मत्ती के मुताबिक खुशखबरी 9:1-38
कई फुटनोट
अध्ययन नोट
अपने शहर: यानी कफरनहूम। गलील प्रदेश के इसी शहर में यीशु रहता था। (मत 4:13; मर 2:1) यहीं से वह आस-पास के कई शहरों में जाकर प्रचार करता था। जैसे, नासरत जहाँ वह पला-बढ़ा, काना जहाँ उसने पानी को दाख-मदिरा में बदला, नाईन जहाँ उसने एक विधवा के बेटे को ज़िंदा किया और बैतसैदा जिसके पास उसने चमत्कार करके करीब 5,000 आदमियों को खाना खिलाया और एक अंधे आदमी की आँखों की रौशनी लौटायी।
देखो!: मत 1:23 का अध्ययन नोट देखें।
उनका विश्वास देखा: शब्द “उनका” से पता चलता है कि यीशु ने गौर किया कि न सिर्फ लकवे के मारे आदमी का बल्कि उसे लानेवाले सभी लोगों का विश्वास मज़बूत है।
बेटे: यीशु ने प्यार से उसे “बेटे” कहकर पुकारा।—2ती 1:2; तीत 1:4; फिले 10.
क्या कहना ज़्यादा आसान है: यह कहना किसी के लिए भी आसान था कि वह पाप माफ कर सकता है, क्योंकि इस दावे को सच साबित करने के लिए किसी सबूत की ज़रूरत नहीं थी। लेकिन यह कहना कि उठ और चल-फिर आसान नहीं था। इसके लिए यीशु को चमत्कार करना होता ताकि सब देख पाते कि उसके पास पाप माफ करने का भी अधिकार है। इस घटना और यश 33:24 के मुताबिक, हम इसलिए बीमार होते हैं क्योंकि हम पापी हैं।
इंसान के बेटे: मत 8:20 का अध्ययन नोट देखें।
पाप माफ करने का अधिकार दिया गया है . . .।: वाक्य के आखिर में दी बिंदुओं से पता चलता है कि यीशु ने बीच में ही अपनी बात रोक दी और फिर सबके सामने उस आदमी को ठीक करके अपनी बात दमदार तरीके से साबित की।
मत्ती: मत के शीर्षक और 10:3 के अध्ययन नोट देखें।
कर-वसूली के दफ्तर: या “कर-वसूली की चौकी।” यह दफ्तर, एक छोटी-सी इमारत या चौकी हो सकता था जहाँ कर-वसूलनेवाला बैठता था। वह आयात-निर्यात पर और उस माल पर कर लेता था जो सौदागर उस देश से लेकर गुज़रते थे। मत्ती का कर-वसूली का दफ्तर कफरनहूम में या उसके पास था।
मेरा चेला बन जा: मर 2:14 का अध्ययन नोट देखें।
मत्ती: जिस यूनानी नाम का अनुवाद “मत्ती” किया गया है वह शायद उस इब्रानी नाम का छोटा रूप है जिसका अनुवाद “मतित्याह” किया गया है। (1इत 15:18) मतित्याह का मतलब है, “यहोवा का तोहफा।”
घर: यानी मत्ती का घर।—मर 2:14, 15; लूक 5:29.
खाना खा रहा था: मर 2:15 का अध्ययन नोट देखें।
कर-वसूलनेवाले: मत 5:46 का अध्ययन नोट देखें।
पापी: बाइबल बताती है कि सभी इंसान पापी हैं। (रोम 3:23; 5:12) इसलिए यहाँ इस शब्द का एक खास मतलब है। ज़ाहिर है कि यह ऐसे लोगों के लिए इस्तेमाल हुआ है जो पाप करने के लिए जाने जाते थे। वे शायद नैतिक उसूल तोड़ते थे या अपराध करते थे। (लूक 7:37-39; 19:7, 8) यहूदी धर्म गुरु यह शब्द उन यहूदियों या गैर-यहूदियों के लिए भी इस्तेमाल करते थे जिन्हें कानून के बारे में नहीं पता था या जो रब्बियों की बनायी परंपराएँ मानने से चूक जाते थे।
बलिदान नहीं . . . दया: यीशु ने दो बार हो 6:6 के ये शब्द कहे (यहाँ और मत 12:7 में)। खुशखबरी की किताबों के लेखकों में से सिर्फ मत्ती ने यह बात और निर्दयी दास की मिसाल लिखी। यीशु का करीबी दोस्त बनने से पहले मत्ती खुद कर-वसूलनेवाला था जिससे लोग नफरत करते थे। (मत 18:21-25) उसकी किताब यह बात उजागर करती है कि यीशु ने कई बार ज़ोर दिया कि बलिदान के साथ-साथ दया दिखाना भी ज़रूरी है।
उपवास रखते हैं: मत 6:16 का अध्ययन नोट देखें।
अपने दोस्तों: शा., “दुल्हन के कमरे के बेटे।” एक मुहावरा जिसका मतलब है, शादी के मेहमान, खासकर दूल्हे के दोस्त।
दाख-मदिरा . . . मशकों में भरते हैं: बाइबल के ज़माने में जानवरों की खाल से बनी मशकों में दाख-मदिरा रखना आम बात थी। (1शम 16:20) ये मशकें भेड़-बकरी जैसे पालतू जानवरों की खाल से बनायी जाती थीं, जो बिना काटे पूरी-की-पूरी जानवर पर से उतार ली जाती थी। पुरानी मशकों का चमड़ा सख्त हो जाता था और उनका लचीलापन खत्म हो जाता था, जबकि नयी मशकें काफी लचीली होती थीं और फैलती थीं। इसलिए नयी दाख-मदिरा के खमीरी होने पर जो दबाव पैदा होता था उससे नयी मशकें फटती नहीं थीं।–शब्दावली में “मशक” देखें।
एक अधिकारी: मरकुस और लूका के ब्यौरे में बताया गया है कि इस “अधिकारी” (यूनानी में आरखोन) का नाम याइर है और वह सभा-घर में अगुवाई करनेवाला एक अधिकारी है।—मर 5:22; लूक 8:41.
झुककर उसे प्रणाम किया: या “उसे दंडवत किया; उसका आदर किया।”—मत 8:2 का अध्ययन नोट देखें।
खून बहने की बीमारी: शायद ऐसी दर्दनाक और गंभीर माहवारी जो 12 सालों से लगातार हो रही थी। मूसा के कानून के मुताबिक एक औरत माहवारी के समय अशुद्ध रहती थी, इसलिए उसे किसी को छूने की इजाज़त नहीं थी।—लैव 15:19-27.
बेटी: लिखित में यही एक घटना है जहाँ यीशु ने सीधे-सीधे एक औरत को “बेटी” कहा, क्योंकि शायद हालात बहुत नाज़ुक थे और वह ‘काँप रही थी।’ (लूक 8:47) शब्द “बेटी” से उस औरत की उम्र का कोई नाता नहीं है। यीशु ने प्यार से उसे बेटी कहकर अपनी परवाह ज़ाहिर की।
दाविद के वंशज: यीशु को ‘दाविद का वंशज’ कहकर ये आदमी अपना यकीन ज़ाहिर कर रहे थे कि वही दाविद की राजगद्दी पर बैठेगा यानी वही मसीहा है।—मत 1:1, 6 के अध्ययन नोट देखें।
सिखाता . . . प्रचार करता: मत 4:23 का अध्ययन नोट देखें।
खुशखबरी: मत 4:23 का अध्ययन नोट देखें।
तड़प उठा: इन शब्दों के लिए यूनानी क्रिया स्प्लैगख्नी-ज़ोमाइ इस्तेमाल हुई है, जो यूनानी शब्द स्प्लैगख्ना (मतलब “अंतड़ियों”) से संबंधित है। इसका मतलब एक ऐसी भावना है जो दिल की गहराइयों से उठती है। यूनानी में यह शब्द गहरी और कोमल करुणा के लिए इस्तेमाल होता है।
खाल खींच ली गयी: इन शब्दों से मन में ऐसी भेड़ों की तसवीर उभर आती है जिन्हें जंगली जानवरों ने फाड़ डाला हो या कँटीली झाड़ियों और नुकीली चट्टानों में भटकने की वजह से जिनकी खाल छिल गयी हो। इसलिए ये शब्द लाक्षणिक तौर पर इस्तेमाल होने लगे जिनका मतलब है, “बुरा सलूक किया जाना, सताया जाना या घायल होना।”
यहाँ-वहाँ भटकने के लिए छोड़ दिया गया: यहाँ ऐसी भेड़ों की बात की गयी है जिन्हें फेंक दिया गया है और इस वजह से वे घायल और बेबस पड़ी हैं। इससे ऐसे लोगों की हालत का पता चलता है जिन्हें दुतकारा गया, नज़रअंदाज़ किया गया और बेसहारा छोड़ दिया गया।
तसवीर और ऑडियो-वीडियो
1. गन्नेसरत का मैदान। यह इलाका तिकोना था और इसकी एक तरफ की लंबाई करीब 5 कि.मी. (3 मील) थी और दूसरी तरफ की 2.5 कि.मी. (1.5 मील)। यह काफी उपजाऊ इलाका था। इसी इलाके में, झील के किनारे चलते-चलते यीशु ने चार मछुवारों यानी पतरस, अन्द्रियास, याकूब और यूहन्ना को उसके साथ प्रचार करने के लिए बुलाया।—मत 4:18-22.
2. यहूदियों की मान्यता है कि यहीं पर यीशु ने पहाड़ी उपदेश दिया था।—मत 5:1; लूक 6:17, 20.
3. कफरनहूम। यीशु इसी शहर में रहता था और यहीं या इसी के आस-पास वह मत्ती से मिला था।—मत 4:13; 9:1, 9.
मशक आम तौर पर भेड़-बकरी जैसे पालतू जानवर की खाल से बनायी जाती थी। मरे हुए जानवर का सिर और पैर काट दिए जाते थे। फिर पूरी खाल बड़ी सावधानी से उतारी जाती थी ताकि पेट की तरफ चीरा न लगाना पड़े। खाल को कमाने के बाद उसके खुले हुए हिस्सों को सिल दिया जाता था, सिर्फ गरदन या एक पैर का हिस्सा खुला छोड़ दिया जाता था ताकि वह मशक का मुँह बन सके। मुँह बंद करने के लिए या तो उसमें कुछ लगाया जाता था या उसे डोरी से बाँध दिया जाता था। मशकों में दाख-मदिरा के अलावा, दूध, मक्खन, पनीर, तेल या पानी भी रखा जाता था।
गलील झील से करीब 10 कि.मी. (6 मील) दूर उत्तर-पूरब में गामला नाम की जगह पर पहली सदी के सभा-घर के खंडहर पाए गए। उसी के आधार पर यह चित्र तैयार किया गया है जिससे पता चलता है कि प्राचीन समय के सभा-घर कैसे दिखते होंगे।