भजन 108:1-13

दाविद का सुरीला गीत। 108  हे परमेश्‍वर, मेरा दिल अटल है। मैं तेरे लिए दिलो-जान से गीत गाऊँगा, संगीत बजाऊँगा।+   हे तारोंवाले बाजे, जाग,हे सुरमंडल, तू भी जाग।+ मैं भोर को जगाऊँगा।   हे यहोवा, मैं देश-देश के लोगों के बीच तेरी तारीफ करूँगा,राष्ट्रों के बीच तेरी तारीफ में गीत गाऊँगा।*   क्योंकि तेरा अटल प्यार क्या ही महान है,आसमान जितना ऊँचा है,+तेरी वफादारी आकाश की बुलंदियाँ छूती है।   हे परमेश्‍वर, तेरी महिमा आसमान के ऊपर हो,तेरा वैभव पूरी धरती पर फैल जाए।+   अपने दाएँ हाथ से हमें बचा ले, मेरी सुन लेताकि जिन्हें तू प्यार करता है वे छुड़ाए जाएँ।+   परमेश्‍वर अपनी पवित्रता के कारण* कहता है, “मैं मगन होऊँगा, विरासत में शेकेम+ दूँगा,सुक्कोत घाटी नापकर दूँगा।+   मनश्‍शे मेरा है, गिलाद+ भी मेरा है,एप्रैम मेरे सिर का टोप है,+यहूदा मेरे लिए हाकिम की लाठी है।+   मोआब मेरा हाथ-पैर धोने का बरतन है।+ एदोम पर मैं अपना जूता फेंकूँगा।+ पलिश्‍त को जीतकर मैं जश्‍न मनाऊँगा।”+ 10  कौन मुझे उस किलेबंद शहर तक ले जाएगा? कौन मुझे दूर एदोम तक ले जाएगा?+ 11  हे हमारे परमेश्‍वर, तू ही हमें वहाँ ले जाएगा।मगर तूने तो हमें ठुकरा दिया है,तू अब युद्ध में हमारी सेना के साथ नहीं जाता।+ 12  हम संकट में हैं, हमारी मदद कर,+क्योंकि उद्धार के लिए इंसान पर आस लगाना बेकार है।+ 13  परमेश्‍वर से हमें ताकत मिलेगी,+वह हमारे बैरियों को रौंद डालेगा।+

कई फुटनोट

या “संगीत बजाऊँगा।”
या शायद, “अपनी पवित्र जगह में।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो