भजन 64:1-10

दाविद का सुरीला गीत। निर्देशक के लिए हिदायत। 64  हे परमेश्‍वर, जब मैं मिन्‍नत करूँ तो मेरी सुन।+ दुश्‍मन के खतरनाक हमलों से मेरी जान बचा।   दुष्टों की खुफिया तरकीबों से,+बुराई करनेवालों की भीड़ से मेरी रक्षा कर।   वे अपनी जीभ तलवार की तरह तेज़ करते हैं,कड़वे शब्दों के तीरों से निशाना साधते हैं   ताकि छिपकर निर्दोष पर वार करें।वे बेधड़क होकर उस पर अचानक तीर चलाते हैं।   वे अपने बुरे इरादे पर अड़े रहते हैं,*आपस में चर्चा करते हैं कि अपने फंदे कैसे छिपाएँ। वे कहते हैं, “इन फंदों पर किसकी नज़र जाएगी?”+   वे गुनाह करने के नए-नए तरीके खोजते हैं,बड़ी चालाकी से जाल बिछाने की तरकीबें बुनते हैं,+उनके दिल के विचार समझना नामुमकिन है।   मगर परमेश्‍वर उन पर तीर चलाएगा,+वे अचानक घायल हो जाएँगे।   उनकी जीभ ही उनके गिरने की वजह बनेगी+देखनेवाले सभी हैरत से सिर हिलाएँगे।   तब सभी आदमी घबरा जाएँगे,परमेश्‍वर ने जो किया है उसका ऐलान करेंगे,वे उसके कामों की अंदरूनी समझ हासिल करेंगे।+ 10  नेक जन यहोवा के कारण आनंद मनाएगा और उसकी पनाह लेगा,+सीधे-सच्चे मनवाले सब मगन होंगे।*

कई फुटनोट

या “वे बुरा करने के लिए एक-दूसरे को उकसाते हैं।”
या “गर्व करेंगे।”

अध्ययन नोट

तसवीर और ऑडियो-वीडियो