मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 26:1-75
कई फुटनोट
अध्ययन नोट
जब: मत 26:1-5 में बतायी घटनाएँ नीसान 12 को हुईं क्योंकि आयत 2 में लिखा है कि “अब से दो दिन बाद [यानी नीसान 14 को] फसह का त्योहार है।”—अति. क7, ख12 और मत 26:6 का अध्ययन नोट देखें।
फसह: जिस दिन इसराएली मिस्र से निकले थे उससे पहले की शाम इस त्योहार की शुरूआत की गयी थी। (यूनानी में पासखा जो इब्रानी शब्द पेसाक से निकला है। इसकी इब्रानी क्रिया पासाक का मतलब है, “छोड़कर आगे बढ़ना; पार करना।”) यह त्योहार इसलिए मनाया जाना था ताकि इसराएली याद कर सकें कि कैसे यहोवा ने उन्हें मिस्र की गुलामी से आज़ाद किया और उनके पहलौठों को ‘छोड़ दिया,’ जबकि उसने मिस्र के पहलौठों को मार डाला।—निर्ग 12:14, 24-47; शब्दावली देखें।
इंसान के बेटे: मत 8:20 का अध्ययन नोट देखें।
काठ पर लटकाकर मार डालने के लिए: या “खंभे पर लटकाए जाने के लिए।”—मत 20:19 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “काठ”; “यातना का काठ” देखें।
प्रधान याजक: मत 2:4 का अध्ययन नोट और शब्दावली देखें।
मुखिया: मत 16:21 का अध्ययन नोट देखें।
कैफा: कैफा को रोमी अधिकारियों ने करीब ईसवी सन् 18 में महायाजक ठहराया था और वह ईसवी सन् 36 तक इस पद पर रहा। राजनेताओं के साथ उसके अच्छे संबंध थे, इसलिए वह पिछले महायाजकों के मुकाबले ज़्यादा समय तक महायाजक रहा।—कैफा का घर किस जगह रहा होगा, यह जानने के लिए अति. ख12 देखें।
महायाजक: जब इसराएल एक स्वतंत्र राष्ट्र था तो जो महायाजक होता था वह अपनी मौत तक उस पद पर बना रहता था। (गि 35:25) लेकिन जब इसराएल पर रोम का कब्ज़ा हुआ तब रोमी शासकों के पास यह अधिकार था कि वे किसी को भी महायाजक ठहरा सकते हैं या इस पद से हटा सकते हैं।—शब्दावली देखें।
यीशु बैतनियाह में: ज़ाहिर है कि मत 26:6-13 में बतायी घटना सूरज ढलने के बाद हुई जब नीसान 9 शुरू हुआ। इसका सुराग हमें यूहन्ना के ब्यौरे से मिलता है, जहाँ लिखा है कि यीशु “फसह के त्योहार से छ: दिन पहले” बैतनियाह पहुँचा। (यूह 12:1) वह ज़रूर नीसान 8 शुरू होने (यानी सूरज ढलने) से पहले पहुँच गया होगा क्योंकि वह दिन सब्त का दिन था और फिर उसके अगले दिन शमौन के घर खाना खाने गया होगा।—यूह 12:2-11; अति. क7 और ख12 देखें।
शमौन . . . जो पहले एक कोढ़ी था: इस शमौन का ज़िक्र सिर्फ यहाँ और इसके मिलते-जुलते ब्यौरे मर 14:3 में किया गया है। शायद उसका कोढ़ यीशु ने ठीक किया था।—मत 8:2 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “कोढ़; कोढ़ी” देखें।
एक औरत: यूह 12:3 के मुताबिक, यह औरत मारथा और लाज़र की बहन मरियम है।
खुशबूदार तेल . . . जो बहुत महँगा था: मरकुस और यूहन्ना ने अपने ब्यौरे में साफ बताया कि करीब 327 ग्रा. यह तेल “असली जटामाँसी का खुशबूदार तेल था” जिसकी कीमत 300 दीनार थी। यह कीमत एक आम मज़दूर की साल-भर की मज़दूरी होती थी। (मर 14:3-5; यूह 12:3-5) माना जाता है कि यह तेल खुशबूदार पौधे (नार्डोस्टैकिस जटामाँसी) से निकाला जाता था, जो हिमालय पर्वतमाला में पाया जाता है। इसमें अकसर सस्ता तेल मिलाया जाता था या नकली जटामाँसी तेल को असली बताकर बेचा जाता था। लेकिन मरकुस और यूहन्ना ने लिखा कि इस ब्यौरे में बताया तेल “असली” था।
बोतल: शब्दावली में “सिलखड़ी” देखें।
उसके सिर पर तेल उँडेलने लगी: मत्ती और मरकुस के मुताबिक, उस औरत ने यीशु के सिर पर तेल उँडेला। (मर 14:3) सालों बाद जब यूहन्ना ने यह ब्यौरा लिखा तो उसने एक और बात कही, उस औरत ने यीशु के पैरों पर भी तेल उँडेला। (यूह 12:3) यीशु ने समझाया कि उस औरत ने प्यार की वजह से ऐसा किया और यह उसे दफनाए जाने की तैयारी को दर्शाता था।—मत 26:12 का अध्ययन नोट देखें।
चेले: सिर्फ यूहन्ना ने बताया कि यहूदा इस्करियोती ने मरियम का इस तरह कीमती तेल इस्तेमाल करने पर एतराज़ जताया। (यूह 12:4-7) ज़ाहिर है कि दूसरे प्रेषितों ने बस सहमति जतायी क्योंकि उन्हें लगा कि वह सही है।
इसने मेरे शरीर पर खुशबूदार तेल मलकर: इस औरत ने (मत 26:7 का अध्ययन नोट देखें) इसलिए दरियादिली दिखायी क्योंकि उसके दिल में यीशु के लिए प्यार और कदर थी। यीशु ने समझाया कि उसने अनजाने में उसके दफनाए जाने की तैयारी की क्योंकि अकसर लाश को दफनाने से पहले ऐसे खुशबूदार तेल और मसाले लगाए जाते थे।—2इत 16:14.
सच: मत 5:18 का अध्ययन नोट देखें।
सारी दुनिया में जहाँ कहीं . . . प्रचार किया जाएगा: यीशु ने जैसे मत 24:14 में भविष्यवाणी की, वैसे ही उसने यहाँ भी कहा कि खुशखबरी का प्रचार सारी दुनिया में किया जाएगा। उसने यह भी कहा कि इस औरत ने जिस तरह भक्ति दिखायी यह बात भी इस खुशखबरी में शामिल की जाएगी। इस औरत ने जो किया उसके बारे में लिखने के लिए परमेश्वर ने खुशखबरी की किताबों के तीन लेखकों को प्रेरित किया।—मर 14:8, 9; यूह 12:7; मत 24:14 का अध्ययन नोट देखें।
फिर: यानी नीसान 12. यह वही दिन है जिस दिन मत 26:1-5 में बतायी घटनाएँ हुईं।—अति. क7, ख12 और मत 26:1, 6 के अध्ययन नोट देखें
यहूदा इस्करियोती: मत 10:4 का अध्ययन नोट देखें।
चाँदी के 30 सिक्के: खुशखबरी की किताबों के लेखकों में से सिर्फ मत्ती ने बताया कि यीशु से गद्दारी करने के लिए कितनी कीमत दी गयी। मुमकिन है कि ये 30 सिक्के चाँदी के शेकेल थे जो सोर में ढाले गए थे। इससे पता चलता है कि प्रधान याजक यीशु को कितना तुच्छ समझते थे क्योंकि कानून के मुताबिक यह एक दास की कीमत होती थी। (निर्ग 21:32) जब जकरयाह ने विश्वासघाती इसराएलियों से परमेश्वर के लोगों के बीच भविष्यवाणी करने की मज़दूरी माँगी थी, तो उन्होंने उसे “चाँदी के 30 टुकड़े” तौलकर दिए जो दिखाता है कि वे भी उसे एक दास से ज़्यादा कुछ नहीं समझते थे।—जक 11:12, 13.
बिन-खमीर की रोटी के त्योहार के पहले दिन: बिन-खमीर की रोटी का त्योहार नीसान 15 को शुरू होता था यानी फसह (नीसान 14) के अगले दिन और यह त्योहार सात दिन तक मनाया जाता था। (अति. ख15 देखें।) लेकिन यीशु के दिनों में फसह इस त्योहार से इस कदर जुड़ गया था कि पूरे आठ दिनों को कभी-कभी “बिन-खमीर की रोटी का त्योहार” कहा जाता था। (लूक 22:1) इस संदर्भ में शब्द “पहले दिन” का अनुवाद “एक दिन पहले” भी किया जा सकता है। इसलिए यूनानी शास्त्र के मूल पाठ और यहूदियों के दस्तूर के मुताबिक, यीशु के चेलों ने उससे यह सवाल नीसान 13 को पूछा होगा। फिर नीसान 13 को दिन के वक्त चेलों ने फसह की तैयारी की और उसी दिन “शाम होने पर” जब नीसान 14 शुरू हुआ तो उन्होंने फसह मनाया।—मर 14:16, 17.
मेरे साथ . . . हाथ डालता है: आम तौर पर लोग हाथ से खाना खाते थे या रोटी के एक टुकड़े को चम्मच की तरह इस्तेमाल करते थे। यहाँ लिखी बात एक मुहावरा भी हो सकती है जिसका मतलब है, “साथ मिलकर खाना खाना।” किसी के साथ खाना खाना दिखाता था कि उनके बीच गहरी दोस्ती है। ऐसे करीबी दोस्त के खिलाफ हो जाना, विश्वासघात का सबसे घिनौना रूप माना जाता था।—भज 41:9; यूह 13:18.
तूने खुद कह दिया है: एक मुहावरा है जो यहूदी लोगों में आम था। यहाँ यह मुहावरा सवाल करनेवाले की बात को पुख्ता करने के लिए इस्तेमाल किया गया है। एक तरह से यीशु कह रहा था, “यह तूने ही कह दिया है और तूने जो कहा वह सच है।” ज़ाहिर है कि यीशु का जवाब दिखाता है कि यहूदा सवाल पूछकर दरअसल खुद स्वीकार कर रहा था कि यीशु से गद्दारी करने के लिए वही ज़िम्मेदार है। इस बातचीत के कुछ ही समय बाद, यहूदा कमरे से बाहर चला गया होगा और फिर यीशु ने प्रभु के संध्या भोज की शुरूआत की, ठीक जैसे यूह 13:21-30 में बताया गया है। मत्ती के इस ब्यौरे में यहूदा का दोबारा ज़िक्र मत 26:47 में मिलता है, जहाँ बताया गया है कि वह एक भीड़ के साथ गतसमनी बाग में आया।
एक रोटी ली . . . उसे तोड़ा: प्राचीन मध्य पूर्व में रोटियाँ पतली होती थीं और अगर वे बिना खमीर की हों तो कुरकुरी होती थीं। यीशु के रोटी तोड़ने का कोई लाक्षणिक मतलब नहीं था बल्कि इस तरह की रोटी आम तौर पर तोड़कर ही खायी जाती थी।—मत 14:19 का अध्ययन नोट देखें।
प्रार्थना में धन्यवाद देकर: या “आशीष माँगकर।” ज़ाहिर है कि इस तरह की प्रार्थना में परमेश्वर की महिमा करना और उसे धन्यवाद देना शामिल है।
निशानी: यूनानी शब्द एस्टीन (शाब्दिक मतलब “है”) का यहाँ मतलब है, “सूचित करना; दर्शाना; चिन्ह; मतलब।” प्रेषित अच्छी तरह समझते थे कि एस्टीन का यही मतलब है क्योंकि इस मौके पर यीशु ज़िंदा था और इस मायने में उसका परिपूर्ण शरीर उनके सामने था। साथ ही, बिन-खमीर की जिस रोटी को वे खानेवाले थे वह भी उनके सामने थी। इसलिए वह रोटी उसका सचमुच का शरीर नहीं हो सकती थी। गौर करने लायक बात है कि यही यूनानी शब्द मत 12:7 में इस्तेमाल हुआ है और कई अनुवादों में इसके लिए शब्द “मतलब” लिखा है।
खून . . . जो करार को पक्का करता है: यहोवा और अभिषिक्त मसीहियों के बीच नया करार यीशु के बलिदान से लागू हुआ। (इब्र 8:10) यीशु ने यहाँ वही शब्द इस्तेमाल किए जो मूसा ने सीनै पहाड़ पर इस्तेमाल किए थे, जब उसने बिचवई बनकर यहोवा और इसराएलियों के बीच कानून का करार लागू करवाया था। (निर्ग 24:8; इब्र 9:19-21) जिस तरह बैलों और बकरों के खून से यहोवा और इसराएल राष्ट्र के बीच कानून का करार पक्का हुआ, उसी तरह यीशु के खून से यहोवा और ‘परमेश्वर के इसराएल’ के बीच नया करार पक्का हुआ। यह करार ईसवी सन् 33 के पिन्तेकुस्त के दिन से लागू हुआ।—इब्र 9:14, 15.
नयी दाख-मदिरा न पीऊँ: बाइबल में दाख-मदिरा कभी-कभी खुशी को दर्शाती है।—भज 104:15; सभ 10:19.
परमेश्वर की तारीफ में गीत: या “भजन।” एक प्राचीन यहूदी लेख के मुताबिक, हालेल के पहले कुछ भजन (113, 114) फसह के खाने के दौरान और आखिरी चार भजन (115-118) खाने के बाद गाए जाते थे या ज़बानी तौर पर दोहराए जाते थे। आखिरी भजनों में मसीहा के बारे में कुछ भविष्यवाणियाँ दर्ज़ थीं। भज 118 के शुरू में और आखिर में ये शब्द आते हैं: “यहोवा का शुक्रिया अदा करो क्योंकि वह भला है, उसका अटल प्यार सदा बना रहता है।” (भज 118:1, 29) यीशु ने अपनी मौत से पहले की रात अपने वफादार प्रेषितों के साथ परमेश्वर की तारीफ में जो गीत गाए, उनके आखिरी शब्द शायद भजन के यही शब्द रहे होंगे।
मुर्गे के बाँग देने से पहले: खुशखबरी की चारों किताबों में यह बात लिखी है, मगर मरकुस की किताब में एक और बात लिखी है और वह है कि मुर्गा दो बार बाँग देगा। (मत 26:74, 75; मर 14:30, 72; लूक 22:34, 60, 61; यूह 13:38; 18:27) मिशना में बताया गया है कि यीशु के दिनों में यरूशलेम में मुर्गे पाले जाते थे। यह बात दिखाती है कि बाइबल का ब्यौरा सही है। मुमकिन है कि मुर्गे ने सुबह तड़के ही बाँग दी होगी।
गतसमनी: ज़ाहिर है कि यह बाग यरूशलेम के पूरब में किदरोन घाटी के पार जैतून पहाड़ पर था। मुमकिन है कि इस बाग में जैतून का तेल निकालने का हौद था क्योंकि इसका नाम इब्रानी या अरामी शब्दों (गत शेमानेह) से निकला है जिनका मतलब है, “तेल निकालने का हौद।” हालाँकि यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता कि यह बाग कहाँ था, मगर यहूदियों की मान्यता है कि जो बाग जैतून पहाड़ की पश्चिमी ढलान के नीचे दोराहे के पास है शायद वही गतसमनी था।—अति. ख12 देखें।
जागते रहो: यीशु ने ज़ोर देकर कहा कि उसके चेलों को लाक्षणिक तौर पर जागते रहना है क्योंकि वे नहीं जानते कि वह किस दिन या किस घड़ी आएगा। (मत 24:42; 25:13 के अध्ययन नोट देखें) उसने यह बात यहाँ और मत 26:41 में दोहरायी जहाँ उसने बताया कि जागते रहने के लिए प्रार्थना करते रहना चाहिए। जागते रहने का बढ़ावा मसीही यूनानी शास्त्र में कई बार दिया गया है, जो दिखाता है कि सच्चे मसीहियों के लिए ऐसा करना बहुत ज़रूरी है।—1कुर 16:13; कुल 4:2; 1थि 5:6; 1पत 5:8; प्रक 16:15.
मुँह के बल गिरकर: शायद इसका मतलब या तो मुँह के बल ज़मीन पर पूरी तरह लेट जाना या कोहनी के बल लेटना हो सकता है। बाइबल में अलग-अलग तरीकों से प्रार्थना करने के बारे में बताया गया है, जैसे खड़े होकर और घुटने टेककर। लेकिन जब एक इंसान गिड़गिड़ाकर प्रार्थना करता था तो वह शायद मुँह के बल ज़मीन पर पूरी तरह लेट जाता हो।
यह प्याला . . . हटा दे: बाइबल में अकसर “प्याला” लाक्षणिक तौर पर इस्तेमाल हुआ है जिसका मतलब है, एक व्यक्ति के लिए परमेश्वर की मरज़ी या उसका “तय हिस्सा।” (मत 20:22 का अध्ययन नोट देखें।) यीशु को बेशक इस बात की चिंता रही होगी कि परमेश्वर की निंदा करने और देशद्रोह के इलज़ाम में उसे जो मौत दी जानेवाली है उससे परमेश्वर की बदनामी हो सकती है। इसलिए उसने प्रार्थना की कि यह “प्याला” उसके सामने से हटा लिया जाए।
तुम लोग: इन शब्दों से पता चलता है कि यीशु सिर्फ पतरस से नहीं बल्कि दूसरे चेलों से भी बात कर रहा था।
दिल: यह आयत दिखाती है कि एक इंसान का लाक्षणिक दिल उसे फलाँ तरीके से कोई बात कहने या कोई काम करने के लिए उभारता है।
शरीर: बाइबल में यह शब्द अकसर इंसान की पापी और अपरिपूर्ण हालत को दर्शाने के लिए इस्तेमाल होता है।
देखो: मत 1:23 का अध्ययन नोट देखें।
उसे प्यार से चूमा: जिस यूनानी क्रिया का अनुवाद “प्यार से चूमा” किया गया है, वह मत 26:48 में ‘चूमने’ के लिए इस्तेमाल हुई क्रिया का और भी ज़बरदस्त रूप है। यहूदा ने जिस तरह यीशु को प्यार से चूमकर नमस्कार किया, उसके साथ दोस्त की तरह पेश आया, उससे पता चलता है कि वह कितना बड़ा धोखेबाज़ और मक्कार था।
पलटनें: ‘पलटन’ रोमी सेना की सबसे बड़ी टुकड़ी होती थी। पहली सदी में आम तौर पर एक पलटन में करीब 6,000 सैनिक होते थे। मुमकिन है कि यहाँ ‘12 पलटनों’ का मतलब है, अनगिनत या बड़ी तादाद। यीशु कह रहा था कि अगर वह अपने पिता से कहता तो वह उसकी हिफाज़त के लिए काफी तादाद में स्वर्गदूत भेज देता।
शास्त्र: अकसर यह शब्द परमेश्वर की प्रेरणा से लिखे गए पूरे इब्रानी शास्त्र के लिए इस्तेमाल किया गया है।
ताकि भविष्यवक्ताओं ने जो लिखा है वह पूरा हो: मत 1:22 का अध्ययन नोट देखें।
महायाजक कैफा: मत 26:3 का अध्ययन नोट देखें।
प्रधान याजक: यानी याजकवर्ग के बड़े-बड़े आदमी।—मत 2:4 का अध्ययन नोट और शब्दावली देखें।
महासभा: यरूशलेम में यहूदियों की सबसे बड़ी अदालत। “महासभा” के यूनानी शब्द सिनेड्रियोन का शाब्दिक मतलब है, “के साथ बैठना।” हालाँकि यह शब्द एक आम सभा के लिए भी इस्तेमाल होता था, लेकिन इसराएल में इसका मतलब फैसला सुनानेवाला धार्मिक समूह या अदालत भी हो सकता था।—मत 5:22 का अध्ययन नोट और शब्दावली देखें; साथ ही महासभा का भवन कहाँ रहा होगा, यह जानने के लिए अति. ख12 देखें।
मसीह: मत 11:2 का अध्ययन नोट देखें।
तूने खुद कह दिया है: यीशु कैफा का सवाल टाल नहीं रहा था क्योंकि वह जानता था कि महायाजक को अधिकार है कि वह उसे शपथ दिलाकर सच बोलने के लिए कहे। (मत 26:63) ज़ाहिर है कि “तूने खुद कह दिया है” एक मुहावरा है जो यहूदियों में आम था। यह मुहावरा कही गयी बात की सच्चाई पुख्ता करने के लिए इस्तेमाल किया जाता था। यह बात मरकुस के ब्यौरे से पता चलती है जहाँ यीशु का जवाब इस तरह लिखा है: “हाँ मैं हूँ।”—मर 14:62; मत 26:25; 27:11 के अध्ययन नोट देखें।
इंसान के बेटे . . . आकाश के बादलों पर आता: यीशु यहाँ दान 7:13, 14 में मसीहा के बारे में दर्ज़ भविष्यवाणी की बात कर रहा था। इस तरह वह पुख्ता कर रहा था कि उसे ही परमेश्वर के पास जाने की इजाज़त मिलती और स्वर्ग में राज करने का अधिकार दिया जाता।—शब्दावली में “इंसान का बेटा” देखें।
शक्तिशाली परमेश्वर के दाएँ हाथ: किसी शासक के दाएँ हाथ होने का मतलब है, दूसरा सबसे बड़ा अधिकारी होना। (भज 110:1; प्रेष 7:55, 56) यूनानी पाठ में “शक्तिशाली परमेश्वर” के बजाय सिर्फ “शक्ति” लिखा है। इसके मिलते-जुलते ब्यौरे लूक 22:69 में ये शब्द इस तरह दर्ज़ हैं: “परमेश्वर के शक्तिशाली दाएँ हाथ।” “शक्तिशाली परमेश्वर के दाएँ हाथ,” इन शब्दों का यह भी मतलब हो सकता है कि यीशु को शक्ति या अधिकार दिया जाएगा क्योंकि वह शक्तिशाली परमेश्वर के दाएँ हाथ बैठा है।
अपना चोगा फाड़ा: यहाँ चोगा फाड़ने का मतलब है, हैरानी और गुस्सा ज़ाहिर करना। मुमकिन है कि कैफा ने अपना चोगा गले से फाड़ा होगा। उसने यह दिखावा करने के लिए ऐसा किया कि वह बहुत धर्मी है और यीशु की बात सुनकर एकदम हैरान है और उसे बहुत गुस्सा आ रहा है।
भविष्यवाणी कर, . . . किसने तुझे मारा?: यहाँ ‘भविष्यवाणी करने’ का मतलब भविष्य बताना नहीं बल्कि परमेश्वर की मदद से यह बताना है कि उसे किसने मारा। इसके मिलते-जुलते ब्यौरों, मर 14:65 और लूक 22:64 में बताया गया है कि यीशु पर ज़ुल्म करनेवालों ने उसका सिर ढाँप दिया था। शायद इसी वजह से उन्होंने ताना कसते हुए उससे पूछा कि उसे किसने मारा।
आँगन के द्वार: मरकुस ने अपने ब्यौरे में ऐसा शब्द इस्तेमाल किया जिसका मतलब “फाटक” या ‘ओसारा’ हो सकता है। (मर 14:68, फु.) इससे पता चलता है कि यह सिर्फ द्वार नहीं था। ज़ाहिर है कि यह आँगन और बाहरी दरवाज़े के बीच बनी एक इमारत थी। यह इमारत शायद एक गलियारा या बरामदा थी।
तेरी बोली: या “बोलने का लहज़ा।” पतरस की गलीली बोली यानी उसने जो शब्द इस्तेमाल किए या फिर उसके बोलने का लहज़ा यानी उसने जिस तरह शब्दों का उच्चारण किया, वह यहूदिया में बोली जानेवाली इब्रानी भाषा से अलग था। कुछ लोगों का मानना है कि गलील के लोगों की बोली या उनका लहज़ा इसलिए अलग था क्योंकि उनकी भाषा पर दूसरे देश के लोगों का असर था जो उस इलाके में रहते थे।
खुद को कोसने लगा: एक तरह से पतरस कह रहा था, ‘अगर मैं झूठ बोल रहा हूँ कि मैं उस आदमी को नहीं जानता, तो मुझ पर शाप पड़े।’
कसम खाकर कहने लगा: पतरस डर गया था, इसलिए वह आस-पास खड़े लोगों को यकीन दिलाने की कोशिश करने लगा कि वह सच बोल रहा है। वह कसम खाकर कहने लगा कि अगर उसकी बात सच नहीं है तो उस पर मुसीबत आ पड़े।
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
शुरू में इत्र की ये छोटी-छोटी बोतलें एक ऐसे पत्थर से बनायी जाती थीं, जो मिस्र में अलबास्त्रोन नाम की जगह के पास पाया जाता था। यह पत्थर कैल्शियम कार्बोनेट का एक रूप है। बाद में यह अलबास्त्रोन के नाम से जाना गया। यहाँ दिखायी गयी बोतल मिस्र में पायी गयी थी और यह ईसा पूर्व 150 और ईसवी सन् 100 के बीच की है। इससे मिलती-जुलती बोतलें जिप्सम जैसे कम कीमतवाले पत्थरों से भी बनायी जाती थीं। इन्हें भी सिलखड़ी (अँग्रेज़ी में अलबास्तर) कहा जाता था, क्योंकि इनमें भी इत्र भरा जाता था। लेकिन कीमती तेल और इत्र के लिए ऐसी बोतलें इस्तेमाल की जाती थीं जो असली सिलखड़ी पत्थर से बनी थीं। जैसे, वह तेल जिससे दो बार यीशु का अभिषेक किया गया था, एक बार जब वह गलील में एक फरीसी के घर में था और दूसरी बार तब, जब वह बैतनियाह में शमौन के घर में था, जो पहले कोढ़ी था।
फसह के खाने में ये चीज़ें ज़रूर होती थीं: (1) भुना हुआ मेम्ना (इसकी कोई हड्डी नहीं तोड़ी जानी थी), (2) बिन-खमीर की रोटी और (3) कड़वा साग। (निर्ग 12:5, 8; गि 9:11) मिशना के मुताबिक, कड़वा साग लेट्यूस (सलाद पत्ता), कासनी, चंद्रशूर या सिंहपर्णी हो सकता है। ज़ाहिर है कि इस साग से इसराएलियों को मिस्र में गुलामी के अपने कड़वे अनुभव की याद आती होगी। यीशु ने बिन-खमीर की रोटी अपने परिपूर्ण शरीर की निशानी के तौर पर इस्तेमाल की। (मत 26:26) प्रेषित पौलुस ने यीशु को “हमारे फसह का मेम्ना” कहा। (1कुर 5:7) पहली सदी के आते-आते फसह के खाने में दाख-मदिरा (4) भी शामिल की जाने लगी। यीशु ने दाख-मदिरा को अपने खून की निशानी के तौर पर इस्तेमाल किया, जो बलिदान के तौर पर बहाया जाता।—मत 26:27, 28.