नीतिवचन 13:1-25
13 बुद्धिमान बेटा अपने पिता की शिक्षा कबूल करता है,+लेकिन हँसी-ठट्ठा करनेवाला फटकार* पर कान नहीं लगाता।+
2 इंसान अपने मुँह की बातों की वजह से अच्छा खाता है,+लेकिन धोखेबाज़ का जी हिंसा के लिए उतावला रहता है।
3 जो ज़बान पर काबू रखता है वह अपनी जान बचाता है,+मगर जो अपना मुँह बंद नहीं रखता वह खुद को बरबाद करता है।+
4 आलसी के पास कुछ नहीं होता, वह सिर्फ लालसा करता है,+लेकिन मेहनती पूरी तरह तृप्त होता है।+
5 नेक इंसान झूठ से नफरत करता है,+लेकिन दुष्ट अपनी हरकतों से शर्मिंदा और बेइज़्ज़त होता है।
6 नेकी, सीधी चाल चलनेवालों की हिफाज़त करती है,+लेकिन दुष्टता, पापियों को बरबाद कर देती है।
7 कोई अपने को अमीर बताता है जबकि उसके पास कुछ नहीं,+कोई अपने को गरीब बताता है जबकि उसके पास बहुत दौलत है।
8 रईस अपनी जान की फिरौती में अपनी दौलत देता है,+मगर गरीब को ऐसा कोई डर नहीं सताता।*+
9 नेक जन की रौशनी तेज़ चमकती है,*+लेकिन दुष्टों का दीपक बुझ जाएगा।+
10 इंसान की गुस्ताखी से झगड़े पैदा होते हैं,+लेकिन बुद्धिमान वही है जो सलाह-मशविरा करता है।+
11 रातों-रात कमायी गयी दौलत घटती जाएगी,+लेकिन जो थोड़ा-थोड़ा करके जमा करता है, उसकी दौलत बढ़ती जाएगी।
12 जब उम्मीद* पूरी होने में देर होती है, तो मन उदास हो जाता है,+मगर जब मन की आरज़ू पूरी होती है, तो मानो यह जीवन का पेड़ है।+
13 जो हिदायत* को तुच्छ समझता है, उसे सज़ा भुगतनी होगी,+लेकिन जो आज्ञा का आदर करता है उसे इनाम मिलेगा।+
14 बुद्धिमान की सिखायी बातें जीवन का सोता है,+ये मौत के फंदे में फँसने से बचाती हैं।
15 अंदरूनी समझ रखनेवाला दूसरों की मंज़ूरी पाता है,लेकिन कपटी की राह दुखों से भरी होती है।
16 होशियार अपने कामों से ज्ञान का सबूत देता है,+लेकिन मूर्ख अपनी मूर्खता दिखा देता है।+
17 दुष्ट दूत खुद पर मुसीबत लाता है,+मगर विश्वासयोग्य दूत फायदा पहुँचाता है।+
18 शिक्षा ठुकरानेवाला कंगाल हो जाता है और अपमान सहता है,मगर जो डाँट* कबूल करता है वह आदर पाता है।+
19 आरज़ू पूरी होने पर जी खुश हो जाता है,+लेकिन मूर्ख को बुराई छोड़ना रास नहीं आता।+
20 बुद्धिमानों के साथ रहनेवाला बुद्धिमान बनेगा,+लेकिन मूर्खों के साथ मेल-जोल रखनेवाला बरबाद हो जाएगा।+
21 आफत पापियों का पीछा करती है,+मगर खुशहाली नेक जन का इनाम बनती है।+
22 भला इंसान अपने नाती-पोतों के लिए विरासत छोड़ जाता है,मगर पापी की दौलत नेक जन के लिए रखी जाएगी।+
23 गरीब के जोते गए खेत में भरपूर फसल पैदा होती है,लेकिन अन्याय उसे* बरबाद कर देता है।
24 जो अपने बेटे पर छड़ी* नहीं चलाता, वह उससे नफरत करता है,+मगर जो उससे प्यार करता है, वह उसे सुधारने से पीछे नहीं हटता।*+
25 नेक जन जी-भरकर खाता है,+मगर दुष्ट भूखे पेट रह जाता है।+
कई फुटनोट
^ या “सुधार।”
^ शा., “कोई फटकार नहीं सुनता।”
^ शा., “खुशियाँ मनाती है।”
^ या “आशा।”
^ या “वचन।”
^ या “जो सुधार के लिए दी गयी सलाह।”
^ या “गरीब को।”
^ या “शिक्षा; सज़ा।”
^ या शायद, “उसे तुरंत सुधारता है।”