न्यायियों 4:1-24

4  एहूद की मौत के बाद इसराएली फिर वही करने लगे जो यहोवा की नज़र में बुरा था।+  इसलिए यहोवा ने उन्हें कनान के राजा याबीन के हवाले कर दिया,+ जो हासोर में राज करता था। उसके सेनापति का नाम सीसरा था, जो हरोशेत-हाग्गोयीम में रहता था।+  याबीन के* पास 900 युद्ध-रथ थे जिनके पहियों में तलवारें लगी हुई थीं।*+ वह इसराएलियों पर 20 साल तक बड़ी बेरहमी से ज़ुल्म ढाता रहा।+ इसलिए इसराएलियों ने रो-रोकर यहोवा से मदद की भीख माँगी।+  उस वक्‍त दबोरा नाम की एक भविष्यवक्‍तिन+ इसराएल में न्यायी थी। वह लप्पीदोत की पत्नी थी।  वह एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश में रामाह+ और बेतेल+ के बीच, दबोरा के खजूर के पेड़ के नीचे बैठा करती थी। इसराएली किसी मामले पर परमेश्‍वर का फैसला जानने के लिए उसके पास आया करते थे।  दबोरा ने केदेश-नप्ताली+ से अबीनोअम के बेटे बाराक+ को बुलवाया और उससे कहा, “इसराएल का परमेश्‍वर यहोवा तुझे यह आज्ञा देता है, ‘जा और नप्ताली और जबूलून गोत्र से 10,000 आदमियों को ले और ताबोर पहाड़ पर युद्ध के लिए इकट्ठा हो।  मैं याबीन के सेनापति सीसरा, उसके युद्ध-रथों और सैनिकों को तेरे पास कीशोन घाटी में लाऊँगा+ और उन्हें तेरे हाथ में कर दूँगा।’”+  तब बाराक ने दबोरा से कहा, “मैं वहाँ तभी जाऊँगा जब तू मेरे साथ चलेगी। अगर तू मेरे साथ नहीं आएगी तो मैं भी नहीं जाऊँगा।”  दबोरा ने कहा, “मैं तेरे साथ ज़रूर चलूँगी। लेकिन इस युद्ध से तेरी बड़ाई नहीं होगी क्योंकि यहोवा एक औरत के हाथों सीसरा को मरवाएगा।”+ तब दबोरा, बाराक के साथ केदेश+ गयी। 10  बाराक ने जबूलून और नप्ताली+ के लोगों को केदेश बुलाया और 10,000 आदमी उसके पीछे-पीछे चल दिए। दबोरा भी उसके साथ गयी। 11  हेबेर नाम का एक केनी आदमी अपने लोगों+ से अलग होकर, केदेश में सानन्‍नीम के बड़े पेड़ के पास तंबू में रहता था। केनी लोग मूसा के ससुर+ होबाब के वंशज थे। 12  सीसरा को खबर मिली कि अबीनोअम का बेटा बाराक, ताबोर पहाड़ पर आया है।+ 13  यह सुनते ही सीसरा ने अपने 900 युद्ध-रथों को जिनके पहियों में तलवारें लगी थीं* और अपनी पूरी सेना को इकट्ठा किया कि उन्हें लेकर हरोशेत-हाग्गोयीम से कीशोन घाटी की तरफ जाए।+ 14  दबोरा ने बाराक से कहा, “तैयार हो जा! आज यहोवा सीसरा को तेरे हाथ में कर देगा। देख, यहोवा तेरे आगे-आगे चल रहा है।” बाराक ताबोर पहाड़ से नीचे उतरा और 10,000 आदमी उसके पीछे-पीछे आए। 15  यहोवा ने सीसरा, उसके युद्ध-रथों और उसकी फौज के बीच खलबली मचा दी+ और वे बाराक की तलवार के आगे हार गए। तब सीसरा अपने रथ से नीचे उतरा और जान बचाकर भागने लगा। 16  बाराक ने सीसरा के युद्ध-रथों और उसकी फौज का हरोशेत-हाग्गोयीम तक पीछा किया। सीसरा की पूरी फौज तलवार से मार डाली गयी, एक भी सैनिक ज़िंदा नहीं बचा।+ 17  सीसरा भागते-भागते याएल के तंबू पर पहुँचा,+ जो केनी हेबेर की पत्नी थी।+ वह वहाँ इसलिए गया क्योंकि हासोर के राजा याबीन+ और हेबेर के घराने के बीच शांति थी। 18  तब याएल, सीसरा से मिलने तंबू से बाहर आयी और उसने कहा, “आइए मेरे मालिक, अंदर आइए। डरिए मत।” तब सीसरा उसके तंबू में गया और याएल ने उसे कंबल ओढ़ा दिया। 19  सीसरा ने याएल से कहा, “मुझे प्यास लगी है, मेहरबानी करके मुझे थोड़ा पानी पिला दे।” याएल ने एक मशक से दूध लिया और सीसरा को पीने के लिए दिया।+ फिर उसने दोबारा उसे कंबल ओढ़ा दिया। 20  सीसरा ने याएल से कहा, “तू तंबू के द्वार पर खड़ी हो जा। अगर कोई आकर तुझसे पूछे, ‘क्या अंदर कोई आदमी है?’ तो कह देना, ‘अंदर कोई नहीं है।’” 21  सीसरा बहुत थका हुआ था इसलिए वह गहरी नींद सो गया। तब हेबेर की पत्नी याएल ने तंबू की एक खूँटी और हथौड़ा लिया और दबे पाँव सीसरा के पास आयी। उसने सीसरा की कनपटी पर खूँटी रखकर ऐसा हथौड़ा मारा कि खूँटी उसके सिर के आर-पार होकर ज़मीन में जा धँसी और सीसरा ने वहीं दम तोड़ दिया।+ 22  जब बाराक, सीसरा को ढूँढ़ते-ढूँढ़ते वहाँ आया तो याएल उससे मिलने बाहर आयी। उसने बाराक से कहा, “मेरे साथ अंदर आ। जिस आदमी को तू ढूँढ़ रहा है वह यहाँ है।” बाराक उसके साथ तंबू में गया और उसने देखा कि सीसरा मरा पड़ा है और तंबू की खूँटी उसके सिर के आर-पार घुसी है। 23  उस दिन परमेश्‍वर ने कनान के राजा याबीन को इसराएलियों के अधीन कर दिया।+ 24  और वे याबीन पर हावी होते गए और आखिरकार उसे* मौत के घाट उतार दिया।+

कई फुटनोट

शा., “उसके।”
शा., “लोहे के रथ थे।”
शा., “लोहे के रथों को।”
शा., “कनान के राजा याबीन को।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो