मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 23:1-39
अध्ययन नोट
मूसा की गद्दी पर बैठे हैं: या “खुद को मूसा की जगह नियुक्त कर लिया है।” उन्होंने यह कहने की गुस्ताखी की कि परमेश्वर का कानून समझाने का जो अधिकार मूसा को था वह अब उनका है।
भारी बोझ: ज़ाहिर है कि यहाँ ऐसे नियमों और ज़बानी तौर पर सिखायी परंपराओं की बात की गयी है जिन्हें मानना लोगों के लिए बोझ बन गया था।
उसे उठाने के लिए खुद उँगली तक नहीं लगाना चाहते: इसका मतलब शायद यह है कि धर्म गुरु उन लोगों की खातिर एक छोटा-सा नियम भी खारिज करने को तैयार नहीं थे, जिन पर उन्होंने नियमों का भारी बोझ लाद दिया था।
उन डिब्बियों को . . . जिनमें शास्त्र की आयतें लिखी होती हैं और जिन्हें वे तावीज़ों की तरह पहनते हैं: ये डिब्बियाँ चमड़े की बनी होती थीं और इनमें कानून के चार भाग लिखकर रखे जाते थे। (निर्ग 13:1-10, 11-16; व्य 6:4-9; 11:13-21) यहूदी आदमी ये डिब्बियाँ अपने माथे पर और बाएँ हाथ पर बाँधते थे। परमेश्वर ने इसराएलियों को निर्ग 13:9, 16; व्य 6:8; 11:18 में जो हिदायत दी थी उसे यहूदियों ने शब्द-ब-शब्द मान लिया और इससे इन डिब्बियों को बाँधने का दस्तूर शुरू हो गया। यीशु ने धर्म गुरुओं को फटकारा क्योंकि वे दूसरों की नज़रों में छाने के इरादे से इन डिब्बियों को और भी चौड़ा बनाते थे और उनकी यह गलत सोच थी कि इन्हें तावीज़ की तरह पहनने से उनकी हिफाज़त होगी।
कपड़ों की झालरें और लंबी करते हैं: गि 15:38-40 में इसराएलियों को आज्ञा दी गयी थी कि वे अपनी पोशाक के नीचे के घेरे में झालर लगाएँ। लेकिन शास्त्री और फरीसी दिखावे के लिए अपने कपड़ों की झालरें दूसरों से लंबी बनवाते थे।
सबसे आगे की जगहों: या “सबसे बढ़िया जगहों।” ज़ाहिर है कि सभा-घर में अगुवाई करनेवाले अधिकारी और जाने-माने लोग एकदम सामने बैठते थे जहाँ पास में शास्त्र के खर्रे रखे जाते थे। मुमकिन है कि ये जगह ऐसे बड़े-बड़े लोगों के लिए ही रखी जाती थीं। वे सामने इसलिए बैठते थे ताकि वहाँ हाज़िर लोग उन्हें देख सकें।
बाज़ारों: या “इकट्ठा होने की जगहों।” यहाँ यूनानी शब्द अगोरा इस्तेमाल हुआ है जिसका मतलब एक खुली जगह हो सकता है जहाँ खरीद-फरोख्त की जाती थी। इसका मतलब लोगों के इकट्ठा होने की जगह भी हो सकता है, जो प्राचीन मध्य पूर्व के, यूनान के और रोम के शहरों और नगरों में होती थी।
गुरु: शा., “रब्बी।” इसका शाब्दिक मतलब है, “मेरे महान।” यह इब्रानी शब्द राव से निकला है जिसका मतलब है, “महान।” आम तौर पर “रब्बी” का मतलब होता है, “गुरु” (यूह 1:38), मगर बाद में यह शब्द सम्मान की उपाधि के तौर पर इस्तेमाल किया जाने लगा। कुछ ज्ञानी, शास्त्री और कानून के शिक्षक माँग करते थे कि उन्हें “रब्बी” कहकर पुकारा जाए।
पिता: यहाँ यीशु कह रहा था कि आदमियों या धर्म गुरुओं को दूसरों से ऊँचा उठाने के लिए उपाधि “पिता” (या फादर) का इस्तेमाल करना गलत है।
नेता: इसका यूनानी शब्द आयत 8 में दिए “गुरु” शब्द का ही पर्यायवाची है। यहाँ इस शब्द का मतलब है, उपासना के मामले में मार्गदर्शन और हिदायतें देनेवाला। ज़ाहिर है कि यह शब्द धर्म से जुड़ी एक उपाधि था।
अगुवा: कोई भी अपरिपूर्ण इंसान सच्चे मसीहियों का अगुवा नहीं हो सकता, इसलिए सिर्फ यीशु इस उपाधि का हकदार है।—इसी आयत में नेता पर अध्ययन नोट देखें।
मसीह: यूनानी में यहाँ उपाधि “मसीह” (मतलब, “अभिषिक्त जन”) से पहले निश्चित उपपद लिखा है। ऐसा इसलिए किया गया ताकि यह ज़ाहिर हो कि यीशु ही वादा किया गया मसीहा है, जिसे खास काम के लिए अभिषिक्त किया गया है।—मत 1:1; 2:4 के अध्ययन नोट देखें।
सेवक: मत 20:26 का अध्ययन नोट देखें।
कपटी: मत 6:2 का अध्ययन नोट देखें।
धिक्कार है तुम पर!: यीशु ने धर्म गुरुओं को एक-के-बाद-एक सात बार धिक्कारा और कहा कि वे कपटी और अंधे अगुवे हैं। इस आयत में यीशु ने उन्हें पहली बार धिक्कारा।
दरवाज़ा बंद कर देते हो: यानी वे लोगों को स्वर्ग के राज में दाखिल होने से रोकते हैं।
कुछ हस्तलिपियों में यहाँ लिखा है: “अरे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, धिक्कार है तुम पर! तुम विधवाओं के घर हड़प जाते हो और दिखावे के लिए लंबी-लंबी प्रार्थनाएँ करते हो। इसलिए तुम्हें और भी कड़ी सज़ा मिलेगी।” लेकिन सबसे प्राचीन और अहम हस्तलिपियों में यह आयत नहीं पायी जाती। इनसे मिलते-जुलते शब्द मर 12:40 और लूक 20:47 में दर्ज़ हैं जो परमेश्वर की प्रेरणा से लिखे शास्त्र का हिस्सा हैं।—अति. क3 देखें।
अपने पंथ में लाने के लिए: या “यहूदी धर्म अपनाने के लिए।” यूनानी शब्द प्रोसीलाइटोस ऐसे गैर-यहूदी लोगों के लिए इस्तेमाल होता था, जिन्होंने यहूदी धर्म अपनाया था और उनमें जो पुरुष थे उन्होंने खतना भी करवाया था।
गेहन्ना के लायक: शा., “गेहन्ना का बेटा,” यानी ऐसा व्यक्ति जो इस लायक है कि उसका हमेशा के लिए नाश किया जाए।—शब्दावली में “गेहन्ना” देखें।
अरे मूर्खो और अंधो!: या “अरे अंधे मूर्खो!” बाइबल में शब्द “मूर्ख” का आम तौर पर मतलब है, ऐसा व्यक्ति जो जानबूझकर समझ से काम नहीं लेता और परमेश्वर के नेक स्तरों पर चलने के बजाय गलत राह पर चलने की बेवकूफी करता है।
पुदीने, सोए और जीरे का दसवाँ हिस्सा: मूसा के कानून के मुताबिक, इसराएलियों को अपनी फसल का दसवाँ हिस्सा देना होता था। (लैव 27:30; व्य 14:22) हालाँकि कानून में यह नहीं बताया गया था कि उन्हें पुदीने, सोए और जीरे जैसे छोटे-छोटे पौधों का भी दसवाँ हिस्सा देना है, फिर भी यीशु ने इन्हें देने की परंपरा को गलत नहीं बताया। इसके बजाय उसने शास्त्रियों और फरीसियों को इसलिए फटकारा क्योंकि वे न्याय करने, दया दिखाने और वफादार रहने जैसे कानून के सिद्धांतों को बढ़ावा न देकर उसकी छोटी-छोटी बातों को मानने पर ज़ोर दे रहे थे।
मच्छर को तो छानकर निकाल देते हो, मगर ऊँट को निगल जाते हो: इसराएलियों के लिए अशुद्ध जीवों में से मच्छर सबसे छोटा था और ऊँट सबसे बड़ा। (लैव 11:4, 21-24) यीशु न सिर्फ अतिशयोक्ति अलंकार का इस्तेमाल कर रहा था बल्कि व्यंग भी कर रहा था। वह कह रहा था कि धर्म गुरु अपने पेय पदार्थों को छानकर मच्छर तो निकाल देते हैं ताकि कानून के मुताबिक अशुद्ध न हो जाएँ, मगर कानून की बड़ी-बड़ी बातों को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर देते हैं जो ऊँट को निगलने जैसा है।
सफेदी पुती कब्रों: इसराएल में यह दस्तूर था कि कब्रों पर सफेदी की जाए ताकि वे दिखायी दें और लोग गलती से उन्हें छूकर कानून के मुताबिक अशुद्ध न हो जाएँ। (गि 19:16) यहूदी मिशना (शेकालिम 1:1) में लिखा है कि साल में एक बार, फसह से एक महीने पहले कब्रों पर सफेदी की जाती थी। यीशु ने ये शब्द रूपक अलंकार के तौर पर कपट के लिए इस्तेमाल किए।
दुष्ट: मत 24:12 का अध्ययन नोट देखें।
कब्रें: या “स्मारक कब्रें।”—शब्दावली में “स्मारक कब्र” देखें।
तुम्हारे पुरखों ने पाप करने में जो कसर छोड़ दी, उसे पूरा कर दो: या “तुम्हारे पुरखों ने जो शुरू किया था उसे तुम पूरा कर दो।” यह एक मुहावरा है जिसका शाब्दिक मतलब है, “वह पैमाना भरना जिसे किसी और ने भरना शुरू किया था।” यीशु यहूदी अगुवों को यह आज्ञा नहीं दे रहा था कि उनके पुरखों ने जो काम शुरू किया था उसे वे पूरा करें। इसके बजाय वह व्यंग कर रहा था कि आगे चलकर वे उसे मार डालेंगे, जैसे बीते ज़माने में उनके पुरखों ने परमेश्वर के भविष्यवक्ताओं को मार डाला था।
अरे साँपो और ज़हरीले साँप के सँपोलो: शैतान, जिसे “पुराना साँप” कहा गया है (प्रक 12:9), एक मायने में सच्ची उपासना के विरोधियों का पिता है। इसलिए यीशु का इन धर्म गुरुओं को ‘साँपों और ज़हरीले साँप के सँपोलों’ कहना एकदम सही था। (यूह 8:44; 1यूह 3:12) उनकी दुष्टता का लोगों पर बहुत बुरा असर हो रहा था, परमेश्वर के साथ उनका रिश्ता टूट रहा था। यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले ने भी उन्हें ‘साँप के सँपोलों’ कहा।—मत 3:7.
गेहन्ना: मत 5:22 का अध्ययन नोट और शब्दावली देखें।
लोगों को सिखानेवाले उपदेशकों: या “ज्ञानियों।” यूनानी शब्द ग्रैमैटियस जब कानून के यहूदी शिक्षकों के लिए इस्तेमाल हुआ तो उसका अनुवाद “शास्त्री” किया गया है। लेकिन यहाँ यीशु अपने चेलों की बात कर रहा था जिन्हें लोगों को सिखाने के लिए भेजा गया था।
सभा-घरों: शब्दावली में “सभा-घर” देखें।
नेक हाबिल से लेकर . . . जकरयाह तक . . . सबका खून: यीशु ने इब्रानी शास्त्र में बताए यहोवा के उन सभी साक्षियों की बात की जिनका कत्ल किया गया था। ये सब पहली किताब (उत 4:8) में बताए हाबिल से लेकर आखिरी किताब (2इत 24:20) में बताए जकरयाह के समय तक जीए थे। (यहूदियों की मान्यता है कि इब्रानी शास्त्र के संग्रह में इतिहास की किताब आखिरी किताब है।) इसलिए जब यीशु ने कहा कि “हाबिल से लेकर . . . जकरयाह तक” तो उसके कहने का मतलब था कि “पहले साक्षी से लेकर आखिरी साक्षी तक।”
बिरिक्याह के बेटे: 2इत 24:20 के मुताबिक, जकरयाह ‘यहोयादा याजक का बेटा’ था। कहा जाता है कि यहोयादा के शायद दो नाम रहे होंगे, जैसे बाइबल में बताए दूसरे लोगों के होते थे (मत 9:9 की तुलना मर 2:14 से करें) या फिर हो सकता है कि बिरिक्याह, जकरयाह का दादा या पूर्वज था।
जिसे तुमने . . . मार डाला था: हालाँकि यहूदी धर्म गुरुओं ने जकरयाह को नहीं मारा था, फिर भी यीशु ने उन्हें इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराया क्योंकि अपने पुरखों की तरह उनमें भी खून करने की फितरत थी।—प्रक 18:24.
मंदिर और वेदी के बीच: 2इत 24:21 के मुताबिक, जकरयाह का खून “यहोवा के भवन के आँगन में” किया गया था और भीतरी आँगन में ही मंदिर के द्वार के सामने होम-बलि की वेदी थी। (अति. ख8 देखें।) इसलिए यीशु का यह कहना सही था कि जकरयाह का खून मंदिर और वेदी के बीच किया गया था।
सच: मत 5:18 का अध्ययन नोट देखें।
देखो!: मत 1:23 का अध्ययन नोट देखें।
घर: यानी मंदिर।
त्याग दिया है: कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में “उजाड़” लिखा है, इसलिए इसका अनुवाद इस तरह भी किया जा सकता है: “तुम्हारे लिए उजाड़ छोड़ा गया है।”
यहोवा: यहाँ भज 118:26 की बात लिखी है। मूल इब्रानी पाठ में इस आयत में परमेश्वर के नाम के लिए चार इब्रानी व्यंजन (हिंदी में य-ह-व-ह) इस्तेमाल हुए हैं।—अति. ग देखें।
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
यह चमड़े की बनी छोटी डिब्बी होती थी। इसमें ऐसे चर्मपत्र रखे जाते थे जिन पर शास्त्र के चार भाग लिखे होते थे: निर्ग 13:1-10, 11-16; व्य 6:4-9; 11:13-21. जब यहूदी, बैबिलोन की बँधुआई से लौटे तो शायद उसके कुछ समय बाद ही ऐसी डिब्बियाँ बाँधने का रिवाज़ शुरू हुआ। आदमी सुबह की प्रार्थना के दौरान ये डिब्बियाँ बाँधते थे, सिर्फ त्योहार के दिनों में और सब्त के दिन नहीं बाँधते थे। यहाँ तसवीर में पहली सदी की एक असली डिब्बी दिखायी गयी है। यह कुमरान की एक गुफा में पायी गयी थी। चित्र में दिखाया गया है कि नयी डिब्बी कैसी दिखती होगी।
पहली सदी में आम तौर पर लोग मेज़ से टेक लगाकर खाना खाते थे। हर व्यक्ति अपने बाएँ हाथ की कोहनी से तकिए पर टेक लगाता था और दाएँ हाथ से खाना खाता था। यूनानी और रोमी लोगों के दस्तूर के मुताबिक, आम तौर पर खाना खाने के कमरे में कम ऊँचाईवाली एक मेज़ होती थी और उसके तीन तरफ दीवान लगाए जाते थे। रोमी लोग इस तरह के कमरे को ट्रिक्लिनियम (लातीनी शब्द जो एक यूनानी शब्द से निकला है जिसका मतलब है, “तीन दीवानोंवाला कमरा”) कहते थे। इस तरह के इंतज़ाम में नौ लोग एक-साथ खाना खाते थे, यानी हर दीवान पर तीन लोग बैठते थे। मगर बाद में बड़े-बड़े दीवान रखे जाने लगे ताकि एक-साथ ज़्यादा लोग खाना खा सकें। परंपरा के हिसाब से बैठने की हर जगह का अलग दर्जा होता था। (क) एक दीवान सबसे कम सम्मानवाला माना जाता था, (ख) दूसरा उससे ज़्यादा और (ग) तीसरा सबसे ज़्यादा सम्मानवाला। यहाँ तक कि दीवान पर भी बैठने की हर जगह अलग-अलग दर्जे की मानी जाती थी। तीनों में से बायीं तरफ बैठनेवाले की अहमियत सबसे ज़्यादा होती थी, बीचवाले की उससे कम और दायीं तरफवाले की सबसे कम। दावतों में आम तौर पर मेज़बान सबसे कम सम्मानवाले दीवान पर पहली जगह (1) पर बैठता था। बीचवाले दीवान पर तीसरी जगह (2) सबसे आदर की जगह मानी जाती थी। इस बात का कोई साफ सबूत नहीं है कि यहूदियों ने किस हद तक यह दस्तूर अपनाया था। लेकिन जब यीशु अपने चेलों को नम्रता की सीख दे रहा था, तब उसने शायद इसी दस्तूर की तरफ इशारा किया।
इस वीडियो का एक आधार है: गलील झील से करीब 10 कि.मी. (6 मील) दूर उत्तर-पूरब में गामला शहर में पाए गए पहली सदी के सभा-घर के खंडहर। पहली सदी का कोई भी सभा-घर सही-सलामत नहीं पाया गया है, इसलिए यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि सभा-घर ठीक कैसा दिखता होगा। मुमकिन है कि इस वीडियो में दिखायी कुछ चीज़ें उस ज़माने के ज़्यादातर सभा-घरों में रही होंगी।
1. सबसे आगे की या बढ़िया जगह, जो शायद मंच पर या उसके पास होती थीं।
2. मंच, जिस पर से एक शिक्षक कानून पढ़कर सुनाता था। हर सभा-घर में मंच शायद अलग जगह होता था।
3. दीवार से लगी बैठने की जगह, जहाँ शायद समाज के रुतबेदार लोग बैठते थे। दूसरे लोग शायद ज़मीन पर बिछी चटाई पर बैठते थे। गामला के सभा-घर में शायद बैठने की जगहों की चार पंक्तियाँ थीं।
4. पवित्र खर्रे रखने की जगह, जो शायद पीछे की दीवार के पास होती थी।
सभा-घर में बैठने के इंतज़ाम से हाज़िर लोगों को हमेशा यह याद आता था कि कुछ लोगों का दर्जा दूसरों से ऊँचा है। यीशु के चेले भी इस बात को लेकर बहस करते रहते थे कि उनमें कौन बड़ा है।—मत 18:1-4; 20:20, 21; मर 9:33, 34; लूक 9:46-48.
गलील झील से करीब 10 कि.मी. (6 मील) दूर उत्तर-पूरब में गामला नाम की जगह पर पहली सदी के सभा-घर के खंडहर पाए गए। उसी के आधार पर यह चित्र तैयार किया गया है जिससे पता चलता है कि प्राचीन समय के सभा-घर कैसे दिखते होंगे।
हिन्नोम घाटी को यूनानी में गेहन्ना कहा जाता था। यह प्राचीन यरूशलेम के दक्षिण-पश्चिम में एक तंग घाटी है। यीशु के दिनों में यह घाटी कूड़ा-करकट जलाने की जगह थी। इसलिए हमेशा का विनाश बताने के लिए “गेहन्ना” शब्द एकदम सही था।
हिन्नोम घाटी (1) को मसीही यूनानी शास्त्र में गेहन्ना कहा गया है। यहाँ वह पहाड़ भी दिखाया गया है (2) जहाँ पहली सदी में यहूदियों का मंदिर था। मगर आज वहाँ एक जानी-मानी इमारत है, मुसलमानों का मकबरा जिसे ‘डोम ऑफ द रॉक’ कहा जाता है।—अतिरिक्त लेख ख-12 में नक्शा देखें।
पुदीने का इस्तेमाल प्राचीन समय से औषधि के रूप में और खाने का स्वाद बढ़ाने के लिए होता आया है। इसका यूनानी शब्द ईथीओस्मोन (शाब्दिक, मीठी-खुशबू) शायद इसराएल और सीरिया में पाए जानेवाले तरह-तरह के पुदीने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। इसमें कॉमन हॉर्समिंट (मेंथा लोंगिफोलिया ) भी शामिल है। सोए (एनीथम ग्रवियोलैंस ) की खेती इसलिए की जाती है, क्योंकि इसके बीज खुशबूदार होते हैं। ये बीज खाने में मसाले के तौर पर डाले जाते हैं और पेट की बीमारियाँ ठीक करने के लिए दवा के तौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं। जीरे का पौधा (क्युमिनम साइमिनम ) गाजर या अजमोद परिवार का होता है। इसके बीजों की महक बहुत तेज़ होती है। ये मध्य पूर्वी और दूसरे देशों में ब्रैड, केक, शोरबा यहाँ तक कि शराब का स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं।
यीशु के दिनों में, ऊँट उस इलाके का सबसे बड़ा पालतू जानवर था। माना जाता है कि बाइबल में जिस तरह के ऊँट का अकसर ज़िक्र किया गया है, वह अरबी ऊँट (कैमीलस ड्रोमैडैरियस) था जिसका एक कूबड़ होता है। बाइबल में सबसे पहले ऊँट का ज़िक्र तब आता है जब अब्राहम कुछ समय के लिए मिस्र में रहा था। वहाँ उसे बोझ ढोनेवाले ऐसे कई ऊँट दिए गए।—उत 12:16.
यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले और यीशु, दोनों ने शास्त्रियों और फरीसियों को ‘साँप के सँपोलों’ कहा क्योंकि उनके दुष्ट काम और झूठी शिक्षाएँ भोले-भाले लोगों के लिए ज़हर की तरह थीं, जिससे लोगों का परमेश्वर के साथ रिश्ता टूट रहा था। (मत 3:7; 12:34) यहाँ तसवीर में सींगोंवाला साँप दिखाया गया है, जिसकी आँखों के ऊपर छोटे सींग हैं। इसराएल में दूसरे खतरनाक साँप भी पाए जाते हैं, जैसे पैलिस्टाइन वाइपर (वाइपेरा पैलिस्टाइना ) और यरदन की घाटी में पाया जानेवाला रेतीला साँप (सैंड वाइपर, वाइपेरा अमोडाइटेज़ )।
सबसे खतरनाक कोड़े को फ्लैगेलम कहा जाता था। इसमें एक हत्था होता था जिसमें कई रस्सियाँ या गुथी हुई चमड़े की पट्टियाँ लगी होती थीं। इन पट्टियों में नुकीली हड्डियाँ या धातु के टुकड़े लगाए जाते थे ताकि इनकी मार और भी दर्दनाक हो।
यीशु को यरूशलेम के लोगों की बहुत परवाह थी, यह ज़ाहिर करने के लिए उसने एक मुर्गी की बढ़िया मिसाल दी कि वह कैसे अपने चूज़ों को बचाने के लिए उन्हें अपने पंखों तले इकट्ठा करती है। यीशु की यह मिसाल और एक दूसरी मिसाल, जिसमें एक बेटा अपने पिता से अंडा माँगता है (लूक 11:11, 12), दिखाती हैं कि पहली सदी में इसराएल के घरों में मुर्गियाँ पाली जाती थीं। हालाँकि मत 23:37 और लूक 13:34 में इस्तेमाल हुए यूनानी शब्द औरनिस का मतलब कोई भी पालतू या जंगली पंछी हो सकता है, मगर इस संदर्भ में इसका मतलब मुर्गी है। मुर्गी, पालतू पंछियों में सबसे आम और फायदेमंद होती थी।