भजन 46:1-11
कोरह के वंशजों+ का गीत। निर्देशक के लिए हिदायत: अलामोत की शैली* के मुताबिक।
46 परमेश्वर हमारी पनाह और ताकत है,+बुरे वक्त में आसानी से मिलनेवाली मदद है।+
2 इसलिए हम नहीं डरेंगे, चाहे धरती उलट-पुलट हो जाए,चाहे पहाड़ टूटकर समुंदर की गहराई में समा जाएँ,+
3 चाहे समुंदर गरजे और उछल-उछलकर फेन उठाए,+चाहे उसकी खलबली से पहाड़ बुरी तरह डोलें। (सेला )
4 एक नदी है जिसकी धाराओं से परमेश्वर का नगर,परम-प्रधान का महान पवित्र डेरा खुशी से झूम उठता है।+
5 उस नगर में परमेश्वर मौजूद है,+ इसलिए उसे ढाया नहीं जा सकता।
पौ फटते ही परमेश्वर उसकी मदद करने आएगा।+
6 राष्ट्र भड़के हुए थे, राज्य उलट दिए गए,परमेश्वर ने आवाज़ बुलंद की और धरती पिघल गयी।+
7 सेनाओं का परमेश्वर यहोवा हमारे संग है,+याकूब का परमेश्वर हमारा ऊँचा गढ़ है। (सेला )
8 आओ, अपनी आँखों से यहोवा के काम देखो,धरती पर उसने कैसे-कैसे आश्चर्य के काम किए हैं।
9 धरती के कोने-कोने से वह युद्धों को मिटा देता है।+
तीर-कमान तोड़ डालता है, भाले चूर-चूर कर देता है,युद्ध-रथों* को आग में भस्म कर देता है।
10 उसने कहा, “हार मान लो और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ।
राष्ट्रों में मेरी बड़ाई की जाएगी,+सारी धरती पर मेरी बड़ाई की जाएगी।”+
11 सेनाओं का परमेश्वर यहोवा हमारे संग है,+याकूब का परमेश्वर हमारा ऊँचा गढ़ है।+ (सेला )