे उनकी दी हुई कुल चाँदी, पवित्र-स्थान के शेकेल* के मुताबिक 100 तोड़े और 1,775 शेकेल थी।
26 हर आदमी ने पवित्र-स्थान के शेकेल* के मुताबिक आधा शेकेल चाँदी लाकर दी थी। कुल मिलाकर 6,03,550 आदमियों के नाम लिखे गए थे जिनकी उम्र 20 या उससे ज़्यादा थी।+
27 पवित्र-स्थान और परदे के खंभों के लिए जो खाँचेदार चौकियाँ ढालकर बनायी गयी थीं उनके लिए 100 तोड़े चाँदी इस्तेमाल हुई। 100 खाँचेदार चौकियों के लिए 100 तोड़े चाँदी, यानी एक चौकी के लिए एक तोड़ा चाँदी।+
28 उसने 1,775 शेकेल चाँदी खंभों के अंकड़े बनाने, खंभों के ऊपरी सिरों को मढ़ने और खंभों के लिए जोड़ तैयार करने में इस्तेमाल की।
29 जो ताँबा चढ़ावे* में दिया गया था वह 70 तोड़े और 2,400 शेकेल ताँबा था।
30 इस ताँबे से उसने ये सारी चीज़ें बनायीं: भेंट के तंबू के द्वार के लिए खाँचेदार चौकियाँ, ताँबे की वेदी, उसकी जाली और वेदी के साथ इस्तेमाल होनेवाली सारी चीज़ें,
31 पूरे आँगन के लिए खाँचेदार चौकियाँ, आँगन के द्वार के लिए खाँचेदार चौकियाँ, डेरे की सारी खूँटियाँ और आँगन की सारी खूँटियाँ।+
कई फुटनोट
^ यानी धातु को खूब चमकाकर तैयार किए गए आईने।
^ या “पवित्र शेकेल।”
^ या “पवित्र शेकेल।”
^ या “पवित्र शेकेल।”
^ या “हिलाकर दिए जानेवाले चढ़ावे।”