मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 1:1-25

1  इस किताब में यीशु मसीह के जीवन का इतिहास* है। वह अब्राहम के वंश+ से और उसके वंशज दाविद के वंश+ से था। पेश है यीशु की वंशावली:   अब्राहम+ से इसहाक पैदा हुआ,+इसहाक से याकूब,+याकूब से यहूदा+ और उसके भाई पैदा हुए,+   यहूदा से पेरेस और जेरह पैदा हुए+ जिनकी माँ तामार थी,+पेरेस से हेसरोन पैदा हुआ,+हेसरोन से राम,+   राम से अम्मीनादाब,अम्मीनादाब से नहशोन,+नहशोन से सलमोन,   सलमोन से बोअज़+ पैदा हुआ, बोअज़ की माँ राहाब थी।+बोअज़ से ओबेद पैदा हुआ,+ ओबेद की माँ रूत थी।+ओबेद से यिशै पैदा हुआ,+   यिशै से राजा दाविद+ और दाविद से सुलैमान पैदा हुआ।+ सुलैमान उस औरत से पैदा हुआ जो पहले उरियाह+ की पत्नी थी।   सुलैमान से रहूबियाम पैदा हुआ,+रहूबियाम से अबियाह,+अबियाह से आसा,+   आसा से यहोशापात,+यहोशापात से यहोराम+और यहोराम से उज्जियाह+ पैदा हुआ।   उज्जियाह से योताम पैदा हुआ,+योताम से आहाज,+आहाज से हिजकियाह,+ 10  हिजकियाह से मनश्‍शे,+मनश्‍शे से आमोन+और आमोन से योशियाह पैदा हुआ।+ 11  योशियाह+ से यकोन्याह+ और उसके भाई पैदा हुए। उस दौरान, यहूदियों को बंदी बनाकर बैबिलोन ले जाया गया।+ 12  बैबिलोन में यकोन्याह से शालतीएल पैदा हुआ,शालतीएल से जरुबाबेल,+ 13  जरुबाबेल से अबीहूद,अबीहूद से एल्याकीम,एल्याकीम से अज़ोर, 14  अज़ोर से सादोक,सादोक से अखीमऔर अखीम से एलीहूद पैदा हुआ। 15  एलीहूद से एलिआज़र पैदा हुआ,एलिआज़र से मत्तान,मत्तान से याकूब 16  और याकूब से यूसुफ पैदा हुआ जो मरियम का पति था। मरियम ने यीशु को जन्म दिया+ जो मसीह+ कहलाता है। 17  अब्राहम से लेकर दाविद तक कुल मिलाकर 14 पीढ़ियाँ हुईं। दाविद से लेकर उस समय तक 14 पीढ़ियाँ हुईं, जब यहूदी बैबिलोन की बँधुआई में गए।+ बैबिलोन की बँधुआई से लेकर मसीह तक 14 पीढ़ियाँ हुईं। 18  यीशु मसीह का जन्म इस तरह हुआ। उसकी माँ मरियम की सगाई यूसुफ से हो चुकी थी।+ मगर शादी से पहले जब वह कुँवारी ही थी, तब परमेश्‍वर की पवित्र शक्‍ति की ताकत से मरियम गर्भवती हुई।+ 19  मगर उसका पति यूसुफ लोगों के सामने उसका तमाशा नहीं बनाना चाहता था* क्योंकि वह एक नेक इंसान था। इसलिए उसने चुपके से मरियम को तलाक देने* का इरादा किया।+ 20  लेकिन इस बारे में सोच-विचार करने के बाद जब वह सो गया, तो उसे सपने में यहोवा का स्वर्गदूत दिखायी दिया। स्वर्गदूत ने उससे कहा, “यूसुफ, दाविद के वंशज, तू मरियम से शादी करने से मत डर क्योंकि जो उसके गर्भ में है वह पवित्र शक्‍ति की ताकत से है।+ 21  मरियम एक बेटे को जन्म देगी। तू उसका नाम यीशु रखना+ क्योंकि वह अपने लोगों को पापों से उद्धार दिलाएगा।”+ 22  यह सब इसलिए हुआ ताकि यहोवा का यह वचन पूरा हो, जो उसने अपने भविष्यवक्‍ता से कहलवाया था, 23  “देख! कुँवारी गर्भवती होगी और एक बेटे को जन्म देगी। वे उसका नाम इम्मानुएल रखेंगे,”+ जिसका मतलब है, “परमेश्‍वर हमारे साथ है।”+ 24  तब यूसुफ नींद से जाग उठा और उसने वैसा ही किया जैसा यहोवा के स्वर्गदूत ने उसे बताया था। वह अपनी पत्नी को अपने घर ले आया। 25  मगर जब तक मरियम ने बेटे को जन्म+ न दिया, तब तक यूसुफ ने उसके साथ यौन-संबंध नहीं रखे। यूसुफ ने उस बच्चे का नाम यीशु रखा।+

कई फुटनोट

या “की वंशावली; की शुरूआत।”
या “भेज देने; छोड़ देने।”
या “उसका अपमान नहीं करना चाहता था।”

अध्ययन नोट

मत्ती: जिस यूनानी नाम का अनुवाद “मत्ती” किया गया है वह शायद उस इब्रानी नाम का छोटा रूप है जिसका अनुवाद “मतित्याह” किया गया है। (1इत 15:18) मतित्याह का मतलब है, “यहोवा का तोहफा।”

मत्ती के मुताबिक खुशखबरी: खुशखबरी की किताबों के किसी भी लेखक ने यह नहीं बताया कि उसने यह किताब लिखी है। साथ ही, सबूतों से पता चलता है कि मूल पाठ में शीर्षक नहीं थे। मत्ती की किताब की कुछ हस्तलिपियों में लंबा शीर्षक था, इयूएजीलियोन कता मथाथायोन (“मत्ती के मुताबिक खुशखबरी”) और कुछ हस्तलिपियों में छोटा शीर्षक था, कता मथाथायोन (“मत्ती के मुताबिक”)। यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि ऐसे शीर्षक कब से लिखे जाने लगे या इस्तेमाल किए जाने लगे। कुछ लोगों का मानना है कि दूसरी सदी से ऐसे शीर्षक इस्तेमाल किए जाने लगे क्योंकि खुशखबरी की किताबों की कुछ ऐसी हस्तलिपियाँ मिली हैं, जिनमें लंबा शीर्षक है और ये हस्तलिपियाँ या तो दूसरी सदी के आखिर की हैं या तीसरी सदी की शुरूआत की। कुछ विद्वानों का कहना है कि शायद मरकुस की किताब के शुरूआती शब्दों (“परमेश्‍वर के बेटे यीशु मसीह के बारे में खुशखबरी यूँ शुरू होती है”) की वजह से इन ब्यौरों को “खुशखबरी” की किताबें कहा गया है। शीर्षक में “खुशखबरी” शब्द के साथ लेखक का नाम शायद इसलिए इस्तेमाल किया जाने लगा ताकि किताबों की सही-सही पहचान हो सके।

इस किताब में . . . इतिहास है: मत्ती ने अपनी किताब की शुरूआत यूनानी शब्द बिबलॉस जेनीसेयोस (जीनेसिस का एक रूप) से की। इन शब्दों का अनुवाद “इतिहास का ब्यौरा” या “वंशावली” भी किया जा सकता है। यूनानी शब्द जीनेसिस का शाब्दिक मतलब है, “शुरूआत; जन्म; वंशावली।” सेप्टुआजेंट में शब्द जीनेसिस इब्रानी शब्द टोहलेदोथ के लिए इस्तेमाल हुआ है और इन दोनों शब्दों का मतलब काफी मिलता-जुलता है। शब्द टोहलेदोथ का अनुवाद उत्पत्ति की किताब में आम तौर पर “ब्यौरा,” “घटनाएँ” और “वंशावली” किया गया है।​—उत 2:4; 5:1; 6:9; 10:1; 11:10, 27; 25:12, 19; 36:1, 9; 37:2.

यीशु मसीह के जीवन का इतिहास: मत्ती ने लिखा कि यीशु दाविद के बेटे सुलैमान के वंश से आया था, जबकि लूका ने लिखा कि वह दाविद के बेटे नातान के वंश से आया था। (मत 1:6, 7; लूक 3:31) मत्ती के मुताबिक, यीशु को दाविद की राजगद्दी पर बैठने का कानूनी हक था क्योंकि उसका पिता यूसुफ सुलैमान का वंशज था। सबूत दिखाते हैं कि लूका ने मरियम की तरफ से वंशावली दी और दिखाया कि यीशु को दाविद की राजगद्दी पर बैठने का पैदाइशी हक था।

मसीह: मसीह और मसीहा, दोनों एक-जैसी उपाधियाँ हैं। इनके यूनानी शब्द ख्रिस्तौस और इब्रानी शब्द मशीआक का मतलब है, “अभिषिक्‍त जन।” बाइबल के ज़माने में राजाओं का अभिषेक तेल से किया जाता था।

अब्राहम के वंश से: मत्ती ने यहूदियों को ध्यान में रखा था, इसलिए उसने यीशु की वंशावली अब्राहम से शुरू की। इस तरह उसने समझाया कि कानूनी तौर पर यीशु ही वह वंश या वारिस है, जिसके बारे में परमेश्‍वर ने अब्राहम से वादा किया था और कहा था कि उस वंश के ज़रिए धरती के सभी राष्ट्र आशीष पाएँगे।

वंशज: शा., “बेटा।” बाइबल की वंशावली में शब्द ‘बेटे’ का मतलब बेटा के अलावा पोता या वंशज भी हो सकता है।

दाविद के वंश से: ये शब्द दिखाते हैं कि यीशु दाविद के खानदान से है और उस राज का वारिस है जिसके बारे में दाविद से करार किया गया था।

से . . . पैदा हुआ: शा., “उत्पन्‍न हुआ।” इस वंशावली में जिस व्यक्‍ति से पैदा होने की बात की गयी है वह पिता, दादा या पूर्वज भी हो सकता है।​—मत 1:8, 11.

तामार: मत्ती की किताब में मसीहा की वंशावली में जिन पाँच औरतों का ज़िक्र किया गया है उनमें पहला नाम तामार का है। बाकी चार औरतें हैं: राहाब और रूत जो इसराएली नहीं थीं (आय. 5); “उरियाह की पत्नी” बतशेबा (आय. 6) और मरियम (आय. 16)। हालाँकि इस वंशावली में ज़्यादातर आदमियों के नाम हैं, लेकिन इन औरतों के नाम शायद इसलिए दिए गए हैं क्योंकि वे अनोखे तरीके से यीशु की पुरखिन बनीं।

राजा दाविद: इस वंशावली में कई राजाओं के नाम दिए हैं, लेकिन “राजा” सिर्फ दाविद को कहा गया है। इसराएल के शाही खानदान को ‘दाविद का घराना’ कहा जाता था। (1रा 12:19, 20) मत्ती ने आयत 1 में कहा कि यीशु “दाविद के वंश से था।” इस तरह उसने राज के विषय पर ज़ोर दिया और समझाया कि यीशु ही उस राज का वारिस है जिसके बारे में दाविद से करार किया गया था।​—2शम 7:11-16.

उरियाह की पत्नी: यानी बतशेबा। उरियाह एक हित्ती था और दाविद के उन सैनिकों में से था जो दूसरे देशों से थे।​—2शम 11:3; 23:8, 39.

यहोराम से उज्जियाह पैदा हुआ: इसका मतलब यह नहीं कि यहोराम उज्जियाह का पिता था बल्कि वह उसका पुरखा था। वंशावली में अकसर इस तरह जानकारी दी गयी है। पहला इत 3:11, 12 के मुताबिक, दाविद के वंश में यहोराम और उज्जियाह (अजरयाह भी कहलाता था) के बीच तीन और राजा हुए थे (अहज्याह, यहोआश और अमज्याह)। मगर इस वंशावली में उनके नाम नहीं दिए गए क्योंकि वे दुष्ट थे।

योशियाह से यकोन्याह: योशियाह यकोन्याह का पिता नहीं बल्कि उसका दादा था। असल में योशियाह यहोयाकीम का पिता था और यहोयाकीम यकोन्याह का पिता था। यकोन्याह को यहोयाकीन और कोन्याह भी कहा जाता था।​—2रा 24:6; 1इत 3:15-17; एस 2:6; यिर्म 22:24.

शालतीएल से जरुबाबेल: हालाँकि कई आयतों में शालतीएल को जरुबाबेल का पिता कहा गया है (एज 3:2, 8; 5:2; नहे 12:1; हाग 1:1, 12, 14; 2:2, 23; लूक 3:27), मगर एक आयत में शालतीएल के भाई पदायाह को जरुबाबेल का पिता बताया गया है। (1इत 3:19) जरुबाबेल शायद पदायाह का ही बेटा था, लेकिन सबूतों से पता चलता है कि कानूनी तौर पर उसे शालतीएल का बेटा माना जाता था।

यूसुफ: मत्ती ने वंशावली में यह नहीं लिखा कि यूसुफ से यीशु “पैदा हुआ।” (मत 1:2 का अध्ययन नोट देखें।) इसके बजाय उसने लिखा: यूसुफ . . . मरियम का पति था। मरियम ने यीशु को जन्म दिया। इस तरह मत्ती की किताब में दी वंशावली दिखाती है कि यूसुफ यीशु का दत्तक पिता था और इस वजह से यीशु, दाविद के राज का कानूनी वारिस था। लूका ने मरियम की तरफ से वंशावली दी और दिखाया कि यीशु को दाविद की राजगद्दी पर बैठने का पैदाइशी हक था।

मसीह: मत 1:1 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “मसीह; मसीहा” देखें।

सगाई . . . शादी: यहूदियों में जब एक लड़के और लड़की की “सगाई” हो जाती थी तो उनका रिश्‍ता पक्का माना जाता था, मानो उनकी शादी हो चुकी हो। मगर वे पति-पत्नी के तौर पर एक-साथ तभी रह सकते थे जब शादी की सारी रस्में पूरी हो जाती थीं।

शक्‍ति: मसीही यूनानी शास्त्र में यूनानी शब्द नफ्मा पहली बार इस आयत में आता है। यह परमेश्‍वर की ज़ोरदार शक्‍ति है।​—शब्दावली में “रुआख; नफ्मा” देखें।

पति . . . तलाक: जिन लोगों की सगाई हो जाती थी उन्हें शादीशुदा माना जाता था। इसलिए यूसुफ को मरियम का पति और मरियम को यूसुफ की पत्नी कहना सही था। (मत 1:20) सगाई तोड़ने के लिए भी तलाक देना होता था।

यहोवा: यह उन 237 जगहों में से पहली जगह है, जहाँ यहोवा नाम मसीही यूनानी शास्त्र में पाया जाता है।​—अति. ग देखें।

यहोवा का स्वर्गदूत: ये शब्द इब्रानी शास्त्र में कई बार इस्तेमाल हुए हैं और पहली बार उत 16:7 में आए हैं। सेप्टुआजेंट की शुरूआती कॉपियों में जब भी ये शब्द आए हैं तो पहले यूनानी शब्द एगीलोस (स्वर्गदूत; दूत) लिखा गया है और उसके बाद इब्रानी अक्षरों में परमेश्‍वर का नाम लिखा गया है। सेप्टुआजेंट की एक कॉपी में जक 3:5, 6 में ये शब्द इसी तरह लिखे हुए हैं। यह कॉपी इसराएल की नहल हेवर नदी के पास पायी गयी जो ईसा पूर्व 50 से ईसवी सन्‌ 50 के बीच की है। (अति. ग देखें।) बाइबल के कई अनुवादों में इस आयत में परमेश्‍वर का नाम यहोवा पाया जाता है।​—अति. क5 और अति. ग देखें।

दाविद के वंशज: स्वर्गदूत ने यूसुफ को इस नाम से इसलिए पुकारा ताकि वह उसे अपनी बात सुनने के लिए तैयार कर सके और दाविद से किया गया करार याद दिला सके।​—मत 1:1, 6 के अध्ययन नोट देखें।

मरियम से शादी करने: या “अपने घर लाने।” यहूदियों में एक लड़के और लड़की की सगाई से ही शादी की रस्में शुरू हो जाती थीं। ये रस्में तब खत्म होती थीं जब दूल्हा, दुल्हन को अपने घर ले आता था। घर लाने की रस्म एक तय दिन पर होती थी और उस दिन दावत रखी जाती थी। ऐसा करके दूल्हा सरेआम ज़ाहिर करता था कि वह दुल्हन को अपना जीवन-साथी स्वीकार कर रहा है। इस तरह शादी सबके सामने की जाती थी, उसके गवाह होते थे, उसे मान्यता दी जाती थी और यह एक पक्का बंधन होता था।​—उत 24:67; मत 1:18, 19 के अध्ययन नोट देखें।

जो उसके गर्भ में है: या “गर्भवती है।” शा., “जो उसके गर्भ में उत्पन्‍न हुआ है।” इनके यूनानी शब्द का अनुवाद आयत 16 में “जन्म दिया” किया गया है।​—मत 1:2 का अध्ययन नोट देखें।

यीशु: यह नाम, इब्रानी नाम येशू या यहोशू के जैसा है। ये दोनों नाम यहोशुआ नाम का छोटा रूप हैं और यहोशुआ का मतलब है, “यहोवा उद्धार है।”

यहोवा: इसकी अगली आयत (आय. 23) में जो बात लिखी है वह यश 7:14 से ली गयी है, जहाँ बताया गया है कि निशानी देनेवाला यहोवा ही है। (अति. ग देखें।) आयत 23 में पहली बार मत्ती ने इब्रानी शास्त्र की बात लिखी।

यहोवा का यह वचन पूरा हो, जो उसने अपने भविष्यवक्‍ता से कहलवाया था: ये और इनसे मिलते-जुलते शब्द मत्ती की किताब में कई बार दर्ज़ किए गए हैं। ऐसा शायद इसलिए किया गया ताकि यहूदी समझ सकें कि यीशु ही वादा किया गया मसीहा है।​—मत 2:15, 23; 4:14; 8:17; 12:17; 13:35; 21:4; 26:56; 27:9.

देख!: इसका यूनानी शब्द आइडू है और इसका इस्तेमाल अकसर आगे की बात पर ध्यान खींचने के लिए किया गया है ताकि पढ़नेवाला बतायी जा रही घटना की कल्पना कर सके या उसकी बारीकी पर ध्यान दे सके। यह शब्द किसी बात पर ज़ोर देने के लिए या कोई नयी या हैरानी की बात बताने से पहले भी इस्तेमाल किया गया है। मसीही यूनानी शास्त्र में यह शब्द सबसे ज़्यादा बार मत्ती, लूका और प्रकाशितवाक्य की किताबों में आया है। इसी से मिलता-जुलता शब्द इब्रानी शास्त्र में भी अकसर इस्तेमाल हुआ है।

कुँवारी: यहाँ मत्ती ने सेप्टुआजेंट से यश 7:14 की बात लिखी, जिसमें कुँवारी के लिए पार्थिनोस शब्द इस्तेमाल हुआ है। इस शब्द का मतलब है, “ऐसा व्यक्‍ति जिसने कभी यौन-संबंध नहीं रखे।” पार्थिनोस इब्रानी शब्द अल्माह का अनुवाद है जिसमें एक और मतलब शामिल है। इसका मतलब सिर्फ “एक लड़की” भी हो सकता है। मत्ती ने परमेश्‍वर की प्रेरणा से यीशु की माँ के लिए यूनानी शब्द पार्थिनोस इस्तेमाल किया।

इम्मानुएल: एक इब्रानी नाम जो यश 7:14; 8:8, 10 में लिखा है। इम्मानुएल भविष्यवाणी में बताए गए उन नामों में से एक है जिनसे मसीहा की पहचान होती।

यहोवा: मत 1:20 का अध्ययन नोट और अति. ग देखें।

यौन-संबंध नहीं रखे: शा., “नहीं जानता था।” बाइबल की यूनानी भाषा में किसी को ‘जानने’ का मतलब उसके साथ यौन-संबंध रखना भी हो सकता है। यौन-संबंध के बारे में खुलकर बताने के बजाय कभी-कभार ऐसा लिखा जाता था। यही बात बाइबल की इब्रानी भाषा पर भी लागू होती है, जैसे उत 4:1 और दूसरी आयतों में देखा जा सकता है।

तसवीर और ऑडियो-वीडियो

मत्ती की किताब पर एक नज़र वीडियो
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पहली सदी का घर
पहली सदी का घर

पहली सदी में इसराएल में अलग-अलग तरीकों से मकान बनाए जाते थे। यह इस बात पर निर्भर होता था कि मकान बनानेवाले की आर्थिक हालत कैसी है और उस इलाके में निर्माण का कैसा सामान मिलता है। बहुत-से छोटे-छोटे घर धूप में सुखायी गयी ईंटों या गढ़े हुए पत्थरों से बनाए जाते थे। अकसर भीतरी दीवारों पर पलस्तर लगाया जाता था। आम तौर पर फर्श ज़मीन कूटकर बनाया जाता था, मगर कुछ घरों के फर्श पक्के होते थे। छतें कुछ इस तरह बनायी जाती थीं: खंभों के सहारे धरनी रखी जाती थीं और उन पर शहतीरें, नरकट और लकड़ियाँ रखी जाती थीं। उनके ऊपर गीली मिट्टी की परत बिछाकर पलस्तर कर दिया जाता था ताकि छत से पानी न टपके। छत पर जाने के लिए जीना बनाया जाता था या गरीब लोगों के घरों में बाहर सीढ़ी लगायी जाती थी। गरीबों के घरों में लकड़ी का बहुत कम सामान होता था।