मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 17:1-27
अध्ययन नोट
कैसरिया फिलिप्पी: यह नगर उस जगह बसा है जहाँ यरदन नदी के पानी का स्रोत है। यह नगर समुद्र-तल से करीब 1,150 फुट (350 मी.) की ऊँचाई पर है। यह गलील झील से करीब 40 कि.मी. (25 मील) दूर उत्तर में और हेरमोन पहाड़ की दक्षिण-पश्चिमी तराई में है। हेरोदेस महान के बेटे फिलिप्पुस ने रोमी सम्राट के सम्मान में इस नगर का नाम कैसरिया रखा था। कैसरिया नाम का एक और बंदरगाह शहर था, इसलिए इस नगर को कैसरिया फिलिप्पी (मतलब, “फिलिप्पुस का कैसरिया”) कहा जाता था।—अति. ख10 देखें।
एक ऊँचे पहाड़: मुमकिन है कि यह हेरमोन पहाड़ है जो कैसरिया फिलिप्पी के पास है। (मत 16:13 का अध्ययन नोट देखें।) इसकी ऊँचाई समुद्र-तल से करीब 9,232 फुट (2,814 मी.) है। शायद इसी पहाड़ की किसी ऊँची ढलान पर यीशु का रूप बदला था।—अति. ख10 देखें।
यीशु का रूप बदल गया: इस आयत में यूनानी क्रिया मेटामॉरफोऊ रोम 12:2 में भी इस्तेमाल हुई है।
जिसे मैंने मंज़ूर किया है: या “जिससे मैं अति प्रसन्न हूँ।” (मत 3:17 का अध्ययन नोट देखें।) यहाँ यश 42:1 की बात लिखी है और इब्रानी शब्द नेफेश के लिए यूनानी शब्द साइखी इस्तेमाल हुआ है जिसका अनुवाद “मैंने” किया गया है।—शब्दावली में “जीवन” देखें।
आवाज़: खुशखबरी की किताबों में बताया गया है कि यहोवा ने तीन मौकों पर सीधे-सीधे इंसानों से बात की और यह दूसरा मौका था।—मत 3:17; यूह 12:28 के अध्ययन नोट देखें।
जिसे मैंने मंज़ूर किया है: या “जिससे मैं अति प्रसन्न हूँ।”—मत 3:17; 12:18 के अध्ययन नोट देखें।
मैंने इसे मंज़ूर किया है: या “जिससे मैं अति प्रसन्न हूँ; जिससे मैं बहुत खुश हूँ।” यही शब्द मत 12:18 में इस्तेमाल हुए हैं जहाँ यश 42:1 की बात लिखी है। इस आयत में वादा किए गए मसीहा या मसीह के बारे में बताया है। अपने बेटे यीशु के बारे में परमेश्वर का ऐलान और उस पर पवित्र शक्ति उँडेलना इस बात का सबूत था कि वही वादा किया गया मसीहा है।—मत 12:18 का अध्ययन नोट देखें।
स्वर्ग से आवाज़: खुशखबरी की किताबों में बताया गया है कि यहोवा ने तीन मौकों पर सीधे-सीधे इंसानों से बात की और यह पहला मौका था।—मत 17:5; यूह 12:28 के अध्ययन नोट देखें।
इंसान के बेटे: मत 8:20 का अध्ययन नोट देखें।
इंसान के बेटे: ये शब्द खुशखबरी की किताबों में करीब 80 बार आते हैं। यीशु ने ये शब्द खुद के लिए इस्तेमाल किए। ज़ाहिर है उसने ऐसा इसलिए किया ताकि साबित हो सके कि वह वाकई एक इंसान है और औरत से जन्मा है और आदम के बराबर है। इसलिए उसके पास इंसानों को पाप और मौत से छुड़ाने का अधिकार है। (रोम 5:12, 14, 15) इन शब्दों से यह भी पता चलता है कि यीशु ही मसीहा या मसीह है।—दान 7:13, 14; शब्दावली में “इंसान का बेटा” देखें।
घुटने टेककर: प्राचीन मध्य पूर्व में किसी के सामने घुटने टेकना, आदर की निशानी माना जाता था। ऐसा खासकर अधिकारियों से फरियाद करते वक्त किया जाता था।
मिरगी: इसके यूनानी शब्द का शाब्दिक मतलब है, “चंद्रमा से ग्रस्त।” मगर मत्ती ने यह शब्द बीमारी बताने के लिए इस्तेमाल किया, न कि यह अंधविश्वास बताने के लिए कि यह बीमारी चंद्रमा की कुछ कलाओं से जुड़ी है। मत्ती, मरकुस और लूका ने बीमारी के जो लक्षण बताए वे मिरगी के हैं।
मिरगी: मत 4:24 का अध्ययन नोट देखें।
बीजों में सबसे छोटा: प्राचीन यहूदी लेखों में छोटी-से-छोटी माप बताने के लिए राई का दाना अलंकार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। हालाँकि आज इससे भी छोटे बीज पाए जाते हैं, लेकिन ज़ाहिर है कि यीशु के दिनों में यही सबसे छोटा बीज था जिसकी गलील में खेती की जाती थी।
राई के दाने: इसराएल के जंगलों में कई किस्म के राई (सरसों) के पौधे पाए जाते हैं। ज़्यादातर काली सरसों (ब्रैसिका नाइग्रा) उगायी जाती है। इसका बीज काफी छोटा होता है, 1-1.6 मि.मी. (0.039 से 0.063 इंच) व्यास और वज़न 1 मि.ग्रा., लेकिन इसका पौधा बड़ा होकर पेड़ जैसा दिखने लगता है। कुछ किस्म की सरसों के पौधे तो 15 फुट (4.5 मी.) तक लंबे होते हैं।
सच: यूनानी शब्द आमीन, इब्रानी शब्द आमेन से लिया गया है जिसका मतलब है, “ऐसा ही हो” या “ज़रूर।” यीशु अकसर कोई बात, वादा या भविष्यवाणी करने से पहले इस शब्द का इस्तेमाल करता था ताकि वह जो कह रहा है उस पर लोगों को भरोसा हो। यीशु ने जिस तरह “सच” यानी आमीन शब्द का इस्तेमाल किया, वैसा दूसरी धार्मिक किताबों में नहीं हुआ है। जहाँ यह शब्द साथ-साथ आया है (आमीन-आमीन), वहाँ उस शब्द का अनुवाद “सच-सच” किया गया है, जैसे हम यूहन्ना की खुशखबरी की किताब में कई बार देख सकते हैं।—यूह 1:51.
अपने विश्वास की कमी: इनके यूनानी शब्द से जुड़ा एक और शब्द है, जिसका अनुवाद मत 6:30; 8:26; 14:31; 16:8; लूक 12:28 में “अरे कम विश्वास रखनेवालो” किया गया है। यीशु के कहने का मतलब यह नहीं था कि उसके चेलों में बिलकुल विश्वास नहीं है बल्कि उन्हें अपना विश्वास और बढ़ाना था।—मत 6:30; 8:26 के अध्ययन नोट देखें।
सच: मत 5:18 का अध्ययन नोट देखें।
राई के दाने के बराबर: मत 13:31, 32 के अध्ययन नोट देखें।
अरे कम विश्वास रखनेवालो!: यीशु ने यह बात अपने चेलों से कही, जो दिखाती है कि उनका विश्वास या भरोसा मज़बूत नहीं था। (मत 8:26; 14:31; 16:8; लूक 12:28) इसका मतलब यह नहीं कि उनमें बिलकुल विश्वास नहीं था बल्कि उनका विश्वास कम था।
अरे, कम विश्वास रखनेवालो: यीशु के कहने का मतलब यह नहीं कि उसके चेलों में बिलकुल विश्वास नहीं था बल्कि उनका विश्वास कम था।—मत 14:31; 16:8; लूक 12:28; मत 6:30 का अध्ययन नोट देखें।
प्रार्थना से: कुछ हस्तलिपियों में ये शब्द भी जोड़े गए हैं: “और उपवास से।” लेकिन ये शब्द सबसे पुरानी और भरोसेमंद हस्तलिपियों में नहीं पाए जाते। ज़ाहिर है कि ये शब्द उन नकल-नवीसों ने जोड़ दिए जो खुद उपवास करते थे और इसका बढ़ावा देते थे। उन्होंने कई दूसरी आयतों में भी उपवास के बारे में लिखा, जबकि पुरानी हस्तलिपियों में उन आयतों में इस बारे में बात नहीं की गयी है।—मत 17:21 का अध्ययन नोट देखें।
कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में यहाँ लिखा है: “पर यह जाति बिना प्रार्थना और उपवास के नहीं निकलती।” (मर 9:29 का अध्ययन नोट देखें।) लेकिन ये शब्द सबसे पुरानी और भरोसेमंद हस्तलिपियों में नहीं पाए जाते। ज़ाहिर है कि ये शब्द परमेश्वर की प्रेरणा से लिखे शास्त्र का हिस्सा नहीं हैं।—अति. क3 देखें।
कफरनहूम: यह एक इब्रानी नाम से निकला है जिसका मतलब है, “नहूम का गाँव” या “दिलासे का गाँव।” (नहू 1:1, फु.) धरती पर यीशु की प्रचार सेवा से इस शहर का खास संबंध रहा। यह गलील झील के उत्तर-पश्चिमी तट पर था और मत 9:1 में इसे उसका ‘अपना शहर’ कहा गया।
कफरनहूम: मत 4:13 का अध्ययन नोट देखें।
मंदिर का कर: शा., “दो-द्राख्मा का एक सिक्का।” (अति. ख14 देखें।) कर से मंदिर के कई काम किए जाते थे। (निर्ग 30:12-16) मालूम होता है कि यीशु के दिनों तक यह दस्तूर बन गया था कि यहूदी आदमियों को हर साल मंदिर के कर के लिए एक तय रकम देनी है।
बेटों को कर देने की ज़रूरत नहीं है: यीशु के दिनों में राज-घराने के सदस्य कर से मुक्त थे।
मछली पकड़ने के लिए काँटा: इनका यूनानी शब्द, मसीही यूनानी शास्त्र में सिर्फ यहीं आता है। मुमकिन है कि डोरी के आखिर में काँटा लगा होता था और उसमें चारा लगाकर उसे पानी में डाला जाता था। मसीही यूनानी शास्त्र की दूसरी आयतों में मछली पकड़ने के लिए जाल का ज़िक्र किया गया है।
चाँदी का एक सिक्का: शा., “स्ताटेर सिक्का,” जो चार-द्राख्मा के बराबर माना जाता था। (अति. ख14 देखें।) यह सिक्का एक शेकेल के बराबर था। दो लोगों को मंदिर के कर के लिए इतनी ही रकम देनी होती थी।—निर्ग 30:13.
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
![हेरमोन पहाड़](https://assetsnffrgf-a.akamaihd.net/assets/m/1001072033/univ/wpub/1001072033_univ_sqs_xs.jpg)
हेरमोन, इसराएली इलाके का सबसे ऊँचा पहाड़ है। इसकी ऊँचाई करीब 9,232 फुट (2,814 मी.) है और यह कैसरिया फिलिप्पी के पास है। जब नम हवा हेरमोन पहाड़ की बर्फीली चोटियों से होकर गुज़रती थी, तो उससे ओस बनती थी। यही ओस लंबे समय तक चलनेवाले सूखे मौसम में पेड़-पौधों को सींचती थी जिससे वे हरे-भरे रहते थे। (भज 133:3) इसकी पिघली हुई बर्फ यरदन नदी का मुख्य स्रोत है। एक संभावना है कि इस पहाड़ पर यीशु का रूप बदला था।—मत 17:2.
![हूला घाटी आरक्षित क्षेत्र से हेरमोन पहाड़ का नज़ारा](https://assetsnffrgf-a.akamaihd.net/assets/m/1001072060/univ/wpub/1001072060_univ_sqs_xs.jpg)
हेरमोन पहाड़ वादा किए हुए देश की उत्तरी छोर पर है। इस पहाड़ पर कई चोटियाँ हैं जो साफ नज़र आती हैं। सबसे ऊँची चोटी समुद्र-तल से 9,232 फुट (2,814 मी.) की ऊँचाई पर है। इन्हीं चोटियों से पूर्वी लबानोन पर्वतमाला का दक्षिणी हिस्सा बनता है। मुमकिन है कि हेरमोन पहाड़ पर यीशु का रूप बदला था।