नीतिवचन 16:1-33
16 इंसान अपने मन के विचारों को तैयार तो करता है,मगर वह जो जवाब देता है, वह* यहोवा की तरफ से होता है।+
2 इंसान को अपनी सभी राहें सही* लगती हैं,+लेकिन यहोवा इरादों* को जाँचता है।+
3 तू जो कुछ करे उसे यहोवा को सौंप दे,+तब तेरी योजनाएँ सफल होंगी।
4 यहोवा हर काम इस तरह करता है कि उसका मकसद पूरा हो,उसने दुष्ट को भी विनाश के दिन के लिए इसीलिए रखा है।+
5 जिसके मन में घमंड है, वह यहोवा की नज़र में घिनौना है।+
यकीन रख, वह बिना सज़ा पाए नहीं रहेगा।
6 अटल प्यार और वफादारी से* पापों का प्रायश्चित होता है+और यहोवा का डर मानने से इंसान बुराई से मुँह फेर लेता है।+
7 जब यहोवा किसी इंसान की राह से खुश होता है,तब वह उसके दुश्मनों को भी उसके साथ शांति से रहने देता है।+
8 अन्याय करके अमीर बनने से अच्छा है,नेकी की राह पर चलकर कम में गुज़ारा करना।+
9 एक आदमी अपने मन में योजना तो बनाता है,लेकिन यहोवा ही उसके कदमों को राह दिखाता है।+
10 राजा के होंठों पर परमेश्वर का फैसला होना चाहिए,+वह न्याय करने से कभी न चूके।+
11 सच्चे तराज़ू के काँटे और पलड़े यहोवा के हैं,थैली में रखे सभी बाट-पत्थर उसी की तरफ से हैं।+
12 दुष्ट कामों से राजाओं को घिन होती है,+क्योंकि उनकी गद्दी नेकी से कायम रहती है।+
13 सच्ची बातें राजाओं को खुश करती हैं,
उन्हें वे लोग पसंद हैं जो सीधी-सच्ची बात कहते हैं।+
14 राजा का क्रोध मौत का दूत बन जाता है,+लेकिन बुद्धिमान उसका क्रोध शांत करना* जानता है।+
15 राजा के चेहरे की चमक में ज़िंदगी है,उसकी मेहरबानी वसंत में बरसते बादल जैसी है।+
16 बुद्धि सोना हासिल करने से
और समझ चाँदी हासिल करने से कहीं बढ़कर है।+
17 सीधे-सच्चे लोगों की राह उन्हें बुराई से दूर रखती है,
जो अपनी राह की रक्षा करता है, वह अपनी जान बचाता है।+
18 विनाश से पहले घमंडऔर ठोकर खाने से पहले अहंकार होता है।+
19 घमंडियों के साथ लूट बाँटने से अच्छा है,दीन लोगों के बीच नम्र बने रहना।+
20 जो अंदरूनी समझ दिखाता है उसे कामयाबी मिलती हैऔर जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह सुखी है।
21 जिसके पास बुद्धि* है, कहा जाएगा कि उसमें समझ है+और जो मीठे* बोल बोलता है वह कायल कर पाता है।+
22 जिसमें अंदरूनी समझ है उसके लिए यह जीवन का सोता है,मगर मूर्ख को अपनी मूर्खता से ही सज़ा मिलती है।
23 बुद्धिमान का मन उसे अंदरूनी समझ की बातें कहने+और दूसरों को कायल करने के लिए उभारता है।
24 मनभावनी बातें छत्ते के शहद जैसी होती हैं,जो मन को* मीठी लगती हैं और हड्डियों को दुरुस्त करती हैं।+
25 ऐसा भी रास्ता है जो इंसान को सही लगता है,मगर आखिर में वह उसे मौत की तरफ ले जाता है।+
26 एक मज़दूर का पेट उससे मेहनत करवाता है,उसकी भूख* उसे काम करने पर मजबूर कर देती है।+
27 निकम्मा आदमी खोद-खोदकर बुरी बातें पूछता है,+उसकी ज़बान झुलसानेवाली आग जैसी होती है।+
28 आग लगानेवाला* झगड़े करवाता है+और बदनाम करनेवाला जिगरी दोस्तों में फूट डाल देता है।+
29 खूँखार आदमी अपने पड़ोसी को बहकाकरउसे बुरे रास्ते पर ले जाता है।
30 वह साज़िश रचते हुए आँख मारता है,
बुरे काम करते वक्त मुस्कुराता है।*
31 पके बाल एक इंसान का खूबसूरत* ताज हैं,+बशर्ते वह नेकी की राह पर चला हो।+
32 क्रोध करने में धीमा इंसान,+ वीर योद्धा से अच्छा हैऔर अपने गुस्से* पर काबू रखनेवाला, शहर जीतनेवाले से।+
33 झोली में चिट्ठियाँ डाली तो जाती हैं,+मगर उससे निकला हर फैसला यहोवा की तरफ से होता है।+
कई फुटनोट
^ या “मगर सही जवाब।”
^ शा., “पवित्र।”
^ या “मन।”
^ इब्रानी पाठ के मुताबिक यह परमेश्वर का अटल प्यार और वफादारी भी हो सकती है।
^ या “उसके क्रोध से बचना।”
^ शा., “जो दिल में बुद्धिमान।”
^ या “मन को भानेवाले।”
^ या “जो खाने पर।”
^ शा., “उसका मुँह।”
^ या “साज़िश रचनेवाला।”
^ शा., “होंठ दबाता है।”
^ या “शानदार।”
^ शा., “मन।”