भजन 61:1-8

दाविद की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत: यह गीत तारोंवाले बाजे बजाकर गाया जाए। 61  हे परमेश्‍वर, मेरी मदद की पुकार सुन। मेरी प्रार्थना पर ध्यान दे।+   जब मेरा दिल दुख से बेहाल* हो, तब मैं तुझे पुकारूँगा,फिर चाहे मैं धरती के छोर पर क्यों न होऊँ।+ तू मुझे एक ऊँची चट्टान पर ले जाना।+   क्योंकि तू मेरा गढ़ है,एक मज़बूत मीनार है जो दुश्‍मन से मेरी हिफाज़त करती है।+   मैं तेरे तंबू में सदा तक मेहमान बनकर रहूँगा,+तेरे पंखों की आड़ में पनाह लूँगा।+ (सेला )   क्योंकि हे परमेश्‍वर, तूने मेरी मन्‍नतें सुनी हैं। मुझे वह विरासत दी है जो तेरे नाम का डर माननेवालों के लिए है।+   तू राजा की उम्र बढ़ाएगा,+वह पीढ़ी-पीढ़ी तक जीता रहेगा।   वह तेरे सामने सदा तक विराजमान रहेगा,*+हे परमेश्‍वर, तेरा अटल प्यार और वफादारी उसकी हिफाज़त करे।*+   तब मैं रोज़-ब-रोज़ अपनी मन्‍नतें पूरी करूँगा+और सदा तक तेरे नाम की तारीफ में गीत गाऊँगा।*+

कई फुटनोट

या “कमज़ोर।”
या “निवास करेगा।”
या “उसकी हिफाज़त के लिए अटल प्यार और वफादारी को ठहरा।”
या “संगीत बजाऊँगा।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो