मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 16:1-28
कई फुटनोट
अध्ययन नोट
उनसे कहा: कुछ प्राचीन और अहम हस्तलिपियों में से आयत 2 का आगे का भाग और आयत 3 को निकाल दिया गया है। हालाँकि पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि इनमें लिखी बातें सही हैं या नहीं, मगर कई विशेषज्ञों के मुताबिक इन्हें शामिल किया जाना चाहिए क्योंकि बहुत-सी प्राचीन और बाद की हस्तलिपियों में ये आयतें पायी जाती हैं।
विश्वासघाती: शा., “व्यभिचारी,” यानी परमेश्वर से विश्वासघात करनेवाली पीढ़ी।—मर 8:38 का अध्ययन नोट देखें।
योना के चिन्ह: मत 12:39 का अध्ययन नोट देखें।
उस पार: यानी गलील झील के दूसरी तरफ। ज़ाहिर है कि झील के उत्तर-पूर्वी किनारे पर बसे बैतसैदा की बात की गयी है।
खमीर: इसे बाइबल में अकसर पाप और भ्रष्टता की निशानी बताया गया है। यहाँ इसका मतलब है गलत शिक्षाएँ।—मत 16:12; 1कुर 5:6-8; मत 13:33 के अध्ययन नोट से तुलना करें।
टोकरियाँ: यीशु ने चमत्कार करके दो मौकों पर जब भीड़ को खाना खिलाया तो एक बार बचा हुआ खाना टोकरियों में इकट्ठा किया गया और दूसरी बार बड़े टोकरों में। इन ब्यौरों का ज़िक्र करते समय मत्ती और मरकुस ने हर बार यह फर्क साफ-साफ बताया। (मत 14:20; 15:37; 16:10 के अध्ययन नोट और मर 6:43; 8:8, 19, 20 में यही ब्यौरे देखें।) करीब 5,000 लोगों को खाना खिलानेवाले ब्यौरे में यूनानी शब्द कोफिनोस (“टोकरियों”) इस्तेमाल हुआ और करीब 4,000 लोगों को खाना खिलानेवाले ब्यौरे में यूनानी शब्द स्फिरिस (“बड़े टोकरे”) इस्तेमाल हुआ। इससे पता चलता है कि इन चमत्कारों के दौरान या तो लेखक खुद मौजूद थे या भरोसेमंद चश्मदीद गवाहों ने उन्हें यह जानकारी दी।
टोकरे: या “बड़े टोकरे।”—मत 15:37; 16:9 के अध्ययन नोट देखें।
कैसरिया फिलिप्पी: यह नगर उस जगह बसा है जहाँ यरदन नदी के पानी का स्रोत है। यह नगर समुद्र-तल से करीब 1,150 फुट (350 मी.) की ऊँचाई पर है। यह गलील झील से करीब 40 कि.मी. (25 मील) दूर उत्तर में और हेरमोन पहाड़ की दक्षिण-पश्चिमी तराई में है। हेरोदेस महान के बेटे फिलिप्पुस ने रोमी सम्राट के सम्मान में इस नगर का नाम कैसरिया रखा था। कैसरिया नाम का एक और बंदरगाह शहर था, इसलिए इस नगर को कैसरिया फिलिप्पी (मतलब, “फिलिप्पुस का कैसरिया”) कहा जाता था।—अति. ख10 देखें।
इंसान का बेटा: मत 8:20 का अध्ययन नोट देखें।
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाला: मत 3:1 का अध्ययन नोट देखें।
शमौन पतरस: मत 10:2 का अध्ययन नोट देखें।
मसीह: पतरस ने कहा कि यीशु ही “मसीह” (यूनानी में हो ख्रिस्तौस) है। यह उपाधि, “मसीहा” (इब्रानी में मशीआक) के जैसी है और दोनों का मतलब है, “अभिषिक्त जन।” यूनानी में यहाँ उपाधि “मसीह” से पहले निश्चित उपपद लिखा है। ज़ाहिर है कि ऐसा इसलिए किया गया ताकि यीशु के ओहदे पर ज़ोर दिया जा सके कि वही मसीहा है।—मत 1:1; 2:4 के अध्ययन नोट देखें।
जीवित परमेश्वर: ये शब्द यह दिखाने के लिए इस्तेमाल किए गए हैं कि यहोवा एक जीवित और शक्तिशाली तरीके से काम करनेवाला परमेश्वर है, जबकि राष्ट्रों के देवता बेजान थे। (प्रेष 14:15) मिसाल के लिए, कैसरिया फिलिप्पी के इलाके में पूजे जानेवाले देवता। (मत 16:13) “जीवित परमेश्वर,” ये शब्द इब्रानी शास्त्र में भी आते हैं।—व्य 5:26; यिर्म 10:10.
योना के बेटे: या “बार-योना।” कई इब्रानी नामों की शुरूआत इब्रानी शब्द बेन या अरामी शब्द बर (या बार) से होती है और उसके बाद पिता का नाम या कुलनाम आता है। मिसाल के लिए, बरतुलमै, बरतिमाई और बार-यीशु। ये सारे नाम दिखाते हैं कि यीशु के दिनों में इब्रानी भाषा पर अरामी भाषा का काफी असर था।
हाड़-माँस के इंसान: शा., “माँस और लहू।” यहूदी लोग ये शब्द बहुत इस्तेमाल करते थे। यहाँ यीशु के कहने का मतलब है कि पतरस इस नतीजे पर खुद-ब-खुद नहीं पहुँचा और न ही किसी इंसान ने उसे यह बात बतायी है।
तू पतरस है। और इस चट्टान पर: यूनानी शब्द पेट्रोस पुल्लिंग है और इसका मतलब है, “चट्टान का टुकड़ा; पत्थर।” यहाँ यह एक नाम (पतरस) के रूप में इस्तेमाल हुआ है जो यीशु ने शमौन को दिया था। (यूह 1:42) यूनानी शब्द पेट्रा स्त्रीलिंग है और उसका अनुवाद “चट्टान” किया गया है। इसका मतलब मिट्टी के नीचे चट्टान, या एक खड़ी चट्टान या फिर एक विशाल चट्टान हो सकता है। यह शब्द मत 7:24, 25; 27:60; लूक 6:48; 8:6; रोम 9:33; 1कुर 10:4; 1पत 2:8 में भी आता है। ज़ाहिर है कि पतरस ने खुद को वह चट्टान नहीं समझा जिस पर यीशु अपनी मंडली खड़ी करता। उसने 1पत 2:4-8 में लिखा कि यीशु ही ‘नींव में डाला जानेवाला कोने का पत्थर है,’ जिसके बारे में बरसों पहले भविष्यवाणी की गयी थी और जिसे खुद परमेश्वर ने चुना था। उसी तरह प्रेषित पौलुस ने यीशु को “नींव” और ‘परमेश्वर की चट्टान’ कहा। (1कुर 3:11; 10:4) इसलिए ज़ाहिर है कि यहाँ यीशु के कहने का मतलब था, ‘मैंने तुझे पतरस यानी चट्टान का टुकड़ा कहा और तूने मसीह यानी “इस चट्टान” को सही तरह से पहचाना जो मसीही मंडली की नींव बनेगी।’
मंडली: यूनानी शब्द एकलीसीया यहाँ पहली बार आया है। यह दो यूनानी शब्दों से मिलकर बना है, पहला है एक जिसका मतलब है “बाहर” और दूसरा है कलीयो जिसका मतलब है “बुलाना।” इसलिए एकलीसीया का मतलब है, ऐसे लोगों का समूह जिन्हें किसी खास मकसद या काम के लिए बुलाया या इकट्ठा किया गया है। (शब्दावली देखें।) इस संदर्भ में यीशु ने भविष्यवाणी की कि आगे चलकर मसीही मंडली की शुरूआत होगी जो अभिषिक्त मसीहियों से मिलकर बनेगी। उनके बारे में कहा गया है कि वे “जीवित पत्थर” हैं और “पवित्र शक्ति से एक भवन के रूप में [उनका] निर्माण किया जा रहा है।” (1पत 2:4, 5) सेप्टुआजेंट में शब्द एकलीसीया उस इब्रानी शब्द के लिए बहुत बार इस्तेमाल हुआ है जिसका अनुवाद “मंडली” किया गया है और जो अकसर परमेश्वर के लोगों के पूरे राष्ट्र के लिए इस्तेमाल हुआ है। (व्य 23:3; 31:30) जिन इसराएलियों को मिस्र से बाहर बुलाया या छुड़ाया गया था उन्हें प्रेष 7:38 में “मंडली” कहा गया है। उसी तरह जिन मसीहियों को ‘अंधकार से निकालकर रौशनी में बुलाया’ गया और “दुनिया से चुन लिया” गया है, उनसे ‘परमेश्वर की मंडली’ बनी है।—1पत 2:9; यूह 15:19; 1कुर 1:2.
कब्र: या “हेडीज़,” यानी एक लाक्षणिक जगह जहाँ ज़्यादातर इंसान मौत की नींद सो जाते हैं। (शब्दावली देखें।) बाइबल में मरे हुओं के बारे में कहा गया है कि वे “कब्र के दरवाज़ों” में बंद हैं (भज 107:18; यश 38:10) यानी मौत ने उन्हें कैद कर रखा है। यीशु वादा करता है कि वह कब्र पर जीत पाएगा तब उसके ‘दरवाज़े’ खोल दिए जाएँगे और मरे हुए उसमें से निकल आएँगे यानी ज़िंदा कर दिए जाएँगे। जब खुद यीशु को ज़िंदा किया गया तो यह और भी पुख्ता हो गया कि उसका वादा सच है। (मत 16:21) मंडली पर मौत हावी नहीं हो सकती या हमेशा के लिए उसे बंद करके नहीं रख सकती क्योंकि उसकी बुनियाद यीशु है जो उसके सदस्यों को मौत से छुड़ा सकता है।—प्रेष 2:31; प्रक 1:18; 20:13, 14.
स्वर्ग के राज की चाबियाँ: बाइबल में जिन लोगों को सचमुच की या लाक्षणिक चाबियाँ दी गयीं, उन्हें कुछ अधिकार दिए गए थे। (1इत 9:26, 27; यश 22:20-22) इसलिए शब्द “चाबी” अधिकार और ज़िम्मेदारी की निशानी बन गया। पतरस को जो चाबियाँ दी गयी थीं उनका उसने यहूदियों (प्रेष 2:22-41), सामरियों (प्रेष 8:14-17) और गैर-यहूदियों (प्रेष 10:34-38) के लिए इस्तेमाल किया ताकि वे परमेश्वर की पवित्र शक्ति पा सकें और स्वर्ग के राज में दाखिल हो सकें।
बाँधेगा . . . खोलेगा: ज़ाहिर है कि यहाँ कुछ फैसलों की बात की गयी है जिनकी वजह से या तो कुछ कामों या घटनाओं को रोका जाएगा या होने दिया जाएगा।—मत 18:18 के अध्ययन नोट से तुलना करें।
पहले ही स्वर्ग में बँधा होगा . . . पहले ही स्वर्ग में खुला होगा: यहाँ ‘बाँधने’ और ‘खोलने’ की यूनानी क्रियाएँ जिस तरह लिखी हैं, उस तरह आम तौर पर नहीं लिखी जाती है। इससे पता चलता है कि पतरस जो भी फैसला करेगा (“जो कुछ तू धरती पर बाँधेगा”; “जो कुछ तू धरती पर खोलेगा”), वह उस फैसले के मुताबिक होगा जो स्वर्ग में पहले ही लिया जा चुका होगा।—मत 18:18 के अध्ययन नोट से तुलना करें।
मसीह: मत 16:16 का अध्ययन नोट देखें।
यीशु: कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में “यीशु मसीह” लिखा है।
मुखियाओं: शा., “बुज़ुर्गों।” बाइबल में यूनानी शब्द प्रेसबाइटेरोस खासकर ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल हुआ है जो समाज या देश में अधिकार और ज़िम्मेदारी के पद पर थे। हालाँकि यह शब्द कभी-कभी बड़ी उम्र के लोगों के लिए इस्तेमाल हुआ है (जैसे लूक 15:25 में “बड़ा बेटा” और प्रेष 2:17 में “बुज़ुर्ग”), लेकिन इसका हमेशा यही मतलब नहीं है। यहाँ इस शब्द का मतलब है यहूदी राष्ट्र के अगुवे, जिनका ज़िक्र अकसर प्रधान याजकों और शास्त्रियों के साथ किया जाता है। महासभा इन्हीं तीन समूहों के आदमियों से मिलकर बनी होती थी।—मत 21:23; 26:3, 47, 57; 27:1, 41; 28:12; शब्दावली में “मुखिया; बुज़ुर्ग” देखें।
प्रधान याजकों: मत 2:4 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “प्रधान याजक” देखें।
शास्त्रियों: मत 2:4 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “शास्त्री” देखें।
शैतान: यीशु पतरस को शैतान नहीं बल्कि विरोधी कह रहा था, जो इब्रानी शब्द सातन का मतलब है। इस तरह वह शायद यह ज़ाहिर कर रहा था कि इस मौके पर पतरस ने खुद पर शैतान का असर होने दिया, इसलिए वह यीशु को परमेश्वर की मरज़ी पूरी करने से रोक रहा था।
ठोकर की वजह: मत 18:7 का अध्ययन नोट देखें।
वह खुद से इनकार करे: इससे पता चलता है कि एक इंसान को अपनी ज़िंदगी पर जो अधिकार होता है उसे वह खुशी-खुशी त्याग दे या परमेश्वर को दे दे। इसमें अपनी इच्छाएँ, सुख-सुविधाएँ या अपने लक्ष्यों का त्याग करना भी शामिल हो सकता है। (2कुर 5:14, 15) यहाँ जो यूनानी क्रिया इस्तेमाल हुई है, मत्ती ने वही क्रिया उन आयतों में इस्तेमाल की जिनमें उसने बताया कि पतरस यीशु को जानने से इनकार करेगा और ऐसा करने के बाद वह इस बात को याद करता है।—मत 26:34, 35, 75.
यातना का काठ: या “मौत का काठ।” प्राचीन यूनानी भाषा में यूनानी शब्द स्टौरोस का खास तौर से मतलब है, सीधा काठ या खंभा। यह शब्द लाक्षणिक तौर पर इस्तेमाल हुआ है और कभी-कभी इसका मतलब है, यीशु का चेला होने की वजह से यातना, दुख-तकलीफें, शर्मिंदगी, यहाँ तक कि मौत सहना।—शब्दावली देखें।
जान: शब्दावली में “जीवन” देखें।
जान: शब्दावली में “जीवन” देखें।
सच: मत 5:18 का अध्ययन नोट देखें।
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
बाइबल में अलग-अलग तरह की टोकरियों के लिए अलग-अलग शब्द इस्तेमाल हुए हैं। जब यीशु ने करीब 5,000 आदमियों को खाना खिलाया, तो बचा हुआ खाना 12 टोकरियों में इकट्ठा किया गया। इन टोकरियों के लिए जो यूनानी शब्द इस्तेमाल हुआ है, उसका मतलब हाथ से उठायी जानेवाली छोटी टोकरियाँ हो सकता है। लेकिन जब यीशु ने करीब 4,000 लोगों को खाना खिलाया था, तो जिन सात टोकरों में बचा हुआ खाना रखा गया, उनके लिए एक अलग यूनानी शब्द इस्तेमाल हुआ है, जिसका मतलब है, बड़े टोकरे। (मर 8:8, 9) यही यूनानी शब्द उस टोकरे के लिए इस्तेमाल हुआ, जिसमें पौलुस को बिठाकर दमिश्क की शहरपनाह से नीचे उतारा गया था।—प्रेष 9:25.
यीशु और उसके चेले नाव में बैठकर मगदन से बैतसैदा गए, जो गलील झील के उत्तरी किनारे पर है। (मर 8:22) यह झील समुद्र-तल से करीब 700 फुट (210 मी.) नीचे है। बैतसैदा से करीब 40 कि.मी. (25 मील) दूर कैसरिया फिलिप्पी था जो समुद्र-तल से 1,150 फुट (350 मी.) ऊँचाई पर था। मुमकिन है कि बैतसैदा से ऊपर कैसरिया फिलिप्पी जाने में उन्हें कुछ दिन लगे होंगे।—यीशु ने किन इलाकों में प्रचार किया, नक्शे में यह देखने के लिए अतिरिक्त लेख क7-च देखें।