भजन 48:1-14

कोरह के वंशजों+ का सुरीला गीत। 48  हमारे परमेश्‍वर के नगर में, अपने पवित्र पहाड़ पर,यहोवा महान है, सबसे ज़्यादा तारीफ के काबिल है।   दूर उत्तर में शान से खड़ा सिय्योन पहाड़ है,यह महाराजाधिराज का नगर है,+आसमान छूता यह नगर क्या ही सुंदर है!सारी धरती के लिए हर्ष का कारण है।+   उसकी मज़बूत मीनारों मेंपरमेश्‍वर ने ज़ाहिर किया है कि वह ऊँचा गढ़ है।+   क्योंकि देखो! राजा इकट्ठा हुए हैं,*एकजुट होकर आगे बढ़े हैं।   वे यह नगर देखकर दंग रह गए। उनमें खौफ छा जाएगा, मारे डर के वे भाग गए।   वहाँ वे थर-थर काँपने लगे,बच्चा जनती औरत की तरह तड़पने लगे।   पूरब की तेज़ आँधी से तू तरशीश के जहाज़ों को तहस-नहस कर देता है।   जो हमने सुना था वह अब अपनी आँखों से देखा है,सेनाओं के परमेश्‍वर यहोवा के नगर में, हमारे परमेश्‍वर के नगर में देखा है। परमेश्‍वर इस नगर को सदा तक मज़बूती से कायम रखेगा।+ (सेला )   हे परमेश्‍वर, तेरे मंदिर के भीतरहम तेरे अटल प्यार पर गहराई से सोचते हैं।+ 10  हे परमेश्‍वर, तेरे नाम की तरहतेरी तारीफ धरती के छोर तक गूँज रही है।+ तेरा दायाँ हाथ नेकी से भरा है।+ 11  तेरे न्याय-सिद्धांतों के कारण सिय्योन पहाड़+ आनंद-मगन हो,यहूदा के कसबों* में खुशियों की बहार हो।+ 12  सिय्योन के चारों तरफ घूम-घूमकर देखो,उसकी मीनारों की गिनती करो।+ 13  उसकी सुरक्षा की ढलानों* पर मन लगाओ।+ उसकी मज़बूत मीनारों को गौर से देखोताकि आनेवाली पीढ़ियों को उसकी दास्तान सुना सको। 14  क्योंकि यही परमेश्‍वर हमारे लिए युग-युग का परमेश्‍वर है।+ सदा तक* वही हमें राह दिखाएगा।+

कई फुटनोट

या “पहले से तय करके मिले हैं।”
शा., “बेटियों।”
या “मज़बूत शहरपनाह।”
या शायद, “हमारी मौत तक।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो