नीतिवचन 30:1-33
30 याके के बेटे आगूर की तरफ से ज़रूरी संदेश। यह संदेश ईतीएल और ऊकल के लिए है।
2 मैं सबसे बड़ा अज्ञानी हूँ,+लोगों में जो समझ होनी चाहिए, वह मुझमें नहीं।
3 मैं नहीं कहता कि मैं बुद्धिमान हूँ।जितना ज्ञान परम-पवित्र परमेश्वर को है, वह मुझमें कहाँ!
4 ऐसा कौन है जो स्वर्ग पर चढ़ा हो, फिर धरती पर उतरा हो?+
किसने हवा को अपनी दोनों मुट्ठियों में बंद किया है?
किसने पानी को अपने कपड़ों में लपेटा है?+
किसने पृथ्वी के चारों कोने ठहराए हैं?+
अगर तुझे उसका और उसके बेटे का नाम पता है तो बता।
5 परमेश्वर का हर वचन पूरी तरह शुद्ध है,+
वह उनके लिए ढाल है जो उसमें पनाह लेते हैं।+
6 तू उसकी बातों में कुछ न जोड़,+वरना वह तुझे खूब डाँटेगाऔर तू झूठा ठहरेगा।
7 हे परमेश्वर, मुझे और कुछ नहीं चाहिए,
बस मेरे जीते-जी ये दो चीज़ें कर दे,
8 छल-कपट और झूठ को मेरे सामने से दूर कर दे+और मुझे न गरीबी दे, न अमीरी।
मुझे बस मेरे हिस्से का खाना दे,+
9 ऐसा न हो कि मेरे पास बहुत हो जाए और मैं तुझसे मुकरकर कहूँ, “यहोवा कौन है?”+
या मैं गरीब हो जाऊँ और चोरी करके अपने परमेश्वर का नाम बदनाम करूँ।
10 मालिक से उसके नौकर की चुगली न करना,कहीं ऐसा न हो कि वह तुझे कोसे और तू दोषी ठहरे।+
11 ऐसी भी पीढ़ी है जो अपने पिता को बददुआएँ देती हैऔर अपनी माँ के लिए उनके मुँह से दुआएँ नहीं निकलतीं।+
12 ऐसी भी पीढ़ी है जो खुद को पवित्र मानती है,+लेकिन अपनी गंदगी* से शुद्ध नहीं की गयी।
13 ऐसी भी पीढ़ी है जिसकी आँखें घमंड से चढ़ी हैं,जिसकी आँखें अहंकार से भरी हैं।+
14 ऐसी भी पीढ़ी है जिसके दाँत तलवार जैसेऔर जबड़े छुरे जैसे हैं।वह धरती के दीन-दुखियोंऔर गरीबों को फाड़ खाती है।+
15 जोंक की दो बेटियाँ हैं जो “दे दो, दे दो” चिल्लाती हैं।
तीन चीज़ें हैं जो कभी तृप्त नहीं होतीं,बल्कि चार हैं, जो कभी नहीं कहतीं “बस हुआ!”
16 कब्र,*+ सूनी कोख,पानी की प्यासी धरतीऔर आग जो कभी “बस” नहीं कहती।
17 जो अपने पिता का तिरस्कार करता हैऔर अपनी माँ की आज्ञा को तुच्छ जानता है,+उसकी आँखें घाटी के कौवे और उकाब के बच्चे नोंच खाएँगे।+
18 तीन बातें हैं जो मेरी समझ से बाहर हैं,हाँ, चार बातें हैं जिन्हें मैं नहीं समझ पाया:
19 आसमान में उड़ते उकाब की राह,चट्टान पर साँप की चाल,खुले समुंदर में जहाज़ का मार्गऔर लड़के का लड़की से व्यवहार।
20 बदचलन औरत ऐसी होती है:
वह खा-पीकर अपना मुँह पोंछती हैऔर कहती है, “मैंने कुछ गलत नहीं किया।”+
21 तीन चीज़ें ऐसी हैं जिनसे धरती काँप उठती है,बल्कि चार चीज़ें हैं जो वह बरदाश्त नहीं कर सकती:
22 गुलाम का राजा बनना,+मूर्ख के पास ढेर सारा खाना होना,
23 उस औरत की शादी होना जिससे सब नफरत करते हैंऔर नौकरानी का अपनी मालकिन की जगह लेना।+
24 धरती पर ये चार जंतु बहुत छोटे हैं,लेकिन उनमें सहज बुद्धि होती है:*+
25 चींटियाँ ताकतवर नहीं होतीं,फिर भी गरमियों में अपना खाना बटोरती हैं।+
26 चट्टानी बिज्जू+ बलवान नहीं होता,फिर भी चट्टानों में अपना घर बनाता है।+
27 टिड्डियों+ का कोई राजा नहीं होता,फिर भी वे मोरचा बाँधकर आगे बढ़ती हैं।+
28 घरेलू छिपकली+ पंजों के सहारे चिपकी रहती हैऔर राजा के महल में पायी जाती है।
29 तीन जीव ऐसे हैं जो बड़ी ठाट से चलते हैं,बल्कि चार हैं, जिनकी चाल में शान नज़र आती है:
30 शेर, जो जानवरों में सबसे शक्तिशाली हैऔर किसी के डर से पीछे नहीं हटता।+
31 शिकारी कुत्ता, बकराऔर अपनी सेना के आगे-आगे चलनेवाला राजा।
32 अगर तूने खुद को ऊँचा उठाने की मूर्खता की है,+या ऐसा करने की साज़िश की है,तो अपने मुँह पर हाथ रखकर चुप रह।+
33 क्योंकि जैसे दूध मथने से मक्खन निकलता हैऔर नाक मरोड़ने से खून बहता है,वैसे ही गुस्सा भड़काने से झगड़े पैदा होते हैं।+