भजन 22:1-31
दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत: “भोर की हिरनी”* के मुताबिक।
22 हे मेरे परमेश्वर, मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?+
तू क्यों मुझे बचाने नहीं आता?
क्यों मेरी दर्द-भरी पुकार नहीं सुनता?+
2 मेरे परमेश्वर, मैं सारा दिन तुझे पुकारता हूँ,रात-भर कराहता हूँ, पर तू कोई जवाब नहीं देता।+
3 मगर तू पवित्र है,+इसराएल की तारीफों से घिरा हुआ है।*
4 हमारे पुरखों ने तुझ पर भरोसा रखा था,+तुझी पर भरोसा रखा और तू उन्हें छुड़ाता रहा।+
5 उन्होंने तुझे पुकारा और तूने उन्हें बचाया,उन्होंने तुझ पर भरोसा किया और वे निराश नहीं हुए।*+
6 मगर लोग मुझे नीचा देखते हैं, तुच्छ समझते हैं,+मैं उनकी नज़र में इंसान नहीं, कीड़ा हूँ।
7 मुझे देखनेवाले सभी मेरा मज़ाक बनाते हैं,+मेरी खिल्ली उड़ाते हैं, सिर हिलाकर मुझ पर हँसते+ और कहते हैं:
8 “इसने खुद को यहोवा के हवाले कर दिया, वही इसे छुड़ाए!
वही इसे बचाए, यह परमेश्वर को इतना प्यारा जो है!”+
9 तूने ही मुझे माँ की कोख से बाहर निकाला,+मुझे माँ की बाहों में सुरक्षा का एहसास दिलाया।
10 मुझे पैदा होते ही देखभाल के लिए तुझे सौंपा गया।जब मैं माँ की कोख में था, तभी से तू मेरा परमेश्वर है।
11 मुझ पर संकट आनेवाला है, तू मुझसे दूर न रह,+मेरा और कोई मददगार नहीं है।+
12 बहुत-से बैलों ने मुझे घेर लिया है,+बाशान के मोटे-तगड़े बैलों ने मुझे घेर लिया है।+
13 दुश्मन मुझ पर मुँह फाड़े हुए हैं,+गरजते शेर की तरह, जो अपने शिकार की बोटी-बोटी कर देता है।+
14 मुझे पानी की तरह उँडेल दिया गया है,मेरी हड्डियों के जोड़ खुल गए हैं।
मेरा दिल मोम बन गया है,+अंदर-ही-अंदर पिघल गया है।+
15 मेरी ताकत ठीकरे की तरह सूख गयी है,+मेरी जीभ तालू से चिपक गयी है,+तू मुझे मारकर मिट्टी में मिला देता है।+
16 दुश्मनों ने कुत्तों की तरह मुझे घेर लिया है,+दुष्टों की टोली मुझे धर-दबोचने पर है,+वे शेर की तरह मेरे हाथ-पैर पर झपट पड़े हैं।+
17 मैं अपनी सारी हड्डियाँ गिन सकता हूँ,+
वे मुझे ताकते रहते हैं, मुझे घूरते हैं।
18 वे मेरी पोशाक आपस में बाँटते हैं,मेरे कपड़े के लिए चिट्ठियाँ डालते हैं।+
19 मगर हे यहोवा, तू मुझसे और दूर न रह,+
तू मेरी ताकत है, मेरी मदद के लिए जल्दी आ।+
20 मुझे तलवार से बचा ले,कुत्तों के पंजों* से मेरे अनमोल जीवन* की रक्षा कर।+
21 मुझे शेर के मुँह से और जंगली बैलों के सींगों से बचा ले,+मुझे जवाब दे और बचा ले।
22 मैं अपने भाइयों में तेरे नाम का ऐलान करूँगा,+मंडली के बीच तेरी तारीफ करूँगा।+
23 यहोवा का डर माननेवालो, उसकी तारीफ करो!
याकूब के वंशजो, उसकी महिमा करो!+
इसराएल के वंशजो, उसकी श्रद्धा करो।
24 क्योंकि उसने ज़ुल्म सहनेवाले का दुख नज़रअंदाज़ नहीं किया, उससे घिन नहीं की,+परमेश्वर ने उससे अपना मुँह नहीं फेरा।+
जब उसने मदद के लिए उसे पुकारा तो उसने सुना।+
25 मैं बड़ी मंडली में तेरी तारीफ करूँगा,+तेरा डर माननेवालों के सामने अपनी मन्नतें पूरी करूँगा।
26 दीन लोग खाकर संतुष्ट होंगे,+यहोवा की खोज करनेवाले उसकी तारीफ करेंगे।+
तू हमेशा की ज़िंदगी का आनंद लेता रहे।*
27 धरती का कोना-कोना यहोवा को याद करेगा, उसकी तरफ मुड़ेगा।
राष्ट्रों के सभी परिवार तेरे सामने झुककर दंडवत करेंगे।+
28 क्योंकि राज करने का अधिकार यहोवा का है,+वह सब राष्ट्रों पर राज करता है।
29 धरती के सभी रईस* खाएँगे-पीएँगे और उसे दंडवत करेंगे,वे सभी जो मिट्टी में मिल जाते हैं उसके आगे घुटने टेकेंगे,उनमें से कोई अपनी जान नहीं बचा सकता।
30 उनके वंशज उसकी सेवा करेंगे,आनेवाली पीढ़ी को यहोवा के बारे में बताया जाएगा।
31 वे आएँगे और उसकी नेकी के बारे में बताएँगे।
आनेवाली नसल को उसके कामों के बारे में बताएँगे।
कई फुटनोट
^ शायद यह कोई धुन या संगीत-शैली थी।
^ या “तारीफों की राजगद्दी के बीच (या पर) विराजमान है।”
^ या “उन्हें शर्मिंदा नहीं किया गया।”
^ शा., “हाथ।”
^ शा., “मेरे अकेले।” यहाँ उसके जीवन की बात की गयी है।
^ शा., “तेरा दिल सदा जीए।”
^ शा., “मोटे लोग।”