भजन 60:1-12
दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: “यादगार का सोसन” के मुताबिक। मिकताम।* सिखाने के लिए। यह गीत उस समय का है जब दाविद ने अरम-नहरैम और अराम-सोबा की सेना से युद्ध किया था और योआब ने लौटकर नमक घाटी+ में 12,000 एदोमियों को मार गिराया था।
60 हे परमेश्वर, तूने हमें ठुकरा दिया, हमारी मोरचाबंदी तोड़ दी,+
तू हमसे नाराज़ था मगर अब हमें दोबारा अपना ले!
2 तूने धरती को कँपकँपा दिया, ज़मीन चीर दी।
अब इसकी दरारें भर दे क्योंकि यह गिरनेवाली है।
3 तूने अपने लोगों को मुसीबतें झेलने पर मजबूर किया।
हमें ऐसी दाख-मदिरा पिलायी कि हम लड़खड़ाने लगे।+
4 जो तेरा डर मानते हैं उन्हें इशारा दे*कि वे भाग जाएँ और तीर से बच जाएँ। (सेला )
5 अपने दाएँ हाथ से हमें बचा ले, हमारी सुन लेताकि जिन्हें तू प्यार करता है वे छुड़ाए जाएँ।+
6 परमेश्वर अपनी पवित्रता के कारण* कहता है,
“मैं मगन होऊँगा, विरासत में शेकेम दूँगा,+सुक्कोत घाटी नापकर दूँगा।+
7 मनश्शे मेरा है, गिलाद भी मेरा है,+एप्रैम मेरे सिर का टोप है,यहूदा मेरे लिए हाकिम की लाठी है।+
8 मोआब मेरा हाथ-पैर धोने का बरतन है।+
एदोम पर मैं अपना जूता फेंकूँगा।+
पलिश्त को जीतकर मैं जश्न मनाऊँगा।”+
9 कौन मुझे उस घिरे हुए* शहर तक ले जाएगा?
कौन मुझे दूर एदोम तक ले जाएगा?+
10 हे हमारे परमेश्वर, तू ही हमें वहाँ ले जाएगा।मगर तूने तो हमें ठुकरा दिया है,तू अब युद्ध में हमारी सेना के साथ नहीं जाता।+
11 हम संकट में हैं, हमारी मदद कर,क्योंकि उद्धार के लिए इंसान पर आस लगाना बेकार है।+
12 परमेश्वर से हमें ताकत मिलेगी,+वह हमारे बैरियों को रौंद डालेगा।+
कई फुटनोट
^ या शायद, “उन्हें तूने इशारा दिया है।”
^ या शायद, “अपनी पवित्र जगह में।”
^ या शायद, “किलेबंद।”