भजन 57:1-11

दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: “नाश न होने दे” के मुताबिक। मिकताम।* यह गीत उस समय का है जब दाविद शाऊल से भागकर गुफा में जा छिपा था।+ 57  हे परमेश्‍वर, मुझ पर कृपा कर, कृपा कर,क्योंकि मैं तेरी पनाह में आया हूँ,+जब तक मुसीबतें टल नहीं जातीं, मैं तेरे पंखों की छाँव तले पनाह लूँगा।+   मैं परम-प्रधान परमेश्‍वर को पुकारता हूँ,सच्चे परमेश्‍वर को, जो मेरी मुसीबतों का अंत कर देता है।   वह स्वर्ग से मेरी मदद करेगा, मुझे बचाएगा।+ वह उसे नाकाम कर देगा जो मुझे काटने को दौड़ता है। (सेला ) परमेश्‍वर अपने अटल प्यार और वफादारी का सबूत देगा।+   मैं शेरों से घिरा हुआ हूँ,+मुझे ऐसे आदमियों के बीच लेटना पड़ता है जो मुझे फाड़ खाना चाहते हैं,जिनके दाँत भाले और तीर हैं,जिनकी जीभ तेज़ तलवार है।+   हे परमेश्‍वर, तेरी महिमा आसमान के ऊपर हो,तेरा वैभव पूरी धरती के ऊपर फैल जाए।+   दुश्‍मनों ने मेरे पैरों के लिए जाल बिछाया है,+मैं दुखों के बोझ से झुक गया हूँ।+ उन्होंने मुझे गिराने के लिए गड्‌ढा खोदा,मगर खुद उसमें गिर पड़े।+ (सेला )   हे परमेश्‍वर, मेरा दिल अटल है,+मेरा दिल अटल है। मैं गीत गाऊँगा, संगीत बजाऊँगा।   हे मेरे मन, जाग! हे तारोंवाले बाजे और सुरमंडल, तुम भी जागो! मैं भोर को जगाऊँगा।+   हे यहोवा, मैं देश-देश के लोगों के बीच तेरी तारीफ करूँगा,+राष्ट्रों के बीच तेरी तारीफ में गीत गाऊँगा।*+ 10  क्योंकि तेरा अटल प्यार क्या ही महान है,आसमान जितना ऊँचा है,+तेरी वफादारी आकाश की बुलंदियाँ छूती है। 11  हे परमेश्‍वर, तेरी महिमा आसमान के ऊपर हो,तेरा वैभव पूरी धरती के ऊपर फैल जाए।+

कई फुटनोट

शब्दावली देखें।
या “संगीत बजाऊँगा।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो