मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 7:1-29
अध्ययन नोट
देख!: मत 1:23 का अध्ययन नोट देखें।
अरे कपटी!: मत 6:2, 5, 16 में यीशु ने यहूदी धर्म गुरुओं को कपटी या पाखंडी कहा, मगर यहाँ वह ऐसे चेले को कपटी कह रहा था जो दूसरों में नुक्स निकालता रहता है, जबकि अपनी कमियों को नज़रअंदाज़ कर देता है।
पवित्र चीज़ें कुत्तों को मत दो, न ही अपने मोती सूअरों के आगे फेंको: मूसा के कानून के मुताबिक, सूअर और कुत्ते अशुद्ध जानवर थे। (लैव 11:7, 27) इसराएलियों को इजाज़त थी कि वे कुत्तों को ऐसे जानवर का माँस दे सकते थे जिसे जंगली जानवर ने मार डाला हो। (निर्ग 22:31) मगर यहूदी परंपरा के मुताबिक, वे कुत्तों को “पवित्र गोश्त” यानी बलि के जानवरों का गोश्त नहीं दे सकते थे। इस आयत में शब्द ‘कुत्ते’ और ‘सूअर’ ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल हुए हैं जो परमेश्वर से मिलनेवाले अनमोल ज्ञान की कदर नहीं करते। जैसे सूअर मोतियों का मोल नहीं जानते और उन्हें रौंद डालते हैं, वैसे ही परमेश्वर के ज्ञान की कदर न करनेवाले उन लोगों से बुरा सलूक कर सकते हैं जो यह ज्ञान बाँटते हैं।
माँगते रहो . . . ढूँढ़ते रहो . . . खटखटाते रहो: यहाँ यूनानी क्रियाएँ जिस रूप में इस्तेमाल हुईं उससे पता चलता है कि कोई काम लगातार किया जाना है। यह दिखाता है कि हमें लगातार प्रार्थना करनी है। तीनों क्रियाओं से पता चलता है कि जो कदम उठाने के लिए कहा जा रहा है उसे जोश और लगन से करना है। यीशु ने यही बात लूक 11:5-8 में एक मिसाल में समझायी।
रोटी . . . पत्थर: यीशु ने यह उदाहरण शायद इसलिए दिया क्योंकि यहूदियों और उनके आस-पास रहनेवाले लोगों के खाने में रोटी ज़रूर होती थी और रोटियों का आकार पत्थरों से मिलता-जुलता था। यीशु के आलंकारिक (Rhetorical) प्रश्न का जवाब यही होता, “एक पिता ऐसा करने की सोच भी नहीं सकता।”—मत 7:10 का अध्ययन नोट देखें।
मछली . . . साँप: गलील झील के आस-पास रहनेवाले लोग खाने में मछली ज़रूर खाते थे। कुछ छोटे-छोटे साँप शायद उन मछलियों की तरह दिखते होंगे जिन्हें लोग अकसर रोटी के साथ खाते थे। यीशु के आलंकारिक (Rhetorical) प्रश्न से पता चलता है कि एक प्यार करनेवाला पिता ऐसा करने की सोच भी नहीं सकता।
तुम दुष्ट होकर भी: सभी इंसानों को पाप विरासत में मिला है, इसलिए वे अपरिपूर्ण हैं और कुछ हद तक दुष्ट हैं।
और भी बढ़कर: यीशु अकसर इस तरीके से तर्क करता था। पहले वह लोगों को कोई ऐसी बात बताता जिससे वे अच्छी तरह वाकिफ होते थे और फिर उसके आधार पर वह उन्हें कायल कर देनेवाली सच्चाई सिखाता था। इस तरह वह एक आम सच्चाई बताकर ज़रूरी सीख देता था।—मत 10:25; 12:12; लूक 11:13; 12:28.
कानून और भविष्यवक्ताओं: मत 5:17 का अध्ययन नोट देखें।
सँकरे फाटक से अंदर जाओ: प्राचीन समय में किलेबंद शहरों में फाटक हुआ करते थे जिनसे लोग अंदर जाते थे। बाइबल में कई बार शब्द रास्ता और “राह” का मतलब होता है, लोगों के जीने का तरीका या उनका चालचलन। यीशु ने दो अलग-अलग रास्तों का ज़िक्र करके बताया कि ज़िंदगी जीने के दो तरीके हैं, एक जिस पर परमेश्वर की मंज़ूरी है और दूसरा जिस पर नहीं। एक इंसान जो रास्ता चुनता है उससे तय होता है कि वह परमेश्वर के राज में दाखिल होगा या नहीं।—भज 1:1, 6; यिर्म 21:8; मत 7:21.
चौड़ा है वह फाटक और खुला है वह रास्ता: कुछ हस्तलिपियों में लिखा है, “चौड़ा और खुला है वह रास्ता।” मगर जो यहाँ लिखा है, उसका ठोस आधार हस्तलिपियों में पाया जाता है और यह बात मत 7:14 से मेल खाती है।—अति. क3 देखें।
भेड़ों के भेस में: यानी वे लाक्षणिक तौर पर ऐसे कपड़े पहनते हैं जिससे उनकी असलियत छिपी रहती है और भेड़ों जैसे गुण ज़ाहिर करते हैं ताकि ऐसा लगे कि वे परमेश्वर के “झुंड” के भोले-भाले सदस्य हैं।
भूखे भेड़िए: एक रूपक अलंकार। झूठे भविष्यवक्ता भूखे और खूँखार भेड़ियों की तरह हैं। वे लालच की सारी हदें पार कर देते हैं और दूसरों का नाजायज़ फायदा उठाते हैं।
फलों: यह शब्द लाक्षणिक तौर पर इस्तेमाल हुआ है। इसका मतलब है, लोगों के काम या उनकी बातें या वे जो करते और कहते हैं उसके नतीजे।
दुष्टो: मत 24:12 का अध्ययन नोट देखें।
समझदार: या “बुद्धिमान।”—मत 24:45 का अध्ययन नोट देखें।
बरसात . . . बाढ़-पर-बाढ़ . . . आँधियाँ: इसराएल में सर्दियों के मौसम में अचानक तूफान आना आम है (खासकर तेबेत के महीने में, यानी दिसंबर–जनवरी)। इस दौरान तेज़ आँधी चलती है, मूसलाधार बारिश होती है और ऐसी बाढ़ आती है जो तबाही मचा देती है।—अति. ख15 देखें।
उसके सिखाने का तरीका: इन शब्दों का मतलब सिर्फ यह नहीं कि यीशु ने कैसे सिखाया बल्कि यह भी है कि उसने क्या सिखाया और इसमें पहाड़ी उपदेश की सारी बातें भी शामिल हैं।
दंग रह गयी: यहाँ इस्तेमाल हुई यूनानी क्रिया का मतलब हो सकता है, “इस कदर हैरान रह जाना कि मुँह खुला-का-खुला रह जाए।” यहाँ क्रिया जिस तरह से इस्तेमाल हुई है उससे कुछ लगातार होने का मतलब निकलता है। यह दिखाता है कि यीशु की बातों का असर लोगों पर लंबे समय तक रहा।
उनके शास्त्रियों की तरह नहीं: यीशु अपनी बात साबित करने के लिए इज़्ज़तदार रब्बियों की कही बातें नहीं दोहराता था, जैसा शास्त्री किया करते थे। इसके बजाय यीशु ऐसे इंसान की तरह सिखाता था जिसके पास बड़ा अधिकार हो। वह यहोवा की तरफ से बोलता और उसके वचन से सिखाता था।—यूह 7:16.
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
भेड़िए आम तौर पर रात को शिकार करते हैं। (हब 1:8) वे किसी से डरते नहीं, साथ ही बहुत खूँखार और लालची होते हैं। अकसर वे जितना खा सकते या उठाकर ले जा सकते, उससे ज़्यादा भेड़ों को मार डालते हैं। बाइबल के ज़माने में जानवरों, उनके स्वभाव और उनकी आदतों के बारे में अकसर लाक्षणिक तौर पर बात की जाती थी। अच्छे गुण या बुरे गुण बताने के लिए उनकी मिसाल दी जाती थी। जैसे, याकूब ने अपनी मौत से पहले जो भविष्यवाणी की, उसमें उसने बिन्यामीन के गोत्र के बारे में कहा कि वह भेड़िए (कैनिस लूपस ) की तरह निडर होकर लड़ेगा। (उत 49:27) लेकिन ज़्यादातर आयतों में भेड़िए का ज़िक्र बुरे गुण बताने के लिए किया गया है, जैसे लालच, क्रूरता और चालाकी। जिन लोगों की तुलना भेड़ियों से की गयी है, उनमें कुछ थे: झूठे भविष्यवक्ता (मत 7:15), मसीहियों के प्रचार का कड़ा विरोध करनेवाले (मत 10:16; लूक 10:3) और मंडली के अंदर से ही उठ खड़े होनेवाले झूठे शिक्षक जो मसीहियों के लिए खतरा थे (प्रेष 20:29, 30)। चरवाहे अच्छी तरह जानते थे कि भेड़िए उनकी भेड़ों के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं। एक बार यीशु ने कहा कि “मज़दूरी पर रखा गया आदमी” जब “भेड़िए को आते देखता है, तो भेड़ों को छोड़कर भाग जाता है।” मगर यीशु उस आदमी की तरह नहीं है जिसे “भेड़ों की परवाह नहीं होती।” इसके बजाय “वह अच्छा चरवाहा” है जो “भेड़ों की खातिर अपनी जान दे देता है।”—यूह 10:11-13.
इसमें कोई शक नहीं कि यीशु बहुत सोच-समझकर तय करता होगा कि वह किन पेड़-पौधों की मिसाल देगा। जैसे, अंजीर के पेड़ (1) और अंगूरों की बेल (2) का ज़िक्र बाइबल में कई बार एक-साथ किया गया है। (2रा 18:31; योए 2:22) और लूक 13:6 में यीशु के शब्दों से पता चलता है कि अंजीर के पेड़ अकसर अंगूरों के बाग में लगाए जाते थे। ‘अपनी अंगूरों की बेल और अपने अंजीर के पेड़ तले बैठना,’ इन शब्दों का मतलब है शांति, खुशहाली और सुरक्षा। (1रा 4:25; मी 4:4; जक 3:10) दूसरी तरफ, काँटे और कँटीली झाड़ियों का ज़िक्र तब किया गया है जब यहोवा ने आदम के पाप करने के बाद ज़मीन को शाप दिया। (उत 3:17, 18) यीशु ने मत 7:16 में किस तरह की कँटीली झाड़ियों का ज़िक्र किया, यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता। लेकिन यहाँ तसवीर में जिस तरह का कँटीला पौधा (सेंटौरीया इबैरिका) दिखाया गया है (3), वह इसराएल में उगनेवाला एक जंगली पौधा है।