मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 27:1-66
कई फुटनोट
अध्ययन नोट
मुखियाओं: मत 16:21 का अध्ययन नोट देखें।
राज्यपाल पीलातुस: यहूदिया का रोमी राज्यपाल (या प्रशासक), जिसे सम्राट तिबिरियुस ने ईसवी सन् 26 में नियुक्त किया था। पीलातुस करीब 10 साल तक हुकूमत करता रहा। बाइबल के लेखकों के अलावा दूसरे लेखकों ने भी उसका ज़िक्र किया। जैसे, रोमी इतिहासकार टैसीटस ने लिखा कि पीलातुस ने तिबिरियुस के शासन के दौरान मसीह को मरवाने का हुक्म दिया। इसराएल के कैसरिया में एक प्राचीन रोमी रंगशाला में एक शिलालेख मिला जिस पर लातीनी भाषा में लिखा है: “यहूदिया का प्रशासक, पुन्तियुस पीलातुस।”—पीलातुस का किन इलाकों पर शासन था, यह जानने के लिए अति. ख10 देखें।
उसका दिल उसे कचोटने लगा: हालाँकि यहाँ इस्तेमाल हुए यूनानी शब्द मेटामीलोमाय का मतलब सही इरादे से पश्चाताप करना हो सकता है, लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं कि यहूदा वाकई पछता रहा था। (इस यूनानी शब्द का अनुवाद मत 21:29, 32; 2कुर 7:8 में “पछतावा हुआ” या “अफसोस” किया गया है।) परमेश्वर के सामने पश्चाताप करना, यह बताने के लिए बाइबल में एक अलग शब्द मेटानोइयो इस्तेमाल हुआ है (जिसका अनुवाद मत 3:2; 4:17; लूक 15:7; प्रेष 3:19 में ‘पश्चाताप करना’ किया गया है)। यह शब्द दिखाता है कि पश्चाताप करने में सोच, रवैया या लक्ष्यों में ज़बरदस्त बदलाव करना शामिल है। यहूदा का उन लोगों के पास वापस जाना जिनके साथ उसने साज़िश की थी और बाद में खुदकुशी करना दिखाता है कि उसकी सोच बदली नहीं थी बल्कि अब भी भ्रष्ट थी।
निर्दोष: कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में “नेक” लिखा है।—मत 23:35 से तुलना करें।
मंदिर: यहाँ यूनानी शब्द नेयोस का मतलब सिर्फ मंदिर की मुख्य इमारत नहीं बल्कि पूरा मंदिर परिसर भी हो सकता है, जिसमें इसके आँगन शामिल हैं।
फाँसी लगा ली: प्रेष 1:18 में लूका ने यहूदा की मौत के बारे में बताते समय कहा कि वह गिर गया और उसका पेट फट गया। ऐसा लगता है कि मत्ती ने यह बताया कि उसने कैसे खुदकुशी की, जबकि लूका ने बताया कि खुदकुशी करते वक्त क्या हुआ। दोनों ब्यौरों को मिलाने से यह समझ आता है कि यहूदा ने किसी खड़ी चट्टान के पास पेड़ से फाँसी लगायी, मगर रस्सी या डाल टूटने से वह नीचे जा गिरा और चट्टानों से टकराकर उसका पेट फट गया। यरूशलेम के आस-पास के इलाके में कई खड़ी चट्टानें हैं जिससे इस नतीजे पर पहुँचा जा सकता है।
मंदिर के खज़ाने: मंदिर की शायद वह जगह जहाँ ‘दान-पात्र’ रखे जाते थे। (यूह 8:20) मुमकिन है कि यह जगह ‘औरतों के आँगन’ में थी जहाँ 13 दान-पात्र रखे थे। (अति. ख11 देखें।) माना जाता है कि मंदिर में खज़ाने का गोदाम भी था जिसमें इन दान-पात्रों का पैसा लाकर रखा जाता था।
खून की कीमत: या “खून का पैसा,” यानी खून करने की वजह से मिलनेवाला पैसा।
उन पैसों से . . . खरीद ली: सिर्फ मत्ती ने बताया कि प्रधान याजकों ने चाँदी के 30 सिक्कों से ज़मीन का एक टुकड़ा खरीदा। प्रेष 1:18, 19 में बताया गया है कि यहूदा ने ज़मीन खरीदी थी। ऐसा शायद इसलिए लिखा गया है क्योंकि प्रधान याजकों ने यहूदा के लौटाए पैसों से वह ज़मीन खरीदी।
अजनबियों: दूसरे देशों से आए यहूदी या गैर-यहूदी।
कुम्हार की ज़मीन: चौथी सदी से माना जाता है कि यह ज़मीन हिन्नोम घाटी की दक्षिणी ढलान पर है, जिसकी थोड़ी ही दूरी पर किदरोन घाटी शुरू होती है। ऐसा लगता है कि इस जगह पर कुम्हार मिट्टी के बरतन बनाते थे। जैसे मत 27:8 और प्रेष 1:19 में लिखा है, यह ज़मीन बाद में “खून की ज़मीन” या हकलदमा के नाम से जानी जाती थी।—अति. ख12 देखें।
आज के दिन तक: इन शब्दों से पता चलता है कि इन घटनाओं के घटने और इनके बारे में लिखे जाने के बीच काफी समय गुज़र चुका था। मुमकिन है कि खुशखबरी की किताब मत्ती करीब ईसवी सन् 41 में लिखी गयी।
यह बात पूरी हुई जो यिर्मयाह भविष्यवक्ता से कहलवायी गयी थी: लगता है कि इन शब्दों के बाद मत्ती ने जक 11:12, 13 की बात लिखी, मगर अपने शब्दों में। परमेश्वर की प्रेरणा से उसने यह बात उस घटना पर लागू की जो भविष्यवाणी के मुताबिक घटी थी। मत्ती के दिनों में भविष्यवक्ताओं की लिखी किताबों में यिर्मयाह की किताब को पहले रखा गया था और शायद इसलिए उसी के नाम से ये सभी किताबें जानी जाती थीं और इनमें जकरयाह की किताब भी थी।—मत 1:22 का अध्ययन नोट देखें।
यहोवा: यहाँ इब्रानी शास्त्र की बात लिखी है। (मत 27:9 का अध्ययन नोट देखें।) मूल इब्रानी पाठ में वहाँ परमेश्वर के नाम के लिए चार इब्रानी व्यंजन (हिंदी में य-ह-व-ह) इस्तेमाल हुए हैं।—अति. ग देखें।
क्या तू यहूदियों का राजा है?: रोमी साम्राज्य में सम्राट की इजाज़त के बिना कोई भी राजा नहीं बन सकता था। इसीलिए शायद पीलातुस ने यीशु के राज करने के अधिकार के बारे में पूछताछ की।
तू खुद यह कहता है: ज़ाहिर है कि यीशु ने अपने इस जवाब से पुख्ता किया कि पीलातुस की कही बात सच है। (मत 26:25, 64 के अध्ययन नोट से तुलना करें।) हालाँकि यीशु ने पीलातुस के सामने यह माना कि वह वाकई राजा है, मगर उस मायने में नहीं जिस मायने में पीलातुस सोच रहा था। यीशु का राज “इस दुनिया का नहीं है,” इसलिए वह रोमी साम्राज्य के लिए कोई खतरा नहीं था।—यूह 18:33-37.
रिवाज़ . . . एक कैदी को . . . रिहा कर दिया करता था: इस घटना के बारे में खुशखबरी की किताबों के चारों लेखकों ने लिखा। (मर 15:6-15; लूक 23:16-25; यूह 18:39, 40) इस रिवाज़ का कोई आधार इब्रानी शास्त्र में नहीं मिलता। लेकिन मालूम होता है कि यीशु के दिनों तक यहूदियों ने खुद यह रिवाज़ शुरू कर दिया था। रोमियों के लिए यह रिवाज़ कोई नया नहीं था क्योंकि सबूत दिखाते हैं कि वे भीड़ को खुश करने के लिए कैदियों को रिहा करते थे।
न्याय-आसन: यह आम तौर पर खुली जगह में बना एक ऊँचा चबूतरा होता था। इस आसन पर बैठकर अधिकारी भीड़ से बात करता और अपना फैसला सुनाता था।
सपना: ज़ाहिर है कि यह सपना परमेश्वर की तरफ से था। सिर्फ मत्ती ने परमेश्वर की प्रेरणा से यह घटना लिखी।
अपने हाथ धोते हुए: किसी मामले में एक व्यक्ति यह दिखाने के लिए ऐसा करता था कि वह निर्दोष है और आगे जो भी होता उसके लिए वह ज़िम्मेदार नहीं है। यह यहूदियों का एक रिवाज़ था, जिसका ज़िक्र व्य 21:6, 7 और भज 26:6 में किया गया है।
इसका खून हमारे और हमारे बच्चों के सिर आ पड़े: दूसरे शब्दों में, “हम और हमारे वंशज इसकी मौत की ज़िम्मेदारी लेते हैं।”
कोड़े लगवाए: रोमी लोग बहुत ही खतरनाक कोड़ा इस्तेमाल करते थे, जिसे लातीनी में फ्लैगेलम कहा जाता है। यहाँ जो यूनानी क्रिया (फ्रागेल्लोयो, मतलब “कोड़े लगवाना”) इस्तेमाल हुई है, वह इसी शब्द से निकली है। इस कोड़े में एक हत्था होता था जिसमें कई रस्सियाँ या गुथी हुई चमड़े की पट्टियाँ लगी होती थीं। कभी-कभी इन पट्टियों में नुकीली हड्डियाँ या धातु के टुकड़े लगाए जाते थे। इन कोड़ों की मार के ज़ख्म बहुत गहरे और दर्दनाक होते थे और शरीर की खाल के चीथड़े उड़ जाते थे, यहाँ तक कि इनकी मार से मौत भी हो सकती थी।
राज्यपाल के . . . भवन: यूनानी शब्द प्रेटोरियन (जो लातीनी शब्द प्रीटोरियुम से निकला है) का मतलब है, रोमी राज्यपालों का सरकारी निवास। मुमकिन है कि यरूशलेम में यह निवास वह महल था जिसे हेरोदेस महान ने बनवाया था। यह निवास यरूशलेम के दक्षिणी हिस्से में यानी ऊपरी शहर के उत्तर-पश्चिम में था। (यह भवन कहाँ था, यह जानने के लिए अति. ख12 देखें।) दरअसल पीलातुस का निवास कैसरिया में था मगर कुछ मौकों पर, जैसे त्योहार के समय वह यरूशलेम में ठहरता था क्योंकि ऐसे मौकों पर शहर में खलबली मचने का खतरा रहता था।
सुर्ख लाल रंग का एक कपड़ा: इस तरह का ओढ़ना या चोगा राजा, नगर-अधिकारी या सेना-अफसर पहनते थे। मर 15:17 और यूह 19:2 में कहा गया है कि यह कपड़ा बैंजनी रंग का था। लेकिन प्राचीन समय में ऐसे किसी भी रंग को “बैंजनी” कहा जाता था जिसमें लाल और नीले रंगों का मिश्रण हो। इसके अलावा, देखनेवाले को कौन-सा रंग दिखायी दे रहा था, यह इससे तय होता है कि वह कहाँ से देख रहा था, उस कपड़े पर किधर से रौशनी पड़ रही थी और पीछे क्या था। खुशखबरी की किताबों के लेखकों ने जिस तरह अलग-अलग रंगों का ज़िक्र किया, वह दिखाता है कि उन्होंने एक-दूसरे के ब्यौरे की नकल नहीं की।
ताज . . . नरकट: सैनिकों ने यीशु के राजा होने की बात का कई तरीकों से मज़ाक उड़ाया, जैसे उसे सुर्ख लाल रंग का कपड़ा पहनाया (मत 27:28), काँटों का ताज उसके सिर पर रखा और राजदंड के तौर पर उसे नरकट दिया।
उसके सामने घुटने टेककर: आम तौर पर किसी अधिकारी का आदर करने के लिए लोग उसके सामने घुटने टेकते थे। लेकिन यहाँ सैनिकों ने यीशु के सामने घुटने टेककर एक और तरीके से उसका मज़ाक उड़ाया।—मत 17:14 का अध्ययन नोट देखें।
सलाम!: या “तेरी जय हो!” उन्होंने उसी तरह यीशु की जयजयकार की, जैसे वे सम्राट की करते थे। ज़ाहिर है कि वे इस तरह यीशु का मज़ाक उड़ा रहे थे क्योंकि उसने कहा कि वह राजा है।
कुरेने: यह शहर क्रेते द्वीप के दक्षिण-पश्चिम में उत्तरी अफ्रीका के तट के पास बसा था।—अति. ख13 देखें।
जबरन सेवा के लिए पकड़ा: मत 5:41 का अध्ययन नोट देखें।
यातना का काठ: या “मौत का काठ।”—शब्दावली में “काठ”; “यातना का काठ” देखें; साथ ही मत 10:38 और 16:24 के अध्ययन नोट भी देखें, जहाँ ये शब्द लाक्षणिक तौर पर इस्तेमाल हुए हैं।
गुलगुता: यह एक इब्रानी शब्द से निकला है जिसका मतलब है, “खोपड़ी।” (यूह 19:17 देखें; न्या 9:53 से तुलना करें जहाँ इब्रानी शब्द गुलगोलेथ का अनुवाद “खोपड़ी” किया गया है।) यीशु के दिनों में यह जगह यरूशलेम की शहरपनाह के बाहर थी। लेकिन यह ठीक कहाँ थी, इसका पता नहीं। (अति. ख12 देखें।) बाइबल यह नहीं बताती कि गुलगुता पहाड़ी पर था, लेकिन यह ज़रूर बताती है कि कुछ लोगों ने दूर से देखा था कि यीशु को कैसे मार डाला गया।—मर 15:40; लूक 23:49.
पित्त: यहाँ यूनानी शब्द खोली का मतलब है, पौधों से निकाला कड़वा रस या कोई कड़वा पदार्थ। इस घटना से एक भविष्यवाणी पूरी हुई, यह दिखाने के लिए मत्ती ने भज 69:21 की बात लिखी। सेप्टुआजेंट में इसी आयत में यही यूनानी शब्द, “ज़हर” के इब्रानी शब्द के लिए इस्तेमाल हुआ है। ज़ाहिर है कि यरूशलेम की औरतों ने पित्त मिलाकर दाख-मदिरा तैयार की थी ताकि दर्द कम करने के लिए उन लोगों को पिलायी जा सके जिन्हें काठ पर लटकाया गया था। रोमी अधिकारियों को इस पर कोई एतराज़ नहीं था। इसके मिलते-जुलते ब्यौरे मर 15:23 में लिखा है कि उस दाख-मदिरा में ‘नशीला गंधरस’ मिलाया गया था। इसलिए ज़ाहिर है कि उस दाख-मदिरा में गंधरस और कड़वा पित्त, दोनों मिलाए गए थे।
उसने . . . उसे पीने से इनकार कर दिया: ज़ाहिर है कि यीशु अपने विश्वास की परीक्षा के दौरान पूरे होश-हवास में रहना चाहता था।
चिट्ठियाँ डालकर: शब्दावली में “चिट्ठियाँ” देखें।
उसका ओढ़ना आपस में बाँट लिया: यूह 19:23, 24 में इस घटना की कुछ ऐसी बारीकियाँ बतायी गयी हैं जो मत्ती, मरकुस और लूका की किताब में नहीं पायी जातीं। ये हैं: रोमी सैनिकों ने शायद कुरते और ओढ़ने, दोनों पर चिट्ठियाँ डालीं; उन्होंने ओढ़ने के ‘चार टुकड़े करके आपस में बाँट लिए, हरेक को एक टुकड़ा मिला’; वे कुरते को फाड़कर टुकड़े नहीं करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने उस पर चिट्ठियाँ डालीं और मसीहा के कपड़ों पर इस तरह चिट्ठियाँ डालकर उन्होंने भज 22:18 की भविष्यवाणी पूरी की। सबूत दिखाते हैं कि यह एक दस्तूर था कि अपराधियों को मारनेवाले सैनिक उनके कपड़े रख लेते थे। अपराधियों को मारने से पहले उनके कपड़े उतारे जाते थे और उनकी चीज़ें ले ली जाती थीं। इस तरह उन्हें और भी ज़्यादा अपमानित किया जाता था।
लुटेरों: या “डाकुओं।” यूनानी शब्द लीस्टेस का मतलब हो सकता है, मार-पीट करके लूटनेवाला। कभी-कभी यह शब्द क्रांतिकारियों के लिए भी इस्तेमाल होता था। यही शब्द बरअब्बा के सिलसिले में इस्तेमाल हुआ है (यूह 18:40), जिसके बारे में लूक 23:19 में बताया गया है कि वह “बगावत और कत्ल” के इलज़ाम में जेल में था। इसके मिलते-जुलते ब्यौरे लूक 23:32, 33, 39 में इन लुटेरों को “अपराधी” कहा गया है जिसके यूनानी शब्द (काकूरगोस) का शाब्दिक मतलब है, “बुराई या दुष्ट काम करनेवाला।”
सिर हिला-हिलाकर: लोग आम तौर पर किसी पर हँसने, उसका मज़ाक उड़ाने या उसे नीचा दिखाने के लिए सिर हिलाते थे और कुछ बोलते भी थे। वहाँ से गुज़रनेवालों ने ऐसा करके अनजाने में भज 22:7 की भविष्यवाणी पूरी की।
यातना के काठ: या “मौत के काठ।”—मत 27:32 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “काठ”; “यातना का काठ” देखें।
यातना के काठ: या “मौत के काठ।”—मत 27:32 का अध्ययन नोट और शब्दावली में “काठ”; “यातना का काठ” देखें।
छठे घंटे: यानी दोपहर करीब 12 बजे।—मत 20:3 का अध्ययन नोट देखें।
नौवें घंटे: यानी दोपहर करीब 3 बजे।—मत 20:3 का अध्ययन नोट देखें।
एली, एली, लामा शबकतानी?: कुछ लोगों का मानना है कि ये अरामी शब्द हैं, लेकिन मुमकिन है कि ये उस वक्त बोली जानेवाली इब्रानी भाषा के शब्द हैं जिस पर अरामी भाषा का काफी असर था। मत्ती और मरकुस ने इन शब्दों को यूनानी में शब्द-ब-शब्द लिखा, इसलिए यह पता लगाना मुश्किल है कि ये ठीक कौन-सी भाषा के शब्द हैं।
मेरे परमेश्वर, मेरे परमेश्वर: यीशु ने स्वर्ग में रहनेवाले अपने पिता को पुकारते वक्त अपना परमेश्वर कहकर भज 22:1 की भविष्यवाणी पूरी की। उसने दर्द में तड़पते हुए जिस तरह पुकारा उससे सुननेवालों को शायद भज 22 की भविष्यवाणी में लिखी बहुत-सी बातें भी याद आ गयी होंगी। जैसे, उसका मज़ाक बनाया जाएगा, उसकी खिल्ली उड़ायी जाएगी, उसके हाथ-पैरों को चोट पहुँचायी जाएगी और चिट्ठियाँ डालकर उसके कपड़ों का बँटवारा किया जाएगा।—भज 22:6-8, 16, 18.
एलियाह: एक इब्रानी नाम जिसका मतलब है, “मेरा परमेश्वर यहोवा है।”
खट्टी दाख-मदिरा: या “सिरका।” मुमकिन है कि यह पतली और खट्टी दाख-मदिरा थी जिसे लातीनी भाषा में ऐसीटम (सिरका) या अगर उसमें पानी मिलाया जाता था तो उसे पॉस्का कहा जाता था। यह एक सस्ता पेय पदार्थ था जिसे गरीब लोग, यहाँ तक कि रोमी सैनिक अपनी प्यास बुझाने के लिए पीते थे। सेप्टुआजेंट में भज 69:21 में यूनानी शब्द ओक्सॉस भी इस्तेमाल हुआ है, जहाँ भविष्यवाणी की गयी थी कि मसीहा को पीने के लिए “सिरका” दिया जाएगा।
नरकट: या “छड़ी; लाठी।” यूहन्ना के ब्यौरे में इसे “मरुए की डंडी” कहा गया है।—यूह 19:29; शब्दावली में “मरुआ” देखें।
आता है या नहीं: कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में यह वाक्य जोड़ा गया है: “एक और आदमी ने एक भाला लेकर उसकी पसलियों को भेदा और खून और पानी बह निकला।” दूसरी अहम हस्तलिपियों में यह वाक्य नहीं पाया जाता। इससे मिलता-जुलता वाक्य यूह 19:34 में पाया जाता है, लेकिन यूह 19:33 के मुताबिक जब यीशु को भाले से भोंका गया तब तक वह मर चुका था। ज़्यादातर अधिकारियों का, यहाँ तक कि नेसले और आलान्ड और ‘यूनाइटेड बाइबल सोसाइटी’ के यूनानी पाठ के संपादकों का मानना है कि नकल-नवीसों ने मत्ती के ब्यौरे में यूहन्ना के शब्द बाद में जोड़ दिए थे। वेस्कॉट और हॉर्ट ने भी, जिन्होंने यूनानी पाठ में इन शब्दों को दोहरे कोष्ठकों में डाला, कहा कि “इस बात की बड़ी संभावना है कि यह वाक्य शास्त्रियों ने जोड़ा।” यह वाक्य कुछ हस्तलिपियों में मत्ती के ब्यौरे में पाया जाता है और कुछ में नहीं, जबकि यूहन्ना के ब्यौरे में दर्ज़ यह वाक्य सभी हस्तलिपियों में पाया जाता है। इससे ज़ाहिर होता है कि यूह 19:33, 34 में बतायी घटना सही क्रम में लिखी गयी है, यानी जब रोमी सैनिक ने यीशु के शरीर में भाला भोंका तो उसकी मौत हो चुकी थी। इसलिए यह वाक्य इस अनुवाद के मत 27:49 से हटाया गया है।
उसने दम तोड़ दिया: या “उसने साँस लेना बंद कर दिया।” यहाँ यूनानी शब्द नफ्मा का शायद मतलब है, “साँस” या “जीवन-शक्ति।” हम ऐसा इसलिए कह सकते हैं क्योंकि इसके मिलते-जुलते ब्यौरे मर 15:37 में यूनानी क्रिया एकपनीयो (शा., “साँस छोड़ना”) इस्तेमाल हुई है (जहाँ इस क्रिया का अनुवाद “दम तोड़ दिया” या फुटनोट में “आखिरी साँस ली” किया गया है)। कुछ लोगों का मानना है कि जिस यूनानी शब्द का अनुवाद “उसने दम तोड़ दिया” किया गया है, उसका मतलब है कि यीशु ने ज़िंदा रहने के लिए संघर्ष करना छोड़ दिया क्योंकि सारी बातें पूरी हो चुकी थीं। (यूह 19:30) उसने अपनी मरज़ी से “जान कुरबान कर दी।”—यश 53:12; यूह 10:11.
देखो!: मत 1:23 का अध्ययन नोट देखें।
मंदिर: यहाँ यूनानी शब्द नेयोस का मतलब है, मंदिर की मुख्य इमारत जिसमें पवित्र और परम-पवित्र भाग हैं।
परदा: कढ़ाई किया हुआ यह खूबसूरत परदा मंदिर के पवित्र भाग को परम-पवित्र भाग से अलग करता था। यहूदियों की मान्यता है कि यह परदा करीब 18 मी. (60 फुट) लंबा, 9 मी. (30 फुट) चौड़ा और 7.4 सें.मी. (2.9 इंच) मोटा था। इस भारी परदे को दो हिस्सों में फाड़कर यहोवा ने न सिर्फ यह ज़ाहिर किया कि वह अपने बेटे के कातिलों पर कितना क्रोधित है बल्कि यह भी कि अब स्वर्ग में दाखिल होना मुमकिन है।—इब्र 10:19, 20; शब्दावली देखें।
कब्रें: या “स्मारक कब्रें।”—शब्दावली में “स्मारक कब्र” देखें।
लाशें कब्रों से बाहर जा गिरीं: शा., “शरीर जी उठे।” यूनानी क्रिया ऐगीरो का मतलब है, “उठाना।” यह क्रिया मरे हुओं के ज़िंदा होने का मतलब देने के लिए इस्तेमाल की जा सकती है, लेकिन अकसर यह क्रिया दूसरे संदर्भों में इस्तेमाल हुई है। जैसे, गड्ढे से “बाहर निकालना” या ज़मीन से “उठना।” (मत 12:11; 17:7; लूक 1:69, फु.) मत्ती ने यह नहीं कहा कि “पवित्र जनों” को “जी उठाया गया” बल्कि उसने कहा कि उनके “शरीर” जी उठे। ज़ाहिर है कि भूकंप इतना भयंकर था कि कब्रें खुल गयीं और लाशें बाहर आ गिरीं।
कुछ लोग जो कब्रों के पास गए थे: यूनानी क्रिया से पता चलता है कि यहाँ कर्ता बहुवचन में और पुल्लिंग में है, यानी लोगों की बात की गयी है, न कि लाशों (यूनानी में नपुंसक लिंग) की जिनका ज़िक्र आयत 52 में है। ज़ाहिर है कि यहाँ कब्रों के पास से गुज़रनेवाले लोगों की बात की गयी है, जिन्होंने वे लाशें देखीं जो भूकंप की वजह से कब्रों से बाहर निकल आयी थीं। (आय. 51) उन्होंने शहर जाकर इस बारे में दूसरों को बताया।
यीशु के ज़िंदा किए जाने के बाद: कोष्ठक में बतायी घटना बाद में घटी थी।
पवित्र शहर: यानी यरूशलेम।—मत 4:5 का अध्ययन नोट देखें।
सेना-अफसर: या रोमी “शतपति” जिसके अधीन करीब 100 सैनिक होते थे। यह बड़ा अधिकारी शायद उस वक्त मौजूद रहा हो जब यीशु को पीलातुस के सामने पेश किया गया और उसने यहूदियों को यह कहते सुना होगा कि यीशु का दावा है कि वह परमेश्वर का बेटा है।—मत 27:27; यूह 19:7.
मरियम मगदलीनी: इसकी पहचान बताने के लिए इसका उपनाम मगदलीनी (मतलब, “मगदला की रहनेवाली”) शायद मगदला से निकला है, जो गलील झील के पश्चिमी तट पर बसा एक नगर था। यह नगर कफरनहूम और तिबिरियास के लगभग बीच में था। माना जाता है कि मरियम, मगदला में पैदा हुई थी या उसका घर वहाँ था।—मत 15:39; लूक 8:2 के अध्ययन नोट देखें।
याकूब: ‘छोटा याकूब’ भी कहलाता था।—मर 15:40.
योसेस: कुछ प्राचीन हस्तलिपियों में “योसेस” के बजाय “यूसुफ” लिखा है। ज़्यादातर प्राचीन हस्तलिपियों में मर 15:40 में “योसेस” लिखा है जो इसका मिलता-जुलता ब्यौरा है।
जब्दी के बेटों की माँ: यानी प्रेषित याकूब और यूहन्ना की माँ।—मत 4:21; 20:20 के अध्ययन नोट देखें।
यूसुफ: खुशखबरी की किताबों के चारों लेखकों ने यूसुफ के बारे में अलग-अलग जानकारी दी। इससे पता चलता है कि हर लेखक ने अपने अंदाज़ में किताब लिखी। जैसे, मत्ती कर-वसूलनेवाला था, इसलिए उसने लिखा कि यूसुफ अमीर था। मरकुस ने रोमी लोगों के लिए लिखा था, इसलिए उसने कहा कि वह “धर्म-सभा का एक इज़्ज़तदार सदस्य” था जो परमेश्वर के राज के आने का इंतज़ार कर रहा था। लूका हमदर्द वैद्य था, इसलिए उसने लिखा कि वह “एक अच्छा और नेक इंसान था” और उसने धर्म-सभा के लोगों का साथ नहीं दिया जो यीशु के खिलाफ साज़िश कर रहे थे। सिर्फ यूहन्ना ने यह लिखा कि वह “यीशु का एक चेला था, मगर यहूदियों के डर से यह बात छिपाए रखता था।”—मर 15:43-46; लूक 23:50-53; यूह 19:38-42.
अरिमतियाह: इस शहर का नाम एक इब्रानी शब्द से निकला है जिसका मतलब है, “ऊँचाई।” लूक 23:51 में इसे ‘यहूदिया के लोगों का शहर’ कहा गया है।—अति. ख10 देखें।
कब्र: या “स्मारक कब्र।” यह गुफा में बनी कब्र नहीं थी बल्कि चूने-पत्थर की चट्टान में बनायी गयी थी जिसे काटना आसान होता है। ऐसी कब्रों में अकसर ताक बने होते थे जिन पर लाशें रखी जाती थीं।—शब्दावली में “स्मारक कब्र” देखें।
एक बड़ा पत्थर: ज़ाहिर है कि यह गोल था क्योंकि आयत कहती है कि उसे लुढ़काकर द्वार पर रखा गया था। मर 16:4 में भी कहा गया है कि जब यीशु को ज़िंदा किया गया तो पत्थर “पहले से ही दूर लुढ़का हुआ था।” इसका वज़न शायद एक टन या उससे ज़्यादा रहा होगा।
अगले दिन: यानी नीसान 15. नीसान 14 के बाद का दिन हमेशा सब्त का दिन होता था यानी विश्राम का पवित्र दिन, फिर चाहे वह हफ्ते के किसी भी दिन पड़े। इसके अलावा, ईसवी सन् 33 में नीसान 15 को साप्ताहिक सब्त भी था। उस साल ये दोनों सब्त एक ही दिन पड़े थे, इसलिए उस दिन को “बड़ा” या दुगना सब्त कहा गया है।—यूह 19:31; अति. ख12 देखें।
तैयारी के दिन: हर हफ्ते सब्त से पहले का दिन, तैयारी का दिन होता था। इसी दिन यहूदी सब्त की तैयारी करते थे। वे ज़्यादा खाना बनाते थे और ऐसे काम निपटाते थे जो सब्त के अगले दिन तक टाले नहीं जा सकते थे। ईसवी सन् 33 में नीसान 14, तैयारी के दिन पड़ा।—मर 15:42; शब्दावली में “तैयारी का दिन” देखें।
तीन दिन: इन शब्दों का मतलब पूरे तीन दिन नहीं हैं। यह बात इस गुज़ारिश से ज़ाहिर होती है कि “तीसरे दिन तक कब्र की चौकसी की जाए,” न कि चौथे दिन तक।—मत 27:64; मत 12:40 का अध्ययन नोट देखें।
फिर यह आखिरी ढोंग, पहलेवाले ढोंग से भी बदतर होगा: ज़ाहिर है कि वे यीशु को ज़िंदा किए जाने की बात को “आखिरी ढोंग” कह रहे थे और यीशु के इस दावे को कि वह मसीहा है, ‘पहलेवाला ढोंग’ कह रहे थे। यीशु के दुश्मन ऐसा इसलिए कह रहे थे क्योंकि वे जानते थे कि अगर यीशु ज़िंदा हो गया तो मसीहा होने का उसका दावा सच साबित हो जाएगा।
पहरेदार: सबूतों से पता चलता है कि पीलातुस ने पहरा देने के लिए रोमी सैनिकों के दल का इंतज़ाम किया। (मत 28:4, 11) अगर ये पहरेदार यहूदियों के मंदिर के होते तो यहूदियों को पीलातुस से गुज़ारिश करने की ज़रूरत नहीं होती। इसके अलावा, याजकों ने पहरेदारों से वादा किया कि अगर राज्यपाल को यह खबर मिल गयी कि यीशु की लाश गायब है तो वे राज्यपाल को समझा देंगे।—मत 28:14.
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
सन् 1961 में जब पुरातत्ववेत्ता इसराएल के कैसरिया में एक प्राचीन रोमी रंगशाला में खुदाई कर रहे थे, तब उन्हें एक ऐसा पत्थर मिला, जिस पर लातीनी में पीलातुस का नाम साफ खुदा हुआ था (यहाँ उसकी नकल दिखायी गयी है)। यह पत्थर पहले कहीं और इस्तेमाल हुआ था। पीलातुस का नाम उस ज़माने के ऐतिहासिक दस्तावेज़ों में भी कई बार आता है।
इस तसवीर में दिखाया गया है कि कैसे एक इंसान की एड़ी में 4.5 इंच (11.5 सें.मी.) लंबी एक लोहे की कील ठोंकी गयी है। यह सचमुच की एड़ी की हड्डी नहीं बल्कि उसका नमूना है। असली हड्डी का टुकड़ा तो 1968 में पुरातत्ववेत्ताओं को उत्तरी यरूशलेम में खुदाई के वक्त मिला था। यह टुकड़ा रोमी लोगों के ज़माने का था। इससे पता चलता है कि लोगों को कीलों से काठ पर ठोंका जाता था। रोमी सैनिकों ने शायद इसी तरह की कीलों से यीशु मसीह को काठ पर ठोंका था। हड्डी का वह टुकड़ा पत्थर के एक बक्से में मिला था जिसमें लाश के सड़ जाने पर उसकी हड्डियाँ रखी जाती थीं। इससे पता चलता है कि किसी को काठ पर लटकाकर मार डालने के बाद कभी-कभी उसे दफनाया जाता था।
यहूदी आम तौर पर गुफाओं या चट्टानों को काटकर बनायी गयी कब्रों में लाश दफनाते थे। राजाओं की कब्रों को छोड़ बाकी सभी कब्रें शहरों से बाहर होती थीं। गौर करने लायक बात यह है कि जो यहूदी कब्रें मिली हैं, वे बहुत सादी हैं। ऐसा इसलिए था क्योंकि सबूत दिखाते हैं कि यहूदी न तो मरे हुओं की पूजा करते थे और न ही अमर आत्मा की शिक्षा को बढ़ावा देते थे।