भजन 56:1-13
दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: “दूर की मौन फाख्ता” के मुताबिक। मिकताम।* यह गीत उस समय का है जब गत में पलिश्तियों ने दाविद को पकड़ लिया था।+
56 हे परमेश्वर, मुझ पर कृपा कर, नश्वर इंसान मुझ पर हमला कर रहा है।*
सारा दिन वे मुझसे लड़ते हैं, मुझ पर ज़ुल्म ढाते हैं।
2 मेरे दुश्मन दिन-भर मुझे काटने को दौड़ते हैं।बहुत-से लोग घमंड से भरकर मुझसे लड़ते हैं।
3 जब मुझे डर लगता है+ तो मैं तुझ पर भरोसा रखता हूँ।+
4 मुझे परमेश्वर पर भरोसा है जिसके वचन की मैं तारीफ करता हूँ।
मुझे परमेश्वर पर भरोसा है, मैं नहीं डरता।
अदना इंसान मेरा क्या बिगाड़ सकता है?+
5 सारा दिन वे मेरे लिए आफत खड़ी करते हैं,बस मेरा बुरा करने की ही सोचते हैं।+
6 मुझ पर हमला करने के लिए घात लगाते हैं,मेरे हर कदम पर नज़र रखते हैं+ताकि मौका मिलते ही मेरी जान ले लें।+
7 हे परमेश्वर, उनकी दुष्टता के कारण उन्हें ठुकरा दे।
अपना क्रोध भड़काकर उन राष्ट्रों को गिरा दे।+
8 तू मेरे दर-दर भटकने का हिसाब रखता है।+
दया करके मेरे आँसुओं को अपनी मशक में भर ले।+
उनका हिसाब तेरी किताब में लिखा है।+
9 जिस दिन मैं तुझे मदद के लिए पुकारूँगा, मेरे दुश्मन भाग खड़े होंगे।+
मुझे पूरा यकीन है कि परमेश्वर मेरी तरफ है।+
10 मुझे परमेश्वर पर भरोसा है जिसके वचन की मैं तारीफ करता हूँ,मुझे यहोवा पर भरोसा है जिसके वचन की मैं तारीफ करता हूँ,
11 मुझे परमेश्वर पर भरोसा है, मैं नहीं डरता।+
अदना इंसान मेरा क्या बिगाड़ सकता है?+
12 हे परमेश्वर, तुझसे मानी मन्नतें पूरी करना मेरा फर्ज़ है,+मैं तेरा शुक्रिया अदा करूँगा।+
13 क्योंकि तूने मुझे मौत के मुँह से छुड़ाया है,+मेरे पैरों को ठोकर खाने से बचाया है+ताकि मैं जीता रहूँ और परमेश्वर की सेवा करता रहूँ।*+