भजन 21:1-13
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत।
21 हे यहोवा, तेरी ताकत पर राजा खुशी मनाता है,+तू जो उद्धार दिलाता है उससे वह बाग-बाग हो जाता है!+
2 तूने उसके दिल की मुराद पूरी की,+उसके होंठों की गुज़ारिश नहीं ठुकरायी। (सेला )
3 तू बेशुमार आशीषों के साथ उससे मिलता है,उसके सिर पर शुद्ध* सोने का ताज रखता है।+
4 उसने तुझसे ज़िंदगी माँगी और तूने उसे दी,+तूने उसे लंबी उम्र दी, हमेशा-हमेशा की ज़िंदगी।
5 तू जो उद्धार दिलाता उससे वह बड़ा सम्मान पाता है।+
तू उसे गरिमा और वैभव देता है।
6 तूने तय किया है कि वह सदा आशीषें पाता रहे,+तू उसे खुशी देता है क्योंकि तू उसके साथ रहता है।+
7 क्योंकि राजा यहोवा पर भरोसा करता है,+परम-प्रधान के अटल प्यार के कारण उसे कभी नहीं हिलाया जा सकता।*+
8 तेरा हाथ तेरे सभी दुश्मनों को पकड़ लेगा,तेरा दायाँ हाथ तुझसे नफरत करनेवालों को पकड़ लेगा।
9 तू जाँच के समय उन्हें दहकता तंदूर बना देगा,
यहोवा क्रोध में आकर उन्हें निगल जाएगा और आग उन्हें भस्म कर देगी।+
10 तू उनके वंशजों* को धरती से नाश कर देगा,उनकी संतान को इंसानों के बीच से मिटा देगा।
11 क्योंकि उन्होंने तेरा नुकसान करना चाहा,+तेरे खिलाफ साज़िशें रची हैं, मगर वे कामयाब नहीं होंगे।+
12 तू उन* पर तीर-कमान से निशाना साधेगा,वे पीठ दिखाकर भाग जाएँगे।+
13 हे यहोवा, उठ! अपनी ताकत दिखा।
हम तेरी महाशक्ति की तारीफ में गीत गाएँगे।*
कई फुटनोट
^ या “ताए हुए।”
^ या “वह कभी नहीं डगमगाएगा (या लड़खड़ाएगा)।”
^ शा., “फलों।”
^ शा., “उनके मुँह।”
^ शा., “के बारे में गाएँगे और संगीत बजाएँगे।”